ढाई अरब की ठगी: एसजी टेलीकाम ने एक्टिवेट करा चीन भिजवा दिए 2700 सिम

 

दिल्ली: 2700 सिम एक्टिवेट करवाकर भेजे चीन, वहीं से हो रही थी ठगी
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के मुताबिक सतेंद्र ने अपनी कंपनी के कर्मचारियों के नाम पर 2700 सिम कार्ड लिए और उन्हें एक्टिवेट करके चीन भेज दिया. इनमें से कई का चीन से ठगी में इस्तेमाल हो रहा है.

स्टोरी हाइलाइट्स
बगैर केवाईसी 2700 सिम देने का आरोप,चीन से ठगी में हो रहा कई सिम का इस्तेमाल,दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने किया गिरफ्तार
नई दिल्ली 11 जून। चाइनीज ऐप से ठगी के मामले को लेकर दिल्ली पुलिस एक्शन में है. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय टेलीकॉम कंपनी एसजी टेलीकॉम के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार किया गया एसजी टेलीकॉम का मालिक सतेंद्र सिंह गाजियाबाद का निवासी बताया जा रहा है. दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने उसे नोएडा से गिरफ्तार किया है.

दिल्ली पुलिस की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक गाजियाबाद निवासी सतेंद्र को साइबर सेल ने नोएडा से गिरफ्तार किया है. वह नोएडा में एसजी टेलीकॉम नाम से एक अंतरराष्ट्रीय टेलीकॉम कंपनी चलाता है. दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के मुताबिक सतेंद्र ने अपनी कंपनी के कर्मचारियों के नाम पर 2700 सिम कार्ड लिए और उन्हें एक्टिवेट करके चीन भेज दिया.

दिल्ली पुलिस के अनुसार इन 2700 सिम कार्ड में से कई का चीन से ठगी में इस्तेमाल हो रहा है. आरोप है कि सतेंद्र ने इस काम के लिए करीब 18 लाख रुपये की बड़ी रकम ली थी. सतेंद्र की ओर से 2700 सिम कार्ड के लिए ली गई 18 लाख रुपये की रकम देखें तो एक सिम कार्ड के लिए तकरीबन 667 रुपये लिए गए हैं. बताया जाता है कि सतेंद्र की कंपनी विदेश जाने वालों को अंतरराष्ट्रीय सिम कार्ड मुहैया कराती है.

आरोप है कि सतेंद्र ने ये सिम कार्ड खुद के कर्मचारियों के नाम से एक्टिवेट कराकर बगैर केवाईसी के ही दे दिए गए. सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि कहीं इन सिम कार्ड का उपयोग जासूसी करने के लिए न किया जा रहा हो. बता दें कि चाइनीज ऐप से ठगी के इस मामले में पहले ही दो सीए समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछताछ चल रही है.

250 करोड़ की ठगी : आरोपियों को लेने बंगलूरू जाएगी देहरादून एसटीएफ, 19 नई शिकायतें

एसटीएफ अधिकारियों का कहना है कि बहुत से लोगों की पहचान की जा चुकी है, जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जा सकता है

पावर बैंक एप के माध्यम से सैकड़ों करोड़ की ठगी के मामले में उत्तराखंड एसटीएफ के विशेषज्ञों की टीम 24 घंटे जांच पड़ताल में जुटी है। बंगलूरू में गिरफ्तार किए गए आरोपियों को लेने भी उत्तराखंड एसटीएफ रवाना होने वाली है। साथ ही इन मामलों से जुड़ीं 19 नई शिकायतें एसटीएफ को मिली हैं।

एसटीएफ अधिकारियों का कहना है कि बहुत से लोगों की पहचान की जा चुकी है, जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जा सकता है। यह मामला 250 करोड़ से कहीं ज्यादा का माना जा रहा है। दरअसल, पावर बैंक एप से हुई इस ठगी से पूरे देश में हड़कंप मचा है। शायद ही ऐसा कोई राज्य है जहां पर लोग इसके शिकार न हुए हों। उत्तराखंड, दिल्ली और बंगलूरू पुलिस ने इसमें अब तक बड़े खुलासे किए हैं। शुरूआत में यह मनी ट्रेल 250 करोड़ रुपये के आसपास बताई जा रही थी, लेकिन डाउनलोड संख्या के आधार पर यह इससे कहीं ज्यादा का मामला माना जा रहा है।

 

डीआईजी एसटीएफ डॉक्टर नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि इस मामले में अब तक तीन मुकदमे उत्तराखंड में दर्ज हैं। इनमें विवेचना के लिए विशेषज्ञों को शामिल करते हुए टीम का गठन किया गया है। इसके अलावा बीते दिनों उत्तराखंड पुलिस से ट्रेनिंग के लिए कुछ पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को सीबीआई के पास भेजा गया था। उन्हें बुलाकर इस मामले की विवेचना और जांच में लगाया गया है। ताकि, हर बारीक से बारीक जानकारी जुटाकर आरोपियों तक पहुंचा जा सके। जल्द ही इसमें कुछ और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

शिकायतों का सिलसिला जारी

एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि इस मामले में अब खुलासा होने के बाद शिकायतों का आना जारी है। पहले तीन शिकायतों के बाद अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए थे। इसके बाद अब 19 नई शिकायतें आई हैं। इनमें प्राथमिक जांच शुरू कर दी गई हैं। इनमें से कुछ शिकायतों पर नए मुकदमे दर्ज किए जाएंगे। जबकि, कुछ को पुराने मुकदमों में शामिल किया जाएगा।

लोन वाले एप ने रूप बदलकर लोगों को ठगा

गूगल प्ले स्टोर पर ऑनलाइन लोन दिलाने वाले एप की भरमार थी, लेकिन देश के कई हिस्सों में ठगी के बाद सरकार ने इन पर सख्त रुख अपनाया था। इसके बाद गूगल ने इनमें से कुछ एप को हटा दिया। मगर, इन्हीं में कुछ एप ने रूप बदलकर निवेश के नाम पर ठगी करना शुरू कर दिया। साइबर एक्सपर्ट की जांच में सामने आया है कि इनमें से ज्यादातर एप ट्रेंडिंग में भी रहते थे, लेकिन चीन की सोच का कारनामा पावर बैंक नाम का यह एप केवल चार महीनों में ही लोगों को सैकड़ों करोड़ रुपये की चपत लगा गया।

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