हिंडनबर्ग के पीछे कौन?कारण बताओ नोटिस दिया तो सेबी प्रमुख पर ही लगाये आरोप ?

Hindenburg-Adani Case Madhabi Puri Buch Refutes Claims Of Stakes In Adani-Linked Offshore Funds

Hindenburg Row: ‘सेबी की विश्वसनीयता पर हमला, इसके प्रमुख का चरित्र हनन का षड्यंत्र’, हिंडनबर्ग पर बुच दंपती
देहरादून 11 अगस्त 2024.हिंडनबर्ग ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि 18 महीने पहले अदाणी समूह पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी, लेकिन सेबी ने समूह पर कार्रवाई नहीं की। हालांकि, सेबी प्रमुख ने आरोपों को खारिज कर दिया है।

बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच और उनके पति ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को निराधार बताते हुए उसे सिरे से नकार दिया है। बुच दंपती ने आज कहा कि अमेरिकी शोध और निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च सेबी की विश्वसनीयता पर हमला करने और चेयरपर्सन का चरित्र हनन करने की कोशिश कर रही है।

दरअसल, हिंडनबर्ग ने शनिवार रात जारी एक रिपोर्ट में संदेह जताया है कि अदाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में पूंजी बाजार नियामक सेबी की अनिच्छा का कारण सेबी प्रमुख और उनके पति धवल बुच की अदाणी समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी हो सकती है। हिंडनबर्ग के इन आरोपों के जवाब में बुच दंपति ने रविवार शाम को एक विस्तृत बयान जारी किया।

उन्होंने कहा कि आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट के एक फंड में उनका निवेश सिंगापुर स्थित निजी नागरिक के रूप में किया गया था। माधवी के सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल होने से दो साल पहले यह निवेश किया गया था। इसके साथ ही दंपती ने कहा कि 2019 से ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार धवल निजी इक्विटी फर्म के रियल एस्टेट पक्ष से नहीं जुड़े हैं।

बयान के मुताबिक, वर्ष 2017 में सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में माधवी की नियुक्ति के तुरंत बाद उनकी दो परामर्श कंपनियां निष्क्रिय हो गईं थीं। भारत में कई तरह के नियामकीय उल्लंघनों के लिए हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नोटिस का जवाब देने के बजाय उसने सेबी की विश्वसनीयता पर हमला करने और सेबी चेयरपर्सन के चरित्र हनन की कोशिश करने का विकल्प चुना है।

हिंडनबर्ग के अपनी ताजा रिपोर्ट जारी करने के तुरंत बाद एक बयान में बुच ने आरोपों को निराधार बताया था। हिंडनबर्ग के मुताबिक, माधवी और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। उसने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने और अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।

क्या है हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट?
10 अगस्त को जारी नवीनतम हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि सेबी की वर्तमान प्रमुख माधबी बुच और उनके पति के पास अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि 18 महीने पहले अदाणी समूह पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी, लेकिन सेबी ने समूह पर कार्रवाई नहीं की।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद दंपती का स्पष्टीकरण 
इससे पहले रविवार सुबह माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ 10 अगस्त 2024 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कई आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों के संदर्भ में हम यह बताना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों और आक्षेपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं। इनमें कोई भी सच्चाई नहीं है।

दंपती ने कहा, ‘हमारा जीवन और वित्तीय लेनदेन एक खुली किताब की तरह है। पिछले कुछ वर्षों में आवश्यक सभी खुलासे पहले ही सेबी को सौंप दिए गए हैं, हमें किसी भी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है।’

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को बताया चरित्र हनन का प्रयास
माधबी और धवल ने कहा था कि जांच के दौरान सेबी को वे दस्तावेज भी दिए गए हैं जो उस अवधि से संबंधित हैं, जब हम सेबी से नहीं जुड़े थे। इसके अलावा पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हम उचित समय पर एक विस्तृत बयान भी जारी करेंगे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसके खिलाफ सेबी ने कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है, उसने चरित्र हनन का प्रयास करने का विकल्प चुना है।

यह है हिंडनबर्ग की पूरी रिपोर्ट
नई रिपोर्ट जारी करने के बाद हिंडनबर्ग ने कहा था, अदाणी समूह पर हमारी मूल रिपोर्ट को लगभग 18 महीने बीत चुके हैं। इस बात के पर्याप्त प्रमाण दिए जा चुके हैं कि भारतीय कारोबारी समूह (अदाणी) कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाले में संलिप्त रहा है। हालांकि, ठोस प्रमाणों और 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांच के बावजूद सेबी ने अदाणी समूह के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं की। कार्रवाई के बजाय जून, 2024 में सेबी ने हमें ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजा।

मॉरीशस में अदाणी ग्रुप के काले धन नेटवर्क की पूरी जानकारी देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। गुप्त दस्तावेज के हवाले से हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि अदाणी घोटाले में इस्तेमाल की गई अपतटीय (ऑफशोर) संस्थाओं में सेबी चेयरपर्सन और उनके पति की हिस्सेदारी थी। इन संस्थाओं का संचालन कथित तौर पर अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी करते हैं।

माधबी पुरी बुच ने पति को ट्रांसफर किए अपने शेयर
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि माधबी पुरी बुच ने अपने शेयर पति को ट्रांसफर किए। अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधबी पुरी बुच सेबी की सदस्य होने के साथ चेयरपर्सन थीं। उनका सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 100 प्रतिशत  स्टेक था। 16 मार्च 2022 को सेबी के चेयरपर्सन पर नियुक्ति किए जाने से दो हफ्ते पहले उन्होंने कंपनी में अपने शेयर्स अपने पति के नाम ट्रांसफर कर दिए।

पिछले साल अदाणी समूह को लगा था झटका
बता दें कि पिछले साल ही यह कंपनी एक रिपोर्ट के जरिए अदाणी समूह को तगड़ा झटका दे चुकी है। जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी समूह पर निशाना साधते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट ने हड़कंप मचा दिया था, क्योंकि हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट जारी होने के बाद शेयर बाजार में भूचाल आ गया था। निवेशकों के करोड़ों रुपये डूबे थे। अदाणी समूह के अधिकांश शेयरों में लगातार गिरावट दर्ज की गई थी। आर्थिक नुकसान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रिपोर्ट आने से पहले गौतम अदाणी दुनिया के धनकुबेरों में नंबर दो अरबपति थे, लेकिन नकारात्मक खबरों के कारण वे 36वें नंबर पर खिसक गए थे।

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अदाणी ग्रुप को टारगेट कर हिंडनबर्ग ने फिर एक रिपोर्ट जारी की है.
अदाणी ग्रुप भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया की बड़ी कंपनियों में से एक है. दुनिया के कई देशों में इसका कारोबार चल रहा है. अब तक किसी भी देश ने अदाणी ग्रुप को लेकर कभी कोई विवादास्पद बयान नहीं दिया, लेकिन हिंडनबर्ग लगातार अदाणी ग्रुप के खिलाफ रिपोर्ट जारी कर रहा है. हद तो यह हो गई कि रिपोर्ट जारी करने से पहले उसने एक्स पर पोस्ट कर लिखा,”भारत में जल्द ही कुछ बड़ा होने वाला है.” आखिर उसे भारत की इतनी चिंता क्यों हो गई है?

भारत की मदद कर रहा?
एनडीटीवी से सेंटर फॉर डोमेस्टिक इकोनॉमिक पोलिसी रिसर्च (CFDEPR) के प्रेसीडेंट डॉक्टर जगजीत भट्टाचार्य  ने कहा कि Hindenburg short selling करके मुनाफा कमाती है. उसे जितना मुनाफा कमाना था, वो तो पहले ही कमा चुकी है. मगर उसके बाद फिर ये रिपोर्ट और बकायदा प्रेस रिलीज जारी करने के पीछे उसकी क्या मंशा है? क्या वो एक जांच एजेंसी है? वो है नहीं. क्या वो एक Journalistic Authority है या Journalism में है? वो है नहीं. तो किस कारण उन्होंने ये रिपोर्ट निकाला? क्या उसने भारतीयों के हित के लिए ये रिपोर्ट निकाला है कि ये जांच हो जाए तो भारतीयों को फायदा होगा. ये तो उनका उद्देश्य हो नहीं सकता. तो किस उद्देश्य से अदाणी ग्रुप के ये पीछे पड़े हुए हैं?

जांच में क्या निकला ये छुपाया
डॉक्टर जगजीत भट्टाचार्य ने आगे कहा कि अदाणी ग्रुप भारत की एक बड़ी कंपनी है. भारतीय अर्थव्यवस्था में भी उसका बड़ा योगदान है. अदाणी ग्रुप के साथ-साथ अब तो SEBI पर भी हिंडनबर्ग ने सवाल खड़े किए हैं. इसका मकसद है कि भारत के Stock Market पर असर पड़े. अगर आप उनकी Report line by line पढ़ें तो उसमें गजब की बातें लिखी हैं. जैसे की There is a Adani as per directorate of revenue intelligence Adani had grossly over valued the import valuation. मैं अंग्रेजी में बोल रहा हूं क्योंकि उन्होंने अंग्रेजी में ही लिखा हुआ है. ये जो वो Report में Quote कर रहे हैं DRI का और कह रहे हैं कि अदाणी ग्रुप ने grossly import over value करके फिर पैसा बनाया हुआ है. ये Report 2014 की है और ये DRI की कोई Final Report नहीं है. ये Show Cause Notice है. ऐसे Show Cause Notice निकालना और उसकी जांच करना DRI का काम है.Hindenberg की Report में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि जांच के बाद DRI ने अदाणी ग्रुप को लेकर क्या बोला है? इसको Yellow Journalism बोलते हैं. आधी बात बताई जाती है और आधी छुपाई जाती है. ये उन्होंने कभी नहीं बताया कि ये 2014 की Report है. अगर मैं उसमें और आगे देखूं तो उसमें लिखा हुआ है कि अदाणी watch एक non profit project है. अब ये अदाणी Watch किसका है? किसने बनाया हुआ है? Non Profit बोल दिया तो क्या ये लोगों के हित के लिए है? इसके लिए कौन Invest कर रहा है? इसके Owners कौन हैं? किसने बनाया है? क्यों बनाया है? इसका तो कोई जवाब है नहीं. Report में सिर्फ आरोप हैं

जबरन आरोप लगाने की कोशिश
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लिखा है, She personally as SEBI chief माधवी बुच personally wrote to India info line to use her private gmail doing business through her husband’s name. जगजीत भट्टाचार्य ने कहा कि माधवी बुच के जिस फंड के बारे में इस रिपोर्ट में बताया गया है, वो महज 80 लाख रुपये का था. तो क्या अदाणी ग्रुप इसी 80 लाख रुपये से चल रहा है? क्या माधवी बुच को इस फंड से कोई मुनाफा हुआ? Hindenburg की Report में ही आगे लिखा है कि माधवी को इस निवेश से Point two percent का loss हुआ. फिर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट कहती है कि अगर माधवी बुच को निवेश करना ही तो भारत के Mutual Funds में करतीं, जहां सेबी चीफ के नाते उनकी चलती है. उन्होंने बाहर के Mutual Fund में क्यों निवेश किया? हद है..अगर माधवी बुच Indian Mutual Fund में Invest करतीं तब प्रश्न ये होता है कि जिसकी देखदेख का जिम्मा उनके ऊपर है, उसी में उन्होंने Invest कर मुनाफा कमाया. ये तो Conflict of Interest है. साफ है कि किसी भी तरह आरोप लगाने वाली बात है. अब प्रश्न ये उठता है कि अगर रिपोर्ट की एक-एक line बेबुनियाद है तो वो किस कारण ये कर रहे हैं? उनको कौन फंडिंग दे रहा है ऐसी रिपोर्टस निकालने के लिए?

 

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