उत्तम मार्दव धर्म जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत:आचार्य श्री सौरभ सागर
देहरादून 30 अगस्त 2025। जैन धर्म के पर्वराज पर्यूषण (दसलक्षण) पर्व के अवसर पर परम पूज्य संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी जीवन आशा हॉस्पिटल प्रेरणा स्रोत उत्तराखंड के राजकीय अतिथि आचार्य श्री 108 सौरभ सागर महामुनिराज के मंगल सानिध्य में प्रातः जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक कर शांतिधारा की गयी।
इसके पश्चात पूज्य आचार्य श्री के मंगल सानिध्य में श्री स्वयंभू चौबीसी महामंडल विधान श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर एव जैन भवन में प्रारम्भ हुआ।
आज दसलक्षण धर्म के दूसरे दिवस *उत्तम मार्दव धर्म* के दिन पूज्य आचार्य श्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि उत्तम मार्दव धर्म जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जिसका अर्थ है सर्वोच्च कोमलता या विनम्रता। यह अहंकार, घमंड और अपनी श्रेष्ठता की भावना का त्याग करना है, क्योंकि धन, बल, कुल, जाति आदि सभी नश्वर हैं। मार्दव हमें सिखाता है कि सच्चा सुख और शांति विनम्रता से ही मिलती है, तथा अहंकार का नाश करने से आत्म-ज्ञान और कल्याण प्राप्त होता है।
संध्याकालीन बेला में महिला जैन मिलन मूकमाटी द्वारा सुंदर नाटिका ‘वज्र बाहू का वैराग्य’ का मंचन किया गया। वज्रबाहु का वैराग्य’ एक जैन कथा है जो राजा वज्रबाहु के जीवन में एकाएक वैराग्य आने की घटना का वर्णन करती है। इसमें राजा वज्रबाहु एक मुनिराज को देखकर और अपने साले उदयसुंदर के मजाक के कारण अपना राजपाट त्याग कर दीक्षा ले लेते हैं। उनकी पत्नी मनोरमा और उनके साथ आए अनेक राजकुमार भी उनके पीछे दीक्षा लेकर मोक्ष का मार्ग अपनाते हैं।
*मीडिया कोऑर्डिनेटर मधु सचिन जैन* ने बताया कि दैनिक चर्या प्रातः 5 बजे गुरु वंदना प्रातः 6:30 बजे श्री जी का अभिषेक, शान्तिधारा प्रातः 7 बजे नित्य नियम पूजन एवं विधान प्रारम्भ प्रातः 8:15 बजे दशलक्षण पर विशेष प्रवचन (आचार्यश्री द्वारा) प्रातः 9:30 बजे आहार चर्चा दोपहर 12 बजे सामायिक, साधना दोपहर 3 बजे शंका समाधान सायं 6 बजे गुरु भक्ति सायं 6:30 बजे आरती एवं शास्त्र सभा रात्रि 7:30 बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम रात्रि 8:30 बजे वैव्यावृत्ति होगी

