मत:ये कैसा भारत जोड़ो?कोविड का मज़ाक लेकिन क्रिसमस वेकेशन को पूरा सम्मान!!!
मोदी राज में भी फलस्तीन बिना नागा ‘जकात’ पा रहा है, राहुल जी छुट्टियों के लिए कुतर्क ना गढ़ें!
महामारी के लिए यात्रा रोकने से मना करना और क्रिसमस छुट्टियों के लिए ब्रेक लेने से तो यही साबित होता है कि एक जिम्मेदार नेता के रूप में राहुल में संवेदनशीलता और गंभीरता की घोर कमी है. वे अब भी पहले की तरह हैं. यात्रा के बावजूद उनमें कोई परिवर्तन नहीं आया. राहुल को बनना तो पीएम है, मगर कैसे?
इंदिरा कांग्रेस पर एकछत्र मालिकाना हक़ रखने वाले गांधी-नेहरू परिवार की पार्ट टाइम राजनीति पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. सवाल कि देश, उसकी तमाम व्यवस्थाएं भले भाड़ में चली जाएं मगर हर हाल में गांधी परिवार को सत्ता पर पूरी तरह से नियंत्रण चाहिए. यूपीए के दौरान से ही राहुल गांधी को पीएम का सुयोग्य चेहरा बनाने के लिए पार्टी और गांधी परिवार के वफादार दरबारी हमेशा प्रयासरत दिखे हैं. उन्हें तैयार करने के लिए इंदिरा कांग्रेस ने एक लंबा वक्त और तमाम संसाधन खर्च किए हैं. बावजूद राहुल के फ्रंट से कुछ ना कुछ ऐसा हो ही जाता है कि ‘वेटिंग पीएम’ का ख्वाब खतरनाक टर्न्स का शिकार होकर ट्रैक से दूर चला जाता है. अभी समूची दुनिया कोविड के नए वेरिएंट को लेकर चिंताग्रस्त है. चीन में हाहाकार है. दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत भी कोविड की आशंका में तैयारियां कर रहा है. कुछ केसेस भी सामने आए हैं. इन्हीं तैयारियों के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने चिट्ठी लिखकर कुछ दिनों के लिए भारत जोड़ो यात्रा स्थगित करने की गुजारिश की थी.
हमेशा की तरह इंदिरा कांग्रेस के प्रचार तंत्र ने इसे भी राजनीतिक मुद्दा बना दिया और नैरेटिव तैयार करने की कोशिश की कि असल में राहुल की ताकत से मोदी सरकार डर गई. भारत जोड़ो यात्रा रोकने के लिए कोविड की साजिश रच रही है. कांग्रेस ने संसद ही सिर पर उठा लिया. एक पल के लिए लोगों को लगा भी होगा कि सच में सरकार राहुल की जिद्दी यात्रा से डर गई है. सोचा जा सकता है कि उस नेता का पार्टी में जलवा जलाल कितना बड़ा होगा और उसके लिए भारत जोड़ना कितना अहम होगा- जिसने हिमाचल-गुजरात-दिल्ली में चुनाव होने के बावजूद अपनी यात्रा को एक दिन भी रोकना ठीक नहीं लगा. बावजूद कि वह पार्टी की तरफ से पीएम पद का सबसे बड़ा चेहरा है. लेकिन जब अनिश्चित जीत मिल गई तो शपथग्रहण में जीत का सेहरा बांधने पहुंच गए. वे भारत जोड़ने में यूं व्यस्त रहे कि उनके पास इतना भी समय नहीं था कि वर्चुअल सभाएं ही कर लेते. मां के जन्मदिन पर वे कुछ घंटों के लिए भारत जोड़ो यात्रा से अलग हुए.
राहुल गांधी. फोटो- PTI
कोविड को लेकर सरकार की चिट्ठी पर इंदिरा कांग्रेस ने खुद माहौल बनाया,खुद ही बिगाड़ दिया
सरकार की चिट्ठी पर संसद में वातावरण तगड़ा बन गया तो लगे हाथ राहुल ने हरियाणा से मनसुख मांडविया की चिट्ठी का जवाब भी दे दिया. उन्होंने कहा- “ये मोदी सरकार का नया आइडिया है.मुझे चिट्ठी लिखी गई है कि कोविड आ रहा है. यात्रा बंद करो. कोविड आ रहा है यात्रा बंद करो.अब भैया मतलब आप देखिए अब यात्रा को रोकने के लिए बहाने बन रहे हैं.मास्क पहनो,यात्रा बंद करो कोविड फैल रहा है.सब बहाने हैं.हिंदुस्तान की शक्ति हिंदुस्तान की सच्चाई से से ये लोग डर रहे हैं.”राहुल और इंदिरा कांग्रेस के तमाम दरबारियों- जिनके पास वोट नहीं है,दो टूक कह दिया कि भैये यात्रा नहीं बंद होगी.कश्मीर तक जाकर रहेगी.जो करना है कर लो. संसद से सड़क तक हल्ला मचाने के बाद वही कांग्रेस कोविड की वजह से यात्रा तो स्थगित करने को तैयार नहीं हुई. मगर क्रिसमस पर राहुल गांधी बढ़िया से छुट्टियां एन्जॉय कर सकें और लंबी यात्रा की थकान उतार सकें- इसके लिए अब लंबा ब्रेक लिया जा रहा है. सिर्फ तीन दिन के अंदर सारा घटनाक्रम इंदिरा कांग्रेस और गांधी परिवार की देश के प्रति जिम्मेदारी और राजनीतिक गंभीरता और संवेदनशीलता बताने के लिए पर्याप्त है.
कहा तो यह भी जा रहा है कि राहुल ब्रेक का इस्तेमाल एक विदेश यात्रा के लिए ही करेंगे. वैसे राहुल की ज्यादातर विदेश यात्राएं बहुत प्राइवेट किस्म की होती हैं. एक घरेलू छुट्टी पर बवाल मचने के बाद वे देश से बाहर छुट्टियां बिताना ज्यादा पसंद करते हैं. दूसरी सरकारों में जासूसी का भी खतरा हमेशा बना ही रहता है.साल 2015 में जरूरी चुनाव हो रहे थे बिहार में और राहुल विदेश घूमने निकल गए.ऐसे दर्जनों मौके हैं.संसद चल रही होती है और राहुल अक्सर सदन से गायब होते हैं. बस संसद में भाषण देते वक्त मौजूद रहते हैं. या फिर अपनी ही सरकार के खिलाफ कोई स्टंटबाजी करनी होती है- अपने जैसे दो चार दरबारी नेताओं को लेकर संसद में नमूदार हो जाते हैं और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का ही बिल फाड़ कर लगभग उनके मुंह पर मार देते हैं. लेकिन अपने ही सांसदों का भाषण सुनने संसद में मौजूद नहीं रहते. समझा जा सकता है कि ऐसा नेता भला सरकार और दूसरी पार्टियों के नेताओं की बात क्यों ही सुनेगा?
राहुल गांधी से बड़ा दूसरा कौन है देश में भला,पुरखों के त्याग की राजनीतिक भरपाई नहीं कर पाए हैं अभी
वैसे भी किसी नेता के भाषण में राहुल गांधी को सुनाने के लिए क्या होगा? किस परिवार के नेता की पिछली आठ-दस पीढियां राजनीति में सक्रिय रही हैं. नेहरू के पुरखे बादशाहों के दौर से उनके दरबारों के राजनीतिक शह-मात का खेल देखते आए हैं. मोतीलाल नेहरू से उनके माता-पिता तक मजबूत राजनीतिक विरासत दिखाई पड़ती है.संसद और भारत का भला कौन सा नेता राहुल से बड़ा है?
मगर सवाल है कि अगर सरकार राहुल गांधी की यात्रा से डर गई और उसे रोक रही थी तो राहुल खुद क्यों ब्रेक पर जा रहे हैं? अभी तो वे कह रहे थे कि यात्रा किसी भी सूरत में नहीं रुकेगी. कम से कम उन्हें दस-पंद्रह दिन का वक्त गुजारना चाहिए था फिलहाल.बस मुश्किल यह थी कि 10-15 दिन बाद ना तो क्रिसमस रहता और ना ही न्यू ईयर. सामान्य बुद्धि का इंसान भी घटनाक्रमों से इतना तो समझ ही सकता है कि राहुल को महामारी से कोई मतलब नहीं. देश का चाहे जो भी हो. उन्हें सत्ता चाहिए.उन्हें भारत जोड़ने के लिए कश्मीर जाना ही जाना है.अब दूसरी बात है कि भारत या कश्मीर में भला टूटा क्या है और क्या जोड़ने जा रहे हैं. सिर्फ राहुल गांधी और उनका परिवार ही बता सकता है. इंदिरा कांग्रेस के दूसरे नेता भी इस बारे में कुछ भी ढंग का कहने में असमर्थ होंगे.
राहुल की मौजूदा राजनीतिक स्थिति के दृष्टिगत यह मौका छुट्टियां मनाने का तो नहीं था.वे चाहते तो केंद्र सरकार की चिट्ठी को ही आधार बनाकर बेहतर माहौल बना सकते थे. लोगों को समझाया जा सकता था कि वाकई सरकार डर गई है.मगर राहुल की हरकतों से यही साबित हो रहा कि वेटिंग पीएम पार्टटाइम राजनीतिक हैं.उन्हें कुर्सी इसलिए नहीं चाहिए कि वे डिजर्व करते हैं.बल्कि इसलिए चाहिए कि देश पर उनके खानदान के बड़े उपकार हैं.बावजूद कि उनके परनाना, नानी, पिता और उनकी माता स्वयं भी सत्ता का प्रचुर सुख भोग चुकी हैं, मगर लगता तो यही है कि गांधी परिवार अभी तक अपने योगदान की कीमत देश से वसूल नहीं पाया है.
राहुल की छुट्टियों से सिद्ध हो गया- बिल्कुल भी नहीं बदले, हजार यात्राएं भी नहीं बदल पाएंगी
महामारी के लिए यात्रा रोकने से मना करना और छुट्टियों के लिए ब्रेक लेने से तो यही साबित होता है कि एक जिम्मेदार नेता के रूप में उनमें संवेदनशीलता और गंभीरता की घोर कमी है. वे जैसे पहले थे अब भी बिल्कुल वैसे ही हैं. यात्रा में समय बिताने के बावजूद राहुल या कांग्रेस की फितरत में कोई परिवर्तन नहीं आया है. वे कश्मीर जाने की जिद कर रहे हैं और ब्रेक के बाद वहीं जाएंगे भी. बावजूद कि अब कश्मीर जाकर कौन सा तोप मार देंगे कुछ कहा नहीं जा सकता. श्रीनगर का लाल चौक अब सामान्य हो चुका है. अब तो ऐसा माहौल भी नहीं कि वहां आतंकियों ने धमकी दी है कि श्रीनगर में भारत को तिरंगा नहीं फहराने देंगे. और राहुल आतंकियों को जवाब देने वहां तिरंगा फहराने जा रहे हों. जब कश्मीर जाकर देश को संदेश देना था- तब तो नहीं गए थे. सुरक्षा भी बड़ा मसाला है. राहुल को सरकार का शुक्रगुजार होना चाहिए कि अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक बेख़ौफ़ घूम सकते हैं. वरना तो उनकी नानी की अपनी ही सरकार में अपनी सुरक्षा नहीं कर पाई. उनके पिता भी अपने समर्थन से चल रही सरकार में खुद की सुरक्षा नहीं कर पाए. दोनों पूर्व प्रधानमंत्री देश पर कुर्बान हो गए.
हां, हो सकता है कि उन लोगों को संदेश देने कश्मीर जा रहे हों कि भैया मेरी सरकार आ गई तो कश्मीर में आर्टिकल 370 को फिर से बहाल कर देंगे ताकि भारत आराम से जुड़ जाए. और उस सिंडिकेट को भरोसा दिलाने का प्रयास करेंगे जो नेहरू की गुटनिरपेक्षता की नौटंकी में पाकिस्तान की तरह ही फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा.एकतरफा समर्थन.सिर्फ वोटबैंक के लिए.बावजूद कि दुनियाभर में सताए गए यहूदियों का कोई दोष नहीं था.हमने लंबे वक्त तक वोटबैंक भुनाने को पकिस्तान की तरह ही इजरायल से घृणा की.और बहुत बाद में उसे वह दर्जा दिया जिसका हकदार था वो.आज की तारीख में इजरायल हमारा सबसे भरोसेमंद मित्र देशों में से एक है.बहुत लोगों को मालूम नहीं होगा कि इंदिरा के अराफात से भाई बहन की तरह गहरे संबंध थे और वह इसलिए कि वोटबैंक के दबाव में भूखे नंगे लोगों का देश फलस्तीन को तमाम तरह की मदद दे रहा था.गुटनिरपेक्ष सीमा से बाहर जाकर.इजरायल से पाकिस्तान की घृणा समझ में आती है.पाकिस्तान इस्लामिक मूल्यों पर बना देश है. पर इजरायल ने भारत का क्या बिगाड़ा था?
फलस्तीन के साथ तो भारत के सांस्कृतिक राजनीतिक और आर्थिक संबंध नहीं थे.अरब की तरफ से लड़ने भाड़े के सिपाही अतीत में आए हों तो बात अलग है.पर उसके लिए भी फलस्तीन को मदद करना भारत जैसे गरीब देश के कंधों पर और ज्यादा बोझ डालना है.वह भी एक ऐसे देश को मदद जिसकी जमीन पर मजहबी आतंक सरेआम पलता है. क्या किसी वोटबैंक ललचाने को इंदिरा कांग्रेस ने पाकिस्तान की तरह ही इजरायल-फलस्तीन विवाद में अन्याय का साथ दिया? जबकि फलस्तीन का संकट मजहबी और मानव निर्मित है.भारत को मदद देने की क्या जरूरत थी भला?अभी हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में बताया भी कि मोदी सरकार ने फलस्तीन की रिफ्यूजी वेलफेयर एजेंसी को जाने वाली ‘जकात’ समय पर भेज दी है.बावजूद इसके कि देश कोविड के बाद से तमाम चुनौतियों का सामना कर रहा है.
ठीक है.राहुल जी,छुट्टी मनाकर आइए.और कश्मीर के लिए भारत जोड़ो यात्रा की जो शुरुआत की थी उसे पूरा भी करिए.लेकिन देश का मतदाता अब बहुत अच्छे से जान चुका है कि राजनीति में तीतर के आगे कितने तीतर हैं और पीछे कितने तीतर हैं.उसे मूर्ख मत समझिए.कोविड के लिए ब्रेक लेने या मास्क लगाने पर बवाल मचाने वाले अब यह तर्क ना दें कि राहुल गांधी ने यात्रा से ब्रेक उन कार्यकर्ताओं के लिए लिया है जो हफ़्तों से घरबार छोड़कर साथ चल रहे हैं.इंदिरा कांग्रेस के दरबारी भोपू यही वजह गिना रहे.राहुल की थकान मिटाने का तर्क नहीं रख रहे हैं.
#राहुल गांधी, #भारत जोड़ो यात्रा, #राहुल गांधी की छुट्टी, Rahul Gandhi, Bharat Jodo Yatra, Modi
लेखक
अनुज शुक्ला @anuj4media
दिल्ली में जमकर बरसे राहुल गांधी, पर भाषण सुनकर भाजपा ने क्यों कहा ‘थैंक यू कांग्रेस’
राहुल गांधी ने अपनी मां सोनिया गांधी के साथ तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘जो मोहब्बत इनसे मिली है, वही देश से बांट रहा हूं।’ शाम में राहुल भाजपा पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि उनकी छवि खराब करने की भाजपा ने कोशिश की। भाजपा के प्रवक्ता ने राहुल का भाषण सुनकर कांग्रेस को थैंक यू कहा।
हाइलाइट्स
राहुल का भाजपा पर अटैक, देश में नफरत नहीं मिली
चैनल वाले दिनभर हिंदू-मुस्लिम करते रहते हैं
इसे सुनकर भाजपा प्रवक्ता ने कहा, थैंक यू कांग्रेस
‘भारत जोड़ो यात्रा’ लेकर राजधानी आए राहुल गांधी ने शनिवार को भाजपा को जमकर सुनाया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि पीएम मोदी और भाजपा ने उनकी छवि खराब करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए। उन्होंने न्यूज चैनलों को निशाने पर लेते हुए कहा कि ये नफरत फैलाने का काम करते हैं और 24 घंटे ‘हिंदू-मुस्लिम’ करते हैं। राहुल की लंबी स्पीच को सुनकर भाजपा के कुछ नेताओं ने खुशी जताई। सुनकर अजीब लग सकता है लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने तो कांग्रेस को धन्यवाद भी दिया। दरअसल, यह धन्यवाद भी एक तरह का पलटवार था। राहुल गांधी के भाषण का एक छोटा सा हिस्सा शेयर करते हुए बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि 2800 किमी चलने के बाद राहुल बाबा (गांधी) को भारत में कहीं नफरत और हिंसा नहीं मिली। उन्होंने कहा, ‘मैं बाबा के इस बड़े खुलासे का स्वागत करता हूं। थैंक यू कांग्रेस।’ उन्होंने आगे लिखा कि राहुल को मीडिया में नफरत मिली तो उन्हें भारत जोड़ो नहीं, मीडिया जोड़ो यात्रा शुरू करनी चाहिए।
इससे पहले, राहुल ने मीडिया को निशाने पर लेते हुए कहा था कि जब हमने कन्याकुमारी में यात्रा शुरू की, तो मैं सोच रहा था कि नफरत को मिटाने की जरूरत है और मेरे दिमाग में था कि इस देश में सब जगह नफरत फैली हुई है। मगर जब मैंने चलना शुरू किया, तो सच्चाई बिल्कुल अलग थी… मीडिया पर पीछे से लगाम लगी हुई है। जो चैनल हैं, ये नफरत फैलाने का काम करते हैं। 24 घंटे हिंदू-मुस्लिम, हिंदू-मुस्लिम, हिंदू-मुस्लिम, हिंदू-मुस्लिम। ये सच्चाई नहीं है भाइयों और बहनों। मैं चला हूं कन्याकुमारी से यहां तक, ये सच्चाई नहीं है। ये देश एक है, इन सड़कों पर लाखों लोगों से मिला हूं। सारे के सारे एक दूसरे से मोहब्बत करते हैं, प्यार करते हैं, गले लगते हैं।
शहजाद ने शनिवार शाम को राहुल गांधी पर तंज कसते हुए उनका एक और वीडियो शेयर किया। इस वीडियो में राहुल कहते सुने जाते हैं, ‘इसमें कुत्ते भी आए। कुत्ते भी आए इसमें, कुत्ते आए और अगर आप टीवी देख रहे होंगे तो आपने देखा होगा कि कुत्ते को किसी ने नहीं मारा। किसी ने नहीं मारा। इसमें गाय भी आई, भैंस भी आई। सूअर भी आया। मैंने देखा… सब जानवर आए। सब लोग आए। यहां पर कोई नफरत नहीं।’ शहजाद ने तंज कसते हुए वीडियो के साथ लिखा, ‘श्री राहुल गांधी अपनी यात्रा के बारे में विस्तृत जानकारी पेश करते हुए।’
After walking 2800kms Rahul Baba couldn’t find nafrat and hinsa in India ! I welcome this big disclosure by Baba! Thank you Congress!!
Rahul could find nafrat in media!
So he should start media jodo not Bharat Jodo yatra pic.twitter.com/mo6UXq4GAu
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) December 24, 2022
राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि देश के लोगों के बीच नफरत नहीं है, लेकिन टेलीविजन चैनलों पर हर समय ‘हिंदू-मुस्लिम, हिंदू-मुस्लिम’ किया जाता है ताकि लोगों का ध्यान भटके और फिर सरकार जनता की जेब काटे। कोरोना को लेकर सरकार के बढ़ते दबाव के बीच, कांग्रेस ने दो टूक कहा है कि उसकी यह यात्रा ‘कोरोना के नाम पर सरकार के बहाना बनाने’ से रुकने वाली नहीं है, लेकिन अगर विशेषज्ञों की राय के आधार पर कोविड के संदर्भ में कोई प्रोटोकॉल तय होता है तो उसका वह पूरी तरह से पालन करेगी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के शनिवार को दिल्ली में प्रवेश करने पर शहर के कई हिस्सों में यातायात प्रभावित रहा। यात्रा शनिवार को अपने 108वें दिन में प्रवेश कर गई। शनिवार को पैदल मार्च के कारण गाजीपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग 24, आईटीओ चौराहा और आश्रम चौक जैसे व्यस्त सड़कों पर भारी जाम लग गया।