उलझाव और सुलझाव:मेवाती मुसलमानों को पाकिस्तान भेजना चाहते थे सरदार पटेल
मेवाती मुसलमानों को पाकिस्तान भेजना चाहते थे सरदार पटेल !!! सेना के ट्रकों का भी हो गया था इंतज़ाम !!! डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी इन्हें पाकिस्तान भेजने की सिफारिश !!!
1947 में विभाजन के समय मेवाती मुसलमान इतनी बड़ी समस्या बन गये थे कि देश के चार बड़े नेता गांधीजी, नेहरू, सरदार पटेल और डॉ. राजेंद्र प्रसाद इसे सुलझाने और “उलझाने” में लगे थे… अपने पिछले दो पोस्ट में मैं आपको तथ्यों, तर्कों और सबूतों के साथ बता चुका हूं कि
(1) कैसे गांधीजी ने इन मेवाती मुसलमानों को पाकिस्तान जाने से रोक लिया था
(2) किस तरह से नेहरू मेवाती मुसलमानों को दिल्ली में बसाना चाहते थे और सरदार पटेल ने उन्हें कैसे रोका
अब जानिये कि किस तरह से सरदार पटेल ने इन्हें पाकिस्तान भेजने का प्लान बनाया था… दरअसल हुआ यूं था कि कुछ मेवाती मुसलमान दिल्ली में आ गये थे… इसी बात से चिंतित होकर डॉ. राजेंद्र प्रसाद (जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने) ने 5 सितंबर 1947 को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल को पत्र में लिखा कि –
“पिछली रात 500 मेव मुसलमानों की भीड़ करोलबाग आई और उन्होंने गलियों में प्रदर्शन शुरु कर दिये। इसके बाद सेना की टुकड़ी पहुंची और वो तितर-बितर हो गये। स्थिति अत्यधिक विस्फोटक है। इस क्षेत्र के गैर मुस्लिम वर्ग (*हिंदू-सिख) को हमले की आशंका है। मुझे समाचारों से ये पता चला है कि इन मेव लोगों को पश्चिम पंजाब (*पाकिस्तान का पंजाब) भेजने का प्रस्ताव है। जितनी जल्दी ऐसा हो, उतना ही बेहतर होगा। लेकिन जब तक के लिये इन्हें जामा मस्जिद या हिंदू इलाकों से अलग स्थानों पर रखा जाये। यदि शहर में गड़बड़ी हो जाती है तो स्थिति पर काबू पाना कठिन हो जाएगा।”
(स्रोत – Selected Correspondence Of Sardar Patel 1945-50, Vol. 4, PN – 337)
तो इस तरह से डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने मेवाती मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने और दिल्ली से दूर रखने की सलाह दी… इस पत्र के जवाब में सरदार पटेल ने लिखा –
“मुझे मेव शरणार्थियों के तीन कैंपों से शहर की कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य और सफाई के प्रति गंभीर खतरे का अहसास हुआ है। हम कोशिश कर रहे हैं कि सेना के ट्रकों द्वारा इन मेव लोगों को पश्चिम पंजाब (*पाकिस्तान का पंजाब) भेज दिया जाए। … जामा मस्जिद मेव शरणार्थियों से भरी पड़ी है और वहां की स्थिति असंतोषजनक है। ऐसी गंदी स्थितियों के कारण शहर में वास्तव में लोगों के स्वास्थ्य को खतरा है और यहां और लोगों (*मेव मुसलमानों) को लाने का अर्थ खतरे को बढ़ाना ही है।”
(स्रोत – Selected Correspondence Of Sardar Patel 1945-50, Vol. 4, PN – 338)
स्पष्ट होता है कि उस दौर में ये कितनी बड़ी समस्या थी… और इस समस्या को पाकिस्तान भेजने की तैयारी सरदार पटेल ने कर ली थी… लेकिन गांधीजी और नेहरू के सफल प्रयासों की वजह से ऐसा नहीं हो पाया।
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