सीतापुर के पत्रकार वाजपेयी की हत्या में पुलिस ने टपकाये दो सगे हिंदू-मुस्लिम भाई हिस्ट्रीशीटर
Sitapur Journalist Murder Priests Dirty Deeds Exposed Hindu muslim Brothers Killed In Encounter
पुजारी बाबा के गंदे काम के चक्कर में पत्रकार को मारी थी गोली, सीतापुर मर्डर में सगे ‘हिंदू-मुस्लिम’ भाई ढेर
सीतापुर में पुलिस और एसटीएफ ने पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी के हत्यारों, संजय तिवारी और राजू तिवारी को मुठभेड़ में मार गिराया। दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम था। पुजारी शिवानंद बाबा ने पत्रकार की आपत्तिजनक तस्वीरें लेने पर 4 लाख रुपये में सुपारी देकर हत्या करवाई थी।
(ऊपर बांयें) शिवानंद उर्फ विकास राठौर तथा राघवेंद्र वाजपेयी।नीचे संजय तिवारी उर्फ अकील और राजू तिवारी उर्फ रिजवान
सीतापुर 07 अगस्त 2025 : उत्तर प्रदेश के सीतापुर में आज सुबह पुलिस और एसटीएफ ने जिन दो बदमाशों को ढेर किया, उनकी तलाश पांच महीनों से चल थी। 8 मार्च को बाइक सवार शूटरों ने पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी को बीच रास्ते रोककर तड़ातड़ गोलियां बरसाकर मार दिया था। पत्रकार हत्या का षड्यंत्र कारेदेव बाबा मंदिर के पुजारी शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर ने रची थी। शिवानंद बाबा सहित 3 आरोपित जेल में हैं। मारे गए दोनों शूटर हिंदू और मुस्लिम डबल पहचान वाले सगे भाई थे।
पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी हत्याकांड के दो मुख्य आरोपितों संजय तिवारी उर्फ अकील और राजू तिवारी उर्फ रिजवान को पुलिस और STF ने आज तड़के पिसावां थाना क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में मार गिराया। दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। ये दोनों मिश्रिख थाना क्षेत्र के अटवा गांव के थे। दोनों सगे भाई थे। उनकी मां हिंदू हैं,जबकि पिता मुस्लिम हैं। दोनों ने 4 लाख रुपये में पत्रकार की सुपारी ली थी।
शिवानंद बाबा के गंदे काम में गई जान
पुलिस के अनुसार हत्याकांड का मुख्य आरोपित शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर है। अपराध स्वीकृति में उसने पुलिस को बताया था कि मंदिर आते जाते के पत्रकार राघवेंद्र से परिचय हुआ। कांड से कुछ महीने पहले राघवेंद्र वाजपेयी ने बाबा को आपत्तिजनक हालत में देखकर फोटो खींच ली थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पत्रकार ने इसे दबाने कौ 20 लाख रुपए मांगे थै।
बाबा के साथी गाजी और निर्मल
सुलह नहीं हुई तो कथित बाबा ने मंदिर में आने वाले साथी असलम गाजी और निर्मल सिंह के साथ शूटरों को 4 लाख की सुपारी दी। लगातार शूटरों की खोजबीन कर रहे शिवानंद का किसी प्रकार शूटरों से संपर्क हो गया। पैसे के लेन-देन की बात तय हुई फिर एक राघवेंद्र की रैकी में लगा। 8 मार्च को घर से निकलते वक्त रेकी करने वाले ने शूटरों को राघवेंद्र की लोकेशन दी। नेरी ओवरब्रिज पार करते शूटरों ने अपनी बाइक राघवेंद्र की बाइक के आगे लगाकर उसे रोका।
फुल प्लानिंग से की हत्या
कुछ सेकेंड बात कर राघवेंद्र अपनी मोटरसाइकिल की तरफ मुड़े ही थे, तभी एक शूटर ने पहली गोली उनकी पीठ पर मारी। दूसरी गले और फिर कनपटी सहित चार गोलियां दागने के बाद बाइक सवार शूटर भाग गए। सीसटीवी फुटेज में दिखी बाइक पहचानी गई।
पिता हिंदू, मां मुस्लिम… सीतापुर में जिन सगे भाइयों का हुआ एनकाउंटर उनके पास मिले दो आधार कार्ड
जांच में सामने आया कि दोनों भाइयों के पिता कृष्ण गोपाल तिवारी एक हिंदू ब्राह्मण थे, जबकि उनकी मां नाजिमा एक मुस्लिम महिला हैं. बताया जाता है कि जब कृष्ण गोपाल ने नाजिमा से विवाह किया तो उन्होंने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम करीम खान रख लिया था. बेटे जब बड़े हुए तो उन्होंने समाज में दोनों पहचान को साधने का अलग तरीका निकाला एक हिंदू नाम और एक मुस्लिम नाम. राजू तिवारी ने ‘रिजवान खान’ और संजय तिवारी ने ‘अकील खान’ नाम अपनाया.
दोनों शूटरों का हो गया एनकाउंटर
सीतापुर के पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की हत्या में शामिल दो शूटर आज पुलिस मुठभेड़ में मारे गए. मुठभेड़ में मारे गए शूटरों की पहचान राजू तिवारी उर्फ रिजवान खान और संजय तिवारी उर्फ अकील खान के रूप में हुई. दोनों आपस में सगे भाई थे. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक इनके पिता हिंदू थे और मां मुस्लिम. पुलिस सूत्रों के मुताबिक दोनों के पास दो-दो आधार कार्ड भी मिले हैं, जिनमें एक हिंदू नाम से, दूसरा मुस्लिम पहचान के साथ.
जांच में सामने आया कि दोनों भाइयों के पिता कृष्ण गोपाल तिवारी एक हिंदू ब्राह्मण थे, जबकि उनकी मां नाजिमा एक मुस्लिम महिला हैं. बताया जाता है कि जब कृष्ण गोपाल ने नाजिमा से विवाह किया तो उन्होंने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम करीम खान रख लिया था. बेटे जब बड़े हुए तो उन्होंने समाज में दोनों पहचान को साधने का अलग तरीका निकाला एक हिंदू नाम और एक मुस्लिम नाम. राजू तिवारी ने ‘रिजवान खान’ और संजय तिवारी ने ‘अकील खान’ नाम अपनाया. यही नहीं, दोनों के पास इन नामों से आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र भी थे. यानी जरूरत के हिसाब से नाम और पहचान बदलकर अपराध करते थे.
पत्रकार की हत्या और षडयंत्र की परतें
घटना 8 मार्च 2025 की है. पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई, जो जिले में एक तेजतर्रार और बेबाक पत्रकार माने जाते थे, को बाइक सवार दो बदमाशों ने दिनदहाड़े गोली मार दी थी. ये हमला हेमपुर ओवरब्रिज के पास हुआ था, जब वे कार्यालय जा रहे थे. हमलावरों ने चार गोलियां चलाईं, जिनमें से दो सीधी उनके सीने में लगीं. उन्हें आनन-फानन में जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
हत्या के बाद जिला प्रशासन और पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. खुद मुख्यमंत्री कार्यालय से रिपोर्ट तलब की गई और एसपी चक्रेश मिश्र के निर्देश पर 12 विशेष टीमें जांच में लगाई गईं. इन टीमों ने 34 दिन में 1000 से अधिक मोबाइल नंबर ट्रेस किए, 125 से ज्यादा संदिग्धों से पूछताछ की और 250 CCTV फुटेज खंगाले.
बाबा बना षडयंत्रकर्ता
जांच की सबसे चौंकाने वाली कड़ी तब सामने आई जब यह पता चला कि पत्रकार की हत्या का षडयंत्र कारेदेव बाबा मंदिर के स्वयंभू पुजारी शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर ने रची थी. बताया गया कि पत्रकार राघवेंद्र, बाबा की कुछ अवैध गतिविधियों को उजागर करने की योजना में थे. इसी वैर में बाबा ने दो शूटरों को सुपारी देकर पत्रकार की हत्या करवा दी. पुलिस ने हत्या के षडयंत्र में शामिल बाबा और उसके दो साथियों को पहले ही पकड़ लिया था, लेकिन शूटर्स भागे हुए थे.
STF और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई
गुरुवार तड़के STF, सीतापुर पुलिस और SOG की संयुक्त टीम को इन भागे शूटर्स के पिसावा थाना क्षेत्र में होने की सूचना मिली. जैसे ही पुलिस ने इलाके में नाकाबंदी की, दोनों बदमाश बाइक पर वहां से गुजरते दिखे. पुलिस ने रुकने का इशारा किया, लेकिन बदमाशों ने फायरिंग कर दी. जवाबी कार्रवाई में दोनों गंभीर घायल हुए. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. घटनास्थल से 32 बोर की पिस्टल, कार्बाइन, और एक स्पोर्ट्स बाइक बरामद हुई है. घटनास्थल का मुआयना खुद एसपी अंकुर अग्रवाल ने किया और मुठभेड़ को ‘साहसिक और रणनीतिक कार्रवाई’ बताया.
पुलिस कार्रवाई पर मिली सराहना
मुठभेड़ के बाद जिले में पुलिस की सक्रियता की प्रशंसा हो रही है. एसपी अंकुर अग्रवाल ने टीम को शाबाशी देते हुए कहा कि “जिन अपराधियों ने समाज के प्रहरी की हत्या की, उनका अंत आज हुआ. यह कानून के शासन की जीत है.
पत्रकार की पत्नी ने उठाए सवाल
इस मामले में राघवेंद्र वाजपेई की पत्नी रश्मि का कहना है कि अभी भी न्याय नहीं मिला है. रश्मि का कहना है कि उनको पुलिस के एनकाउंटर और हत्या की थ्योरी दोनों पर शुरू से ही भरोसा नहीं है. पुलिस सिर्फ लीपापोती कर रही है. मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए । हम शुरू से सीबीआई जांच मांग रहे हैं.
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