कांग्रेस के समय से लटके कृषि कानून लागू किए

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कृषि कानून काफी समय से लंबित थे, एमएसपी व्यवस्था जारी रहेगी : प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा नए कृषि कानून रातों-रात नहीं लाए गए हैं, बल्कि राजनीतिक दल, कृषि विशेषज्ञ और यहां तक कि किसान भी लंबे समय से इनकी मांग कर रहे थे। कांग्रेस व अन्य दलों पर इन कानूनों के प्रति किसानों में भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने साफ किया कि कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की प्रणाली पर सरकार पूरी तरह से गंभीर है और यह व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी।
नयी दिल्ली, 18 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा नए कृषि कानून रातों-रात नहीं लाए गए हैं, बल्कि राजनीतिक दल, कृषि विशेषज्ञ और यहां तक कि किसान भी लंबे समय से इनकी मांग कर रहे थे। कांग्रेस व अन्य दलों पर इन कानूनों के प्रति किसानों में भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने साफ किया कि कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की प्रणाली पर सरकार पूरी तरह से गंभीर है और यह व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी। प्रधानमंत्री ने ऑनलाइन सभा के जरिए रायसेन और मध्य प्रदेश के अन्य जिलों के किसानों को संबोधित करते हुए कांग्रेस सहित विपक्षी दलों पर एमएसपी और एपीएमसी (कृषि मंडी) के मुद्दे पर किसानों को बरगलाने तथा भ्रम में डालने का आरोप लगाया और कहा कि राजनीतिक दलों, कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों द्वारा लंबे समय से ऐसे कृषि सुधारों की वकालत की जा रही थी। हजारों किसान खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान पिछले तीन सप्ताह से ज्यादा समय से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच वार्ता से भी कोई समाधान नहीं निकला। किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के अलावा उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है। मोदी ने कहा, ‘‘पिछले 20-22 वर्षों से केंद्र और राज्य सरकारों ने इन कृषि सुधारों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया है। किसान संगठन, कृषि वैज्ञानिक और किसान भी लगातार इसकी मांग कर रहे थे।’’
उन्होंने विपक्षी दलों की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘‘सभी लोगों के घोषणा पत्र देखे जाएं, उनके बयान सुने जाएं, पहले जो देश की व्यवस्था संभाल रहे थे। आज के कृषि सुधार उनसे अलग नहीं हैं। वो जो वादा करते थे, वही बातें इस कृषि सुधार में की गयी हैं। मुझे लगता है, उनको पीड़ा इस बात की है कि जो काम वो कहते थे लेकिन वो नहीं कर पाए और मोदी ने ये कैसे किया। मोदी को श्रेय क्यों मिले। तो मैं सभी राजनीतिक दलों को कहना चाहता हूं, अपने घोषणापत्र को श्रेय दीजिये। मुझे श्रेय नहीं चाहिए। मुझे किसानों के जीवन में आसानी और समृद्धि चाहिए। आप कृपा करके किसानों को बरगलाना और भ्रमित करना छोड़ दीजिए।’’
मोदी ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘किसान इसके लिए आंदोलन कर रहे थे, लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला। इन्होंने (विपक्ष) अपनी राजनीति बढ़ाने के लिए समय-समय पर किसानों का इस्तेमाल किया है।’’ उन्होंने कहा कि किसानों के प्रति हमारी संवेदनशील सरकार उन्हें अन्नदाता मानती है, ‘‘हमने फाइलों के ढेर में फेंक दी गई स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट को लागू किया और लागत का डेढ़ गुना एमएसपी किसानों को दिया।’’
मोदी ने किसान कर्ज माफी के वादे को कांग्रेस का बड़ा धोखा बताते हुए कहा, ‘‘दो साल पहले विपक्षी दल ने मध्य प्रदेश में दस दिन में किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था लेकिन प्रदेश के किसान मुझसे बेहतर जानते हैं कि हकीकत में कितने किसानों को लाभ मिला।’’ उन्होंने राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि प्रदेश के किसान अभी भी कर्ज माफी का इंतजार कर रहे हैं।
इस बीच, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार को नववर्ष से पहले किसानों के मुद्दे का समाधान हो जाने की उम्मीद है और उसने गतिरोध दूर करने के लिए किसानों के विभिन्न संगठनों के साथ अपनी अनौपचारिक वार्ता जारी रखी है। तोमर ने पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में कहा कि तीनों नए कृषि कानून किसानों के लिए लाभकारी हैं और सरकार लिखित में यह आश्वासन देने को तैयार है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तथा मंडी प्रणाली जारी रहेगी। उन्होंने किसानों को गुमराह करने के लिए विपक्षी पार्टियों को जिम्मेदार ठहराया और उन पर आरोप लगाया कि वे सुधार प्रक्रिया पर अपने रुख में बदलाव कर रही हैं तथा मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रही हैं। तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश के साथ करीब 40 किसान संघों से बातचीत में केंद्र का नेतृत्व कर रहे हैं।

किसानों आंदोलन के बीच ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) ने कहा कि तीनों नए कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे को सरकार को सुलझाना चाहिए ना कि उच्चतम न्यायालय को।
शिरोमणि अकाली दल ने संसद का शीतकालीन सत्र आहूत करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए कहा कि कोविड-19 का बहाना बनाकर इसे रद्द करने की बात ‘पच’ नहीं रही क्योंकि तीनों कृषि कानूनों को महामारी के दौरान ही पारित किया गया था। राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र में शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि राष्ट्र की प्राथमिकता के आधार पर तुरंत संसद का सत्र आहूत होना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कांग्रेस पर हालिया कृषि कानूनों को लेकर ‘अफवाह’ फैलाने और प्रदर्शनों को भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने इन विधेयकों को पारित किए जाते समय राज्यसभा में कांग्रेस के अधिकतर सदस्यों के अनुपस्थित होने को लेकर भी पार्टी पर निशाना साधा। पुरी ने ट्वीट किया, ‘‘उनके वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भी विधेयक पर मतदान के दौरान विदेश में छुट्टी मना रहे थे। पार्टी को देश में आग लगाने की बजाय अपने लोगों को एक रखने के बारे में सोचना चाहिए।’’ केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ने एक मुहावरे का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस दूसरों के घर जलाकर अपने हाथ सेक रही है।
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कृषि कानूनों को लेकर सरकार पर हमलावर विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि ये ‘‘पिटे हुए पॉलिटिकल प्लेयर्स’’ हार की हताशा में किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आरोप भी लगाया कि खेती के बारे में कोई समझ नहीं रखने वाले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी किसानों के सबसे बड़े नेता बने हुए हैं और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इसमें शामिल हैं जो ‘करने में जीरो और धरने में हीरो’ हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार को सारे काम छोड़कर किसानों के मुद्दे का समाधान करना चाहिए। गहलोत ने कहा कि किसानों के आंदोलन से पूरा देश ऐसी स्थिति में आ गया है कि भारत सरकार को चाहिए कि तमाम सब काम छोड़कर इसे सुलझाए।

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