नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिसीज-2021 जारी,‘महंगे’ रोग मदद से बाहर, छोड़ा क्राउड फंडिंग के भरोसे
केंद्र ने जारी की नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिसीज-2021:‘महंगे’ रोग सहायता श्रेणी से बाहर, मरीजों को क्राउड फंडिंग के भरोसे छोड़ दिया
नई दिल्ली 01अप्रैल। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद दुर्लभ बीमारियों पर बहुप्रतीक्षित नीति- नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिसीज-2021 जारी कर दी है।
केंद्र सरकार ने जारी की दुर्लभ बीमारियों पर बहुप्रतीक्षित नीति
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने आखिरकार दुर्लभ बीमारियों पर बहुप्रतीक्षित नीति नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिसीज-2021 जारी कर दी। नीति में कुछ दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए एकमुश्त 20 लाख रुपए की सहायता देने का प्रावधान भी रखा गया और इस सहायता को पाने की पात्रता के लिए बीपीएल श्रेणी का होने की अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया गया है। ड्राफ्ट में यह राशि 15 लाख रुपए ही थी और इसका लाभ केवल बीपीएल श्रेणी में आने वाले मरीजों को ही मिल सकता था।
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि महंगे इलाज वाली दुर्लभ मरीजों को इस नीति से भारी निराशा हाथ लगी है क्योंकि नीति में गौसर डिसीज, हर्लर सिंड्रोम, हंटर सिंड्रोम, पोम्प डिसीज, फैब्री डिसीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी जैसी गंभीर दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए धन जुटाकर इलाज कराने का प्रावधान रखा गया है।
नीति में दुर्लभ बीमारियों की तीन श्रेणियां बनाई गई हैं। पहली श्रेणी में उन दुर्लभ बीमारियों को रखा गया है जिनका एक बार स्टेम सेल या ऑर्गन (लीवर या किडनी) ट्रांसप्लांटेशन से इलाज हो सकता है। दूसरी श्रेणी में उन बीमारियों को रखा गया है जिनका इलाज अपेक्षाकृत कम लागत और जीवनभर या लंबी अवधि तक चलता है। तीसरी श्रेणी उन बीमारियों की है, जिनका पक्का इलाज उपलब्ध है लेकिन महंगा, लंबे समय तक चलने वाला है।
नीति में बताया गया है कि दुनियाभर में करीब साढ़े सात हजार से अधिक आनुवांशिक व दुर्लभ बीमारियों की पहचान की गई है, जिनमें से भारत में बहुत कम बीमारियां मिलती हैं। यह बात भी गौर करने योग्य है कि दुनियाभर में पहचानी गई दुर्लभ बीमारियों में से केवल 5 फीसदी बीमारियों का ही इलाज उपलब्ध है, वह भी बेहद महंगा। नीति में आयातित दवा पर वित्त मंत्रालय से कस्टम ड्यूटी में छूट देने की सिफारिश भी की गई है।
देश के 8 अस्पताल सेंटर फॉर एक्सीलेंस बनेंगे, 5 करोड़ मिलेंगे
देश के 8 अस्पतालों को दुर्लभ बीमारियों के लिए सेंटर फॉर एक्सीलेंस के रूप में अधिसूचित जाएगा जिनमें दिल्ली के एम्स, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, लखनऊ का संजय गांधी पीजी इंस्टीट्यूट, चंडीगढ़ का पीजीआई, हैदराबाद का सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स, मुंबई का किंग एडवर्ड मेडिकल हॉस्पिटल, कोलकाता का इंस्टीट्यूट ऑफ पीजी मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, बेंगलुरू का सेंटर फॉर ह्यूमैन जेनेटिक्स शामिल हैं। इन सेंटर्स में स्क्रीनिंग, निदान, बचाव व उपचार के साथ अनुसंधान की सुविधा होगी। इन प्रस्तावित केंद्रों को केंद्र सरकार 5 करोड़ रुपए की एकमुश्त मदद करेगी।