प्लेन क्रैश से सीख… पति-पत्नी और बच्चे सब चले जाएं तो संपत्ति किसे मिलेगी? कौन कर सकता है दावा?

Ahmedabad Plane Crash What If All Family Member Died Who Can Claim On Assets
प्लेन क्रैश से सबक… अगर पति-पत्नी और बच्चे सब चले जाएं तो संपत्ति किसे मिलेगी? जानें कौन कर सकता है क्लेम
Nominee in Account and Insurance: गुजरात में हुए प्लेन हादसे में कई लोग ऐसे भी हैं जिनके परिवार में उनकी संपत्ति पर क्लेम करने वाला नहीं बचा है। जानें संपत्ति में नॉमिनी किसे और कैसे बनाएं:
नई दिल्ली 19 जून 2025: गुजरात के अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश के मामले में बीमा कंपनियों को अनोखी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इन कंपनियों के सामने कई ऐसे मामले आए हैं, जिनमें पॉलिसीधारक और उनके नॉमिनी दोनों की ही इस हादसे में मौत हो चुकी है। ऐसे में बीमा कंपनियां दावे की राशि का भुगतान किसे करें, इसी बात को लेकर परेशान हैं।

इस विमान दुर्घटना ने बैंक डिपॉजिट, इंश्योरेंस, म्यूचुअल फंड्स और बचत योजनाओं में नॉमिनी बनाने की अहमियत सतह पर ला दी है। इस दुर्घटना में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें पति-पत्नी के साथ बच्चों की भी मृत्यु हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि खाताधारक या बीमाधारक और उनके साथ ही नॉमिनी की भी मृत्यु होने के ऐसे मामलों में सक्सेसिव नॉमिनेशन करने और वसीयत बनाने का महत्व बढ़ जाता है।

बना सकते हैं चार नॉमिनी
इस साल बैंकिंग लॉज अमेंडमेंट ऐक्ट 2024 लागू होने के साथ बैंक खातों में अब एक के बजाय अधिकतम चार नॉमिनी बनाए जा सकते हैं। पीपीएफ सहित स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स में भी चार तक नॉमिनी बनाए जा सकते हैं। सेबी के नियमों के मुताबिक, डीमैट अकाउंट और म्यूचुअल फंड फोलियों में अधिकतम 10 नॉमिनी बनाने की सुविधा है।

सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर तारेश भाटिया ने कहा, ‘अधिकतर लोग पत्नी या पति के रूप में एक नॉमिनी बनाते हैं। कुछ साइमल्टेनियस नॉमिनेशन करते हुए एक से ज्यादा नॉमिनी भी बनाते हैं और तय कर देते हैं कि उनके बाद किस नॉमिनी को कितना हिस्सा दिया जाएगा। सक्सेसिव नॉमिनेशन इतना प्रचलन में नहीं है। हालांकि नॉमिनेशन करने के अलावा वसीयत बना लेना ज्यादा बेहतर होता है।’

क्या है साइमल्टेनियस और सक्सेसिव नॉमिनेशन
साइमल्टेनियस नॉमिनेशन में एक से अधिक नॉमिनी बनाए जाते हैं। बीमाधारक या खाताधारक की मृत्यु के पहले अगर किसी नॉमिनी की मृत्यु हो जाए और नॉमिनेशन में कोई बदलाव न किया गया हो तो मृत नॉमिनी के लिए तय हिस्से का आनुपातिक बंटवारा बाकी नॉमिनीज में होता है। खाताधारक के जीवित रहते ही किसी नॉमिनी की मृत्यु हो और वह नॉमिनेशन में बदलाव करें तो उसी बदलाव को लागू माना जाता है।

वहीं, सक्सेसिव नॉमिनेशन में जितने भी नॉमिनी होते हैं, उनका वरीयता क्रम देना होता है। इसमें खाताधारक या बीमाधारक की मृत्यु होने पर पहले नंबर के नॉमिनी को पूरी रकम दी जाती है। इसमें हिस्सा यानी पर्सेंटेज तय करने का मामला नहीं बनता। अगर बीमाधारक के साथ पहले नंबर के नॉमिनी की भी मृत्यु हो जाए, तो उनके बाद जिनका नंबर हो, उनकी बारी आएगी और इसी तरह क्रम तय होता है। बीमा कंपनियों, बैंकों और डीमैट अकाउंट में सक्सेसिव नॉमिनेशन हो सकता है, लेकन म्यूचुअल फंड फोलियो में सुविधा नहीं है। वहीं, बैंक लॉकर के मामले में केवल सक्सेसिव नॉमिनेशन होता है।

कानूनी वारिस को करना होगा
भाटिया ने कहा, ‘अहमदाबाद विमान हादसे जैसे मामलों में यह स्थिति बन सकती है कि पति, पत्नी और बच्चों की एकसाथ मृत्यु के चलते बीमाधारक और सक्सेसिव नॉमिनीज में से कोई भी जीवित न हो। ऐसी सूरत में जो भी कानूनी वारिस होगा, उसका क्लेम बनेगा। हालांकि उसे दस्तावेजों के साथ साबित करना होगा कि वह कानूनी वारिस है। किसी और ने दावा कर दिया तो मामला कोर्ट से तय होगा। वसीयत ऐसी सूरत में उपयोगी होती है।’

परिवार के लोगों को ही नॉमिनी बनाएं
नॉमिनी बनाते समय अपने प्रियजन को कानूनी पचड़ों से बचाने के लिए बेहतर यही होता है कि उन्हीं लोगों को नॉमिनी बनाएं, जो परिवार के हों और उनका कानूनी वारिस होने का दावा भी बनता हो। नामित व्यक्ति अगर बेईमानी पर उतर आए, तो कानूनी वारिसों को ऐसा मामला कोर्ट-कचहरी तक ले जाना पड़ता है। सेबी के नियमों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से यह स्पष्ट हो चुका है कि कोई भी नॉमिनी सिर्फ संबंधित रकम का रिसीवर होता है और अगर कानूनी वारिस दावा करें तो रकम उन्हें मिलेगी।

वसीयत न बनाई हो तो क्या?
भाटिया ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार के नियमों के मुताबिक, वसीयत न बनाई गई हो तो किसी व्यक्ति की खुद कमाई गई संपत्ति पर उसके बाद उनकी पत्नी, उनके बाद संतान और अगर पत्नी और संतान भी न हों तो व्यक्ति की मां का कानूनी हक बनता है। मां के बाद व्यक्ति के पिता का और उनके बाद भाई और फिर बहन का नंबर आता है।

कोर्ट में रजिस्टर कराएं वसीयत
भाटिया ने कहा कि वसीयत में यह भी बताना होता है कि एग्जिक्यूटर कौन होगा। आमतौर पर वकील यह काम करते हैं और इसकी फीस लेते हैं। वसीयत को कोर्ट में रजिस्टर करा लेना चाहिए। वसीयत में किसे कितना हिस्सा तय किया गया है, यह बताएं या न बताएं, घरवालों को यह जरूर बताएं कि वसीयत बना ली है और कोर्ट में रजिस्टर भी करा ली है। इससे आपके बाद पत्नी या किसी दूसरे आश्रित को जरूरत पड़ी तो कोर्ट से उसकी कॉपी या प्रोबेट ऑर्डर लेकर बैंक या किसी भी जरूरी जगह पर देने से काम आसानी से हो जाता है।

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