22साल से रोहिग्याओं को बसाने के धंधे में जुटे थे बांग्लादेशी
हर तीन माह में ठिकाना बदल देते थे बांग्लादेशी पिता-पुत्र
एटीएस वाराणसी के हत्थे चढ़े बांग्लादेशी पिता-पुत्र बेहद शातिर हैं। वह हर तीन माह में अपना ठिकाना बदल देते थे। पिता -पुत्र, भारत में कई लोगों की करा चुके हैं घुसपैठ
सहारनपुर में 1994 से ठिकाने बदल-बदलकर रहे बांग्लादेशी पिता-पुत्र
अब एटीएस की रडार पर हैं कई बांग्लादेशी नागरिक
कई लोगों की भारत में घुसपैठ करा चुके हैं आरोपित
आरोपितों की स्थानीय पुलिस को नहीं लग रही भनक
सहारनपुर से पकड़े गए संदिग्ध
सहारनपुर 13 मार्च । एटीएस द्वारा पकड़े गए बांग्लादेशी पिता और पुत्र वर्ष 1994 से सहारनपुर में ठिकाने बदल-बदलकर रह रहे थे, जो कई बांग्लादेशियों की भारत में घुसपैठ करा चुके हैं। अब एटीएस की रडार पर यहां अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी आ गए हैं। आरोपियों ने फर्जीवाड़ा कर पहचान पत्र बनवाने में नदीम कॉलोनी का पता दर्शाया है, जबकि यह एकता विहार कॉलोनी में लंबे समय तक रहे हैं।
वहीं थाना कुतुबशेर और कोतवाली मंडी पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। एटीएस ने बांग्लादेशी निवासी तनवीर और उसके पिता उमर मोहम्मद उस्मान को नदीम कॉलोनी से पकड़ने का दावा किया है, जो 1994 से सहारनपुर में कई जगहों पर ठिकाने बदलकर रहे हैं। कुछ समय से यह आरोपी एकता विहार कॉलोनी में रह रहे थे, लेकिन यहां से भी कुछ दिन से गायब थे। इनके पास मिले पहचान पत्र में नदीम कॉलोनी में दर्शाया है।
एकता विहार निवासी रिहान और शाहवेज ने बताया कि यह दोनों कुछ समय पूर्व तक उनके घर के नजदीक ही एक मकान में रहते थे, इसमें दूसरे किराएदार भी रहते हैं, लेकिन बाद में यहां से किसी दूसरी जगह चले गए। इससे पूर्व आरोपी नदीम कॉलोनी में लंबे समय तक रहे हैं। एटीएस की कार्रवाई से खुलासा हुआ कि दोनों आरोपी देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं और इन्होंने फर्जी तरीके से भारतीय नागरिकता के प्रमाणपत्र बनवा रखे हैं। ऐसे में स्थानीय पुलिस और खुफिया विभाग के सुरक्षा के दावों पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
मकान पर लगा ताला, मालिक का पता नहीं
एकता विहार कॉलोनी में बांग्लादेशी पिता और पुत्र जिस मकान में रहे हैं, उस पर ताला लटका है। मकान में दूसरा किराएदार रहता है, लेकिन वह भी आजकल वहां नहीं है। पड़ोसी बताते हैं कि मकान किसका है, यह भी किसी को पता नहीं नहीं है। क्षेत्र के लोगों के मुताबिक शुक्रवार को पुलिस आई, लेकिन उन्हें मकान में कोई नहीं मिला, इसके बाद पुलिस लौट ग
सरकारी तंत्र की मिलीभगत से बनवा लेते हैं प्रमाणपत्र
देवबंद और गंगोह में पहले भी बांग्लादेशी नागरिक पकड़े जा चुके हैं, उन्होंने सरकारी तंत्र की मिलीभगत से आधार कार्ड, पेन कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड तक बनवा रखे थे। इसका खुलासा एटीएस की कार्रवाई में हो चुका है। आरोपी तनवीर और उमर मोहम्मद उस्मान के पास से मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड और बैंक से जुड़े दस्तावेज मिले हैं, जो यहां रहते हुए बनवाया है, जबकि आरोपियों के पास से बांग्लादेश के दस्तावेज भी मिले हैं, जो उनके बांग्लादेशी नागरिक होने का प्रमाण हैं।
आम आदमी को काटने पड़ते हैं चक्कर
आम आदमी को आधार कार्ड में अगर नाम भी बदलवाना हो तो उसे एक से दो माह का समय दिया जाता है। आसानी से काम नहीं हो पाता है, जबकि बांग्लादेशियों ने अवैध तरीके से यहां रहते हुए कई बार दस्तावेज बनवाएं हैं। इसका खुलासा कई बार हो चुका है। ऐसे में सरकारी तंत्र के अधिकारी और कर्मचारी भी सवालों के घेरे में हैं।
रिमांड पर लेगी एटीएस
दोनों आरोपियों को एटीएस कोर्ट से रिमांड पर लेगी। दोनों को पकड़कर लखनऊ ले जाया गया है। एटीएस इंस्पेक्टर सुधीर उज्ज्वल ने बताया कि आरोपियों के रिमांड लेने के लिए तैयारी की जा रही है
एटीएस वाराणसी के हत्थे चढ़े बांग्लादेशी पिता-पुत्र बेहद शातिर हैं। वह हर तीन माह में अपना ठिकाना बदल देते थे। एटीएस की जांच में सामने आया है कि पैसे के लालच में वह कई रोहिग्या को अपने साथ भारत लाने का काम करते थे।
मूलरूप से ईस्ट बोमानखिल थाना रामू जनपद कोस्क बाजार बांग्लादेश निवासी तनवरी और मोहम्मद उस्मानी वर्तमान में शहर की एकता कालोनी में रह रहे थे। एटीएस की जांच में सामने आया दोनों पिता-पुत्र ने कई साल पहले भारत में शरण ली थी। सबसे पहले वह पश्चिम बंगाल में आकर रुके। वहीं से वोटर आइडी और आधार कार्ड आदि भी बनवा लिए थे। सहारनपुर मंडी कोतवाली प्रभारी बिजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि वर्ष 1994 में आरोपित सहारनपुर में आ गए थे। यहां आने के बाद दोनों ने शहर की नदीम कालोनी का मूल निवासी दर्शाकर वोटर आइडी और आधार कार्ड भी बनवा लिया था। एटीएस ने दोनों आरोपितों को एकता कालोनी से गिरफ्तार किया है। दोनों पर आरोप है कि वह देश विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। रोहिग्या की संख्या भारत में बढ़ा रहे थे। बता दें कि आरोपितों के मकान से एटीएस को बांग्लादेश के दो सिम, उस्मान का भारतीय वोटर कार्ड, पेन कार्ड, दोनों के आधार कार्ड आदि सामान मिला है। एटीएस यह भी जांच करेगी कि उनके आधार कार्ड व वोटर कार्ड कैसे और किसने बनवाए थे।
हमने एकता कालोनी में पहुंचकर आरोपितों के बारे में पड़ताल की तो पता चला कि दोनों आरोपित मुर्शीद के मकान में रहते थे। उनके पड़ोस में रहने वाली महिलाओं का कहना था कि वह किसी से बात नहीं करते थे। कभी मकान पर रात को आते थे और कभी पूरी रात गायब रहते थे। उनके साथ कोई महिला या बच्चे भी नहीं रहते थे। महिलाओं का कहना था कि अक्सर आरोपितों के पास बाहरी लोग आते रहते थे। अब मकान में ताला लगा है।