संस्कृति के उत्थान और कलाकार हित में मुमं धामी ने की चार घोषणाएं

  • मुख्यमंत्री  धामी हिमालय निनाद  उत्सव – 2025 में
  • प्रदेश में संस्कृति के उत्थान और कलाकार हित में चार घोषणाएं
  • वृद्ध और रोगों से जीविकोपार्जन अस्वस्थ कलाकारों की मासिक पेंशन में की गई 3000 रुपये वृद्धि
  •  ऐसे कलाकारों की मासिक पेंशन अब 3000 से बढ़कर 6000 रुपए प्रतिमाह 
  • संस्कृति विभाग में सूचीबद्ध सांस्कृतिक कलाकारों को मानदेय अब नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर जैसा
  • हर जनपद स्तर पर प्रेक्षागृह,सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण व प्रदर्शन हेतु प्रदेश में राज्य स्तरीय तथा दोनों मंडलों में एक-एक मंडल स्तरीय संग्रहालय का होगा निर्माण

देहरादून 07 नवंबर 2025 । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर हिमालयन संस्कृति केंद्र गढ़ी कैंट देहरादून में आयोजित हिमालय निनाद उत्सव- 2025 में प्रतिभाग करते हुए कलाकारों का उत्साहवर्धन किया तथा संस्कृति के उत्थान और कलाकारों के हित में चार घोषणाएं की।

उन्होंने वृद्ध एवं आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों तथा लेखकों को जिन्होंने अपना पूरा जीवन कला एवं संस्कृति तथा साहित्य की आराधना में लगा दिया परंतु वृद्धावस्था व खराब स्वास्थ्य से वे जीविकोपार्जन में असमर्थ हो गए हैं, को देय मासिक पेंशन 3000 रपये में वृद्धि कर 6000 रुपए मासिक करने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री धामी ने संस्कृति विभाग में सूचीबद्ध सांस्कृतिक दलों के कलाकारों का मानदेय एवं अन्य व्यवस्थाएं भारत सरकार के उपक्रम नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर की तरह दिए जाने की घोषणा की। उन्होंने प्रदेश के समस्त जनपद स्तर पर प्रेक्षागृह का निर्माण करने की घोषणा की।

इसके अतिरिक्त सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण व प्रदर्शन हेतु प्रदेश में एक राज्य स्तरीय संग्रहालय एवं कुमाऊं व गढ़वाल मंडल में एक-एक मंडल स्तरीय संग्रहालय  निर्माण करने की भी घोषणा की।

मुख्यमंत्री धामी ने हिमालय निनाद महोत्सव- 2025 अवसर पर सभी को राज्य रजतोत्सव की  शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह उत्सव मात्र एक सांस्कृतिक समारोह नहीं है बल्कि हिमालय की आत्मा, उसकी विविध परंपराओं, लोक धुनों और साझा चेतना का उत्सव है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड की स्थापना के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं, यह हमारे राज्य के विकास, संघर्ष और स्वाभिमान का रजत जयंती वर्ष है। यह केवल उत्सव का नहीं बल्कि आत्ममंथन और नए संकल्प का भी अवसर है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि इस मंच के माध्यम से न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे हिमालय क्षेत्र की विविध संस्कृतियों को एक सूत्र में पिरोया गया है। तिब्बत की आध्यात्मिक परंपराओं, अरुणाचल और मणिपुर के जनजातीय गीत, हिमाचल का खोड़ा नृत्य, असम का बिहू, लद्दाख का जोब्रा नृत्य सबने यह मंच जीवंत बना दिया है। उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक संगम इस बात का भी प्रमाण है कि भौगोलिक सीमाएं हमें बांट नहीं सकती, हम सब एक साझा विरासत और एक साझा हिमालय चेतना से जुड़े हुए हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि निनाद- 2025 में आयोजित परिचर्चा सत्रों ने आयोजन और भी अर्थपूर्ण बना दिया है। हिमालय में रंगमंच, उत्तराखंड का सिनेमा और समाज, लोक भाषा और संस्कृति, नंदा राजजात और हिमालय में खानपान, विरासत और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर चर्चाओं ने स्पष्ट किया है कि हमारी संस्कृति केवल परंपरा में नहीं बल्कि रचनात्मक विमर्श और नवाचार में भी जीवित है।

उन्होंने इस अवसर पर उन महान आत्माओं को नमन किया  जिन्होंने उत्तराखंड राज्य के लिए संघर्ष किया और जिनकी स्मृति हमें याद दिलाती है कि यह राज्य हमें कितनी कठिनाइयों, बलिदानों और समर्पण से मिला है। उनकी यादें संजोना और नई पीढ़ी को उस संघर्ष की प्रेरणा देना सबका कर्तव्य  है।

इस अवसर पर राज्यसभा सांसद और पद्म विभूषण शास्त्रीय नृत्यांगना सोनल मानसिंह, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, उपाध्यक्ष संस्कृति साहित्य एवं कला परिषद मधु भट्ट, संस्कृति सचिव युगल किशोर पंत सहित संबंधित लोग उपस्थित थे।

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