मानव कल्याण का संकल्प है संन्यास,धर्मोंन्मुखता अनूकुल है चातुर्मास: महा मुनिराज आचार्य सौरभ सागर

वें पुष्प वर्षायोग के लिए दून पहुंचे सौरभ सागर महाराज की प्रेस वार्ता

देहरादून, 07 जुलाई2025 । जैन महामुनि राज आचार्य सौरभ सागर महाराज ने 31 वें पुष्प वर्षायोग को देहरादून पहुंच श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर और जैन भवन (धर्मशाला) गांधी रोड में कलश स्थापना पूर्व पत्रकारों से बातचीत में उनके प्रश्नों का समाधान किया.

धर्म की ओर उन्मुख होने को चार्तुमास प्रभावी माध्यम:सौरभ सागर

जैन महामुनि राज आचार्य सौरभ सागर महाराज ने 31 वें पुष्प वर्षायोग के  जैन धर्म के विभिन्न सिद्धांत, तत्वों, जैनाचार संहिता  संदर्भ विस्तार से बताया और कहा कि वर्षा योग समाज को हरियाली से भरने का पर्व है। समाज को वैदिक आचरण, सदाचार, अहिंसा, खानपान की युति, स्वास्थ्य लाभ चातुर्मास में अपनाएं गए संकल्प से होता है। समाज की भलाई को धर्म की ओर उन्मुख होने को चातुर्मास प्रभावी समयावधिक परंपरा है।

इन चार माह सारे देवगण सो जाते हैं लेकिन संत जागृत रहते हैं। उन्होंने कहा कि नौ जुलाई को मंगल कलश स्थापना होगी। छह वर्ष बाद उन्हें दून में वर्षा पुष्प योग का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म युवाओं को वह सामर्थ्य प्रदान करता है जिसमें कि वह समाजपयोगी भूमिका में आएं। इसके लिए जरुरी है कि हम नई पीढ़ी को उचित वातावरण देते हुए नैतिकता, मानवता और धर्म के मार्ग से जोड़े। धर्म के विकृत स्वरुप पर उन्होंने कहा कि यह पहचानना जरुरी है कि सच्चा संत कौन है, सच्चे संत का सानिध्य बेहद जरुरी है।

एक प्रश्न पर उन्होने कहा कि सन्यास मानवमात्र के कल्याण का संकल्प और साधन है. उनका कहना था कि आठ वर्ष होते-होते बालक स्वतंत्र इच्छा और विवेक धारण करना शुरु कर लेता है. इसलिए इसके बाद वह आध्यात्म का रास्ता अपनाने की सोचता है तो उसे अबोधता कहना उचित नही है. उन्होने इस संबंध में भक्त प्रह्लाद का उदाहरण दिया और बताया कि स्वयं उन्हे 40 वर्ष पूर्व 12 वर्ष की आयु में संन्यास लिया था. बस सावधानी इतनी रहे कि शिष्य संख्या बढाने को संन्यास ना दिलाया जाये. अपराधियों द्वारा साधू वेश को कानून से छिपने का साधन बनाने की शिकायतों पर उन्होने कहा कि भगवा वस्त्र ऐसी लंबी परंपरा का अंग है जिसने शताब्दियों से समाज के लिए त्याग ,तपस्या, जागरण और मार्गदर्शन की भूमिका निभाकर समाज का विश्वास जीता है. अब यदि उस विश्वास का दुरुपयोग होता दिखे तो समाज को नीर क्षीर विवेक से काम लेना होगा.

नई पीढी में धर्म की ओर अरुचि के प्रश्न पर पर उन्होने कहा कि परिवार छोटे हो रहे है और लोग बेटे को धार्मिक नहीं,कमाऊ पूत बनाना चाहते हैं लेकिन जब अनुभव होगा कि धर्मशून्य पुत्र न उनकी सेवा कर रहा है,न समाज की तो उन्हे धार्मिकता का महत्व समझ आयेगा। बेटा कमाऊ  और धार्मिक दौनों एक साथ बन सकता है. यह सत्संग और धार्मिक शिक्षा से ही होगा. एक प्रसंग में उन्होने बताया कि बीकानेर की ही तरह मुरादनगर, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में भी दिगंबर जैन समाज ने जीवन आशा अस्पताल और रिहेबिलेशन सेंटर खोला हुआ है.( बाद में पता चला कि यह अस्पताल महामुनिराज आचार्य सौरभ सागर जी की प्रेरणा और प्रयास का फल है)

जैन संतों में अवधान विद्या की विलक्षण और  चमत्कारिक स्मृति सिद्धि के प्रश्न पर दिगंबर महामुनिराज आचार्य सौरभ सागर ने बताया कि यह अभ्यासादि से होता है और बाल्यावस्था में ही सिद्ध हो जाता है. इसे शतावधान कहते हैं. इसमें यदि सौ प्रश्न पूछे जायें तो सभी के उत्तर क्रमानुसार दिये जा सकते हैं.

याद रहे ,जैन मुनि सुशील कुमार को सिद्धि थी कि 100 अंकों की संख्या बिना क्षणभर गंवाये दोहरा देते थे. इसका प्रदर्शन कामनाओं से हुआ था.

विदित रहे,महामुनिराज आचार्य सौरभ सागर देहरादून 2019 के बाद छह जुलाई को 31वें पुष्प वर्षायोग के लिए देहरादून पहुंचे हैं।उनका स्वागत महापौर सौरभ थपलियाल ने किया। उत्तराखंड शासन ने उन्हे राजकीय अतिथि घोषित किया है.बुधवार नौ जुलाई को प्रात: आठ बजे  श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर और जैन भवन धर्मशाला में मंगल कलश स्थापना समारोह होगा जिसमें मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विशिष्ट अतिथि विधायक द्वय विनोद चमोली और खजानदास रहेगें।                                   हर शनिवार, रविवार और राजकीय अवकाश पर प्रातःकाल साढे आठ बजे महामुनिराज आचार्य सौरभ सागर के विशेष मंगल प्रवचन हो रहे हैं.

वार्ता में देहरादून जैन समाज की मीडिया समन्वयक मधु सचिन जैन, अंकुर जैन,विरेश जैन,प्रतीक जैन,संजय जैन,नितिन जैन,सुनील जैन,अमित जैन आदि भी थे.

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