वक्फ संशोधन बिल पर सवा करोड़ सुझाव, पाल ने कहा कि डिरेल कर देंगें JPC डिरेल करने की कोशिश

JPC में वक्फ बिल पर फिर होगी गर्मागर्मी, 84 लाख सुझाव आए, जानिए मुस्लिम संगठनों की क्या हैं मुख्य आपत्तियां?
मोदी सरकार ने 8 अगस्त को लोकसभा में दो विधेयक वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 और मुसलमान वक्फ (खात्मा) विधेयक 2024 पेश किए थे. सरकार के मुताबिक, इन विधेयकों का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के कामकाज के तौर तरीकों में सुधार लाना और वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करना है. विपक्ष ने कुछ प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति जताई.

वक्फ संशोधन बिल पर JPC अलग-अलग संगठनों की राय ले रही है.वक्फ संशोधन बिल पर JPC अलग-अलग संगठनों की राय ले रही है.

नई दिल्ली,18 सितंबर 2024,वक्फ संशोधन विधेयक पर राजनीति गरम है. जॉइंट पार्लियामेंट कमेटी (JPC) एक्टिव मोड में है और अगले दो दिन में चार बड़ी बैठकें कर रही है. इन बैठकों में मुस्लिम संगठनों और बुद्धजीवियों के सुझाव लिए जाएंगे.ये बैठकें संसद भवन होंगी. जॉइंट कमेटी के सदस्यों को भी इन बैठकों में हिस्सा लेने की अपील की गई है.

JPC को मिले एक करोड़ बीस लाख से ज्यादा सुझाव
सूत्रों के अनुसार ई-मेल और लिखित पत्रों के ज़रिए 1 करोड़ 20 लाख ज़्यादा सुझाव समिति के पास आ चुके हैं. समिति के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने लोकसभा स्पीकर से मुलाक़ात कर ई-मेल और लिखित पत्रों को अध्ययन करने और रिपोर्ट तैयार करने के लिए अतिरिक्त अधिक अधिकारियों उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है
वक्फ संशोधन बिल पर JPC की मीटिंग हुई. (फाइल फोटो)

वक़्फ़ बोर्ड को लेकर बनी जेपीसी ने वक़्फ़ बोर्ड Amendment Bill, 2024 पर आम जनता से ईमेल और लिखित पत्र से सुझाव मांगे थे. समिति के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वक़्फ़ बोर्ड Amendment Bill, 2024 पर 18 सितंबर 2024 तक समिति को 91,78,419 ई-मेल प्राप्त हुए थे. इनमें से इनबॉक्स की क्षमता अधिकतम 33,43,404 ई-मेल है. 12801 ई-मेल अटैचमेंट के साथ प्राप्त हुए हैं और 75650 ई-मेल स्पैम फोल्डर में हैं. समिति के अभी तक लिखित पत्रों के माध्यम से लगभग 30 लाख सुझाव पत्र आ चुके हैं.

सूत्रों के अनुसार ई-मेल और लिखित पत्रों से 1 करोड़ 20 लाख ज़्यादा सुझाव समिति के पास आ चुके हैं. समिति के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने लोकसभा स्पीकर से मुलाक़ात कर ई-मेल और लिखित पत्रों को अध्ययन करने और रिपोर्ट तैयार करने को अतिरिक्त अधिक अधिकारियों उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है. सूत्रों के अनुसार समिति के चेयरमैन 15 अधिकारियों और कर्मचारियों को जेपीसी की रिपोर्ट में करने मदद करने को जोड़ा गया हैं.

बता दें कि वक्फ संशोधन विधेयक पर कल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक भी हुई थी. इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों में तीखी नोकझोंक हुई. सूत्रों के अनुसार जेपीसी बैठक में भाजपा राज्यसभा सांसद मेधा कुलकर्णी और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह में तीखी बहस हो गई.  मेधा कुलकर्णी ने संजय सिंह पर उनसे अपमानजनक बात करने का आरोप लगाया.

वक्फ संशोधन बिल पर JPC की मीटिंग हुई. (फाइल फोटो)

सूत्रों के अनुसार जेपीसी की बैठक में मौजूद सांसदों का कहना है कि बैठक में AAP सांसद संजय सिंह ने मेधा कुलकर्णी के बारे में टिप्पणी की जिससें वो बेहद परेशान और भावुक हो गईं. बैठक में लंच टाइम समिति चेयरमैन जगदंबिका पाल के हस्तक्षेप पर संजय सिंह ने मेधा कुलकर्णी से माफ़ी भी मांगी. मेधा कुलकर्णी ने समिति चेयरमैन से कहा कि बैठक में उनका अपमान हुआ और संजय सिंह बैठक में ही माफी मांगें. सूत्रों के अनुसार भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने बैठक में कहा कि बाहर अफ़वाह फैलाई जा रही है कि अगर ये बिल संसद से पास हो गया तो सभी मस्जिदें हटाई जाएगी और मस्जिदों की ज़मीन पर कब्जा कर लिया जाएगा. इस तरह से अफ़वाह ना फैलाई जाए.

दरअसल, मोदी सरकार ने 8 अगस्त को लोकसभा में दो विधेयक वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 और मुसलमान वक्फ (खात्मा) विधेयक 2024 पेश किए थे. सरकार के मुताबिक, इन विधेयकों का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के कामकाज का सुधारना और वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करना है. विपक्ष ने कुछ प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति जताई. उसके बाद इसे आगे की जांच को संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया. हालांकि, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया था कि क्यों इस विधेयक को लाने की जरूरत पड़ी. रिजिजू का कहना था कि चंद लोगों ने पूरे वक्फ बोर्ड पर कब्जा कर रखा है. आम मुस्लिमों को जो न्याय नहीं मिला, उसे सही करने को यह बिल लाया गया है. यह इतिहास में दर्ज होगा कि इस बिल किसने समर्थन किया है और किसने विरोध किया.

जगदंबिका पाल हैं JPC के अध्यक्ष
इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल हैं. समिति में कुल 31 मेंबर्स हैं. इनमें 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सांसद हैं. समिति को अपनी रिपोर्ट संसद के अगले सत्र के पहले हफ्ते में देनी होगी.समिति में कांग्रेस से इमरान मसूद, मोहम्मद जावेद, सपा से मौलाना मोहिबुल्ला, AIMIM से असदुद्दीन ओवैसी हैं. ये समिति विधेयक को लेकर सामान्य जन की राय ले रही है और बैठकें कर रही है.

बैठकों से लिए जा रहे हैं सुझाव

वक्फ बोर्ड की शक्तियों की सीमित करने के उद्देश्य से लाए गए वक्फ संशोधन बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है. इसे लेकर जेपीसी अब तक चार बैठकें कर चुकी. इस दौरान जेपीसी की ओर से सामान्य जन से वक्फ संशोधन बिल को लेकर उनके सुझाव मांगे गए थे. जेपीसी ने सुझाव देने की आखिरी तारीख 16 सितंबर रात 12 बजे तक को बढ़ा दी थी.

JPC के सामने एक्सपर्ट रखेंगे सुझाव

वक्फ संशोधन विधेयक पर JPC एक बार फिर 19 और 20 सितंबर को बैठकें की. दोनों दिनों समिति एक्सपर्ट राय सुनी.19 सितंबर की दोपहर 12 बजे पटना के चांसलर प्रोफेसर फैजान मुस्तफा ने राय दी और उसके बाद पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रतिनिधि ने. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के विचार भी सुने गू. 20 सितंबर को ऑल इंडिया सज्जादानशीन काउंसिल के प्रतिनिधियों ने समिति के सामने अपनी बात रखी. बैठक में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और भारत फर्स्ट के प्रतिनिधि भी आएं।

JPC की अगली बैठक 26 सितंबर से

माना जा रहा है कि दोनों दिन वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर गर्मागर्मी देखने को मिल सकती है. विपक्षी दल लगातार हमलावर हैं. इससे पहले बैठकों में तीखी बहस और विपक्षी सदस्यों का वॉकआउट देखने को मिला था. बैठकों में जोरदार हंगामा किया जा रहा है. वहीं, वक्फ पर संयुक्त संसदीय समिति के सामने ईमेल के जरिए अब तक 84 लाख सुझाव भेजे गए हैं. इसके अलावा, लिखित सुझाव से भरे 70 बॉक्स मिले हैं. सूत्रों का कहना है कि जेपीसी ने एक लिंक जारी किया था,जिससे लोगों से सुझाव मांगे थे. समिति ने साफ किया कि उन्होंने क्यूआर कोड जारी नहीं किया है. समिति की अगली बैठक 26 सितंबर से एक अक्टूबर तक देश के 6 अलग-अलग शहरों में होगी. वहां बुद्धजीवियों और मुस्लिम संगठनों से रायशुमारी की जाएगी. जेपीसी के सदस्य मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु जाएंगे. अंत में समिति विधेयक पर विचार-विमर्श के बाद संसद के शीतकालीन सत्र से पहले अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.

मुस्लिम संगठनों की क्या हैं मुख्य आपत्तियां?

– जेपीसी की पहली बैठक से ही विपक्षी दल विरोध में देखे जा रहे हैं. कई सांसदों का कहना है कि बिल के मौजूदा प्रारूप से स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता और समानता के कानूनों का उल्लंघन होगा.
– इसके अलावा, वक्फ ट्रिब्यूनल में जिलाधिकारी और अन्य समुदाय के सदस्यों को शामिल किए जाने पर भी आपत्ति जताई जा रही है.
– मुस्लिम संगठनों का कहना है कि देश के मुसलमानों को उस महान विरासत से वंचित करने की कोशिश की जा रही है, जिसे उनके पूर्वज गरीबों और जरूरतमंदों की भलाई के लिए वक्फ के रूप में छोड़ गए हैं.
– जमीयत के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा, वक्फ पूरी तरह से धार्मिक मामला है, जिसकी जड़ें इस्लामी कानूनों में हैं. उन्होंने दावा किया कि सरकार वक्फ संपत्तियों की स्टेटस को बदलना चाहती है, जिससे उन पर कब्जा करना आसान हो जाए.
– मदनी कहते हैं कि नए संशोधन के पारित होने के बाद कलेक्टर राज अस्तित्व में आ जाएगा. वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला आखिरी नहीं होगा कि कौन सी संपत्ति वक्फ है और कौन सी नहीं. ऑनरशिप के संबंध में कलेक्टर का फैसला आखिरी होगा. पहले यह अधिकार वक्फ ट्रिब्यूनल के पास था. वक्फ एक्ट में प्रस्तावित संशोधन संविधान द्वारा दी गई मजहबी आजादी के भी खिलाफ है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 का उल्लंघन है.
– DMK समेत अन्य विपक्षी दल वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने पर आपत्ति जता रहे हैं. जिलाधिकारियों को दी जा रही शक्तियों पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि जिला कलेक्टर विवादों पर कैसे निर्णय ले सकते हैं, क्योंकि इससे हितों का टकराव होगा.

आने वाले दिनों में पारित होगा विधेयक

मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संरक्षण से जुड़ा है। निकट भविष्य में इसे संसद में पारित करवाया जाएगा.शाह ने कहा कि विधेयक वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग भी रोकेगा.वहीं,पूर्व गृह मंत्री और वरिष्ठ बीआरएस नेता मोहम्मद महमूद अली को शाह के बयान पर आपत्ति है. उन्होंने कहा कि हम इस बिल का विरोध कर रहे हैं.यह वक्फ बोर्ड की शक्तियां कमजोर करता है.इस बिल से वक्फ बोर्ड की शक्तियां छीनने की बजाय उसे और ज्यादा अधिकार देकर मजबूत करना चाहिए.हमने पहले भी जेपीसी को एक ज्ञापन दिया है। निकट भविष्य में फिर एक ज्ञापन देंगे.

JPC अध्यक्ष पाल क्या बोले….

JPC अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि वक्फ संशोधनों से किसी मस्जिद,मदरसे,खानकाह,दरगाह या कब्रिस्तान किसी की कोई जमीन नहीं जाएगी.सिर्फ वक्फ को रेगुलेट करने की कोशिश है.जैसा कैंपेन वक्फ संशोधनों को लेकर चलाया जा रहा है,खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों और बाजारों में लोग माइक से ऐलान कर रहे हैं कि उनकी जमीन,मस्जिदें,मदरसे, खानकाहें आदि छीन जाएंगी,ये सब बेबुनियाद बातें फैलाई जा रही हैं ताकि देश में अशांति पैदा हो.इस तरह की अफवाहों से लोग बचें.जो ईमेल से सुझाव मांगे गए थे,उसका मकसद यह था कि कोई अपनी बात रखना चाहता है तो जाहिर कर सकता है.लेकिन अगर ईमेल या QR code scan कर इस तरीके का कैंपेन चलेगा तो इसका कोई फायदा नहीं है. जेपीसी या इसकी कार्यप्रणाली पर इन कैंपेन का कोई असर नहीं होगा.जाकिर नायक जैसा कट्टरपंथी भी लोगों को गुमराह कर रहा है.लोग भ्रमित ना हों.सिर्फ वक्फ से जुड़े स्टेकहोल्डर्स की बातें ही सुनी जाएंगी.QR और कैंपेन के जरिए डिरेल करने की कोशिश कामयाब नहीं होगी.

जॉइंट कमेटी की बैठकों का क्या कार्यक्रम है…

– वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर 18 सितंबर 2024 को होने वाली संयुक्त समिति की बैठक स्थगित कर दी गई है.19 सितंबर को पहली बैठक सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक होगी.ये बैठक संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग में बुलाई गई है.इस दौरान एक्सपर्ट और स्टेकहोल्डर्स के सुझाव लिए जाएंगे.बैठक में पटना के चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर फैजान मुस्तफा और पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे.
– उसके बाद दोपहर में भोजनावकाश होगा. एक घंटे बाद यानी दोपहर 3 बजे जॉइंट कमेटी के सामने ऑल इंडियन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिनिधि विचार रखेंगे.
– दूसरे दिन यानी 20 सितंबर को सुबह 11 बजे फिर बैठक होगी.ये बैठक पार्लियामेंट हाउस एनेक्स में मैन कमेटी रूम में आयोजित होगी. इस दौरान ऑल इंडिया सज्जादानशीन काउंसिल,अजमेर के प्रतिनिधि अपने सुझाव सुनने देंगे. दोपहर में भोजनावकाश होगा.
– दोपहर 2.30 बजे से फिर जॉइंट कमेटी बैठेगी.इस दौरान मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और भारत फर्स्ट,दिल्ली के प्रतिनिधि सुझाव देंगे.
– जॉइंट कमेटी ने बताया कि एजेंडा पेपर्स को लोकसभा सांसदों के लिए मेंबर पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है. जबकि राज्यसभा सदस्यों को ईमेल से भेजा जा रहा है. संसद सदस्यों से अनुरोध किया गया है कि कमेटी की इन बैठकों में हिस्सा लेना सुनिश्चित करें.

मोदी सरकार का क्या प्लान है?

इससे पहले मोदी कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दी थी.केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को “वक्फ संपत्ति” बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है.इन संशोधनों का उद्देश्य किसी भी संपत्ति को ‘वक्फ संपत्ति’ के रूप में नामित करने के वक्फ बोर्ड के अधिकार को प्रतिबंधित करना है. वक्फ बोर्ड के संपत्तियों पर किए गए दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन किया जाएगा.संशोधन विधेयक पारित होने के बाद वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट और ट्रांसफर में बड़ा बदलाव आएगा.कानून में संशोधन की वजहों का भी जिक्र किया है.इसमें जस्टिस सच्चर आयोग और के रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त कमेटी की सिफारिशों का हवाला दिया है.

जेपीसी क्या होती है?

दरअसल,संसद को एक ऐसी एजेंसी की जरूरत होती है, जिस पर पूरे सदन को भरोसा होता है.इसके लिए संसद की समितियां बनाई जाती हैं.इन समितियों में संसद के ही सदस्य होते हैं.किसी बिल या फिर किसी सरकारी गतिविधियों में वित्तीय अनियमितताओं के मामलों की जांच को जेपीसी का गठन किया जाता है.इसकी जरूरत इसलिए होती है, क्योंकि संसद के पास बहुत सारा काम होता है.इन कामों को निपटाने को समय भी कम होता है. इस कारण कोई काम या मामला संसद के पास आता है तो वो उस पर गहराई से विचार नहीं कर पाती.ऐसे में बहुत सारे कामों को समितियां निपटाती हैं,जिन्हें संसदीय समितियां कहा जाता है.संयुक्त संसदीय समिति भी इसी उद्देश्य से गठित होती है.इसमें दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य होते हैं.संसदीय समितियों का गठन संसद ही करती है.ये समितियां संसद के अध्यक्ष के निर्देश पर काम करती हैं और अपनी रिपोर्ट संसद या स्पीकर को सौंपती हैं.

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