मदन दास देवी दिवंगत,संघ ने खो दिया पराक्रमी संगठनकर्ता
RSS ने खो दिया एक कुशल संगठनकर्ता, नहीं रहे संघ के वरिष्ठ प्रचारक मदन दास देवी
Madan Das Devi राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता मदन दास देवी का सोमवार की सुबह बेंगलुरु में निधन हो गया है। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को पुणे में होगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को आगे बढ़ाने में मदन दास की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विद्यार्थी जीवन में चार्टर्ड एकाउंटेंट में गोल्ड मेडलिस्ट होने के बाद भी उन्होंने राष्ट्र के लिए कार्य करने का निर्णय लिया था।
देहरादून 24 जुलाई।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक व पूर्व सह सरकार्यवाह मदन दास देवी (Madan Das Devi) का सोमवार की सुबह बेंगलुरु में निधन हो गया। उनकी उम्र 81 वर्ष थी। वे कठोर अनुशासन के लिए जाने जाते थे और कुशल संगठनकर्ता थे।
उनके तैयार किए कई कार्यकर्ता आज आरएसएस, भाजपा सहित संघ के कई अनुषांगिक संगठनों में कार्य कर रहे हैं। संघ के वर्तमान सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले उन्हीं के तैयार कार्यकर्ताओं में से एक हैं।
उनके निधन पर सरसंघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, विकास भारती के सचिव पद्मश्री अशोक भगत, क्षेत्र संपर्क प्रमुख अनिल ठाकुर सहित संघ के कई पदाधिकारी, अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल, भाजपा के कई मंत्री, अनुषांगिक संगठनों ने पदाधिकारियों ने शोक व्यक्त किया है।
मंगलवार को पुणे में होगा दास का अंतिम संस्कार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र सेवा में समर्पित कर दिया। उनसे मेरा न सिर्फ घनिष्ठ जुड़ाव रहा, बल्कि हमेशा बहुत कुछ सीखने को भी मिला।
आरएसएस के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि मदन दास जी का विद्यार्थी परिषद के संगठन को गति देने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जब संघ में प्रचारक प्रमुख के दायित्व में आए तो सभी लोगों से खुलकर बात करते थे। नए विचारों का उन्होंने हमेशा स्वागत किया। उन्होंने बताया कि उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को पुणे में होगा।
अभाविप को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण रही भूमिका
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को आगे बढ़ाने में मदन दास की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विद्यार्थी जीवन में चार्टर्ड एकाउंटेंट में गोल्ड मेडलिस्ट होने के बाद भी उन्होंने राष्ट्र के लिए कार्य करने का निर्णय लिया। 1970 से 1992 तक वे अभाविप के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रहे। उस दौरान अभाविप की जड़ को मजबूत करने का काम किया।
कई कुशल संगठनकर्ताओं को तैयार कर भाजपा सहित विविध संगठनों में भेजा। जिस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार चल रही थी, उस समय वे सह सरकार्यवाह रहते हुए सरकार और संघ में समन्वय का कार्य देखते थे। कहा जाता है कि उस समय राम मंदिर को लेकर विहिप के राष्ट्रीय महामंत्री अशोक सिंघल और वाजपेयी जी में हुए मनमुटाव को दूर करने में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
विकास भारती के सचिव व अभाविप के पूर्व प्रदेश संगठन महामंत्री रहे पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि मदन दास जी व्यक्तित्व निर्माण के धनी थे। किस कार्यकर्ता से क्या काम लेना है इसकी पहचान थी।
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