अंतर्कथा: पारिवारिक समझौते से मजबूर मुलायम की बहू अपर्णा यादव भाजपा में
मुलायम की बहू BJP में क्यों आई; अपर्णा मजबूर थीं, क्योंकि उनके पति और अखिलेश का 16 साल पहले एक समझौता हुआ था
लखनऊ19 जनवरी ( विनोद मिश्र)मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव अब भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। विधानसभा चुनाव से पहले यादव परिवार की बहू का भाजपा में शामिल होना अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अपर्णा के भाजपा में जाने का सियासी लिहाज से भले ही सपा पर कोई बड़ा असर ना हो, लेकिन परिवार में इस टूट ने छवि की लड़ाई में अखिलेश को पीछे धकेल दिया है। हालांकि, अखिलेश ने अपर्णा के भाजपा में शामिल होने पर उन्हें बधाई दी। कहा कि नेता जी ने उन्हें काफी समझाने की कोशिश की थी।
कुछ दिनों पहले भाजपा सरकार के मंत्रियों और विधायकों को तोड़कर अखिलेश ने जो संदेश देने की कोशिश की थी, अब उससे बड़ा संदेश भाजपा ने यादव परिवार को तोड़ कर दे दिया है।
अपर्णा के भाजपा में शामिल होने के बाद एक बार फिर परिवार की लड़ाई घर की दहलीज पार कर बाहर आ गई है। अखिलेश सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों जिस तरह परिवार में कलह मची और परिवार बिखरा उसका असर चुनावी नतीजों में दिखाई दिया था। एक बार फिर 2022 विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम परिवार में टूट के बाद उस समझौते की चर्चा हो रही है, जो परिवार को एक रखने के लिए करीब 16-17 साल पहले हुआ था।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ अपर्णा यादव। –
मुलायम परिवार का एकता समझौता
मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना यादव की परिवार में एंट्री के साथ ही परिवार में बगावत शुरू हो गई थी। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश अलख बताते हैं कि तब अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम से विद्रोह कर दिया था। बेहद नाराज़ अखिलेश मुलायम की हर बात अनसुनी करने लगे थे।
पिता और पुत्र के बीच बढ़ती दूरियां कम कर परिवार को एक साथ लाने की जिम्मेदारी अमर सिंह ने उठाई थी। उन्होंने न सिर्फ साधना यादव को परिवार में एंट्री दिलाई,बल्कि अखिलेश यादव को भी मनाया। इस दौरान परिवार को साथ रखने को एक समझौता भी हुआ।
मुलायम परिवार में हुए समझौते की शर्त
पीएम मोदी के साथ अपर्णा और प्रतीक ने सेल्फी ली थी।-फाइल फोटो
उस समझौते के मुताबिक पिता की राजनीतिक विरासत के इकलौते वारिस अखिलेश यादव होंगे, जबकि साधना के बेटे प्रतीक यादव कभी भी राजनीति में नहीं आएंगे। इतना ही नहीं उस वक्त जो प्रॉपर्टी थी, उसे भी दोनों भाइयों में बराबर-बराबर बांटा गया। परिवार के बेहद करीब रहे लोगों का दावा है कि पार्टी में उस वक्त यह भी तय हुआ था कि साधना यादव के परिवार का खर्चा समाजवादी पार्टी उठाएगी।
टूट गया परिवार के बीच का समझौता?
प्रतीक यादव लगातार कहते हैं कि वो कभी राजनीति में नही आएंगे। हालांकि,जब भी सवाल अपर्णा के राजनीतिक भविष्य को लेकर होता,वह कहते कि इसका फैसला नेता जी,यानी मुलायम सिंह यादव और खुद अपर्णा कर सकती हैं। एक पत्रकार की बेटी अपर्णा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा हमेशा से रही है। वह परिवार की दूसरी बहू डिंपल यादव की तरह पार्टी में अधिकार चाहती थीं।
अपर्णा की इसी जिद की वजह से मुलायम सिंह यादव ने 2017 में अपर्णा को पार्टी का टिकट दिलवाया था, लेकिन अपर्णा चुनाव हार गईं। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव नहीं चाहते थे कि वो चुनाव जीतें।
अखिलेश का टिकट से इनकार बना परिवार में टूट की वजह?
परिवार के करीबियों का मानना है कि इस बार अखिलेश ने फैसला कर लिया था कि ना तो अपर्णा को टिकट देंगे और ना ही कहीं जाने से रोकेंगे।
खबर है कि अखिलेश यादव ने इस बार परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट ना देने का फैसला किया है। राजनीति में करियर बनाने को अधीर अपर्णा के लिए यह फैसला बेहद परेशानी वाला था। माना जाता है कि इसके बाद ही अपर्णा भाजपा के संपर्क में आईं और अब पार्टी में शामिल हो गई हैं। 2014 के बाद से ही अपर्णा यादव प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करने लगी थीं।
2017 में योगी सरकार बनने के बाद भी अपर्णा ने कई बार CM योगी से मुलाकात की। इतना ही नहीं,उन्होंने कई बार ऐसे बयान भी दिए जिनसे अखिलेश यादव की फजीहत हुई। राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा जुटाने वालों को अखिलेश ने चंदाजीवी कहा था,जबकि अपर्णा ने राम मंदिर के लिए 11 लाख रुपए का दान दिया था। परिवार के करीबियों का मानना है कि इस बार अखिलेश ने फैसला कर लिया था कि ना तो अपर्णा को टिकट देंगे और ना ही कहीं जाने से रोकेंगे।
सुरक्षा जहां,बेटियां वहां: BJP ने अपर्णा यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी को बनाया पोस्टर गर्ल
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में एंट्री लेने के साथ ही अपर्णा यादव बीजेपी की पोस्टर गर्ल बन गईं हैं। बीजेपी ने मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू को पोस्टर पर जगह देते हुए कानून व्यवस्था पर विपक्ष को जवाब दिया है। इस पोस्टर में अपर्णा के अलावा हाल ही में बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी (सपा) में गए स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी और सांसद संघमित्रा मौर्य को भी शामिल किया गया है।
बीजेपी नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने पोस्टर ट्वीट करते हुए लिखा,’योगी सरकार ने यूपी को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाया। सुरक्षा जहां बेटियां वहां।’ इससे पहले यूपी बीजेपी चीफ स्वतंत्र देव सिंह ने भी मुख्यमंत्री योगी और जेपी नड्डा के साथ अपर्णा की मुलाकात की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा,’बेटियां वहां… सम्मान और सुरक्षा जहां।’
एक तीर कई निशाने
बीजेपी ने इस पोस्टर के सहारे कई निशाने साधे हैं। एक तरफ पार्टी ने अखिलेश यादव को जवाब दिया तो दूसरी तरफ हाल ही में सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य को भी घेरा है। स्वामी प्रसाद मौर्य खुद सपा में चले गए हैं,लेकिन बदायूं से बीजेपी के टिकट पर सांसद उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य ने साफ कर दिया है कि वह बीजेपी में ही रहेंगी। बीजेपी ने इस पोस्टर से एक तरफ सपा को घेरा तो दूसरी तरफ चुनाव से पहले महिला सुरक्षा के मुद्दे पर आधी आबादी को साधने की कोशिश की है
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने पर अपर्णा यादव को बधाई और शुभकामनायें देते हुये कहा,हमें इस बात की खुशी है कि समाजवादी विचारधारा का विस्तार हो रहा है। उम्मीद है कि हमारी विचारधारा वहां भी संविधान और लोकतंत्र को बचायेगी।
गौरतलब है कि पिछले चुनाव में अपर्णा को सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट सीट से लड़ाया गया था। वह भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी से हार गयी थीं। चुनाव में भाजपा के टिकट पर इसी सीट से उनके चुनाव लड़ने की संभावना है। सपा से टिकट नहीं मिलने के कारण ही अपर्णा द्वारा भाजपा में शामिल होने के पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अखिलेश ने कहा, नेता जी (मुलायम सिंह यादव) ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की। टिकट किसे मिलना है, यह क्षेत्र, जनता और आंतरिक सर्वेक्षण पर निर्भर करता है। यह किसी एक व्यक्ति का फैसला नहीं होता है। उन्होंने मौजूदा दौर में चल रहे दल बदल के बारे में कहा कि सपा में जो लोग आये उनका व्यापक जनाधार है। चुनाव में सपा का कोई अन्य दल अब मुकाबला नहीं कर सकता है।
अपर्णा यादव के बाद शिवपाल यादव का क्या होगा?
अपर्णा के साथ हमेशा खड़े दिखने वाले शिवपाल सिंह यादव का अगला कदम क्या होगा? अब इसको लेकर भी चर्चा होने लगी है। कहा जा रहा है कि 2016 में चाचा-भतीजे में हुए विवाद में अपर्णा, चाचा शिवपाल के साथ थी। अपर्णा हमेशा कहती थीं कि वो वही करेंगी जो नेता जी और चाचा शिवपाल कहेंगे। खबर यह है कि अपर्णा अपनी महत्वाकांक्षा के चलते परिवार में अलग-थलग पड़ गई थीं। इस फैसले पर मुलायम और शिवपाल दोनों ने कुछ भी नहीं कहा।