तालिबानी अफगानिस्तान में तस्वीर बन कर न रह जाए ये महिलाएं
तालिबान के आने के बाद ये महिलाएं खबर बन गईं हैं, डर है कहीं तस्वीर बनकर न रह जाएं
अफगानिस्तान में इतने भयभीत माहौल के बीच भी कुछ ऐसी महिलाओं की तस्वीरें सामने आई हैं, जिन्होंने तालीबानी लड़ाकों के सामने हार नहीं मानीं, वे डरी नहीं और खुलकर उनका सामना किया. ये महिलाएं अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ीं और पूरी दुनियां के सामने तालिबान का असली चेहरा सामने लेकर आईं. इन्हें मरना मंजूर है लेकिन तालिबान के आगे झुकना नहीं…
तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अफगानी महिलाओं की हालत दयनीय बना दी है. हालांकि इस भयभीत माहौल के बीच भी कुछ ऐसी महिलाओं की तस्वीरें सामने आई हैं, जिन्होंने तालीबानी लड़ाकों के सामने हार नहीं मानीं, वे डरी नहीं और खुलकर उनका सामना किया.
ये महिलाएं अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ीं और पूरी दुनियां के सामने तालिबान का असली चेहरा सामने लेकर आईं. कुछ महिलाओं ने कहा कि हमें मरना मंजूर है लेकिन तालिबान के आगे झुकना नहीं. हम अपनी आजादी के लिए, अपने वतन से प्रेम के लिए अपनी जान दे सकते हैं लेकिन तालिबानी लड़ाकों के सामने समर्पण नहीं कर सकते.
इन महिलाओं ने गजब की हिम्मत दिखाई है
अब देखना है कि इन महिलाओं का भविष्य क्या है. अभी तो ये खबरों में बनी हुई हैं, लेकिन थोड़े दिनों बाद ही लोग इन्हें भूल जाएंगे. तालिबानी कब्जे से पहले इनकी दुनियां अलग थी, ये अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही थीं लेकिन अब सब बदल गया. आइए इनके बारे में जानते हैं.
इन महिलाओं को कितने दिनों तक याद किया जाएगा
1- अरफा दिल्ली के भोगल में रहती हैं. वे अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ की रहने वालीं हैं. अरफा कहती हैं, तालिबान भले ही कह रहा है कि महिलाओं को आजादी होगी. उनके साथ अत्याचार नहीं होगा लेकिन पहले तालिबान राज में सबने देखा है कि क्या हुआ था. अरफा बताती हैं, तालिबान के लड़ाके लड़कियों को उठा ले जाते हैं, इनसे जबरन शादी करते हैं और गलत काम करते हैं. अरफा का कहना है कि उनकी परिवार वालों से बात हुई है. वहां सभी महिलाएं डरी हुई हैं. कोई भी घर से नहीं निकल रहा है. सिर्फ बुजुर्ग महिलाएं निकल रहीं हैं, वो भी किसी के साथ. अरफा कहती हैं कि तालिबान राज की दोबारा वापसी महिलाओं के लिए किसी गंदे सपने से कम नहीं है. महिलाएं घरों में कैद हैं, वे बुर्का में नजर आने लगी हैं. उनकी पढ़ाई, काम करने की आजादी सब छिन गई है. जो लोग कह रहे हैं कि वहां सब ठीक है, वे झूठें हैं. अरफा ने लोगों के सामने सच बोलने की हिम्मत दिखाई है, वो भी तालिबान से बिना डरे.
अरफा अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ की रहने वालीं हैं
2- तालिबान ने अफगानिस्तान की पहली महिला गवर्नर सलीमा मजारी को पकड़ लिया है. सलीमा ने पिछले कुछ समय में तालिबान के खिलाफ आवाज बुलंद की है. सलीमा मजारी ने बहादुरी दिखाते हुए तालिबानियों से लड़ने के लिए हथियार उठाने का भी फैसला लिया था. वे अंतिम समय तक तालिबान के खिलाफ लड़ती रहीं. बल्ख प्रांत के कब्जे में आने के बाद वह जिले चाहर में पकड़ी गईं.
अपने अधिकारों के लिए इस महिला ने हथियार उठा लिए
3- एयर इंडिया का विमान एआई 244 में सवार होकर आई एक महिला ने रोते हुए अपना दर्द बयां किया. महिला ने बताया कि मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि दुनियां ने इस तरह से अफगानिस्तान का साथ छोड़ दिया है. हमारे तमाम दोस्त अब मार दिए जाएंगे. तालिबान हमारे लोगों की हत्या कर देंगे. अब हमारी महिलाओं को वहां पर कोई अधिकार नहीं मिलेगा. काबुल से दिल्ली पहुंची इस महिला के चेहरे पर खौफ साफ नजर आ रहा थाय यह वीडियो कापी तेजी से वायरल हुई. आने वाले समय में इस महिला के साथ क्या होगा, किसी को नहीं पता.
अपने मुल्क हाल बताते हुए यह महिला रो पड़ी
4- अफगानिस्तान की सबसे कम उम्र की महिला मेयर जरीफा गफारी कहती हैं कि उससे इस बात की तस्दीख हो जाती है कि अब अफगानिस्तान में बर्बरियत की शुरुआत हो गई है और मुल्क का निजाम भगवान भरोसे रहेगा. जरीफा गफारी ने कहा कि मैं यहां बैठी हूं और उनके आने का इंतजार कर रही हूं. मेरी या मेरे परिवार की मदद करने वाला कोई नहीं है. मैं बस उनके और अपने पति के साथ बैठी हूं. और वे मेरे जैसे लोगों के लिए आएंगे और मुझे मार देंगे. असल में सत्ता में तालिबान के आगमन के बाद अशरफ गनी के नेतृत्व वाली सरकार के वरिष्ठ सदस्य भागने में सफल रहे. लेकिन वे कहीं नहीं गई, 27 साल की जरीफा गफारी का कहना है कि आखिर मैं कहां जाऊंगी? अब देखना है कि जब पूरी दुनियां की नजरें तालिबान पर हैं तो वे जरीफा के चैलेंज को किस रूप में लेते हैं.
अफगानिस्तान की सबसे कम उम्र की महिला मेयर जरीफा गफारी
5- एक हफ्ता पहले ही अफगानिस्तान के सरकारी चैनल को जॉइन करने वाली महिला एंकर खदीजा अमीन को नौकरी से निकाल दिया है. चैनल के अधिकारियों ने खदीजा से कहा कि सरकारी चैनल में महिलाएं काम नहीं कर सकती हैं, क्योंकि अब तालिबानी सरकार है.खदीजा को नहीं पता कि वे अब मैं क्या करेंगी. उन्होंने कहा कि 20 साल में हमने जो कुछ भी हासिल किया है, वो सबकुछ चला जाएगा. तालिबान तालिबान ही रहेगा. वो बिल्कुल नहीं बदला है.’ वहीं काबुल स्थित रेडियो टेलीविजन अफगानिस्तान (RTA) ने एंकर शबनम दावरान को भी काम करने से मना कर दिया. जो कुछ दिन पहले तक जर्लिस्ट थीं और अब उनका कोई वजूद, कोई पहचान नहीं है.
महिला एंकर शबनम दावरान को नौकरी से निकाल दिया
ये खबरों में तो आईं लेकिन आने वाले समय में कौन इन्हें याद करेगा…एक तरफ प्राइवेट चैनल की महिला एंकर की तस्वीरें ट्वीट की जा रही हैं तो दूसरी और महिलाओं को एंकरिंग करने पर बैन लगा दिया. खबरें तो चलीं लेकिन अधिकार नहीं मिला. सिर्फ एक बार तालिबान प्रवक्ता का इंटरव्यू कर लेने भर से महिलाओं को आजादी नहीं मिलने वाली, क्योंकि यह तालिबान का महज दिखावा है.
महिला एंकर महिला एंकर खदीजा अमीन अब क्या करेंगी पता नहीं
6- अफगानिस्तान में डर के माहौल के बीच कुछ महिलाएं अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अपने हक, अधिकार के लिए प्रदर्शन करती देखी गईं. ये महिलाएं काबुल के वजीर अकबर खान इलाके में जुटी थीं. महिलाओं की मांग थी कि अफगानिस्तान से जुड़े अहम मसलों पर महिलाओं की राय ली जाए. महिलाओं ने प्लेकार्ड दिखाते हुए कहा कि वे अफगान की राजनीति, शासन और अर्थव्यवस्था से जुड़े फैसलों में उनको अपनी भी हिस्सेदारी चाहती हैं. महिलाओं ने मांग की है कि आने वाली तालिबान सरकार उनको भूल ना जाए. अब सरकार इन महिलाओं को कितना याद रखती है और कैसा सुलूक करती है, ये तो आने वाले वक्त में पता चलेगा…फिलहार ये खबर भर मात्र है, कल कोई नई खबर आ जाएगी और सब उसमें व्यस्त हो जाएंगे.
अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन करतीं अफगानी महिलाएं
7- क्लेरिसा वार्ड है अमेरिकी मीडिया हाउस CNN की इंटरनेशनल चीफ रिपोर्टर हैं. उनकी एक तस्वीर काफी तेजी से वायरल हो रही है. एक तस्वीर में US रिपोर्टर सामान्य कपड़ों में हैं तो दूसरी में हिजाब पहना हुआ है. लोगों ने इस तस्वीर के जरिए यह बताने की कोशिश की है कि तालिबान ने किस तरह अफगानिस्तान की महिलाओं को एक दिन में बदल दिया है. क्लेरिसा वहां लगातार साहस के साथ पत्रकारिता का फर्ज निभा रहीं हैं. एक तरह से जान हथेली पर लेकर क्लेरिसा वहां की महिलाओं की हालात बयां कर रही हैं. क्लेरिसा ने बताया कि कि कैसे अब बदतर होने वाली है. महिलाओं के होने या ना होने से तालिबान को कोई फर्क नहीं पड़ता.
CNN की साहसी पत्रकार क्लेरिसा वार्ड
क्लेरिसा वॉर्ड को स्कार्फ से अबाया तक का सफर एक दिन में तय करना पड़ा. इन हालातों में जब क्लेरिसा अमेरिकी दूतावास के बाहर रिपोर्टिंग कर रही थीं. क्लेरिसा जिस तरह से सच्ची पत्रकारिता कर रही हैं कहीं उनके खतरा ना बन जाएं. क्लेरिसा ने बताया था कि अब अफगानिस्तान की सड़कों पर महिलाएं नजर नहीं आतीं, वे बाहर नहीं निकलतीं और बहुत ज्यादा पारंपरिक कपड़े पहनने को मजबूर हैं. सवाल है कि आखिर तब तक महिलाएं मर-मर के जीएंगी, जब मरना ही है तो अपने शर्तों पर क्यों न मरे, बिना किसी के सामने झुके, बिना किसी से डरे…अब इन्हें कब तक याद किया जाता है, और कब भूला दिया जाता है, यह एक अलग बात है.
ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01