उत्तरकाशी सुरंग बचाव अपडेट: पहाड़ के ऊपर से ड्रिलिंग की तैयारी,प्राथमिकता सुरंग हाथ से खोदना
Uttarkashi Tunnel Collapse News Live Rescue Operation In Silkyara Day 14th All Update In Hindi
Uttarkashi Tunnel Rescue Live: बाधाओं में बचाव अभियान जारी,अब वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारियां तेज
सिलक्यारा (उत्तरकाशी)25 नवंबर। उत्तरकाशी सुरंग में बचाव कार्य जारी दिवाली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में कैद 41 श्रमिक बाहर निकले की उम्मीद लगाए हैं। उन्हें बाहर निकालने की पूरी कोशिशें हो रही हैं लेकिन हर बार मशीन के आगे बाधा आ रही है। रेस्क्यू का आज 14वां दिन है।
कल से शुरू हो सकता है वर्टिकल ड्रिलिंग का काम
सरियों में फंसे ऑगर मशीन के ब्लेड को काटने का काम लगातार जारी है। इस काम में हैदराबाद से प्लाज्मा कटर पहुंचने के बाद तेजी आने की उम्मीद है। वहीं, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब कल से वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू किया जा सकता है।
सुरंग के ऊपर ड्रिलिंग की तैयारियां तेज हो गई हैं। आज शाम तक सुरंग पर मशीन पहाड़ पर पहुंचाने का काम शुरू किया गया। मशीन का एक पार्ट पहुंचा दिया गया जबकि मशीन का एक अन्य महत्वपूर्ण पार्ट जिससे ड्रिलिंग होती है, वह पहुंचाया जाना है। टीम का कहना है कि जल्द ही दूसरा पार्ट भी पहुंचा दिया जाएगा।
वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारियां, मैन्युअल काम पर भी जोर
सिलक्यारा सुरंग में ऑगर मशीन से बचाव अभियान को झटका लगने के बाद अब सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारियां तेज कर शनिवार को ड्रिलिंग मशीन पहाड़ी पर चढ़ाई गयी। हालांकि,अभी भी बचाव दल का जोर सुरंग में ही मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू करने पर है।
हैदराबाद से मशीन मंगाई
बचाव अभियान और मजबूत बनाने को मशीन मंगाने का सिलसिला जारी है। इसी में हैदराबाद से एक और ड्रिल मशीन आ रही है। कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि अभियान तेज करने को ये मशीन मंगाई गई है।
सुरंग में दी जाएगी लैंडलाइन सेवा
बीएसएनएल कर्मचारी कुंदन ने बताया कि सरकार के निर्देश पर सुरंग के पास लैंडलाइन उपलब्ध कराई जा रही है ताकि श्रमिकों के परिजन उनसे बात कर सकें। इसको तार बिछ रहा है। जल्द ही लैंडलाइन फोन भेज दिया जाएगा।
जनरल वीके सिंह सिल्कयारा सुरंग स्थल पहुंचे
केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने देर शाम सिल्कयारा सुरंग स्थल पहुंच श्रमिकों को बाहर निकालने को चलाए जा रहे बचाव अभियान की जानकारी ली।
सुरंग के मुहाने पर रिसने लगा पानी
सिलक्यारा की जिस सुरंग में 14 दिन से मजदूर फंसे हैं, उसके प्रवेश द्वार पर रिसते पानी ने सबकी चिंताएं बढ़ा दीं। शनिवार को पानी टपकने लगा। हालांकि, अधिकारी इसे सामान्य मान रहे हैं।
वर्टिकल ड्रिलिंग को सुरंग के ऊपर पहुंचाईं मशीनें
सुरंग में ऑगर ड्रिलिंग बंद है। अब सुरंग के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग को मशीनें चढ़ना शुरू हो गई हैं। ऑगर मशीन में बरमे के ब्लेडों को काटकर निकालने को हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया है जिसके आने का इंतजार है।
सुरंग के बाहर से लेकर बाहर-भीतर निराशा
शनिवार को सुरंग के अंदर से लेकर बाहर तक निराशा रही। सुरंग में फंसे वीरेंद्र की भाभी सुनीता ने कहा कि अब वीरेंद्र हताश हो रहा है। वह हमसे रोज पूछता है कि हम कब बाहर आएंगे। यहां सब लोग परेशान हैं।
यह युद्ध जैसी स्थिति- सैयद अता हसनैन
एनडीएमए सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) ने कहा कि’मुझे लगता है कि हर कोई जानना चाहता है कि यह ऑपरेशन कब खत्म होगा,लेकिन देखने की जरूरत यह है कि यह ऑपरेशन और भी जटिल हो रहा है। हमने कभी समय-सीमा नहीं दी। मेरा अनुभव है कि जब आप पहाड़ों से कुछ करते हैं,तो कुछ भी भविष्यवाणी नहीं कर सकते। यह बिल्कुल युद्ध जैसी स्थिति है।
मलबे से बरमे का 25 मीटर हिस्सा निकालना बाकी
ऑगर मशीन का बरमा फंसा तो उसे काटकर निकाला जा रहा है। मशीन बरमे का 45 मीटर हिस्सा फंसा था जिसे 20 मीटर काटकर निकाल लिया गया है। अभी 25 मीटर और निकालना बाकी है। इसको प्लाज्मा कटर हैदराबाद से मंगवाया गया है।
Uttarkashi Tunnel Rescue GPR Formula Did Not Work Even After The Report Obstacles Blocked The Way
Operation Silkyara: काम नहीं आया जीपीआर, रिपोर्ट के बाद भी बाधाओं ने रोका रास्ता
एनएचआईडीसीएल ने सुरंग के भीतर ऑगर मशीन दोबारा शुरू करने से पहले जीपीआर मैपिंग हुई थी। पारसन कंपनी के विशेषज्ञों को पाइप से मलबे के पास तक भेजा गया था।
सुरंग में बाधायें देखने को जियो फिजिकल तकनीक से मैपिंग का फार्मूला भी फेल हो गया। पारसन कंपनी की दी अबाधित पांच मीटर रिपोर्ट 1.5 से 2 मीटर बाद ही फेल हो गई। इससे जीपीआर पर सवाल खड़े गये हैं।
एनएचआईडीसीएल ने सुरंग में ऑगर मशीन दोबारा शुरू करने से पहले जीपीआर मैपिंग पर भरोसा किया। पारसन कंपनी के विशेषज्ञ पाइप से मलबे तक भेजे गए । उन्होंने 45 मिनट तक मैपिंग बाद अपनी रिपोर्ट में बताया कि पांच मीटर तक कोई लोहे जैसी बाधा नहीं है।
इससे निश्चिंत हो मशीन चलाई गई जो आगे जाकर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। इससे जीपीआर मैपिंग पर सवाल खड़े हो गए। या तो मैपिंग ठीक से नहीं हुई या फिर मैपिंग तकनीक ही विफल है। फिलहाल अधिकारी आगे की ऐसी किसी तकनीकी या विकल्प को लेकर खामोश हैं।
हैदराबाद से मशीन मंगाई
बचाव अभियान और मजबूत बनाने को मशीनें मंगाना जारी है। इस कड़ी में हैदराबाद से एक और ड्रिल मशीन आ रही है। कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत में बताया कि अभियान आगे बढ़ाने को ये मशीन मंगाई गई है।