10 करोड़ हड़पने को वस्त्र विक्रेता ने मार डाले महंत गोविंद दास

असली महंत को मार बिठाया नकली, 10 करोड़ में की आश्रम की डील,शव गंगा में फेंका

 

श्रद्धा भक्ति आश्रम हरिद्वार के महंत गोविंद दास की हत्या का अनावरण. पुलिस ने तीन हत्यारों समेत 4 पकड़े 


हरिद्वार 19 अक्टूबर 2024उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में करोड़ों की संपत्ति के लिए संत की हत्या करने का मामला सामने आया है. पुलिस ने इस मामले में चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है. संत बीते चार महीने से लापता हैं. पुलिस को अभी तक संत की लाश नहीं मिली है. पुलिस के मुताबिक, आरोपितों ने पूछताछ में हत्या कर लाश को गंगा में फेंकने की बात कबूल की है. बता दें कि, पुलिस ने शिकायत मिलने के 24 घंटे के अंदर ही इस ब्लाइंड मर्डर केस का खुलासा कर दिया.

शिष्य ने लिखाई थी खोने की सूचना: हरिद्वार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र डोबाल ने प्रेस वार्ता कर इस पूरे मामले का अनावरण करते हुए बताया कि एक कपड़ा बेचने वाले ने अपने साथियों के साथ मिलकर यह पूरा षड्यंत्र रचा था. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डोबाल के अनुसार, वास्तव में, 4 महीने से महंत का फोन स्विच ऑफ आ रहा था और उनकी कोई खबर नहीं होने पर महंत के एक शिष्य रुद्रानंद (निवासी रायवाला गौरी गीता आश्रम बिरला मंदिर देहरादून) ने 17 अक्टूबर को हरिद्वार पुलिस को महंत के खोने की सूचना दी थी, तब इस मामले का पता चला.

चार महीने से लापता थे गोविंद दास: रुद्रानंद ने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया था कि उनके गुरू महंत गोविंद दास (शिष्य बिशम्बर दास महाराज निवासी श्रद्धा भक्ति आश्रम ज्ञानलोक कॉलोनी कनखल हरिद्वार)  15 जून से खोये हुए हैं. रुद्रानंद की शिकायत के अनुसार, महंत गोविंद दास इसी साल जून महीने में धर्म प्रचार को हरिद्वार आश्रम से राजस्थान गए थे, लेकिन फिर कभी वापस नहीं लौटे.

नए बाबा पर हुआ संदेह: कनखल थाना पुलिस ने महंत गोविंद दास के खोने की जांच शुरू की. पुलिस ने आश्रम के कार्यकर्ता मनीषानंद, शोभित व खोये महंत के परिचितों से पूछताछ की तो पता चला कि इसी साल जून महीने से आश्रम में एक नया बाबा आया है, जिसको पहले कभी देखा नहीं गया. पुलिस को भी टाईमिंग को लेकर बाबा पर शक हुआ. संदेह के आधार पर पुलिस ने नए बाबा राम गोपाल से पूछताछ शुरू की.

पुलिस के अनुसार, पहले तो बाबा राम गोपाल ने पुलिस को घुमाने का प्रयास किया लेकिन बाद में वो टूट गया और उसने सारा सच पुलिस के सामने उगल दिया. पुलिस के अनुसार, राम गोपाल ने कबूल किया है कि उसके साथियों ने ही महंत गोविंद दास की हत्या की है.

कपड़े बचने वाला निकाला मास्टरमाइंड: पुलिस जांच में सामने आया कि इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड अशोक है, जो फरवरी 2024 में आश्रम आया था. अशोक आश्रम और आसपास के क्षेत्र में कपड़ा बेचने आता था. इसमें वो कभी-कभी आश्रम में रूक जाया करता था. तभी उसका परिचय बाबा गोविंद दास से हुआ. अशोक बाबा को साल 2021 से जनता था. इसी कारण वह लगभग करीब 3 माह आश्रम में रुक कर भी गया था.

मुख्य आरोपित अशोक समय-समय पर अपने दोस्त ललित, सौरभ व प्रदीप को आश्रम में बुलाता रहता था. इस दौरान इन्होंने आश्रम के महंत के उत्तराधिकारी न होने व शहर के बीचोंबीच स्थित आश्रम की बहुमूल्य संपत्ति के बारे में काफी जानकारी जुटाई. जानकारी जुटाने के बाद अशोक वापस गया और अपने साथी ललित, सौरभ व प्रदीप के साथ महंत गोविंद दास का मारने का पूरा षड्यंत्र रचा. चारों की नजर महंत गोविंद दास के आश्रम और संपत्ति पर थी.

आश्रम में लगे सभी सीसीटीवी कैमरे हटाये: पुलिस के अनुसार, चारों आरोपितों ने सबसे पहले आश्रम में लगे सभी सीसीटीवी कैमरे हटाये. इसके बाद मौका देखकर एक जून 2024 को सबसे पहले महंत राम गोविंद दास को नशे का इंजेक्शन लगाकर बेहोश किया. फिर गला घोंटकर महंत की हत्या कर दी. इसके बाद आरोपितों ने किराए की स्कूटी ली और शव कट्टे में रखकर गंगा नदी में फेंक दिया.

महंत की हत्या के बाद मास्टरमाइंड अशोक ने तीन जून को अपने किसी परिचित फर्जी बाबा राम गोपाल नाथ को लालच देकर आश्रम की निगरानी को बुलाया. महंत की हत्या के बाद मुख्य आरोपित अशोक ने आश्रम से जुड़े सेवादारों व महंत के परिचितों को यह कहकर भ्रमित किया कि महंत जी धर्म प्रचार को अयोध्या गए हैं इसलिए आश्रम की देखभाल के लिए नए बाबा को रखा गया है. वहीं, अशोक ने फर्जी बाबा को भी अंधेरे में रखा और उससे भी सभी को यही जवाब देने को कहा.

बाबा राम गोपाल को भी लग गई थी महंत के मौत की खबर: पुलिस ने अनुसार बाद में फर्जी बाबा राम गोपाल को भी महंत के हत्या के बारे में पता लग गया था, लेकिन समय-समय पर मिल रहे खर्च और आश्रम बेचकर हिस्से में आने वाले मोटी कमाई के लालच में वो चुपचाप बैठा रहा और हत्या को दबाए रखा. पुलिस की जांच में कुल 6 आरोपित सामने आए हैं. चार गिरफ्तार हो चुके हैं जबकि दो की तलाश जारी है.

करोड़ों की संपत्ति हड़पने की थी योजना : हत्या के बाद महंत की लगभग 50 लाख की एफडी, चेक बुक, मोबाइल फोन व अन्य दस्तावेज अशोक अपने साथ ले गया था. वो लोगों को भ्रमित करने को मृतक महंत के मोबाइल में अलग-अलग सिम डाल रहा था. इसके साथ ही जून से लेकर अभी तक मुख्य आरोपित महंत के बैंक अकाउंट चेक से फर्जी हस्ताक्षर कर करीब 10 लाख रुपए भी निकाल भी चुका है. वहीं प्रोपर्टी डीलर संजीव त्यागी के साथ मिलकर अशोक फर्जी वसीयतनामा बनाकर आश्रम दस करोड़ रुपए में बेचने की तैयारी में था.

ये मिला अब तक: आरोपित के पास से 16 लाख रुपए की एफडी के मूल कागजात बरामद हुए हैं, जिसे ये भुनाने की फिराक में घूम रहा था. इसके साथ ही दो चेक बुक और फर्जी वसीयतनामें की फोटोकॉपी मिली है. आरोपितों के बताए हत्या  में प्रयुक्त इंजेक्शन व नशीली गोली का पैकेट भी ढूंढ लिया गया है.

ये चार आरोपित बंदी, दो की तलाश जारी-

1-अशोक कुमार (पुत्र रघुवीर सिंह मकान नंबर 57 गली नंबर 02 दुर्गापुरी एक्टेंशन शहादरा थाना ज्योतिनगर दिल्ली).
2-ललित (पुत्र दिनेश शर्मा निवासी पृथ्वी विहार नियर एफसीआई गोदाम मेरठ रोड थाना 32 सेक्टर करनाल).
3-संजीव कुमार त्यागी (पुत्र शरदचंद निवासी मुण्डेत थाना मंगलौर हरिद्वार).
4-योगी रामगोपाल नाथ उर्फ गोपाल सिंह (पुत्र स्वर्गीय मनफूल सिंह निवासी ग्राम कोहरा थाना सजेती तहसील घाटमपुर जिला कानपुर नगर 78 उत्तर प्रदेश )
ये सभी आरोपित 10वीं व 12वीं पास हैं. मुख्य आरोपित अशोक कपड़ों का काम कर रहा था. अशोक साल 2004 में बाइक चोरी के मामले में व आरोपित ललित हरियाणा करनाल से ज्वैलर्स लूट मामले में जेल जा चुका है.

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