मेघा पाटकर का देशद्रोह का मुनाफे का धंधा, एक दिन में मिले 1.19 करोड़

20 अकाउंट, एक ही ​दिन में हर खाते से आए ₹596294: मेधा पाटकर के NGO में चंदे का गजब ‘संयोग’, ED ने दर्ज की FIR

ED की रडार पर मेधा पाटकर (फाइल फोटो/ साभार: TNIE)

एक गैर सरकारी संगठन (NGO) है। नाम है- नर्मदा नवनिर्माण अभियान (NNA)। इसकी मुख्य ट्रस्टी हैं मेधा पाटकर। जी हाँ, वही स्वयंभू सामाजिक/पर्यावरण कार्यकर्ता मेधा पाटकर जो नर्मदा बचाओ आंदोलन (Narmada Bachao Andolan) की प्रवर्तक रहीं हैं।आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि इस एनजीओ के खाते में एक ही दिन 20 अलग-अलग खातों से एक समान रकम आई। अब यह कोई संयोग है या गोलमाल, इसकी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जाँच शुरू की है। संदिग्ध लेनदेन को लेकर शिकायत मिलने के बाद एजेंसी ने एफआईआर दर्ज कर ली है। हैरत की बात यह भी है कि यह मामला करीब 17 साल तक दबा रहा।

मामला साल 2005 का है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 5 मार्च 2004 को इस NGO का बृहन्मुंबई चैरिटी कमिश्नर के पास रजिस्ट्रेशन हुआ। 18 जून 2005 को NGO के बैंक ऑफ़ इंडिया के अकाउंट नंबर 001010100064503 से 1,19,25,880 रुपए का चंदा आया। इस लेन-देन को लेकर मिली शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय एजेंसियों ने जाँच शुरू की है। ईडी के अलावा राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) और आयकर विभाग में भी अलग-अलग शिकायतें दर्ज की गई हैं।

 

मेधा पाटकर के NGO का अकाउंट डिटेल (फोटो साभार: dailypioneer)

बता दें कि 18 जून 2005 को 20 अलग-अलग खातों से NGO को दान मिला। हैरानी की बात यह है कि सभी खातों से आई राशि एक समान थी। इन सभी 20 खातों से NGO के खाते में ₹5,96,294 की राशि आई। इस तरह एक ही दिन में ₹1,19,25,880 राशि आई। इससे भी हैरत की बात तो यह है कि दान देने वालों में एक नाबालिग भी शामिल थी, जिसका नाम पल्लवी प्रभाकर भेलकर बताया गया है। वह उस समय नाबालिग थी। इसके अलावा NGO को मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) से जनवरी 2020 से मार्च 2021 तक लगभग 62 लाख रुपए का दान भी मिला। यह दान 6 बार में अलग-अलग तारीखों को किया गया था।

मेधा पाटकर के खिलाफ शिकायत करने वाले संजीव झा हैं। उन्होंने कहा कि लेन-देन का यह डिटेल गंभीर सवाल उठाता है कि कैसे 20 अलग-अलग लोगों ने एक ही दिन में एक समान राशि जमा की। आमतौर पर फंडिंग राउंड फिगर में किया जाता है लेकिन इन डोनर्स को इतने विषम अंकों में पैसा जमा करने के लिए किसने प्रेरित किया, यह भी जाँच का विषय है। यह एक संगठित सिंडिकेट फंडिंग की ओर भी इशारा करता है।

उन्होंने कहा कि देश के हर परियोजना/नीति का विरोध करने का पाटकर और उनके NGO का इतिहास रहा है। चाहे वह सरदार सरोवर परियोजना हो, परमाणु परियोजनाएँ हों, कोयला खदान परियोजनाएँ हों या फिर हाल ही में CAA और केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानून। मेधा पाटकर ने मोदी सरकार की हर परियोजना का मुखरता से विरोध किया है। बता दें कि इससे पहले संजीव झा की शिकायत पर मुंबई पासपोर्ट अधिकारियों ने मेधा पाटकर का पासपोर्ट जब्त कर लिया था।

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