क्या है जन विश्वास बिल 2025? पारित हुआ तो 16 कानूनों के 288 प्रावधान नहीं रहेंगें अपराध

लोक सभा में पेश हुआ जन विश्वास विधेयक 2025, छोटे अपराधों पर जेल नहीं, आर्थिक दंड व चेतावनी 

जन विश्वास विधेयक 2025 से मामूली अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाकर आर्थिक दंड व चेतावनी पर ध्यान दिया जाएगा, जिससे कारोबारी सुगमता और जीवन यापन आसान होगा।

Jan Vishwas Bill 2025: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज लोक सभा में जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया। यह विधेयक कारोबारी सुगमता और जीवन यापन की सुगमता को बेहतर बनाने के प्रयासों का हिस्सा है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है और अब इसे प्रवर समिति के पास भेजा गया है। समिति के सदस्यों का चुनाव लोक सभा अध्यक्ष करेंगे। समिति अगले संसद सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।

उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने इस विधेयक को तैयार किया है। इसमें 10 सरकारी विभागों और मंत्रालयों द्वारा प्रशासित 16 केंद्रीय कानून के तहत 355 प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव है। इसमें कारोबारी सुगमता को बेहतर करने के लिए 288 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा जीवन यापन की सुगमता को बेहतर करने के लिए 67 प्रावधानों में संशोधन किया जाएगा। प्रस्तावित कानून का उद्देश्य मामूली या अनजाने में किए गए उल्लंघन के लिए आपराधिक मुकदमों के बजाय नागरिक जुर्मानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए न्यायिक प्रणाली पर बोझ को कम करना भी है।

इस विधेयक में प्रस्ताव है कि बिना विधायी संशोधन के भी जुर्माने और दंड में हर तीन साल बाद स्वत: 10 फीसदी का इजाफा हो जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि हर बार संसद में नया कानून पारित कराने की आवश्यकता नहीं होगी और दंड को लगातार प्रभावी रखा जा सकेगा।

मामूली उल्लंघन के कुछ मामले में पहली बार अपराध करने वालों को 10 अलग-अलग कानूनों में सूचीबद्ध 76 अपराधों के लिए महज सलाह या चेतावनी जारी की जाएगी। इसी प्रकार कागजी कार्रवाई में मामूली गलतियों के मामलों में जेल भेजे जाने के बजाय आर्थिक दंड या चेतावनी का प्रावधान है। दीर्घकालिक अनुपालन सुनिश्चित करने को बार-बार अपराध करने वालों को दंड बढ़ाया भी जाएगा। इसके अलावा सरकारी अधिकारियों को प्रशासनिक प्रक्रियाओं से जुर्माना लगाने का अधिकार होगा।

यह विधेयक जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 का दूसरा संस्करण है। यह मामूली अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाला पहला समेकित कानून था। जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 को दो साल पहले अधिसूचित किया गया था।

जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 ने 19 सरकारी विभागों और मंत्रालयों से प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों में 183 प्रावधान अपराध श्रेणी से बाहर कर दिये थे।

पहले कई कानूनों में मामूली एवं प्रक्रियागत चूक के मामलों में कारावास, कम जुर्माने व दंड के प्रावधान थे। इससे सरकार के प्रति डर और अविश्वास का वातावरण बन गया था। मगर कानूनों में बदलाव किए जाने से यह सुनिश्चित हुआ कि किसी को भी अनावश्यक कारावास नहीं हो अथवा अधिक दंड या जुर्माना न लगाया जाए। जन विश्वास अधिनियम, 2023 में चार कानूनों को शामिल किया गया था जिनमें चाय अधिनियम, 1953, विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009, मोटर वाहन अधिनियम, 1988, और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 शामिल हैं। मगर इस विधेयक में इन कानूनों के तमाम प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का प्रस्ताव है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा, ‘जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025 भारत की नियामकीय सुधार यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है। यह न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन को सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है और सतत आर्थिक विकास एवं कारोबारी सुगमता बढ़ायेगा।’

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क्या है जन विश्वास बिल 2025? पारित हुआ तो 16 कानूनों के 288 प्रावधान नही कहलायेंगे अपराध
लोकसभा में पेश हुए जन विश्वास बिल 2025 में कुल 355 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है। इसमें व्यापारियों के लिए 288 प्रावधानों को आसान करके क्राइम की कैटेगरी से बाहर करना, जबकि आम जनता के लिए 67 प्रावधानों में बदलाव करने का प्रस्ताव है।
केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को लोकसभा में जन विश्वास बिल 2025 पेश किया गया है। यह बिल आने वाले दिनों में 10 मंत्रालयों से जुड़े 16 केंद्रीय कानून के 355 प्रावधानों की दिशा बदलकर रख देगा। साथ ही 16 कानूनों के 288 प्रावधान क्राइम नहीं कहलाएंगे।

क्या है जन विश्वास बिल 2025 जिसे केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश किया।

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जन विश्वास बिल 2025 कब और किसने पेश किया?
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को लोकसभा में जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल 2025 पेश किया। इस विधेयक को पहले ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी है। अब मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा अध्यक्ष से विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को भेजने का अनुरोध भी किया है। कमेटी के सदस्यों का चयन अध्यक्ष करेंगे और समिति अगले सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

जन विश्वास बिल 2025 क्या है ?
भारत सरकार एक ऐसा कानून ला रही है जिसका मकसद छोटे-मोटे अपराधों की सजा और दंड को कम करना है। यह उन छोटी-छोटी गलतियों के लिए सजा को हटाने या कम करने की पैरवी करता है जो पहले क्राइम माना जाता था। इससे आम लोगों और व्यापारियों में जेल जाने का डर कम होगा। इसी को जन विश्वास बिल 2025 नाम दिया गया है। यह बिल, प्रक्रिया के तहत पारित हुआ तो कानून बनेगा और लागू होगा। यह आम लोगों और बिजनेसमैन लोगों की लाइफ आसान बना सकता है।

सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा बिल
बिल पेश करते हुए कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस विधेयक का मकसद ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को बेहतर बनाना है। बिल को और विचार-विमर्श के लिए संसद की सिलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया गया। यह कमेटी संसद के अगले सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट सदन को सौंपेगी।

जन विश्वास बिल 2025 के विशेष बिंदू
1-10 अधिनियमों के  76 मामलों में नियमों के पहली बार उल्लंघन पर सलाह या चेतावनी देने की बात की गई है।
2-मामूली, तकनीकी या प्रक्रियात्मक चूक को जेल की सजा की धाराओं को मनी पेनल्टी या चेतावनी से बदल दिया जाएगा।
3-मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के 20 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव विधेयक में किया गया है। इसमें ज्यूरिस्डिक्शन के आधार पर गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के बजाय प्रदेश में कहीं भी रजिस्ट्रेशन की बात है।
4-NDMC ऐक्ट के 47 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। इसमें प्रॉपर्टी टैक्स के रेटेबल वैल्यू मेथड की जगह पर यूनिट एरिया मेथड (UAM) लाने की बात है।
5-दंड को आनुपातिक बनाया जाएगा और बार-बार होने वाले अपराधों के लिए क्रमिक दंड दिया जाएगा।
6-प्रशासनिक प्रक्रियाओं से दंड लगाने को नामित अधिकारियों को सशक्त बनाया जाएगा, जिससे न्यायिक बोझ कम होगा।
7-विधायी संशोधनों के बिना निवारण बनाए रखने को हर तीन साल में खुद-ब-खुद 10% की वृद्धि हो जाएगी।
8-चार अधिनियम – चाय अधिनियम, 1953, विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009, मोटर वाहन अधिनियम, 1988, और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 – जन विश्वास अधिनियम, 2023 का हिस्सा थे और वर्तमान विधेयक में इन्हें और अधिक अपराधमुक्त करने का प्रस्ताव है।

मोटर वाहन कानून में हो सकते हैं बदलाव
जन विश्वास बिल 2025 में मोटर वाहन कानून के 20 प्रावधानों में बदलाव हो सकते हैं। बिल में दिए गए प्रस्ताव के अनुसार, अगर किसी वाहन का रजिस्ट्रेशन उसी राज्य में न कराकर किसी भी राज्य में करा सकेंगे। लाइसेंस की अवधि खत्म होने के बाद 30 दिन बाद तक लाइसेंस रिन्यू करा सकेंगे। अगर वाहन चलाते समय पहली बार गलती हुई है तो जेल की सजा से बच जाएंगे।

प्रॉपर्टी टैक्स मेथड में भी हो सकते हैं बदलाव
बिल में NDMC ऐक्ट के 47 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। इसमें प्रॉपर्टी टैक्स के रेटेबल वैल्यू मेथड की जगह पर यूनिट एरिया मेथड (UAM) लाने की बात है। बिल के अनुसार, इससे प्रॉपर्टी के साइज, उपयोग और लोकेशन के अनुसार प्रॉपर्टी टैक्स का एक फॉर्मूला होगा। इससे असेसमेंट में आसानी होगी और नियम लागू करने में मनमर्जी व्याख्या को स्थान नहीं रह जाएगा।

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