विवेक डोभाल केस:जयराम रमेश ने माफी क्यों मांगी कोर्ट में?’द कांरवा’ केस में क्या हुआ?
विवाद का सारांशजनवरी 2019 में द कारवां ने एक लेख प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक था “The D Companies”। इसमें आरोप लगाया गया कि:
- विवेक डोभाल केमैन आइलैंड्स (एक ज्ञात टैक्स हेवन) में एक हेज फंड GNY Asia Fund चलाते हैं।
- यह फंड नोटबंदी (8 नवंबर 2016) की घोषणा के मात्र 13 दिन बाद (21 नवंबर 2016) रजिस्टर किया गया।
- यह फंड उनके बड़े भाई शौर्य डोभाल (जो BJP से जुड़े इंडिया फाउंडेशन के प्रमुख हैं) के कारोबार से जुड़ा हुआ है।
- लेख में संकेत दिया गया कि यह ब्लैक मनी को राउंड-ट्रिपिंग (विदेश भेजकर वापस लाना) करने या टैक्स चोरी से जुड़ा हो सकता है।
- यह उल्लेखनीय है क्योंकि अजीत डोभाल ने 2011 में एक रिपोर्ट में टैक्स हेवन्स पर कठोर कार्रवाई की वकालत की थी।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस लेख के आधार पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यें आरोप दोहराये, साथ ही RBI से केमैन आइलैंड्स से FDI की जांच की मांग की।
विवेक डोभाल ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार और मानहानिकारक बताया। उनका कहना था कि:
- लेख में कोई गैरकानूनी गतिविधि का सबूत नहीं है, बल्कि इंसिनुएशंस (संकेतों) से बदनामी की गई।
- यह उनके पिता को निशाना बनाने की साजिश है।
- फंड वैध है और डेमोनेटाइजेशन से इसका कोई संबंध नहीं।
कानूनी कार्रवाई
विवेक ने द कारवां मैगज़ीन, उसके रिपोर्टर और जयराम रमेश के खिलाफ दिल्ली कोर्ट में आपराधिक मानहानि का केस दायर किया।
- 2020 में जयराम रमेश ने कोर्ट में माफी मांगी और कहा कि उन्होंने लेख पर आधारित बयान दिए, लेकिन स्वतंत्र सत्यापन नहीं किया। विवेक ने माफी स्वीकार कर ली और उनके खिलाफ केस बंद हो गया।
कारण: जनवरी 2019 में, जयराम रमेश ने द कारवां मैगज़ीन के एक लेख “द डी कंपनियां” का हवाला देते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने उस लेख के आधार पर विवेक डोभाल के हेज फंड (जीएनवाई एशिया) पर मनी लॉन्ड्रिंग और राउंड-ट्रिपिंग के आरोप लगाए।माफी: अदालती कार्यवाही के दौरान, रमेश ने स्वीकार किया कि उन्होंने आगामी लोकसभा चुनावों के कारण “उत्तेजना के क्षण में” (heat of the moment) ये आरोप लगाए थे। उन्होंने माना कि उन्होंने तथ्यों की स्वतंत्र रूप से जाँच नहीं की थी और केवल मैगज़ीन की रिपोर्ट पर ही निर्भर थे।बयान: अपनी माफी में उन्होंने कहा, “मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि ये बयान या आरोप द कारवां मैगज़ीन में पिछले दिन प्रकाशित एक लेख से निष्कर्ष निकालकर दिए गए थे… जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा, मुझे एहसास हुआ कि शायद कुछ स्वतंत्र सत्यापन किया जाना चाहिए था।”
मैगज़ीन 


. ‘द कारवां’ मामले में क्या हुआ?
जबकि जयराम रमेश के खिलाफ मामला बंद हो गया, द कारवां मैगज़ीन के खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी रही क्योंकि उन्होंने माफी नहीं मांगी और अपनी रिपोर्ट पर कायम रहे।
मामला अलग किया गया: चूंकि जयराम रमेश (एक सांसद) अब आरोपी नहीं थे, इसलिए मामला सांसदों/विधायकों के लिए विशेष अदालत (राउज़ एवेन्यू कोर्ट) से बाहर कर दिया गया।अदालत का स्थानांतरण: जनवरी 2021 में, दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले को पटियाला हाउस जिला अदालत में स्थानांतरित कर दिया ताकि शेष आरोपितों के खिलाफ कार्यवाही की जा सके: द कारवां मैगज़ीन, इसके संपादक-प्रमुख परेश नाथ, और रिपोर्टर कौशल श्रॉफ।
वर्तमान स्थिति: जयराम रमेश के विपरीत, मैगज़ीन और पत्रकार ने आरोपों का मुकाबला करने का फैसला किया बजाय माफी मांगने के। उपलब्ध अंतिम प्रमुख सार्वजनिक अपडेट्स के अनुसार, उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही जिला अदालत में अभी भी सक्रिय और जारी है। भारत में मानहानि के मुकदमे अक्सर अंतिम फैसले तक कई वर्ष लग जाते हैं।
यह विवाद मुख्य रूप से राजनीतिक था, जहां विपक्ष (कांग्रेस) ने इसे मोदी सरकार और डोभाल परिवार पर हमले के रूप में इस्तेमाल किया, जबकि विवेक और समर्थक इसे बदनामी की साजिश बताते हैं। 2020 के बाद इस पर कोई बड़ा अपडेट नहीं आया है।


शौर्य डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के बड़े बेटे हैं। वे एक निवेश बैंकर, थिंक टैंक नेता और भाजपा से जुड़े राजनीतिक व्यक्ति हैं। यहां उनकी मुख्य जानकारी संक्षेप में दी गई है (2025 तक की अपडेट्स के आधार पर):व्यक्तिगत जानकारी
- जन्म: अप्रैल 1974 में नई दिल्ली में। 2025 में उनकी उम्र 51 वर्ष है।
- परिवार: पिता अजीत डोभाल, मां अरुणी डोभाल। छोटा भाई विवेक डोभाल। शौर्य की पत्नी डॉ. दिव्या डोभाल (ऑन्कोलॉजिस्ट) हैं, और उनके दो बच्चे हैं।

बचपन: शौर्य ने बताया कि बचपन में उन्हें पता नहीं था कि उनके पिता IPS अधिकारी हैं; वे समझते थे कि पिता विदेश सेवा में हैं। पिता के गुप्त ऑपरेशंस के बारे में बहुत बाद में पता चला। 1981-1987 तक वे पाकिस्तान में स्कूलिंग कर चुके हैं (पिता के मिशन के कारण)।

शिक्षा
- दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन।
- लंदन बिजनेस स्कूल और शिकागो यूनिवर्सिटी बूथ स्कूल से संयुक्त MBA।
- भारत से चार्टर्ड अकाउंटेंट की योग्यता।
करियर
- निवेश बैंकिंग: लंदन, न्यूयॉर्क और सिंगापुर में काम किया। GE Capital, Morgan Stanley और Arthur Andersen में सीनियर भूमिकाएं निभाईं।
- वर्तमान व्यवसाय: Torch Investment Management (पहले Zeus Caps) के मैनेजिंग डायरेक्टर। यह फर्म इंफ्रास्ट्रक्चर और एशियन इकोनॉमी पर फोकस करती है। सिंगापुर और दिल्ली से काम करते हैं।
- 2009 में विदेश से भारत लौटे और सार्वजनिक नीति में सक्रिय हुए।
राजनीति और थिंक टैंक
- इंडिया फाउंडेशन: 2009 में स्थापना की (राम माधव के साथ मिलकर)। यह दक्षिणपंथी थिंक टैंक मोदी सरकार से करीब माना जाता है। विदेश नीति, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर काम करता है।
- कई भाजपा नेता और मंत्री (जैसे निर्मला सीतारमण, सुरेश प्रभु आदि पहले डायरेक्टर थे) इससे जुड़े रहे।
- 2014 में मोदी के अमेरिका दौरे पर मैडिसन स्क्वायर गार्डन कार्यक्रम के प्लानर थे।
- भाजपा से जुड़ाव: भाजपा उत्तराखंड के कार्यकारी सदस्य। 2017 से सक्रिय। 2025 में भी उत्तराखंड भाजपा की मीटिंग्स में हाई-प्रोफाइल उपस्थिति रही, जिससे राजनीतिक अटकलें लगीं। चुनाव लड़ने को तैयार बताते हैं अगर पार्टी टिकट दे।
- अन्य: 2015 में आइजनहावर फेलोशिप, 2024 में वर्ल्ड एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंस के फेलो बने। ऊर्जा ट्रांजिशन, जियोइकोनॉमिक्स पर बोलते रहते हैं।
विवाद
- इंडिया फाउंडेशन पर: 2017 में द वायर ने रिपोर्ट की कि थिंक टैंक में मंत्री डायरेक्टर होने से हितों का टकराव है, फंडिंग अपारदर्शी है (कॉन्फ्रेंस स्पॉन्सर जैसे बोइंग से)। कांग्रेस ने इसे लॉबिंग बताया। शौर्य ने आरोप निराधार बताए और कहा कि फंडिंग कॉन्फ्रेंस, जर्नल आदि से होती है, कोई विदेशी फंडिंग नहीं।
- भाई विवेक से जुड़ा: 2019 में द कारवां ने आरोप लगाया कि विवेक का केमैन आइलैंड्स हेज फंड शौर्य के बिजनेस से जुड़ा है, ब्लैक मनी से संबंध का संकेत। विवेक ने मानहानि का केस किया; जयराम रमेश ने 2020 में कोर्ट में माफी मांगी। शौर्य ने इसे पिता को निशाना बनाने की साजिश बताया।
- ये विवाद मुख्य रूप से विपक्षी मीडिया और कांग्रेस से आए, लेकिन कानूनी रूप से कई आरोपों पर माफी हो चुकी है। 2025 तक कोई नया बड़ा विवाद नहीं।
शौर्य खुद को “सेवा” के लिए भारत लौटने वाला बताते हैं और इंडिया फाउंडेशन को भाजपा से अनौपचारिक संबंध वाला थिंक टैंक कहते हैं। वे कम मीडिया में आते हैं, लेकिन नीति और अर्थव्यवस्था पर प्रभावशाली माने जाते हैं।
प्रमुख योगदान और उपलब्धियां (2025 तक)
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इवेंट्स और कॉन्फ्रेंस का आयोजन: फाउंडेशन नियमित रूप से उच्च-स्तरीय सेमिनार, राउंडटेबल, लेक्चर और इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आयोजित करता है। उदाहरण:
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अटल बिहारी वाजपेयी मेमोरियल लेक्चर सीरीज: 8वां लेक्चर (24 दिसंबर 2025) मालदीव के पूर्व उपराष्ट्रपति फैसल नसीम ने दिया।
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क्रिटिकल मिनरल सप्लाई चेन पर राउंडटेबल (12 दिसंबर 2025), जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में।
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सिविल-मिलिट्री फ्यूजन पर बुक डिस्कशन (18 दिसंबर 2025)।
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इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन सोशल एस्पेक्ट्स ऑफ दीनदयाल उपाध्याय के इंटीग्रल ह्यूमनिज्म (फरवरी 2025 में )।
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अन्य: इंडो-पैसिफिक, एक्ट ईस्ट पॉलिसी, भारत-दक्षिण पूर्व एशिया संबंधों पर चर्चाएं।
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रिसर्च और पब्लिकेशंस: गहन विश्लेषण वाली रिपोर्ट्स, आर्टिकल्स और ब्लॉग (चिंतन) प्रकाशित करता है। विषय जैसे प्रधानमंत्री की विदेश यात्राएं (एथियोपिया), जियोपॉलिटिक्स, एनर्जी ट्रांजिशन आदि।
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पॉडकास्ट और मीडिया: नीति, समाज और अर्थव्यवस्था पर पॉडकास्ट सीरीज चलाता है।
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नीति प्रभाव: मोदी सरकार के करीब माना जाता है। 2014 में नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे (मैडिसन स्क्वायर गार्डन इवेंट) के प्लानिंग में भूमिका। कई पूर्व मंत्री और अधिकारी इसके गवर्निंग काउंसिल में हैं।
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अंतरराष्ट्रीय सहयोग: विदेशी थिंक टैंक्स, सरकारों और डायस्पोरा से संपर्क। वियतनाम-इंडिया फ्रेंडशिप एसोसिएशन जैसे ग्रुप्स से इंटरैक्शन।
विवादों का संक्षिप्त उल्लेख

