कैदी नंबर 956 आर्यन को पिता शाहरुख से मिला साढ़े चार हजार का मनीआर्डर
जेल में कैदी नंबर 956 हैं आर्यन खान, पिता शाहरुख ने मनी ऑर्डर से भेजे 4500 रुपये
जेल के अंदर हर कैदी को एक नंबर दिया जाता है। शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) को 956 नंबर दिया गया है यानी आर्यन खान को कैदी नंबर 956 बुलाया जाएगा।
शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को अभी जमानत नहीं मिलने के कारण वह मुंबई की आर्थर रोड जेल में ही रहेंगे। दरअसल, मुंबई सेशन कोर्ट ने आर्यन खान की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित कर लिया है और 20 अक्टूबर को फैसला सुनाएगी। जेल के अंदर हर कैदी को एक नंबर दिया जाता है। आर्यन खान को 956 नंबर (Aryan Khan Prisoner Number 956) दिया गया है यानी आर्यन खान को कैदी नंबर 956 बुलाया जाएगा।
जेल में कैदी नंबर को बंदी नंबर भी कहा जाता है। जेल में किसी भी कैदी को उसके नंबर से ही बुलाया जाता है। इस तरह से आर्यन खान को बुलाने के लिए 956 नंबर का इस्तेमाल किया जाएगा। जब तक आर्यन खान जेल में रहेंगे तब तक उन्हें इसी नंबर से बुलाया जाएगा।
आर्यन खान को जेल के अंदर बीती 11 अक्टूबर को 4500 रुपये का मनी ऑर्डर आया था। आर्यन खान को ये मनी ऑर्डर उनके पिता शाहरुख खान ने भिजवाया था। आर्यन खान ने इस मनी ऑर्डर का इस्तेमाल अपने कैंटीन खर्चे के लिए किया है। जेल के नियम के मुताबिक, एक कैदी को एक महीने में सिर्फ 4500 रुपये के मनी ऑर्डर की अनुमति है।
गौरतलब है कि बीते 2 अक्टूबर की रात को मुंबई में क्रूज पर हो रही ड्रग्स पार्टी पर एनसीबी की छापेमारी में आर्यन खान को पकड़ गया था। आर्यन खान के साथ और लोग भी पकड़े गए थे। इसके बाद आर्यन खान सहित सभी आरोपितों को एनसीबी की हिरासत में भेज दिया गया था। कोर्ट ने बाद में सभी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। फिलहाल, आर्यन खान मुंबई की आर्थर रोड जेल में कैद हैं।
आर्यन खान मामले में डायरेक्टर का व्यंग्य्य:राम गोपाल वर्मा बोले-NCB ने आर्यन को उनके पिता शाहरुख खान से भी बड़ा स्टार बना दिया
शाहरुख खान के बेटे आर्यन के ड्रग्स केस पर अब डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा का रिएक्शन सामने आया है। राम गोपाल ने सोशल मीडिया पर कई सारे पोस्ट शेयर कर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) पर निशाना साधा है। अपनी इन पोस्ट में राम गोपाल ने यह भी कहा है कि फैंस, मीडिया हाउसेस और यहां तक कि NCB ने आर्यन खान को उनके पिता शाहरुख से भी बड़ा स्टार बना दिया है। इसके अलावा राम ने तंज कसते हुए कहा है कि NCB ने स्टार किड आर्यन खान को उनके एक्टर पिता से पहले ही लॉन्च कर दिया है।
राम गोपाल वर्मा ने पोस्ट शेयर कर लिखा, “लब्बोलुआब यह है कि एजेंसी सहित हर कोई जानता है कि शाहरुख खान के बेटे आर्यन पर लगे आरोपों से कुछ नहीं निकलेगा और एक बार टेक्टिकल डिलेईंग प्रोसेस पूरी होने के बाद वह बाहर आ जाएगा।” उन्होंने दूसरे पोस्ट में लिखा, “संबंधित एजेंसियां गुड फेथ में उसे एक विज्ञापन बोर्ड के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं, ताकि नशीली दवाओं के खतरे से छुटकारा पाने के अपने उद्देश्य को सबको बताया जा सके कि अगर हम शाहरुख के बेटे को भी नहीं बख्श रहे हैं, तो कल्पना करें कि हम आपके साथ क्या करेंगे।” डायरेक्टर ने इन दो पोस्ट के अलाव भी इस मामले पर कई पोस्ट किए हैं।
राम गोपाल वर्मा ने पोस्ट्स में यह बातें भी कहीं
लोग शाहरुख के बेटे को आघात पहुंचाने के बारे में जो दावा कर रहे हैं। उसके विपरीत, मुझे लगता है कि NCB द्वारा उसे दिए जा रहे अनुभवों के कारण उसे सुपर शार्प किया जा रहा है।
जेल की तथाकथित भयानक परिस्थितियों के बारे में, मुझे यकीन है कि वे उससे कहीं बेहतर होंगी, जो शाहरुख को सुपर स्टार बनने के लिए अपने करियर की शुरुआत के दौरान कई बार सहना पड़ा था।
शाहरुख ने पिता होने के नाते अपने बेटे को एक सुपर स्टार बना दिया। लेकिन, NCB उसे लाइफ के दूसरे पक्ष को दिखाकर एक सुपर सेंसिटिव एक्टर बना रहा है, वो पक्ष जो उनके पिता द्वारा नियंत्रित नहीं है। जिससे वह अपने प्रदर्शन और व्यक्तित्व में शानदारता लाने के लिए जमीनी हकीकत को समझ सके।
शाहरुख के बेटे के लॉन्च के 4 फेज हैं। जैसे कि SRK के बेटा है, डायरेक्टर जो अपनी पहली फिल्म कर रहा है, NCB और मीडिया जिसने पिता से पहले उसे इस तरह का एक असाधारण लॉन्च दिया है। लेकिन, NCB इस लिस्ट में सबसे ऊपर है। मैं शर्त लगाता हूं कि आने वाले भविष्य में आर्यन कहेंगे कि उन्होंने अपने पिता शाहरुख से ज्यादा जेल में और NCB से लाइफ के बारे में बहुत कुछ सीखा है।
शाहरुख के सभी वास्तविक और बुद्धिमान प्रशंसकों को अपने सुपर स्टार के बेटे को ‘सुपर डुपर स्टार’ बनाने के लिए महान NCB को धन्यवाद देना चाहिए। मैं शाहरुख का असली फैन होने के नाते जय NCB कहना चाहता हूं।
फिल्म टाइटल है-‘रॉकेट’। फिल्म में हीरो हैं शाहरुख खान के बेटे आर्यन। इस फिल्म को NCB ने प्रोड्यूस और कुछ पॉलिटिकल पार्टीज ने को-प्रोड्यूस किया है। और यह फिल्म मीडिया के डायरेक्शन में बनी है।
आर्यन के लिए ‘फेल’ हुईं सतीश मानशिंदे की सारी दलीलें! जानिए कैसे हारकर जीत गए ASG अनिल सिंह
आर्यन खान का ठिकाना अब जेल है। उनकी जमानत याचिका खारिज हो गई। अदालत ने यह माना कि बेल पर मजिस्ट्रेट कोर्ट से नहीं दी जा सकती। सतीश मानशिंदे (Satish Manshinde) की सारी दलीलें फेल हो गईं। ASG अनिल सिंह (ASG Anil Singh) हारकर भी जीत गए!
शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को आखिरकार जेल में ही रहना (Aryan Khan Sent to Jail) होगा। शुक्रवार को किला कोर्ट में आर्यन की जमानत याचिका को मेरिट के आधार पर खारिज (Aryan Khan Bail Rejected) कर दिया गया। चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट आरएम नेर्लिकर की अदालत ने करीब 4:30 घंटे की सुनवाई के बाद यह कहते हुए जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं कि इन पर फैसला देने का अधिकार इस अदालत के पास नहीं है। कोर्ट ने ऑपरेटिव ऑर्डर जारी करते हुए कहा कि वह इस नतीजे पर पहुंचा है कि ये आवेदन इस अदालत के सामने मेंटेनेबल (Maintainable) नहीं हैं, इसलिए जमानत याचिका को खारिज किया जाता है। कुल मिलाकर कोर्ट में शुक्रवार को आर्यन खान के वकील सतीश मानशिंदे की सारी दलीलें फेल हो गई हैं। आर्यन खान, अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा की किस्मत में जेल की कालकोठरी आई और कहीं न कहीं दिनभर की कवायद के बाद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल यानी ASG अनिल सिंह हारकर भी जीत गए!
NCB को नहीं दिला पाए रिमांड, पर नहीं होने दी जमानत
ASG अनिल सिंह एक दिन पहले गुरुवार को भी कोर्टरूम में लगातार जिरह कर रहे थे। तब मुद्दा था आर्यन खान और बाकी 7आरोपितों की NCB रिमांड की अवधि बढ़ाने का। गुरुवार को भी लंबी-चौड़ी बहस हुई। अंत में कोर्ट में ना अनिल सिंह की जीत हुई और ना सतीश मानशिंदे ही कुछ कर सके। मजिस्ट्रेट आरएम नेर्लिकर की अदालत ने आर्यन समेत सभी 8 आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। लेकिन शुक्रवार की दोपहर जब आर्यन, अरबाज और मुनमुन की जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू हुई, तब अपनी पहली दलील से ही ASG अनिल इस पर अड़े रहे कि मजिस्ट्रेट कोर्ट से इस मामले में जमानत दी ही नहीं जा सकती। आखिरकार हुआ भी यही। कोर्ट ने भी अंत में माना कि सेशंस कोर्ट से ही जमानत ली जा सकती है और ऐसे में ये याचिकाएं मेंटेनेबल नहीं हैं।
आइए, सिलसिलेवार समझते हैं कि ASG अनिल सिंह और सतीश मानशिंदे के बीच कोर्ट में किस तरह बहस हुई। साथ ही यह भी कैसे कोर्ट को यह मानना पड़ा कि अनिल सिंह जो कह रहे हैं, वही सही है।
इस तरह शुरू हुई कोर्ट में ASG और मानशिंदे की बहस-
– कोर्ट पहुंचते ही ASG अनिल सिंह ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ये इस कोर्ट में मेंटेनेबल नहीं हैं। ये याचिकाएं इस कोर्ट में विचारणीय नहीं हैं। यदि आपको जमानत चाहिए तो आप एनडीपीएस स्पेशल कोर्ट में जाएं।
– सतीश मानेशिंदे ने इस पर कहा कि कृपया सीआरपीसी देखें..
– ASG: हम मेंटेनेबल और मेरिट का मुद्दा उठा रहे हैं। तो पहले इसका जवाब दें।
– मानेशिंदे : सभी दलीलें एक ही मंच पर होंगी..
– ASG: नहीं, ऐसा नहीं हो सकता..
– मानशिंदे: आप कोर्ट को डिक्टेट नहीं कर सकते।
– कोर्ट: आप अपनी बात, गुण-दोष के आधार पर दायर करें। मैं इसका फैसला करूंगा। आप जो कुछ भी कहना चाहते हैं, पहले अपील फाइल करें।
– ASG: कृपया डिक्टेट करने वाली बात न कहें। आम तौर पर जो मेंटेनेबल के मुद्दे को उठाता है वह पहले बहस करता है, फिर दूसरा पक्ष जवाब देता है, कोर्ट फैसला कर सकता है और अगर यह बनाए रखने योग्य है, तो आगे की सुनवाई करते हैं।
– कोर्ट : आरोपियों ने कानून और अधिकार क्षेत्र समेत तमाम ब्योरों के साथ याचिका दायर की है।
– ASG: लेकिन यह प्रक्रिया नहीं है। क्या मैं सही प्रक्रिया नहीं बता सकता?
– कोर्ट: ठीक है, मैं समझ गया, आप अपना आवेदन दाखिल करें
– मानशिंदे : सभी को उचित मौका मिलना चाहिए.. हमें जमानत पर बहस करने का उचित मौका देना चाहिए.. पहली बार अभियोजन पक्ष की ओर से कोई अदालत को प्रक्रिया बताया जा रहा है..
– ASG: यह नया नहीं है.. वकीलों के रूप में हमें प्रक्रिया दिखानी होगी..
– मानशिंदे: जब कुछ बरामद हुआ ही नहीं है, तब यूनियन ऑफ इंडिया मामले को लेकर इस तरह उत्तेजित क्यों है?
– ASG: सभी आरोपी एक ही तरह के अपराध में गिरफ्तार किए गए थे, ऐसे में उनका विभाजन नहीं हो सकता। इस अदालत ने पहले भी ऐसे एक मामले में कहा गया था कि जमानत अर्जी विचारणीय नहीं है..
– कोर्ट: तो आप चाहते हैं कि मैं बिना सुने मामला खत्म कर दूं..
– ASG: नहीं, मैंने यह कभी नहीं कहा। मैं किसी को नहीं रोक सकता..
– मानशिंदे: मजिस्ट्रेट पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि यह अदालत सीआरपीसी के अंतर्गत आती है और मजिस्ट्रेट के पास कई तरह के अपराध की सुनवाई का अधिकार है।
– मानशिंदे: आर्यन खान 23 साल के एक युवा लड़के हैं। उनका बैकग्राउंड किसी क्रिमिनल केस से नहीं जुड़ा है। उनसे जो भी पूछताछ की गई, उन्होंने सहायता की। उनके पास से कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुआ। जब भी पूछताछ की जरूरत होगी, आर्यन हाजिर हो जाएंगे। उन्हें जमानत दी जाए।
– ASG: मैं अपनी बात दोहराना चाहूंगा कि जमानत पर सुनवाई का अधिकार इस कोर्ट को नहीं है।
– मानशिंदे: आर्यन से पहले दिन पूछताछ के अलावा अभी तक उसके बाद कुछ नहीं हुआ। पिछले 5 दिनों में कुछ भी सामने नहीं आया है। पहले दिन की पूछताछ में ही अचित कुमार का खुलासा हुआ, लेकिन एनसीबी ने अपना समय लिया और कल आचित को रिमांड पर लिया गया। आर्यन सम्मानित परिवार से हैं, उनके माता-पिता,भाई-बहन यहां हैं। उनके पास भारतीय पासपोर्ट है, सोसाइटी में उनकी जड़ें हैं, ऐसे में वह कहीं भाग नहीं सकते। सबूत या आरोपियों से छेड़छाड़ का कोई सवाल ही नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी ले लिए गए हैं, अन्य आरोपी भी हिरासत में हैं। इन तर्कों के साथ मैं अपनी बात समाप्त कर रहा हूं, अगर एएसजी कोई मुद्दा उठाते हैं और अगर कानून है, तो मैं उसका जवाब दूंगा।
– वकील तारक सईद (अरबाज के वकील): ऐसा कुछ भी नहीं है जो इस अदालत को अरबाज मर्चेंट को रिहा करने से रोकता है। वह एक स्थानीय लड़के हैं। ड्रग्स का सेवन करने पर क्या सजा है? 6 महीने.. यह तो मुकदमा भी नहीं है.. उनके खिलाफ तो सिर्फ सेवन करने का अपराध दर्ज है। जब अपराध की सजा 3 साल के कम हो जाते हैं तो मेरे विद्वान दोस्त के लिहाज से यह इस अदालत के अधिकार में है कि वह जमानत दे दें।
– ASG: हम जमानत लेने के अधिकार या जमानत मांगने के आवेदन का विरोध नहीं कर रहे हैं। हम यह बात कह रहे हैं कि क्या इस अदालत में जमानत का दावा करने का अधिकार है? मैं यह नहीं कह रहा हूं कि जमानत दायर नहीं की जा सकती। सभी को जमानत का अधिकार है। लेकिन इस अदालत में नहीं।
– ASG: मैं कोर्ट में अरमान कोहली केस का जिक्र करना चाहूंगा। अरमान कोहली की जमानत याचिका इसलिए खारिज की गई कि उन्हें जिन आरोपियों के साथ गिरफ्तार किया गया था, उन आरोपियों के पास से बड़ी मात्रा में ड्रग्स बरामद हुए थे, जबकि कोहली के पास ड्रग्स नहीं थे।
– ASG: मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं कि जमानत के लिए आवेदन यहां सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि एक विशेष एनसीबी अदालत है जहां आप जमानत के लिए संपर्क कर सकते हैं।
– मानशिंदे: मैं यहां जस्टिस डांगरे की अदालत के फैसले में से 2-3 अनुच्छेद का हवाला देना चाहूंगा, जहां अंतरिम जमानत का हकदार माना गया है।
– ASG: मेरे काबिल दोस्त ने जस्टिस डांगरे के फैसले से 2-3 अनुच्छेद का हवाला देते हुए कहा कि वह अंतरिम जमानत के हकदार हैं। जबकि वह फैसला भी यही कहता है कि इसके लिए आपको संबंधित अदालत में जाना होगा.. यदि अदालत रेगुलर बेल नहीं दे सकती तो अंतरिम जमानत भी वहां से नहीं दी जा सकती।
– ASG: पहले आप इस बाधा को पार कीजिए कि आपकी याचिका इस कोर्ट में विचारणीय है भी या नहीं, जमानत पर सुनवाई तो उसके बाद होगी।
– ASG: बयान दर्ज हो चुके हैं, वॉट्सऐप चैट हैं.. यह फाइल में है.. उन्होंने जिस फुटबॉल मेसेज का जिक्र किया है, वह बड़ी मात्रा की बात कर रहे हैं, यह आचित और आर्यन के बीच की चैट है।आपके पास ड्रग्स की मात्रा भले ही कम है, लेकिन आप उस ग्रुप का हिस्सा हैं।
– मानशिंदे : मुझे घूरने से मैं डरने वाला नहीं हूं.. यहां कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है..
– कोर्ट: मैं अफसरों से पूछना चाहूंगा, मैं आपको जल्द रिमांड का आदेश दूंगा, लेकिन आप आरोपी को ऑर्थर रोड जेल ले गए हैं? अधिकारी ने हां में जवाब दिया।
– ASG: इस अदालत ने पूरा केस देखा है, वॉट्सऐप चैट, हालात.. यह सारी चीजें संयोग नहीं हो सकती हैं। ऐसा नहीं हो सकता है कि आरोपी 1 और 2 टर्मिनल पर मिले हों। दोनों मिले और एक ही कार में टर्मिनल गए। ऐसा संयोग कैसे हो सकता है। हमने सप्लायर को, ऑर्गेनाइजर को और यहां तक कि अचित को भी गिरफ्तार किया है। यह सब संयोग की बात नहीं है।
– मानशिंदे: मैं यह नहीं कह रहा कि अपराध जमानती है या गैर जामनती। मेरी दलीलें कोर्ट के फैसलों पर आधारित हैं। यदि इस अदालत को न्यायिक हिरासत में भेजने का अधिकार है तो जमानत देने का भी अधिकार है। अभियोजन पक्ष अब यह नहीं कह सकता कि बेल के लिए आप स्पेशल कोर्ट जाइए।
– मानशिंदे: मैं कोर्ट में अखलाक बनाम स्टेट केस का फैसला पढ़ना चाहूंगा। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि ये अपराध जमानती हैं.. आप मेरे खिलाफ जो भी आरोप लगाते हैं, अगर आपके पास मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है, तो आप मुझे एक मिनट के लिए भी नहीं रोक सकते।
– कोर्ट: मैंने सभी आवेदनों और सबमिशन को सुना है। आवेदन हमारे समक्ष अनुरक्षणीय (मेंटेनेबल) नहीं हैं और इसलिए मैं इन जमानत याचिकाओं को खारिज करता हूं।
– कोर्ट: मैं रिमांड ऑर्डर में सुधार करूंगा। मैं अभी ऑपरेटिव दूंगा, फिर मैं तर्कपूर्ण आदेश दूंगा और उसके बाद ही कोर्ट छोड़ूंगा।