यीशु मसीह की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा निर्माण पर हाको से रोक
बेंगलुरु: HC ने दुनिया की सबसे ऊँची जीसस प्रतिमा के निर्माण पर लगाई रोक, कॉन्ग्रेस नेता ने अवैध रूप से दिलाई थी 15 एकड़ सरकारी भूम
डीके शिवकुमार ने क्रिसमस 2019 में किया था जीसस की प्रतिमा का शिलान्यास
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार (अक्टूबर 19, 2020) को बेंगलुरु से 80 किलोमीटर दूर कपालबेट्टा में जीसस क्राइस्ट की दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा पर चल रहे कार्य को रोकने का आदेश दिया, जिसका शिलान्यास कॉन्ग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने किया था। रामनगर जिले में चल रहे इस काम को रोकते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि उसकी अनुमति के बिना इस पर कोई काम नहीं होना चाहिए। एक PIL पर सुनवाई करते हुए उच्च-न्यायालय ने ये आदेश सुनाया।
उक्त PIL में कहा गया था कि जीसस क्राइस्ट की प्रतिमा बनाने के लिए अवैध रूप से भूमि का आवंटन किया गया था। साथ ही आरोप लगाया गया था कि दो बड़े नेताओं और उनके अनुयायियों के निजी हितों की पूर्ति करने के लिए सरकारी संपत्ति पर कब्ज़ा करने का प्रयास किया गया। याचिका में आरोप लगाया गया कि ईसाई समुदाय के तथाकथित ‘अभिभावकों’ ने ऐसा किया। अब ‘हरोबेले कपालबेट्टा अभिरुद्धि ट्रस्ट’ को कंस्ट्रक्शन का कार्य आगे बढ़ाने से रोक दिया गया।
एंथोनी स्वामी और 7 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका और जस्टिस अशोक एस किनगी की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार और ट्रस्ट को अंतरिम आदेश जारी किया। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि कनकपुरा में ईसाईयों की संख्या 2000 ही है, जो काफी कम है। इनमें से 1500 होरोबेले और नल्लाहल्ली गाँवों में रह रहे हैं। फिर यहाँ जीसस क्राइस्ट की इतनी बड़ी प्रतिमा बनाने का क्या औचित्य है?
आरोप है कि तत्कालीन ऊर्जा मंत्री डीके शिवकुमार और उनके भाई व बेंगलुरु रुरल के सांसद डीके सुरेश ने फ़रवरी 2017 में रामनगर के डिप्टी कमिश्नर से कह कर इस कार्य को शुरू करवाया था। ईसाई समुदाय द्वारा किसी भी प्रकार की माँग के बिना ही इन दोनों भाइयों ने इस काम के लिए 15 एकड़ की सरकारी जमीन उपलब्ध करा दी। कहा गया है कि गाँव में एक चर्च पहले से ही है, ऐसे में 15 एकड़ में फिर से चर्च और ईसाई संरचनाएँ बनाना सिर्फ वोट बैंक की राजनीति है।
कर्नाटक लैंड ग्रांट रूल्स की धारा-17 में पब्लिक नोटिस जारी किए बिना ही भूमि उपलब्ध करा दी गई। तहसीलदार ने डिप्टी कमिश्नर को रिपोर्ट भेज दी कि ग्रामीणों को इससे कोई दिक्कत नहीं है। स्थानीय ग्राम पंचायत से जल्दी-जल्दी में ही अनुमति ले ली गई। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सार्वजनिक संपत्ति का इस्तेमाल निजी कार्यों के लिए नहीं हो सकता। जमीन उपलब्ध कराने को फॉरेस्ट एक्ट का भी उल्लंघन बताया गया है।
दिसंबर 2019 में क्रिसमस के मौके पर बताया गया था कि कथित तौर पर, प्रतिमा की कुल ऊँचाई 114 फीट होगी और शिलान्यास की प्रक्रिया ईसा मसीह के दाहिने पैर की पूजा करके की गई थी। क्राइस्ट द रिडीमर प्रतिमा रियो डी जनेरियो की ऊँचाई 98 फीट है और ब्राजील में 26 फीट है। क्रिसमस के अवसर पर, डीके शिवकुमार ने ट्रस्ट को ज़मीन से संबंधित दस्तावेज़ सौंपे थे। साथ ही शिलान्यास भी किया था।
ईसा मसीह की सबसे ऊँची प्रतिमा के लिए भी जमीन घोटाला! चारागाह को कॉन्ग्रेसी नेता ने बताया बंजर भूमि,ईसा मसीह की सबसे ऊँची प्रतिमा के लिए कॉन्ग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने दी थी ज़मीन
कर्नाटक के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कॉन्ग्रेस के विधायक डीके शिवकुमार ने बेंगलुरु से 50 किमी दूर अपने कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र के लोगों को क्रिसमस के तोहफ़े के रूप में ईसा मसीह की सबसे ऊँची प्रतिमा बनाने के लिए 10 एकड़ ज़मीन दी थी। इसकी क़ीमत उन्होंने अपने निजी कोष से 10.80 लाख रुपए देकर चुकाई थी।
ख़बर के अनुसार, येदियुरप्पा सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा स्वीकृत भूमि की फिर से जाँच करने का फ़ैसला किया है। राजस्व मंत्री आर अशोका ने कहा कि आवंटित भूमि गोमला (चारागाह के तौर पर इस्तेमाल होने वाली सामुदायिक ज़मीन) है, न कि एक बंजर भूमि, जिसका दावा शिवकुमार ने किया था। उन्होंने कहा, “मैंने रामनगर ज़िले के डिप्टी कमिश्नर को भूमि आवंटन पर एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है।”
दरअसल, कनकपुरा में हरोबेले के ईसाई बहुल गाँव कपालीबेट्टा में ईसा मसीह की 114 फीट ऊँची प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव है। कनकपुरा शिवकुमार का विधानसभा क्षेत्र है। शिवकुमार के कार्यालय ने बताया कि उन्होंने अपने फंड से कपालीबेट्टा में न्यास के लिए सरकार से 10 एकड़ ज़मीन ख़रीदी थी। यह न्यास ही इस प्रतिमा का निर्माण करवा रहा है। कॉन्ग्रेस नेता शिवकुमार ने दावा किया कि यह प्रतिमा दुनिया में ईसा मसीह की सबसे ऊँची प्रतिमा होगी। इसकी आधारशिला उन्होंने 25 दिसंबर को एक प्रार्थना सभा में रखी थी।वहीं, शिवकुमार पर तीखा हमला करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री के एस ईश्वरप्पा ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण का विरोध करने वाले कॉन्ग्रेस नेता ईसा मसीह की प्रतिमा के लिए धन दे रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अपने नेता पर प्रभाव बनाने के लिए, कॉ़न्ग्रेस के नेता, जो भारत में जन्में वह भगवान राम के लिए भव्य मंदिर के निर्माण के विरूद्ध हैं। लेकिन, अपने पैसे से ईसा मसीह की प्रतिमा बनाने जा रहे हैं। अब तो सिद्धरमैया भी उन्हें (डी शिवकुमार को) कर्नाटक कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष बनने से नहीं रोक सकते।”
ग़ौरतलब है कि कर्नाटक कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक डीके शिवकुमार वर्तमान में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ज़मानत पर बाहर हैं। उन्हें इस मामले के संबंध में चार दिनों की पूछताछ के बाद 3 सितंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ़्तार किया था। ईडी ने गिरफ़्तार करने के बाद उनसे 14 दिन तक लगातार पूछताछ की थी। इसके बाद, 17 सितंबर को दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें 1 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसके बाद 30 सितंबर को उनकी ज़मानत याचिका पर सुनवाई हुई, उस समय कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई 14 अक्टूबर तक के लिए टाल दी थी.