कांग्रेस मतदाता सूची को क्यों हो रही खींचतान? पहली बार कमान गांधी परिवार के बाहर?

Explained : मतदाता सूची सार्वजनिक हो गई तो क्या गांधी परिवार के हाथ से निकल जाएगी कांग्रेस की कमान, समझिए क्यों मचा है घमासान

चन्द्र प्रकाश पाण्डेय |

कांग्रेस के संविधान के मुताबिक अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी डेलिगेट वोट डालते हैं। प्रदेश कार्य समितियों (PCC) के सभी सदस्य डेलिगेट होते हैं। इस समय देशभर में करीब 9 हजार से ज्यादा पीसीसी डेलिगेट्स हैं। अगर चुनाव मैदान में एक से ज्यादा उम्मीदवार रहें तो यही डेलिगेट वोट डालते हैं।

25 साल बाद गांधी परिवार से बाहर के किसी शख्स को मिल सकती है कांग्रेस की कमान

हाइलाइट्स
1-निर्णायक मोड़ पर कांग्रेस, अगले महीने अध्यक्ष चुनाव, मतदाता सूची पर घमासान
2-कांग्रेस की बागडोर गांधी परिवार के हाथ में ही या 25 साल बाद कोई गैर-गांधी बनेगा अध्यक्ष
3-राहुल गांधी को अध्यक्ष बनने को मनाने की कोशिश, न माने तो दिलचस्प होगा चुनाव

नई दिल्ली 04 सितंबर : अगले महीने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव है। पार्टी निर्णायक मोड़ पर है। बागडोर गांधी परिवार के हाथ रहेगी या 25 साल बाद कोई गैर-गांधी अध्यक्ष बनेगा? अगर कोई गैर-गांधी अध्यक्ष बनेगा तो क्या कांग्रेस के ‘प्रथम परिवार’ का कोई कठपुतली होगा यानी उस ‘रिमोट कंट्रोल माडल’ वाला होगा जिसका जिक्र गुलाम नबी आजाद से सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में किया था? अगर राहुल गांधी अध्यक्ष बनने को तैयार हो जाते हैं तब तो शायद ही चुनाव की नौबत आए लेकिन अगर राजी नहीं होते और परिवार अपने किसी खास को कुर्सी पर बिठाना चाहे तो वोटिंग की नौबत आनी ही है। असंतुष्ट नेताओं का गुट नहीं चाहता कि कोई ‘कठपुतली अध्यक्ष’ बने और यही वजह है कि चुनाव में वोट डालने वाले डेलिगेट्स की सूची सार्वजनिक करने की मांग जोर पकड़ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर  खास सीरीज की इस कड़ी में समझते हैं इलेक्टोरल रोल पर आखिर कांग्रेस में क्यों मचा है घमासान।

मतदाता सूची को लेकर घमासान

मतदाता सूची को सार्वजनिक करने की जो मांग आनंद शर्मा ने कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में उठाई थी, वह लगातार जोर पकड़ती दिख रही है। चुनाव कार्यक्रम तय करने के लिए हुई सीडब्लूसी मीटिंग में सबसे पहले शर्मा ने ही इस मुद्दे को उठाया था। तब कांग्रेस की सेन्ट्रल इलेक्शन अथॉरिटी चेयरमैन मधुसूदन मिस्त्री ने तुरंत ही इस मांग को खारिज करते हुए कहा था कि पीसीसी मेंबर्स की लिस्ट स्टेट हेडक्वॉर्टर्स में मौजूद हैं। वहां से देखा जा सकता है। बाद में मनीष तिवारी, शशि थरूर, कार्ति चिदंबरम और प्रद्योत बोरदोलोई पीसीसी के 9000 से ज्यादा डेलिगेट्स की लिस्ट को पार्टी की वेबसाइट पर पब्लिश करने की मांग कर चुके हैं। चारों ही लोकसभा सांसद हैं। शशि थरूर के तो चुनाव लड़ने की भी चर्चा है।

कांग्रेस अध्यक्ष के लिए 17 अक्टूबर को चुनाव होगा। इसके लिए 24 सितंबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। पार्टी का एक गुट चाहता है कि नामांकन शुरू होने से पहले मतदाता सूची सार्वजनिक की जाए। अगर कोई कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे पीसीसी के 10 डेलिगेट्स का समर्थन अनिवार्य है तभी वे नामांकन दाखिल कर पाएंगे। मतदाता सूची को पब्लिश करने की मांग के पीछे क्या दलील दी जा रही हैं, उसे समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है? वोटर कौन होते हैं?

कैसे होता है कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव, कौन डालते हैं वोट

कांग्रेस के संविधान के मुताबिक अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी डेलिगेट वोट डालते हैं। प्रदेश कार्य समितियों (PCC) के सभी सदस्य डेलिगेट होते हैं। इस समय देशभर में करीब 9 हजार से ज्यादा पीसीसी डेलिगेट्स हैं। अगर चुनाव मैदान में एक से ज्यादा उम्मीदवार रहें तो यही डेलिगेट वोट डालते हैं। वोटिंग पीसीसी मुख्यालयों पर होगी। खास बात ये है कि किसी शख्स को अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए पहले तो डेलिगेट होना अनिवार्य है। इसके अलावा उसे नामांकन दाखिल करने के लिए कम से कम 10 डेलिगेट्स का समर्थन चाहिए। नामांकन वापसी का वक्त निकल जाने के बाद चुनाव मैदान में बचे उम्मीदवारों की लिस्ट को रिटर्निंग ऑफिसर पार्टी के हर स्टेट यूनिट ( पीसीसी) को भेजता है। सेन्ट्रल इलेक्शन अथॉरिटी का चेयरमैन ही रिटर्निंग ऑफिस होता है। अभी मधुसूदन मिस्त्री इस पद पर हैं। चुनाव मैदान में एक ही उम्मीदवार रहा तो वह निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हो जाता है। अगर दो रहे तो पीसीसी डेलिगेट्स को उनमें से किसी एक के पक्ष में वोट देना होता है। अगर 2 से भी ज्यादा उम्मीदवार रहे तो डेलिगेट्स को कम से कम दो उम्मीदवारों को वरीयता वाले वोट देने पड़ेंगे। इस तरह एकल संक्रमणीय पद्धति में सबसे ज्यादा वोट पाने को पार्टी अध्यक्ष घोषित किया जाएगा।

एक तरफ पारदर्शिता तो दूसरी तरफ परंपरा की दुहाई

चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुधार की वकालत कर रहे कांग्रेस नेताओं के गुट की दलील कि अगर मतदाता सूची पब्लिश की जाएगी तो उम्मीदवारों को पता होगा कि उन्हें वोट को आखिर किनसे संपर्क करना है। मनीष तिवारी की दलील है कि नामांकन को 10 डेलिगेट्स का समर्थन जरूरी है। अगर डेलिगेट्स की लिस्ट सार्वजनिक नहीं होती है तो उम्मीदवार के नामांकन खारिज होने का खतरा है। सेन्ट्रल इलेक्शन अथॉरिटी यह कहकर नामांकन खारिज करेगी कि प्रस्तावक डेलिगेट नहीं हैं। कार्ति चिदंबरम, शशि थरूर, प्रद्योत बोरदोलोई भी उनके सुर में सुर मिला रहे हैं।

दूसरी तरफ, इस मांग पर कांग्रेस के सेन्ट्रल इलेक्शन अथॉरिटी के चेयरमैन मधुसूदन मिस्त्री और पार्टी नेतृत्व का कहना है कि जिन्हें भी पीसीसी डेलिगेट्स की लिस्ट चाहिए वह हर स्टेट यूनिट या प्रदेश कांग्रेस कमिटी के मुख्यालय जाए। वहां लिस्ट उपलब्ध है। तिवारी और अन्य नेताओं का कहना है कि किसी संभावित उम्मीदवार को मतदाता सूची के खातिर 28 पीसीसी और केंद्रशासित प्रदेशों की 9 यूनिट्स के पास जाना बहुत मुश्किल काम है। सूची को पार्टी की वेबसाइट पर प्रकाशित कर देने में आखिर दिक्कत क्या है।

कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश परंपरा की दुहाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पहले या बाद में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में कभी भी मतदाता सूची सार्वजनिक नहीं हुई है। 1997 और 2000 में भी नहीं जब अध्यक्ष पद के लिए एक से ज्यादा उम्मीदवार थे। केसी वेणुगोपाल भी चुनाव प्रक्रिया को ‘इनहाउस प्रोसीजर’ बताते हुए दो टूक कह रहे हैं कि मतदाता सूची सार्वजनिक नहीं की जाएगी।

कांग्रेस में अध्यक्ष पद को वोटिंग अपवाद

आजादी से पहले और उसके बाद भी कांग्रेस में आम तौर पर अध्यक्ष का निर्विरोध निर्वाचन ही होता आया है। अपवाद के तौर पर ही वोटिंग की नौबत आई है। कांग्रेस में पिछली बार 2000 में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था जिसमें सोनिया गांधी ने जितेंद्र प्रसाद को एकतरफा मुकाबले में हराया था। गांधी को 7,448 डेलिगेट्स के वोट मिले थे जबकि प्रसाद को सिर्फ 94 वोट। 1997 में भी कांग्रेस अध्यक्ष के लिए वोटिंग हुई थी और तब दो से ज्यादा कैंडिडेट थे। उस चुनाव में सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट जैसे दिग्गजों को पटखनी दी थी। केसरी को 6224 वोट, पवार को 882 और पायलट को 354 वोट मिले थे।

25 साल से अध्यक्ष पद पर गांधी परिवार का ‘कब्जा’

1998 में पहली बार सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनीं। निर्विरोध। 2 साल बाद 2000 के चुनाव में उन्हें जितेंद्र प्रसाद से चुनौती मिली लेकिन चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की। तब से ही कांग्रेस अध्यक्ष का पद लगातार गांधी परिवार के पास ही है। उन्हें कभी कोई चुनौती नहीं मिली। 2017 में सोनिया गांधी की जगह उनके बेटे राहुल गांधी अध्यक्ष बने लेकिन 2019 के चुनाव में कांग्रेस की शर्मनाक पराजय के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। तब से सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष हैं। इस दौरान बीजेपी में 10 अध्यक्ष बदल गए। कुशाभाऊ ठाकरे,बंगारू लक्ष्मण,जना कृष्णमूर्ति,वेंकैया नायडू, लाल कृष्ण आडवाणी,राजनाथ सिंह,नितिन गडकरी,राजनाथ सिंह,अमित शाह और अब जेपी नड्डा। ये वे नाम हैं जो 1998 से अबतक बीजेपी के अध्यक्ष रहे। दूसरी तरफ, कांग्रेस में शीर्ष पद सिर्फ गांधी परिवार के पास रहा।

गांधी परिवार के पास ही रहेगी कांग्रेस की बागडोर?

कांग्रेस के भीतर असंतुष्ट नेताओं के समूह G-23 ने कांग्रेस में संगठन चुनाव की मांग को लेकर ही अपनी आवाज बुलंद की थी। अब लंबे इंतजार के बाद चुनाव होने जा रहे हैं तो इस बार चर्चाएं गरम है कि कोई गैर-गांधी अध्यक्ष बनेगा। वजह ये कि राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं बनना चाहते। ऐसी सूरत में गांधी परिवार के किसी करीबी नेता को यह जिम्मेदारी मिल सकती है। इसके लिए अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे नाम सामने आ रहे हैं। हालांकि, दोनों ही नेता अपनी उम्मीदवारीं की अटकलों को अफवाह करार दे रहे हैं और दोनों ही चाहते हैं कि राहुल गांधी ही अध्यक्ष बनें। इसके लिए उन्हें मनाने की कोशिशें जारी हैं। दूसरी तरफ, शशि थरूर के चुनाव लड़ने की चर्चा है। वह अगले एक-दो हफ्ते में अपनी उम्मीदवारी को लेकर तस्वीर साफ करने की बात कह चुके हैं। साथ में उन्होंने अपील की है कि कांग्रेस नेताओं को अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए आगे आना चाहिए। अगर राहुल गांधी अध्यक्ष पद संभालने के लिए तैयार हो जाते हैं तब शायद ही उन्हें चुनौती मिले। लेकिन अगर वह तैयार नहीं हुए तो चुनाव दिलचस्प हो जाएगा। पृथ्वीराज चव्हाण जैसे नेता सार्वजनिक तौर पर ‘कठपुतली अध्यक्ष’ बनाए जाने के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं।

Congress President Election Electoral List Row Chance Of A Non Gandhi To Be Chief Gehlot Kharge Tharoor Or Other

कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से पहले निर्वाचन सूची पर ‘रार’, मधुसूदन मिस्त्री के बयान के मायने समझिए

कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव को लेकर पार्टी के भीतर लगातार बयानबाजी देखने को मिल रही है। पार्टी के कुछ नेता अध्यक्ष चुनाव में मतदाता सूची को सार्वजनिक किए जाने की मांग कर रहे हैं। वहीं, कई नेता ऐसे भी हैं जो निर्वाचन सूची तैयार किए जाने वाली प्रक्रिया की जानकारी मांग रहे हैं।

हाइलाइट्स
1-कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव को मतदाता सूची सार्वजनिक किए जाने की उठी थी मांग
2-केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) के प्रमुख मिस्त्री ने कहा- लिस्ट सार्वजनिक नहीं होगी
3-मधुसूदन बोले- अतीत में पार्टी अध्यक्ष चुनावों में भी सूची पब्लिक नहीं हुई थी

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से मतदाता सूची को लेकर पार्टी नेताओं में मतभेद सामने आ रहे हैं। पार्टी में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, शशि थरूर और कार्ति चिदंबरम समेत कई नेता मतदाता सूची को सार्वजनिक किए जाने की मांग कर रहे हैं। वहीं, बुधवार को कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने मतदाता सूची सार्वजनिक नहीं किए जाने वाला बयान दिया। ऐसे में पार्टी के भीतर और बाहर अध्यक्ष चुनाव में पारदर्शिता को लेकर सवाल भी उठा रहे हैं। मिस्त्री ने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव की पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और कांग्रेस के संविधान के मुताबिक है। निर्वाचक मंडल (डेलीगेट) की सूची को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। हालांकि, मिस्त्री ने कहा कि लेकिन उम्मीदवारों को यह उपलब्ध करा दी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि प्रक्रिया से जुड़े विषय पर उनकी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा से बात हुई है और आगे वह मनीष तिवारी से भी इसको लेकर बात करेंगे।

मनीष, तिवारी, थरूर समेत कई नेताओं ने उठाए सवाल

कांग्रेस सांसदों मनीष तिवारी, शशि थरूर और कार्ति चिदंबरम ने पार्टी अध्यक्ष के चुनाव से जुड़ी निर्वाचक मंडल (डेलीगेट) की सूची सार्वजनिक नहीं किये जाने पर वस्तुत: सवाल खड़े करते हुए बुधवार को कहा कि चुनाव से संबंधित पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए। तिवारी ने कहा कि निर्वाचक मंडल की सूची पार्टी की वेबसाइट पर डाली जाए। इससे पहले, तिवारी ने ट्वीट कर कहा, मधुसूदन मिस्त्री जी से पूरे सम्मान से पूछना चाहता हूं कि निर्वाचन सूची के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हुए बिना निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कैसे हो सकता है? निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव का आधार यही है कि प्रतिनिधियों के नाम और पते कांग्रेस पार्टी की वेबसाइट पर पारदर्शी तरीके से प्रकाशित होने चाहिए। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने भी तिवारी की राय का समर्थन किया और कहा कि हर चुनाव के लिए अच्छी तरह से परिभाषित निर्वाचक मंडल होना चाहिए।

आनंद शर्मा ने मांगी थी प्रक्रिया की जानकारी

शर्मा ने गत 28 अगस्त को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के लिए निर्वाचन सूची तैयार किए जाने की प्रक्रिया के बारे में जानना चाहा था। हालांकि बाद में पार्टी ने कहा था कि इस बैठक में किसी नेता ने कोई सवाल खड़ा नहीं किया। दूसरी तरफ, लोकसभा सदस्य तिवारी ने चुनाव से जुड़े निर्वाचक मंडल की सूची सार्वजनिक नहीं किये जाने को लेकर सवाल खड़े करते हुए बुधवार को कहा कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिये जरूरी है कि यह सूची पार्टी की वेबसाइट पर डाली जाए।

सभी संगठन चुनाव में मतदाता नहीं

सूची सार्वजनिक किए जाने के सवाल पर मिस्त्री ने कहा कि मैं नहीं समझ पा रहा कि सार्वजनिक करने से इन लोगों का क्या मतलब है? सभी लोग तो कांग्रेस के संगठन चुनाव में मतदाता नहीं हैं। कांग्रेस के वोटर तो वे हैं जो प्रतिनिधि (डेलीगेट) हैं…हर पीसीसी के पास इनके नाम हैं। वे फोन करके ले सकते हैं।’ उन्होंने बताया कि आनंद शर्मा से हाल ही में बात हुई। किसी ने उनसे कहा होगा कि प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। किसी एक ने कह दिया तो इसका मतलब यह नहीं है कि प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। मेरा यह कहना है कि किसी का नाम देखना है तो आप पीसीसी के पास देख सकते हैं।

तिवारी के ट्वीट पर नहीं की टिप्पणी

मिस्त्री ने तिवारी के ट्वीट पर कोई सीधी टिप्पणी न करते हुए कहा, ‘‘मैं उनसे फोन पर उनके ट्वीट को लेकर बात करूंगा। उन्होंने कहा, ‘ सूची सार्वजनिक करने का कोई मतलब नहीं है। यह जनता से जुड़ा विषय नहीं है। यह कांग्रेस का विषय है। अगर हमारा कोई नेता सवाल उठाता है तो उसे फोन पर बता देता हूं कि क्या स्थिति है।’ उनके अनुसार, चुनाव और निर्वाचक मंडल की सूची तैयार करने की पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और पार्टी के संविधान के अनुसार है तथा वह निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करेंगे।

पहले भी सार्वजनिक नहीं हुई है सूची

मिस्त्री का कहना है कि अतीत में हुए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनावों के समय भी सूची सार्वजनिक नहीं की गई, उम्मीदवारों को मुहैया कराई गई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया रि हर किसी को सूची नहीं दे सकते। हमारी पार्टी के छह करोड़ सदस्य हैं। नौ हजार प्रतिनिधि हैं। सबको सूची नहीं दे सकते। जो चुनाव लड़ेगा, उसे सूची दी जाएगी।’ मिस्त्री के अनुसार, चुनाव के लिए निर्वाचन सूची तैयार करने का काम पूरा हो गया है। केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है।

कौन उम्मीदवार होगा, नहीं बता सकता

कांग्रेस सांसद शशि थरूर भर के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के विचार के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि मेरा काम चुनाव कराने का है। कौन उम्मीदवार होगा, यह मेरा काम नहीं है। मैं निर्वाचन अधिकारी और सीईए का प्रमुख हूं। मुझे तो सिर्फ चुनाव कराना है। यह पूछने पर कि क्या वह बतौर कांग्रेस नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी भी नामांकन दाखिल करें तो उन्होंने कहा कि कोई टिप्पणी नहीं । मेरा काम चुनाव कराना है।’ कांग्रेस की ओर से घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, 22 सितंबर को पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव की अधिसूचना जारी होगी। 24 सितंबर से नामांकन दाखिल किए जा सकते हैं। यदि एक से अधिक उम्मीदवार हुए तो 17 अक्टूबर को मतदान होगा।

The Election List Cannot Be Made Public, Talks Were Held With Anand Sharma And I Will Also Talk To Tiwari.

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