अतीक-अशरफ के बाद अब गैंगस्टर संजीवा जीवा की हत्या कोर्ट में वकील के वेश में
मुख्तार गैंग के शूटर जीवा की लखनऊ कोर्ट में हत्या:वकील की ड्रेस में आया हमलावर गिरफ्तार, CM ने जांच SIT को सौंपी
लखनऊ 07 जून। लखनऊ के कैसरबाग कोर्ट में बुधवार दोपहर पेशी पर आए बदमाश संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा (48 वर्ष) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। जीवा मुख्तार अंसारी गैंग का शूटर था। हमलावर वकील की ड्रेस में आया था। उसने दोपहर 3.50 बजे 9 MM की पिस्टल से कोर्ट रूम में ही 5-6 राउंड फायरिंग की। हमले में जीवा की मौके पर ही मौत हो गई। फायरिंग में एक बच्ची, उसकी मां और दो पुलिसकर्मी घायल हो गए।
हत्या कर भागते हमलावर को वकीलों ने पकड़ पिटा। पुलिस ने किसी तरह उसे छुड़ाया। हमलावर विजय उर्फ आनंद यादव जौनपुर वासी है। उस पर आजमगढ़ और जौनपुर में केस दर्ज हैं।
विजय ने जीवा की हत्या क्यों की, यह पता नहीं चल पाया है। कोर्ट में बड़ी संख्या में पुलिस तैनात है। हत्या बाद वकीलों ने पुलिस से धक्का-मुक्की की। कई पुलिसकर्मियों को गेट से बाहर निकालकर गेट बंद कर दिया।
घटना की जांच के लिए SIT गठित
CM योगी आदित्यनाथ ने घटना की जांच के लिए SIT (स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम) बना 7 दिन में रिपोर्ट मांगी है। SIT में ADG टेक्निकल मोहित अग्रवाल, नीलब्जा चौधरी और अयोध्या आईजी प्रवीण कुमार को शामिल किया गया है। वहीं, स्पेशल डीजी प्रशांत कुमार ने कचहरी पहुंचकर मामले की जानकारी ली है। इससे पहले, 15 अप्रैल को प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या हुई थी। यानी, 53 दिन में पुलिस कस्टडी में यह तीसरी हत्या है।
पुलिस कस्टडी में था संजीव जीवा, 4 से 5 गोलियां मारी
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, पूरी घटना 3.50 से 3.55 बजे के बीच यानी 5 मिनट के बीच हुई है। जॉइंट सीपी उपेंद्र अग्रवाल ने बताया, “संजीव जीवा को पुलिस कस्टडी में लेकर एससी/एसटी कोर्ट पहुंची थी। वह पेशी का इंतजार कर रहा था। जैसे ही वह कोर्ट रूम में जाने लगा, तभी पीछे से गोलियां चलीं।” हमलावर ने जीवा को टारगेट कर फायरिंग की। इससे भगदड़ मची। जीवा कोर्ट में जमीन पर गिर गया।
बताया जा रहा है कि हमलावर विजय यादव से वकीलों ने हत्या की वजह पूछी तो वह सिर्फ इतना बोला कि जीवा को मारने आया था। उसे मार दिया। पुलिस को अभी तक जीवा और हमलावर का सीधा कनेक्शन नहीं मिला है। कोर्ट में सुरक्षा चूक से जुड़े सवाल पर जॉइंट सीपी ने कहा, “यह हम बाद में देखेंगे कि सिक्योरिटी लैप्स हुआ है या नहीं। फिलहाल, वारदात का खुलासा जरूरी है।”
काले कोट में आरोपित विजय यादव है। वह जौनपुर का रहने वाला है। उसने हत्या की वजह नहीं बताई है।
18 महीने की बच्ची समेत 3 लोग हुए घायल
कुछ देर बाद मौके पर पहुंची पुलिस जीवा और तीन अन्य घायलों को बलरामपुर अस्पताल ले गई। हॉस्पिटल के सीएमएस डॉक्टर जीपी गुप्ता ने बताया कि जीवा को लाया गया था, तो उसकी मौत हो चुकी थी। वहीं, 18 महीने की बच्ची लक्ष्मी के सीने में गोली लगी है। उसकी हालत गंभीर है। उसे हायर सेंटर रेफर किया गया है। एक पुलिसकर्मी के पैर में गोली लगी है। जबकि दूसरा भगदड़ में घायल हुआ है।
बच्ची लक्ष्मी को मां नीलम ने बताया, “मैं बच्ची के साथ ससुर के केस की पैरोकारी को आई थी। बच्ची सो गई थी इसलिए उसे जमीन पर लिटा दिया था। तभी अचानक फायरिंग हुई। मैंने बच्ची गोद में उठाई और बाहर की ओर भागी। थोड़ी देर में देखा तो उसके शरीर से खून निकल रहा था। फिर पता चला कि उसे गोली लगी है।”
कोर्ट में हुए हत्याकांड से नाराज वकीलों ने कैम्पस का गेट बंद करके पुलिसकर्मियों को बाहर कर दिया।
मुख्तार अंसारी का शॉर्प शूटर था, हत्या के मामले में थी पेशी
जीवा मुख्तार अंसारी का शूटर था। 2019 में उसे मैनपुरी जेल से लखनऊ जेल में शिफ्ट किया गया था। तब से लखनऊ जेल में था। 2016 में लखनऊ के गोमती नगर में हुई एक हत्या के मामले में बुधवार को उसे लखनऊ कोर्ट लाया गया था।
हाल ही में मुजफ्फरनगर प्रशासन ने उसकी संपत्ति भी कुर्क की थी। जीवा मुजफ्फरनगर निवासी था। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे थे। इनमें से 17 मामलों में वह छूट चुका था।
10 फरवरी, 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या जीवा ने की थी। इस केस में जीवा को 2003 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। पुलिस के मुताबिक, जीवा ने अपना खुद का गैंग भी बना रखा था। इसमें 35 से ज्यादा मेंबर्स हैं। इस गैंग को वह जेल से ऑपरेट करता था।
2005 में कृष्णानंद राय हत्याकांड में नाम आया
2005 में हुए भाजपा नेता कृष्णानंद राय की हत्या में भी जीवा का नाम आया था। हालांकि इस मामले में मुख्तार और जीवा को छोड़ दिया गया था। मुन्ना बजरंगी के जरिए जीवा साल 2000 में मुख्तार अंसारी के संपर्क में आया था। तब से मुख्तार का खास शूटर बन गया था। पुलिस के मुताबिक, जीवा एके-47, एके-56 और एसएलआर जैसे हथियारों का इस्तेमाल करता था।
पुलिस सूत्र बताते हैं कि मुख्तार को हाईटेक हथियारों का शौक था। जीवा के पास हथियार जुटाने का तिकड़मी नेटवर्क था। उत्तराखंड के हरिद्वार में 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में जीवा दोषी सिद्ध हुआ था। कोर्ट ने जीवा समेत 4 को आजीवन कैद की सजा सुनाई थी।
वारदात के बाद वकीलों ने हंगामा किया। पुलिस से नोकझोंक और धक्का-मुक्की भी हुई। वकीलों का कहना था कि सुरक्षा में चूक के कारण यह वारदात हुई है।
दवाखाने में कंपाउंडर की नौकरी करता था जीवा
जीवा 90 के दशक में अपराध की दुनिया में आया। वह मुजफ्फरनगर में एक दवाखाना में कंपाउंडर था। बाद में उसी दवाखाने के मालिक को ही अगवा कर लिया था। इसके बाद, कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती में दो करोड़ रुपए की मांग की। इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग से जुड़ा, फिर सतेंद्र बरनाला के साथ भी जुड़ा। बाद में मुन्ना बजरंगी से होते हुए मुख्तार तक पहुंच गया।
जीवा के एक भाई और दो बहन हैं। उसके तीन बेटे और एक बेटी है। जीवा पर मुजफ्फरनगर, शामली, गाजीपुर, फर्रुखाबाद और हरिद्वार में हत्या, लूट, डकैती, रंगदारी, अपहरण और जालसाजी के मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस प्रशासन गैंगस्टर एक्ट में अब तक जीवा की 4 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर चुका है।
यह फोटो जीवा की है। गोलीकांड के बाद उसे केजीएमयू ले जाया गया। जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
जीवा की पत्नी ने जताई थी हत्या की आशंका
फरवरी 2021 में जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था। इस पत्र में उसने पति जीवा की हत्या की आशंका जताई थी। पायल ने कहा था- जेल के अंदर या कोर्ट में पेशी के दौरान जीवा की हत्या हो सकती है। पत्र में पत्नी ने यह भी लिखा था कि 30 जनवरी 2021 को एक बड़े अधिकारी ने जेल में पहुंचकर पेशी के दौरान हत्या कराने की धमकी दी थी। पायल ने पत्र के जरिए मांग की थी कि उसके पति की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाए।
यह फोटो 2019 की है,जब जीवा को लखनऊ से मुजफ्फरनगर कोर्ट लाया गया था। तब उसे बुलेट प्रूफ जैकेट पहनाई गई थी।
राज्यस्तरीय था जीवा का गैंग
सितंबर 2019 में जीवा के गैंग को राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो में रजिस्टर्ड किया था। उस वक्त जीवा पर 22 मुकदमे दर्ज थे। इनमें मुजफ्फरनगर में 8, हरिद्वार में 3, शामली में एक, मेरठ में दो, गाजीपुर में एक, शामली में एक, दिल्ली स्पेशल सेल में एक, सीबीआई लखनऊ में एक, बाराबंकी में एक केस दर्ज था
AK-47 बेचने वाले गैंगस्टर संजीव जीवा की कहानी: मायावती की जान बचाने वाले नेता को मार डाला
90 के दशक में उत्तर प्रदेश में मुख्तार अंसारी, ब्रजेश सिंह, मुन्ना बजरंगी, बदन सिंह बद्दो और भोला जाट जैसे माफियाओं का दबदबा था। तब संजीव जीवा अपने छोटे से गैंग को ऑपरेट कर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचना चाह रहा था। इसके लिए उसने ऐसा काम किया, जिसने उत्तर प्रदेश में भूचाल ला दिया। उसने उस भाजपा नेता की हत्या कर दी, जिसने कभी पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की जान बचाई थी।
कभी पत्रकार तो कभी वकील बन कर रहे अपराधियों का ‘सफाया’, UP में मर्डर का ये कैसा ट्रेंड आ गया है?
Sanjeev Jeeva Murder Case: प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के बाद अब लखनऊ की अदालत में गैंगस्टर संजीव जीवा को खुलेआम गोलियों से उड़ा दिया गया। अतीक को मारने वाले हत्यारे पत्रकार की वेषभूषा में आए थे तो संजीव की हत्या करने वाले ने वकील की ड्रेस पहनी हुई थी।
लखनऊ 07 जून: आप भूले तो नहीं होंगे जब दो महीने पहले 15 अप्रैल को प्रयागराज का कॉल्विन हॉस्पिटल गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा था। उस वक्त माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ (Atique Ahamd Murder) की सरेआम विदेशी पिस्टल से गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस अतीक और अशरफ को मेडिकल के लिए अस्पताल लेकर जा रही थी। मीडिया का पूरा हुजूम लगा हुआ था। अतीक और अशरफ पत्रकारों के सवालों का जवाब देने के लिए जैसे ही रुके, 20 से 25 साल की उम्र के तीन शूटर अचानक भीड़ से निकले और फिर जो हुआ वह इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो चुका है। खास बात यह रही कि तीनों शूटर पत्रकारों की वेशभूषा में आए थे। उनके पास कैमरे थे और प्रेस आईडी भी। इस हत्याकांड के करीब दो महीने बाद 6 जून को लखनऊ की कचहरी भी कुछ ऐसी ही वारदात की गवाह बन गई। लखनऊ जेल में लंबे अरसे से बंद पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कुख्यात गैंगस्टर संजीव जीवा पेशी के लिए कोर्ट लाया गया था। अचानक वकील की ड्रेस में आए 24 साल के एक लड़के ने उसको ताबड़तोड़ पांच गोलियां मारीं। जीवा की मौके पर ही मौत हो गई। इन दोनों घटनाओं में समानता यह है कि न तो अतीक के हत्यारे मौके से भागे और न ही संजीव जीवा का हत्यारा। इन सबको पुलिस ने घटनास्थल से पिस्टल के साथ गिरफ्तार कर लिया। उत्तर प्रदेश में एक के बाद जिस नए अंदाज में अपराधियों की हत्या हो रही है, उसको लेकर ढेर सारे सवाल खड़े हो रहे हैं।
इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज में उमेश पाल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या (Umesh Pal Murder Case) कर दी गई। हत्या का आरोप अतीक अहमद गैंग पर लगा। आरोप तब और पक्के हो गए जब इस घटना के वायरल वीडियो में अतीक अहमद का तीसरा बेटा असद अहमद गोलियां चलाता साफ नजर आया। इसके बाद प्रयागराज पुलिस ने ताबड़तोड़ एनकाउंटर कर असद अहमद समेत हत्याकांड में शामिल कई शूटरों को एनकाउंटर में मार गिराया। इस मामले में पूछताछ को अतीक अहमद को साबरमती जेल से प्रोडक्शन वॉरंट पर प्रयागराज लाया गया। उमेश पाल हत्याकांड का षड्यंत्र रचने में अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन भी शामिल है। शाइस्ता और अतीक का खास गुर्गा गुड्डू मुस्लिम अब तक भागे हुए हैं। गुड्डू मुस्लिम उमेश पाल की हत्या के समय मौके पर बम बरसाता नजर आया था। शाइस्ता और गुड्डू मुस्लिम की तलाश में उत्तर प्रदेश एसटीएफ की टीम न जाने कितने राज्यों में छापा मार चुकी है पर परिणाम शून्य रहा। अतीक अहमद और अशरफ की हत्या करने वाले शूटरों सनी, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य का आपराधिक इतिहास रहा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पुलिस पूछताछ में तीनों शूटरों ने कहा कि वे कब तक छोटे मोटे शूटर रहेंगे। इसलिए कुछ बड़ा काम करने के लिए उन्होंने अतीक अहमद और अशरफ की हत्या की है। ये तीनों आरोपित प्रतापगढ़ की जेल में बंद चल रहे हैं।
अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के लिए तीनों शूटरों ने ढेर सारी प्लानिंग की थी। उनके पास से विदेशी पिस्टल बरामद हुए जो लाखों की कीमत के हैं। अब तक ये अनावरण नहीं हो पाया है कि शूटरों को ये पिस्टल किसने उपलब्ध कराये। अतीक हत्याकांड के पीछे उनका क्या उद्देश्य है, इसका सच भी सामने नहीं आ पाया है। पूछताछ में उन्होंने बताया कि 15 अप्रैल से पहले भी उन्होंने अतीक को निपटाने का प्लान बनाया था पर सफल नहीं हो पाए। ये तीनों शूटर उत्तर प्रदेश के अलग अलग जिलों के रहने वाले हैं। लवलेश तिवारी बांदा का है तो अरुण मौर्य हमीरपुर का। इसी तरह तीसरा आरोपित सनी कासगंज जिले का निवासी है। तीनों कब और कैसे एक दूसरे के संपर्क में आए, इसकी भी जांच चल रही है। लवलेश ने 12वीं करने के बाद बीए में एडमिशन लिया था पर पढ़ाई में मन नहीं लगा तो कॉलेज जाना बंद कर दिया था।
जौनपुर के किसान परिवार का है विजय यादव, दुष्कर्म के मुकदमे में रह चुका है आरोपित
अब लखनऊ की अदालत में गैंगस्टर संजीव जीवा की हत्या करने वाले विजय यादव के बारे में जानिए। सिर्फ 24 साल का विजय जौनपुर के केराकत क्षेत्र में पड़ने वाले सुल्तानपुर सर्की गांव का है। वह दो महीने से लखनऊ में रह रहा है। वह यहां सीवर और पेयजल पाइप लाइन डाल रहा था। उसके पिता श्यामा यादव ने बताया कि उनके चार बेटे हैं। दूसरे नंबर का विजय यादव लखनऊ में काम करने से पहले मुंबई में टाटा कंपनी में मजदूर था। पिछले 15 दिनों से उसका मोबाइल फोन बंद था। वह परिवार वालों के संपर्क में नहीं था जिससे घर में सब परेशान थे। विजय की पढ़ाई जौनपुर में ही हुई है। उसने मोहम्मद हसन पीजी कॉलेज से 2016 में बीकॉम किया है। आजमगढ़ में एक लड़की के अपहरण और दुष्कर्म मामले में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज था। दो महीने पहले ही इस केस में समझौता हुआ। सामान्य परिवार के विजय यादव के घरवालों को नहीं पता था कि वह इतना बड़ा कदम उठा लेगा। उसके पिता खेती कर परिवार चलाते हैं। अभी तक की जांच में यह नहीं पता चल पाया है कि आखिर विजय यादव की संजीव जीवा से क्या दुश्मनी थी। उसने जीवा की हत्या किसने कहने पर की?
CrimeSanjeev Jeeva And Atique Ahmed Murder Case Know About New Trend Of Murder In Uttar Pradesh