टेरर फंडिंग में धरा गया मौ.अब्दुल, छठी गिरफ्तारी,20 करोड़ रु.,500 खातों की होगी पड़ताल
यूपी ATS ने टेरर फंडिंग केस में दिल्ली से मोहम्मद अब्दुल दबोचा: 500 बैंक अकाउंट की होगी पड़ताल, घुसपैठियों के लिए आई विदेशी फंडिंग
नई दिल्ली 21 दिसंबर। उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (यूपी एटीएस) को कल टेरर फंडिंग केस में एक जन को धरने में कामयाबी हाथ लगी है। ATS ने इसे नई दिल्ली के निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया। इसकी पहचान 37 वर्षीय मोहम्मद अब्दुल अव्वल के रूप में हुई ।
अवैध घुसपैठ और मानव तस्करी करने वाले सिंडिकेट का सदस्य अव्वल लखनऊ के नदवतुल उलमा का पूर्व छात्र था। मूल रूप से ये असम के गोलपारा निवासी है। साल 2018 से ये दिल्ली को अपना ठिकाना बनाया हुए था। ATS के मुताबिक,बीते पाँच साल से मोहम्मद अब्दुल दिल्ली में जामिया नगर ओखला,श्रम विहार में रह रहा है।
मदरसे की तालीम से 12वीं करके अब्दुल किराए की दुकान में गैरकानूनी तरीके से बैंक खाते खोलने और मनी ट्राँसफर का काम कर रहा था। इसके लिए उसने फीनो बैंक की मर्चेंट आईडी ले रखी थी।
उत्तर प्रदेश ATS को मिला था टेरर फंडिंग पर इनपुट
उत्तर प्रदेश एटीएस के एक अधिकारी के 19 दिसंबर, 2023 को दिए बयान के मुताबिक उत्तर प्रदेश एटीएस एनसीआर और दिल्ली में रजिस्टर्ड 500 से अधिक ‘संदिग्ध’ बैंक खातों की जाँच कर रही है। इन खातों में दिल्ली की एनजीओ का पैसा पहुँचता है। ये एनजीओ समाज की भलाई के कामों के लिए दान के तौर पर विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम ( एफसीआरए) में विदेशी फंडिंग पा रहा है।
उत्तर प्रदेश एटीएस को बीते दिनों इनपुट मिला था कि कुछ लोगों ने एक सिंडिकेट तैयार करवाया है। इसके जरिए वो अवैध घुसपैठियों की पहचान छिपाते थे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उन्हें भारत में ठहराते थे। इस तरह से ऐसे लोगों की आर्थिक मदद कर वो राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे थे। इस इनपुट के आधार पर एटीएस की टीम ने 5 आरोपितों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था।
इन आरोपितों में तीन बांग्लादेशी अदिलुर रहमान असरफी, तानिया मंडल, इब्राहिम खान और दो पश्चिम बंगाल के अबु हुरैरा गाजी, शेख नजीबुल हक थे। इसी कड़ी में पकड़ा गया अब्दुल अव्वल छठवाँ आरोपित है।
आरोपित अब्दुल अव्वल दिल्ली के ऊपर बताए गए एनजीओ के बैंक खातों से पैसा लेता था। वो इस पैसे को देश में अवैध रूप रहने वाले बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों के नाम से एक निजी बैंक में खोले गए खातों में पहुँचाने का काम करता था।
उत्तर प्रदेश एटीएस को इस बात पर संदेह है कि इन फंड्स का इस्तेमाल राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों और आतंकी फंडिंग के लिए किया गया था,क्योंकि पिछले चार साल में इसी तरह के खातों में लगभग 20 करोड़ रुपए ट्राँसफर किए गए थे।
10 संदिग्ध आतंकियों के खिलाफ FIR है दर्ज
टेरर फंडिंग मामले में उत्तर प्रदेश एटीएस ने 11 अक्टूबर 2023 को 10 संदिग्ध आतंकवादियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इन आरोपितों पर भारत में मस्जिद बनाने के लिए विदेशों से अवैध रूप से धन माँगने, रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में बसाने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप में केस दर्ज किया गया था।
इसमें आदिल उर रहमान अशरफी,अबू हुरैरा गाजी,शेख नाजीबुल हक,मोहम्मद राशिद,कफिलुद्दीन,अजीम,अबू सालेह, अब्दुल गफ्फार,अब्दुल्ला गाजी और अब्दुल अव्वल का नाम शामिल हैं। अब्दुल अव्वल को गिरफ्तार करने के बाद 6 आतंकी गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें से अधिकतर षड्यंत्रकारियों का रिश्ता दारुल उलूम देवबंद से हैं।
कैसे होती थी टेरर फंडिग
विदेशों से देश के कई अन्य हिस्सों में लाया गया पैसा हवाला से पश्चिम बंगाल के 24 परगना के रहने वाले नजीबुल शेख तक पहुँचाया जाता था। शेख की सहारनपुर में दारुल उलूम देवबंद के पास टोपी और इत्र की दुकान है।
एटीएस को आरोपित मोहम्मद अब्दुल से पूछताछ में पता चला कि दिल्ली में उसकी मुलाकात 2020 में कोविड महामारी के समय अब्दुल गफ्फार से हुई थी। तब बैंक खाते खोलने के नियमों में ढील दी गई थी। ये गफ्फार और उसके साथी ही थे जिन्होंने आरोपित को बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं के नाम पर एक निजी बैंक फीनो में खाते खोलने को राजी किया।
ATS के मुताबिक मुलाकात के दौरान गफ्फार व उसके साथियों ने मोहम्मद अब्दुल से कहा कि अगर वो ऐसा करता है तो वो अपने NGO ‘सन शाइन हेल्थ एंड सोशल वेलफेयर ट्रस्ट’ के एफसीआरए ( FCRA) के खाते में आने वाले विदेशी धन को इन खातों में ट्रांसफर कर देगा।
उसने आरोपित मोहम्मद अब्दुल को लालच दिया था कि बाद में वो सारी नकदी निकाल कर इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने के साथ ही अवैध घुसपैठियों की मदद को कर सकते हैं।
आरोपित मोहम्मद अब्दुल को लालच आया और उनसे फीनो बैंक में खाते खुलवा डाले। फिर गफ्फार के एनजीओ में यूरोपीय देशों से आई रकम को इन बैंक खातों में जमा किया गया। इसके बाद आरोपित मोहम्मद अब्दुल ने यह सारी रकम गफ्फार के साथ मिलीभगत कर खाते से वापस निकाल बराबर बाँटी। इस नकद पैसे को सहारनपुर के आरोपित को भी पहुँचाया गया जो पहले ही गिरफ्तार हो चुका है।
आरोपित के मुताबिक, गफ्फार ने अपने नेटवर्क के लोगों के खोले गए कई अन्य बैंक खातों के साथ भी इसी तरह के काम किए। हालाँकि गफ्फार अभी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है, उसे पकड़ने की कोशिशें जारी हैं।
एटीएस के एक अधिकारी के मुताबिक, इस तरह से पैसा लाने के तौर-तरीकों से साफ पता चलता है कि एफसीआरए नियमों को तोड़कर साँठगाँठ कर देश में लाए गए इस पैसे का इस्तेमाल राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में हो रहा था। एटीएस अधिकारी इन सभी बैंक खातों के विवरण सावधानीपूर्वक स्कैन कर रहे हैं और आगे की जाँच चल रही है।
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