विलुप्त हो रही परंपरागत कला कौशल में दक्षता जरूरी
मुख्यमंत्री ने किया स्किल स्टडी रिपोर्ट का विमोचन।
वेबिनार के माध्यम से पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एवं विभिन्न विषय विशेषज्ञों से कौशल विकास सम्बन्धित विषयों पर की चर्चा।
प्रदेश के युवाओं को पारम्परिक कलाओं एवं कौशल विकास की दक्षता पर बतायी ध्यान देने की जरूरत।
देहरादून 31 जुलाई। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को सचिवालय में कौशल विकास विभाग के सहयोग से पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स से तैयार की गई स्किल स्टडी रिपोर्ट का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने वेबिनार के माध्यम से पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों एवं विषय विशेषज्ञों से कौशल विकास से सम्बन्धित विषयों पर चर्चा की। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री डॉक्टर हरक सिंह रावत भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश की विशेष भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार राज्य के युवाओं को विलुप्त हो रहे पारम्परिक कलाओं एवं कौशल के क्षेत्र में अधिक दक्ष बनाये जाने की जरूरत है। राज्य में जैविक कृषि,काष्ठ कला , पारम्परिक आभूषण,योगा एवं आयुर्वेद, मधुमक्खी पालन ,बांस व रिंगाल के उत्पाद,मशरूम एवं पुष्प खेती के क्षेत्र में भी युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार के लिये प्रेरित किया जाए। मुख्यमंत्री ने पीएचडी चैम्बर ऑफ कामर्स की तैयार की गई कौशल विकास से सम्बन्धित स्किल स्टडी रिपोर्ट को राज्य के युवाओं एवं उद्योगों के हित में बताया है। उन्होंने कहा कि इस से उद्योगों के अनुकूल दक्ष मानव संसाधन की उपलब्धता एवं युवाओं को अपने को उद्योगों के अनुकूल दक्षता हासिल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन आपसी विचारों,अनुभवों एवं आवश्यकताओं के नये आयामों पर चर्चा करने में भी मददगार होते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हुए इन्वेस्टर समिट में देश के प्रमुख उद्यमियों ने प्रतिभाग किया। 1.25 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे,जिसमें से 24 हजार करोड़ की ग्राउन्डिंग अब तक हो चुकी है। यह हमारे छोटे राज्य के लिये बड़ी बात है। जबकि 2001 से 2017 तक राज्य में विशेष औद्योगिक पैकेज के बावजूद लगभग 40 हजार करोड़ का निवेश हो पाया था। राज्य में उद्योगों के अनुकूल वातावरण तैयार किया गया है। यहां का शांत व सुरक्षित माहौल,दक्ष मानव संसाधन उद्योगों के अनुकूल है। राज्य में श्रम कानूनों में सुधार के साथ ही 15 नई नीतियां बनायी गयी है। उद्योगों को बढ़ावा देकर ही रोजगार के साधन उपलब्ध हो सकेंगे। राज्य की सड़क,रेल व एयर कनेक्टिविटी बेहतर है। जौलीग्रांट एवं पंतनगर हवाई अड्डों को अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार किया जा रहा है। अमृतसर-कोलकाता कॉरिडोर के लिये ऊधम सिंह नगर में 1000 हैक्टेयर भूमि उपलब्ध करायी गयी है। आयुर्वेद के क्षेत्र में राज्य की जड़ी बूटी एवं औषधीय पौधों की अपनी पहचान है। राज्य में एरोमा पार्क स्वीकृत हुआ है। विभिन्न क्षेत्रों में ग्रोथ सेन्टरों की स्थापना की जा रही है। एरोमेटिक प्लांट के लिये भी यहां की जलवायु उपयुक्त है। मेडिकल उपकरणों के उत्पादन के लिये हरिद्वार का चयन किया गया। डिफेंस उपकरणों से सम्बन्धित उद्योगों की स्थापना की संभावनायें तलाशी जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य के विकास में दिये जा रहे सहयोग के लिये पीएचडी चैंबर के सदस्यों का आभार भी व्यक्त किया।
श्रम मंत्री डॉक्टर हरक सिंह रावत ने कहा कि महामारी के इस दौर का सभी क्षेत्रों में प्रभाव देखा जा रहा है। बावजूद इसके प्रदेश में उद्योगों के हित में सर्वाधिक बैठकें इस अवधि में हुई हैं। उद्योगों के हित में श्रम कानूनों में भी सभी को साथ लेकर सुधार प्रक्रिया अपनाई गई है। पर्यटन व्यवसाय के अंतर्गत होटल,टैक्सी,छोटे दुकानदारों को भी कठिनाई हो रही है। उत्तराखण्ड के देश व विदेशों में अधिकांश लोग होटल व्यवसाय से जुड़े हैं। प्रदेश में वापस लौटे लोगों की दक्षता का आकलन कर उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने में पीएचडी चैम्बर ऑफ कामर्स सहयोगी बनें। यहां के परम्परागत उत्पादों को बढ़ावा मिले। हमारा प्रदेश आर्गेनिक प्रदेश बने। इसके लिये कौशल विकास से युवाओं को दक्ष बनाना होगा। राज्य में मेडिकल,आयुर्वेद व हर्बल इंडस्ट्री को बढ़ावा देना होगा। उत्तराखण्ड आयुर्वेद के जनक चरक की भूमि है। संजीवनी का यह क्षेत्र है। 71 प्रतिशत वन तथा 28 प्रतिशत जैव विविधता यहां है। उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं को रोजगार मिले तथा वे स्वरोजगार अपनायें,इसके लिये उन्हें प्रशिक्षण के साथ ही उचित मार्ग दर्शन दिये जाने की जरूरत है। उन्होंने भी विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता विकास के आंकलन को प्रदेश के लिये उपयोगी बताया।
अपर सचिव एवं प्रोजेक्ट हेड उत्तराखण्ड स्किल मिशन डॉक्टर इकबाल अहमद ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत राज्य में लौटे प्रवासियों एवं प्रदेश के अन्य युवाओं को कौशल प्रशिक्षण तथा रोजगार/स्वरोजगार के अवर प्रदान किये जाने के उद्देश्य से मई 2020 में राज्य सरकार ने होप पोर्टल निर्मित किया है। इस पोर्टल पर अब तक 20,000 युवाओं ने पंजीकरण कराया है । साथ ही नियोजकों ने 2200 रिक्तियाँ भी पोर्टल पर अपलोड की है। विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत युवाओं को रिक्तियों के सापेक्ष रोजगार के अवसरों से जोड़े जाने हेतु विभाग से निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं, जिस हेतु एक कॉल सेन्टर भी स्थापित किया गया है। अबतक अनेक युवाओं को होप पोर्टल के माध्यम से रोजगार से जोड़ा जा चुका है तथा इस दिशा में विभाग निरन्तर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि स्किल स्टडी रिपोर्ट से विभाग को सुविधा होगी।
पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स उत्तराखण्ड के चेयरमैन वीरेन्द्र कालरा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि यह स्टडी रिपोर्ट प्रदेश के साथ अन्य प्रदेशों क लिये भी उपयोगी होगी। उन्होंने पीएचडी चैम्बर को दिये जा रहे सहयोग के लिये मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया
इस अवसर पर पी.एच.डी चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष डॉक्टर डी.के अग्रवाल, श्री अनिल तनेजा सहित विभिन्न पदाधिकारी वं अधिकारीगण उपस्थित थे।