सर्वाधिक ऊंचाई के शिव मंदिर तुंगनाथ की यात्रा संचालित करेगा देवस्थानम बोर्ड
देहरादून 18 अक्टूबर, 2020। उत्तराखंड के पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने आज तुंगनाथ में एशियन डेवलपमेंट बैंक के माध्यम से करवाए जा रहे यात्री सुविधाओं व स्थापना कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने इस बात की आवश्यकता पर बल दिया कि तुंगनाथ यात्रा को संचालित करने में देवस्थानम बोर्ड को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ट्रैकिंग रूट पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु जरूरी इंतजाम किए जाएंगे और इसके साथ ही पर्यावरण विकास समिति का गठन भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चोपता को कैंपिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा और इसके लिए जिलाधिकारी तथा डीएफओ से प्रस्ताव लिए जाएंगे।
सचिव पर्यटन ने ट्रैकिंग ट्रैक्सन होम स्टे योजना के अंतर्गत क्लस्टर केंद्रों हेतु चयनित स्थानों तथा ट्रैक्स का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा महत्वपूर्ण तथा लोकप्रिय ट्रैक रूट्स के निकट स्थित गांवों को ट्रैकिंग क्लस्टर के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत पुराने मकानों में नए कमरे बनाने हेतु प्रति कक्ष ₹60000 तथा पुराने कक्षों में शौचालय आदि की व्यवस्था हेतु 25000 रूपए प्रति कक्ष की राज सहायता अधिकतम 6 कक्षा हेतु उपलब्ध करवाई जा रही है। योजना के अंतर्गत जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति के माध्यम से योजना हेतु ट्रेक रूटों तथा क्लस्टर हेतु स्थानों का चयन किया जा रहा है।
सचिव पर्यटन ने बताया कि तुंगनाथ भगवान शिव का सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है यह काफी पुराना हो चुका है, इस संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से मंदिर का जीर्णोद्धार करवाए जाने का अनुरोध किया गया है। उन्होंने मौके पर मौजूद अभियंताओं को निर्देशित किया कि निर्माण कार्य के दौरान मंदिर परिसर को स्वच्छ एवं व्यवस्थित रखा जाए और निर्माण इस प्रकार किया जाए कि मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग के ढाल को कम किया जा सके और पर्यटकों को चढ़ने में कम से कम कठिनाई हो।
उन्होंने कहा कि तुंगनाथ शिव भक्तों तथा साहसिक ट्रैकर्स का एक प्रिय स्थान है। एशियन डेवलपमेंट बैंक के माध्यम से किए जा रहे निर्माण कार्यों का उद्देश्य पर्यटकों को अधिकतम सुविधाएं पहुंचाना है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग यहां आ सकें और स्थानीय रोजगार में इजाफा हो सके। सचिव पर्यटन ने कहा कि यहां पर आवासीय सुविधाओं को विकसित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि वन विभाग से अनुमति प्राप्त होते ही गढ़वाल मंडल विकास निगम के पुराने बंगले का नवीनीकरण किया जाएगा। जिला पर्यटन विकास अधिकारी को स्थानीय नागरिकों को पर्यटन विभाग की होमस्टे योजना के संबंध में जानकारी देने के लिए कैंप लगाने के निर्देश भी दिए ताकि स्थानीय लोगों को स्वरोजगार हेतु अपने आवासों को होमस्टे के रूप में विकसित करने हेतु प्रेरित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ रही है और वर्क फ्रॉम होम स्टे और वर्क फ्रॉम माउंटेंस की ओर पर्यटकों का आकर्षण बढ़ रहा है। आशा है कि आने वाले दिनों में त्योहारों वाले सप्ताहांत राज्य के पर्यटन के लिए और अच्छी खबर लेकर आएंगे।
अद्भुत है पर्वत पर बसा ‘तुंगनाथ’ मंदिर, बर्फबारी का भी ले सकते हैं मजा
अगर आप जनवरी माह में कहीं ट्रैवलिंग का प्लान बना रहे हैं और जगह कुछ अलग ही तलाश कर रहे हैं। यानी कि यह ट्रिप रिलीजियस भी और हो और मस्तीभरी भी हो तो ऐसे में आप ‘तुंगनाथ’ मंदिर के लिए ट्रिप प्लान कर सकते हैं।
सोचिए जरा किसी ऐसी जगह के बारे में जहां पर आप बर्फबारी का भी मजा ले सकें और अध्यात्म से भी रूबरू हो सके। तो हो गई न शानदार ट्रिप एक ही टाइम पर। आज हम आपको ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे हें जहां पहुंचकर आपको लगेगा जन्नत कहीं है तो बस यहीं। ‘तुंगनाथ’ उत्तराखंड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पर्वत है। इसी पर्वत पर स्थित है ‘तुंगनाथ मंदिर।’ यह भोलेनाथ के पंच केदारों में से एक है।
पाण्डवों ने की थी स्थापना तुंगनाथ मंदिर
मंदिर के निर्माण के बारे में जानकारी मिलती है कि इसे पाण्डवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्थापित किया था। इसके पीछे कथा मिलती है कि कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार से भोलेनाथ पाण्डवो से रुष्ट थे तभी उन्हें प्रसन्न करने के लिए ही इस मंदिर का निर्माण किया गया था। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि माता पार्वती ने भी शिव को पाने के लिए यहीं पर तपस्या की थी।
मखमली घास, बर्फ की चादर और खूबसूरत बुरांश के फूल
तुंगनाथ मंदिर के आसपास नवंबर के बाद से ही बर्फ का सुंदर नजारा दिखने लगता है। जहां तक नजरें जाती हैं वहां तक मखमली घास और पर्वत और आसपास बर्फ देखकर यूं लगता है जैसे बर्फ की चादर बिछी हो। यह नजारा इस जगह को और भी ज्यादा खूबसूरत बना देता है। साथ ही खिले हुए बुरांश के फूल जिन्हें देखकर आपकी नजरें ही नहीं हटेंगी उनसे।
कब और कैसे जाएं ‘तुंगनाथ’
तुंगनाथ मंदिर जाने का रास्ता
यूं तो मई से नवंबर तक कभी भी तुंगनाथ के दर्शनों के लिए जा सकते हैं। लेकिन जनवरी और फरवरी का समय यहां पर लोगों को काफी पसंद आता है। इस दौरान यहां पर खूब बर्फ होती है। ‘तुंगनाथ’ के दर्शन करने के लिए ऋषिकेश से गोपेश्वर होकर चोपता जाना होगा। इसके बाद ‘तुंगनाथ’ के लिए स्थानीय साधन मिल जाते हैं। इसके अलावा दूसरा रास्ता ऋषिकेश से ऊखीमठ होकर जाता है। ऊखीमठ से भी चोपता जाना होगा उसके बाद ‘तुंगनाथ’ मंदिर के लिए साधन मिल जाते हैं।