अनलॉक बना डैथ वारंट, बढ़ी 1800 % रफ्तार, पंजाब ने छोड़ा सबको पीछे
भारत में कोराेना से 1 लाख मौतें:लॉकडाउन खत्म होने तक देश में 5 हजार जानें गई थीं, अनलॉक के बाद 1800% तेजी से बढ़ा मौतों का आंकड़ा
देश में कोरोना से मौतों का आंकड़ा आज 1 लाख को पार कर गया।…और ये महज आंकड़ा नहीं है। ये एक लाख सांसें हैं, जो कोरोना ने हमसे छीन लीं। एक ऐसा आंकड़ा, जिसे देश आगे बढ़ता नहीं देखना चाहता। फिर भी यह बढ़ रहा है और बीते 204 दिनों से लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
देश में विदेश के रास्ते कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी को आया था। तब से 31 मई यानी लॉकडाउन के आखिरी दिन तक, यानी 122 दिनों में कोरोना के 1.82 लाख मामले सामने आए और 5,405 मौतें हुईं। एक जून से अनलॉक लागू हुआ और अगले 123 दिन यानी आज 2 अक्टूबर तक कोरोना के 61.34 लाख नए मामले सामने आए और 95 हजार मौतें जुड़ गईं।
आंकड़े बताते हैं कि जब तक देश में लॉकडाउन था, हर दिन केस और मौत के आंकड़े कुछ हद तक काबू में थे। अनलॉक में लापरवाही बढ़ती गई। टीका आने तक हमने मास्क को ही वैक्सीन नहीं माना। कहीं डिस्टेंसिंग नहीं हुई, कहीं कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं हुई। इससे बीते 123 दिनों में मौत का आंकड़ा बढ़कर एक लाख को पार कर गया। यानी अनलॉक के बाद 1800% तेजी से बढ़ी मौतें।
जब लॉकडाउन खत्म हुआ तो एक दिन में 193 मौतें हो रही थीं
अलग-अलग राज्यों में तेजी से बढ़ते केस के मद्देनजर प्रधानमंत्री की अपील पर 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया। इसके ठीक दो दिन बाद, यानी 25 मार्च को देश में टोटल लॉकडाउन लगा दिया गया। 68 दिन का लॉकडाउन 31 मई को खत्म हुआ था। अगर सिर्फ 31 मई के आंकड़े पर नजर डालें तो 24 घंटे में देशभर में 8,380 पॉजिटिव केस आए थे। एक दिन में मौत का आंकड़ा 193 था। अब हर दिन कोरोना से एक हजार से ज्यादा मौतें हो रही हैं।
12 मार्च को देश में कोरोना से पहली मौत हुई थी। 31 मार्च तक देश में कुल मौतों की संख्या 47 थी। मौतों के आंकड़े में सबसे ज्यादा तेजी जुलाई, अगस्त और सितंबर में देखी गई। सितंबर में सबसे ज्यादा 34,565 मौतें हुईं। एक लाख मौतों में इनका प्रतिशत 34.5 फीसदी रहा।
राज्यों में मौतों के आंकड़े की बात करें तो सबसे ज्यादा एक लाख में से 37 फीसदी मौतें अकेले महाराष्ट्र में हुई हैं। यहां एक लाख में से मौतों को आंकड़ा 37,056 है। वहीं, तमिलनाडु (9.50%) और कर्नाटक (9%) मौतों के मामले में दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं। सिर्फ इन तीन राज्यों में कोरोना से मौतों का प्रतिशत 55 है।
कहानी कोरोना के चीन से केरल पहुंचने की
भारत की बात करने से पहले बात दुनिया की करते हैं। 31 दिसंबर 2019। चीन में पहली बार कोरोनावायरस की पहचान की गई। तब इस बीमारी को वुहान शहर में ‘अज्ञात कारणों से हुआ निमोनिया’ माना जा रहा था। 22 जनवरी 2020 को चीन में WHO मिशन ने एक बयान में कहा कि वुहान में एक इंसान से दूसरे इंसान में संक्रमण फैलने के सबूत मिले हैं।
भारत में कोराेना का सबसे पहला मरीज 30 जनवरी को केरल में मिला था। वुहान में पढ़ने वाली भारतीय स्टूडेंट ऊषा राम मनोहर छुट्टियों में केरल के त्रिशूर अपने घर आई थी। गले में खराश और सूखी खांसी जैसे लक्षणाें की शिकायत के बाद उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। वुहान से लौटे दो अन्य स्टूडेंट को 2 और 3 फरवरी को कोरोना के लक्षण मिले थे।
4 फरवरी को भारत सरकार ने देश में चीनी नागरिकों के साथ उन विदेशी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए, जिन्होंने करीब दो हफ्ते पहले चीन की यात्रा की हो। 11 फरवरी को डब्ल्यूएचओ ने इस संक्रमण को आधिकारिक रूप से कोविड-19 नाम दिया।
टाइम लाइन:देश में ऐसे फैलता गया कोरोना
2 मार्च को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इटली से दिल्ली आने वाले 45 वर्षीय शख्स और यूएई की यात्रा से लौटे हैदराबाद के 24 वर्षीय इंजीनियर के संक्रमित होने पुष्टि की। जयपुर में एक इटली के नागरिक के पॉजिटिव निकलने के बाद देश में कुल मरीजों की संख्या छह हो गई।
10 मार्च तक आते-आते देश में कोविड-19 केस की संख्या 50 हो चुकी थी। इसमें 17 राजस्थान, 9 केरल, 8 उत्तर प्रदेश, 4 कर्नाटक, 3 दिल्ली, 2 महाराष्ट्र, 2 लद्दाख, 1 जम्मू-कश्मीर, 1 तेलंगाना, 1 पंजाब और 1 हरियाणा से था।
12 मार्च को कर्नाटक के कलबुर्गी में 76 साल के बुजुर्ग की मौत कोरोना से देश में पहली मौत थी। ठीक इसी दिन भारत ने 13 मार्च से 15 अप्रैल तक भारत में विदेशियों की एंट्री बैन कर दी और सभी तरह के वीजा पर रोक लगा दी।
13 मार्च को ओडिशा ने काेविड-19 को ‘आपदा’ करार दिया। तत्काल प्रभाव से शिक्षा संस्थान, सिनेमा हॉल, सार्वजनिक स्विमिंग पूल्स और जिम बंद करने का आदेश दिया।
15 मार्च तक महाराष्ट्र ने केरल को पछाड़कर 100 कोरोना केस का आंकड़ा छू लिया। यहां हर 5 दिन में केस दोगुने हो रहे थे।
भारत में पहला केस सामने आने के 50 दिन बाद 22 मार्च को 14 घंटे का जनता कर्फ्यू लगाया गया। इस तारीख तक भारत में 360 केस आ चुके थे और भारत में करीब 16,021 लोगों की टेस्टिंग हो चुकी थी।
25 मार्च को पीएम मोदी ने देश में 21 दिन (14 अप्रैल तक) के टोटल लॉकडाउन की घोषणा कर दी।
28 मार्च तक भारत ने 1000 केस का आंकड़ा छू लिया। हर पांच दिन में केस दोगुने हो रहे थे।
5 अप्रैल तक कोरोना से 100 लोगों की मौत हो चुकी थी। 14 अप्रैल तक देश में 10 हजार केस की पुष्टि। लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ाया। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (दादरा नगर हवेली और सिक्किम को छोड़कर) से कोरोना केस होने की पुष्टि।
29 अप्रैल तक एक हजार मौतों की पुष्टि हुई। एक मई को लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ाया। 7 मई तक देश में 50 हजार केस की पुष्टि।
15 मई को पहली बार देश में 24 घंटे में 100 मौतें हुईं। 19 मई तक देश में एक लाख केस। 31 मई तक 5000 मौत की पुष्टि।
17 जून तक महाराष्ट्र और दिल्ली में कोरोना से 2003 मौतें। 20 जून तक 4 लाख से ज्यादा कोरोना केस और 13 हजार से ज्यादा की मौत।
30 सितंबर तक औसतन हर दिन 80 से 90 हजार कोरोना केस सामने आ रहे हैं। वहीं, औसतन हजार के करीब मौत हो रही हैं।
डेथ रेट के मामले में पंजाब टॉप पर
देश में डेथ रेट के हिसाब से पंजाब (3%) टॉप राज्य है। यहां पहला केस 9 मार्च को आया था। तब से यहां 1,11,375 केस आ चुके हैं। जबकि 3,284 मौतें हो चुकी हैं। वहीं, महाराष्ट्र (2.6%) और गुजरात (2.5%) डेथ रेट के मामले में दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं। देश में नॉर्थ ईस्ट स्टेट मिजाेरम मे कोरोना से एक भी मौत दर्ज नहीं हुई है। इसलिए इस राज्य में डेथ रेट 0% है।