पोते को संक्रमण से बचाने को दादा-दादी ने रेल से कटकर दी जान

पोते को न हो जाए कोरोना, इस डर से संक्रमित दादा-दादी ने रेलवे ट्रैक पर दी जान
पोते को कोरोना से बचाने के लिए दादा दादी भर्ती होना चाहते थे, एडमिट नहीं हुए तो ट्रेन से कटकर जान दी
कोटा, 06 मई। राजस्थान की शिक्षानगरी कोटा से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां पर कोरोना भयावह रूप ले चुका है। लोग काफी डरे हुए हैं। कोटा का एक बुजुर्ग जोड़ा कोरोना की चपेट में आ गया और फिर इन्होंने जो कदम उठाया उससे पूरा शहर स्तब्ध हो गया।
दरअसल, कोटा की पुरोहितजी की टापरी निवासी 75 वर्षीय हीरालाल और 70 वर्षीय उनकी पत्नी शांति बाई 29 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। तब से ये अपने घर पर ही क्वांरटीन थे। बुजुर्ग पति पत्नी को तभी से डर सता रहा था कि इनका पोता भी इस बीमारी की चपेट में ना आ जाए। ऐसे में ये दोनों काफी तनाव में थे और अस्पताल में भर्ती होकर इलाज करवाना चाहते थे। दोनों ही अपने घर से दूर स्थित मेडिकल कॉलेज गए और वहां भर्ती करने की गुहार लगाई, लेकिन सामान्य लक्षणों की वजह से इन्हें भर्ती नहीं किया गया।

इस बुजुर्ग दम्पति के बेटे की पहले ही पेट की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। ये अपने पोते से बहुत लगाव रखते थे। खुद कोरोना संक्रमित होने के कारण इन्हें डर था कि घर पर क्वारंटीन होंगे तो पोता भी चपेट में आ जाएगा। इन्हें पोते को बचाने के लिए कोई रास्ता नजर नहीं आया तो दोनों पटरियों पर मौत को लगे लगा लिया।
कोरोना की दूसरी लहर देश में जमकर तबाही मचा रही है। देश में लगातार कोरोना संक्रमण फैल रहा है और रोजाना नए मामले सामने आ रहे हैं। देश में फैले अंधविश्वास और कोरोना के डर से लोग गलत कदम उठा रहे हैं। इससे स्थिति और भी भयंकर होती जा रही है।

29 अप्रैल को हुई थी संक्रमण की पुष्टि

बुजुर्ग दंपत्ति में कोरोना संक्रमण की पुष्टि 29 अप्रैल के दिन हुई थी। इसके बाद से दोनों को आइसोलेशन में रखा गया था। इसके बाद रविवार की सुबह दंपत्ति ने चंबल ओवरब्रिज के पास रेलवे लाइन में कटकर जान दे दी। पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया है और आगे दी कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस को अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, पर इस संबंध में जांच की जा रही है।

गलतफहमी बनी आत्महत्या की वजह

बुजुर्ग दंपत्ति को कोरोना के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। इसी के चलते उन्होंने यह कदम उठाया है। दरअसल, कोरोना वायरस से कम उम्र के लोगों को ज्यादा खतरा नहीं है। 18 साल या उससे कम लोगों को कोरोना हो सकता है, पर अधिकतर मामलों में ऐसे मरीज बिना किसी दवाई के ही ठीक हो रहे हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए कोरोना जानलेवा बीमारी नहीं है। बुजुर्ग दंपत्ति के पोते को भी कोरोना होने की संभावना है, पर इससे उसकी मौत की आशंका बहुत कम है। इसके बावजूद बुजुर्ग दंपत्ति ने अपने पोते को संक्रमण से बचाने के लिए आत्महत्या करना उचित समझा।

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