उत्तराखंड क्रिकेट के विवादास्पद वसीम जाफर आये पाक हिमायत में,नेट यूजर्स ने खींची टांग
आज पाकिस्तान के लिए बैटिंग, कभी क्रिकेट कैंप में मौलवी से नमाज: वसीम जाफर पर ‘हनुमान की जय’ हटाने का भी आरोप
वसीम जाफर के क्रिकेट का एक एंगल यह भी (साभार: kxip)
न्यूजीलैंड के बाद इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान का दौरा रद्द कर दिया है। पाकिस्तानियों के अलावा जिनको यह फैसला नागवार गुजरा है उनमें भारत के पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर भी हैं। उन्होंने ट्वीट कर इंग्लैंड के फैसले को बेहद निराशाजनक बताया है।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के साथ सहानुभूति रखने की वजह से जाफर सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर भी आ गए हैं। जाफर का कहना है कि इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड पर पाकिस्तान और वेस्टइंडीज दोनों के एहसान हैं। उन्होंने ट्वीट किया, “पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पास कई कारण हैं कि वो ECB से निराश हो। पिछले साल जब कोरोना की वैक्सीन भी नहीं आई थी तब पाकिस्तान और वेस्टइंडीज ने महामारी के दौरान भी इंग्लैंड का दौरा किया था।”
टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज जाफर ने ट्वीट कर पाकिस्तान की हालत पर दुख प्रकट किया है।
इस पर एक ट्विटर यूजर ने जाफर को पाकिस्तानी प्रेमी कहते हुए लिखा, ”वसीम भाई वही हैं जो भारत-पाकिस्तान के मैच में खेल भावना के नाम पर पाकिस्तान को चीयर करते हैं।”
साभार: ट्विटर
अंकित जैन नाम के एक यूजर ने सन्नी देओल की फिल्म गदर का पोस्टर शेयर करते हुए लिखा, “मामाजी मैं आपको लाहौर छोड़ दूँ।”
एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ”चुप कर बे वसीम। एकदम चुप। क्या नो विनर? उन्होंने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए यह फैसला लिया है। कुछ ने उन्हें सही चेतावनी दी होगी। उनके फैसले का सम्मान करें। आप उन पर आक्रोशित होने वाले कौन होते हैं? हमेशा उनके फैसले को गलत ठहराने की कोशिश न करें क्योंकि… उम्मीद है आप समझ गए होंगे। वाह भाई।”
एक और यूजर ने वसीम जाफर को आड़े हाथों लेते हुए लिखा, “कोरोना से बड़ा खतरा आतंकवाद है। एक बार को कोरोना जा सकता है, लेकिन आतंकवाद कभी खत्म नहीं हो सकता। ECB और NZ क्रिकेट बोर्ड ने पाकिस्तान में क्रिकेट नहीं खेलने का सही फैसला लिया है। आखिरकार यह उनके जीवन से जुड़ा मामला है।”
मुस्लिम क्रिकेटरों को ऊपर रखने का आरोप
फरवरी 2021 में जाफर ने चयन समिति और क्रिकेट संघ के साथ विवाद को लेकर उत्तराखंड टीम के कोच पद से इस्तीफा दे दिया था। बीसीसीआई के पूर्व उपाध्यक्ष व उत्तराखंड क्रिकेट संघ (सीएयू) के सचिव महिम वर्मा ने जाफर पर क्रिकेट संघ के अधिकारियों के साथ झगड़ा करने और अपने मजहबी पूर्वाग्रह के कारण क्रिकेट टीम को तोड़ने की कोशिश का आरोप लगाया था। वर्मा ने कहा था कि शुरू में उन्होंने जाफर को पूरा समर्थन दिया और घरेलू क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने की उनकी उपलब्धि को ध्यान में रख उनके फैसलों को स्वीकार किया।
वर्मा ने कहा था कि उन्होंने खिलाड़ियों के चयन को लेकर जाफर पर कभी दबाव नहीं बनाया। उन्होंने बताया था कि जाफर टीम में इकबाल अब्दुल्ला, समद सल्ला और जय बिस्ता को गेस्ट खिलाड़ी के रूप में लाए। कुणाल चंदेला की जगह इकबाल अब्दुल्ला को जबरदस्ती टीम का कप्तान बनाया। सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी टी20 टूर्नामेंट में उनके फैसलों के कारण टीम 5 में से चार मैच हार गई।
‘राम भक्त हनुमान की जय’ वाला स्लोगन बदला
वर्मा ने आगे आरोप लगाया था कि टीम का सहायक स्टाफ उन्हें बताता था कि जाफर कैंप के दौरान मौलवी लाते थे। मुश्ताक अली ट्रॉफी के दौरान टीम मैनेजर रहे नवनीत मिश्रा ने कथित तौर पर कहा कि तीन मौलवियों ने कैंप का दौरा किया। उन्होंने कहा कि जाफर ने उन्हें बताया कि मौलवी नमाज पढ़ने आए थे। कैंप के दौरान ऐसा दो बार हुआ। मिश्रा ने आगे बताया कि उत्तराखंड टीम ‘राम भक्त हनुमान की जय‘ नारे का इस्तेमाल करती थी। मैदान पर मौलवी बुलाने वाले जाफर ने इसे बदलवा दिया। मैनेजर ने कहा कि जाफर ने कहा था कि इस टीम में सभी धर्म के लोग हैं इसलिए इस स्लोगन को बदल देना चाहिए। जब उनसे कहा गया कि इसकी जगह ‘उत्तराखंड की जय’ कर लेते हैं तो उन्होंने जय से भी आपत्ति जताई। उनके कहने पर ‘गो उत्तराखंड’ टीम का स्लोगन रखा गया था।