भारतीय संस्कृति और वेद प्रचारक जोनास मसेटी, जिन्हें जगह मिली ‘मन की बात’ में
स्वामी दयानंद के शिष्य Jonas Masetti के बारे में जानें, जिनकी तारीफ PM मोदी ने की
Mann Ki Baat : इसी साल पद्मश्री (Padma Shri) से सम्मानित की गईं ग्लोरिया भी मसेटी की वो गुरु रही हैं, जिनसे उन्होंने भारतीय संस्कृति (Indian Culture) के बारे में ज्ञान हासिल किया. जानिए क्यों अपने रेडियो कार्यक्रम (Radio Program) में प्रधानमंत्री ने मसेटी का ज़िक्र किया।
वैज्ञानिकों से लेकर दार्शनिकों तक, ऐसे व्यक्तित्वों की संख्या कम नहीं रही, जो भारतीय दर्शन (Indian Philosophy) या हिंदू धर्म के विचारों (Hindu Spirituality) से प्रभावित रहे हैं. वर्तमान समय में भी हिंदू और भारत के प्रति दुनिया भर में कई लोगों का रुझान देखने को मिलता है. इनमें से कुछ तो पूरी शिद्दत के साथ इसके प्रचार प्रसार में भी जुटे हुए हैं. ऐसे ही एक शख़्स हैं ब्राज़ील के जोनास मसेटी, जिन्हें विश्वनाथ के नाम से भी पुकारा जाता है. भारतीय संस्कृति (Indian Culture) और प्राचीन ज्ञान के प्रसार और प्रशिक्षण के क्षेत्र में मसेटी उल्लेखनीय काम कर रहे हैं.
बीते रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मसेटी का ज़िक्र करते हुए उनके काम की भरपूर तारीफ करते हुए कहा कि ‘कुछ लोग भारत स्वयं की तलाश में आते हैं और यहीं के होकर रह जाते हैं, लेकिन कुछ भारत के सांस्कृतिक दूत बनकर अपने वतन को लौटते हैं.’ इसी तरह, ब्राज़ील में गीता और वेदांत के बारे में शिक्षा और जागरूकता फैला रहे मसेटी के बारे में आपको जानना चाहिेए
कौन हैं जोनास मसेटी उर्फ विश्वनाथ?
ब्राज़ील के रियो डि जेनेरियो से करीब एक घंटे की दूरी पर स्थित पेट्रोपोलिस की पहाड़ियों में एक संस्था है ‘विश्व विद्या’, इसके संस्थापक हैं मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री रखने वाले मसेटी. इस संस्था में सैकड़ों छात्र आते हैं और भारत के प्राचीन और पवित्र माने जाने वाले ग्रंथों का अध्ययन करते हैं. मसेटी गीता, वेदांत के साथ ही संस्कृत और वैदिक संस्कृति के बारे में भी पढ़ाते हैं.
पीएम मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से मसेटी के बारे में जानकारियां साझा कीं.
कैसे हुआ मसेटी को यह ज्ञान?
मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद मसेटी का रुझान जब भारतीय संस्कृति की ओर हुआ, तो उन्होंने कोयंबटूर स्थित आर्ष विद्या गुरुकुलम में चार साल बिताकर विधिवत भारतीय संस्कृति, वेदांत और हिंदू विचारों के बारे में शिक्षा दीक्षा ली. स्टॉक मार्केट में अपनी कंपनी चला चुके मसेटी ने अध्यात्मक का रास्ता चुना लेकिन वह अपनी वित्तीय कंपनी अभी भी चला रहे हैं.
मसेटी की वेबसाइट पर उल्लेख की मानें तो बेहतरीन मैनेजमेंट कंपनियों के साथ काम करने वाले मसेटी अक्सर सोचा करते थे कि ‘परिवार, प्रेमिका, दौलत और सफलता के बावजूद पूर्णता और संतुष्टि क्यों नहीं है?’ जब उन्होंने यह भी देखा कि उनकी तरह के कई ‘सफल’ लोग भी इसी तरह के भ्रम में हैं, तब उनका झुकाव अध्यात्म की तरफ हुआ. इसी संशय को मिटाने के लिए वो भारत आए और स्वामी दयानदं सरस्वती के मार्गदर्शन में वेदांत की शिक्षा ली.
क्यों मशहूर हैं मसेटी?
अपनी संस्था में तो मसेटी शिक्षा देते ही हैं, लेकिन इसके साथ ही ऑनलाइन गतिविधियों में मसेटी काफी सक्रिय हैं. पॉडकास्ट, यूट्यूब आदि माध्यमों से मसेटी न केवल लेक्चर देते हैं बल्कि ऑनलाइन कोर्स भी चलाते हैं, जिसमें पिछले 7 सालों में डेढ़ लाख से भी ज़्यादा छात्रों को शिक्षा मिलने की बात भी पीएम मोदी ने कही. इसके अलावा, मसेटी सोशल मीडिया पर पूरी तरह से सक्रिय हैं.
अपने शिष्यों के साथ ग्लोरिया एरिरा.
कौन हैं ग्लोरिया एरिरा?
भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा में शिष्य के जीवन में गुरु की काफी अहमियत होती है. स्वामी दयानंद के साथ ही, मसेटी ने समानांतर तौर पर ग्लोरिया और स्वामी साक्षातकर्तानंद से भी शिक्षा ली है. अब मसेटी कुछ कार्यक्रमों में ग्लोरिया के साथ लेक्चर दिया करते हैं. इसी साल ग्लोरिया को भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित करने का ऐलान भी किया था. 1970 के दशक से स्वामी चिन्मयानंद से ग्लोरिया ने भारतीय ज्ञान की शिक्षा ली.
एक घटना और याद कीजिए
पश्चिमी देशों में भारतीय ज्ञान के प्रचार प्रसार की इस कहानी के बीच आपको चार साल पहले की वो घटना भी याद करना चाहिए, जब भारत में पश्चिमी देशों के उन विद्वानों के खिलाफ एक माहौल बना था, जो भारतीय संस्कृति या विचारों की शिक्षा दे रहे थे.
प्रोफेसर वेंडी डॉनिजर की ‘हिंदू धर्म आधारित’ किताब को भारत में प्रतिबंधित किए जाने और भारतीय प्राचीन ज्ञान के प्रोफेसर शेल्डन पोलक के खिलाफ मुकदमे चलाने के लिए हुए विरोध प्रदर्शनों के बीच यह बहस चल पड़ी थी कि पश्चिम के विद्वान हिंदू धर्म को लेकर दुर्भावनाएं फैला रहे हैं और एक तरह से सांस्कृतिक व धार्मिक युद्ध जैसी स्थिति बन रही है, जिसमें खलनायक पश्चिमी विद्वान हैं।