सम्मेद शिखर की यात्रा पैदल क्यों की जाती है,बताया आचार्यश्री सौरभ सागर ने

देहरादून 22 अगस्त 2025।”अतीत की स्मृति और वर्तमान के उत्सव” कार्यक्रम के अंतर्गत संस्कार प्रणेता, ज्ञान योगी आचार्य श्री सौरभ सागर जी महाराज का मंगल प्रवास श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, झंडा बाजार में चल रहा है।

कार्यक्रम की शुभ शुरुआत प्रातः 5 बजे गुरु वंदना से हुई। इसके पश्चात प्रातः 6  बजे से अभिषेक एवं शांतिधारा का आयोजन हुआ, तत्पश्चात श्री सम्मेद शिखर जी विधान की शुरुआत की गई।

महाराज श्री के मंगल प्रवचन प्रातः 8 बजे हुए, जिसमें उन्होंने अपने ओजस्वी विचारों और अमृतवाणी से श्रद्धालुओं को लाभान्वित किया। उन्होंने सम्मेद शिखर जी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा “सम्मेद शिखर झारखंड राज्य में स्थित एक पवित्र जैन तीर्थ स्थल है, जहाँ जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों तथा अनेक मुनियों ने मोक्ष प्राप्त किया। यह सिद्धक्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि ‘एक बार जो व्यक्ति यहाँ बंदना करता है, उसे कभी भी नरक या पशु गति नहीं प्राप्त होती।’ इसीलिए शिखर जी की यात्रा पैदल चलकर की जाती है और यह आत्मशुद्धि एवं धर्म आराधना का अनूठा अवसर प्रदान करती है।”

इसके उपरांत आहारचर्या प्रातः 9:30 बजे, शंका समाधान दोपहर 3:00 बजे, गुरु भक्ति सायं 6:00 बजे तथा वैय्याव्रति रात्रि 8:15 बजे सम्पन्न हुए।

मीडिया कोऑर्डिनेटर श्रीमती मधु जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि महाराज श्री का प्रवास आगामी दिवस में आनंद चौक में रहेगा। कल प्रातः 6:15 बजे से पुनः सम्मेद शिखर मंडल विधान का आयोजन पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर, झंडा बाजार में किया जाएगा।

The pilgrimage to Sammed Shikhar is done on foot to embody the Jain principles of austerity, detachment, and spiritual discipline. Walking signifies humility, reverence for the sacred site where 20 Tirthankaras attained liberation, and a commitment to non-violence by minimizing harm to living beings. It fosters physical endurance, mental focus, and a deeper connection to the spiritual essence of the journey, as explained by Acharyashri Saurabh Sagar.

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