‘भारत को कम आंकना…’: मोदी-जिनपिंग मुलाकात में अमेरिकी एक्सपर्ट ने बताया- ट्रंप कहां कर गए ब्लंडर
‘भारत को कम आंकना…’: मोदी-जिनपिंग मुलाकात के बीच अमेरिकी एक्सपर्ट ने बताया ट्रंप कहां कर गए ब्लंडर
PM Modi- Xi Jinping Meeting: ताइहे इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो एइनर टैंगेन ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप भारत को झुकने क मजबूर करना चाहते थे. उनका मानना है कि नई दिल्ली “धमकाने वाले” के सामने खड़ा होने को कमर कस चुका.
जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने टैरिफ बम से वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिला दिया है, भारत को खास तौर पर निशाना बनाया है तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तियानजिन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की है. दोनों की एक साथ आई तस्वीर अपने आप में संदेश दे रही है. अब बीजिंग में एक भू-राजनीतिक टिप्पणीकार ने इसे “मोमेंड ऑफ ऑप्टिक्स” कहा है. उन्होंने कहा है कि यह मुलाकात उस अमेरिका को एक “बहुत मजबूत मैसेज” भेजती है जिसने दुनिया के व्यापार में उथल-पुथल ला दी है.
गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत को अनुचित व्यापार नीतियों और रूसी तेल आयात बंद करने से इनकार करने को दंडित करते हुए 50% टैरिफ लगाया है. हालांकि रिपोर्टों से पता चलता है कि दरअसल ट्रंप ने टैरिफ बम इसलिए फोड़ा है क्योंकि भारत ने यह सफेद झूठ मानने से मना कर दिया है कि पाकिस्तान से संघर्ष में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शांतिदूत की भूमिका में थे और उन्होने सीजफायर को समझौता करवाया था.
अब ताइहे इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो एइनर टैंगेन ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप भारत को झुकने के लिए मजबूर करना चाहते थे. उनका मानना है कि नई दिल्ली के पास “धमकाने वाले” के सामने खड़े होने का अवसर है. उन्होंने कहा, “भारत जैसे देश को कमतर आंकना, जो बाजार और श्रम के लिए इतना महत्वपूर्ण है, मुझे नहीं लगता कि इसका कोई मतलब बनता है.”
उन्होंने यह टिप्पणी एनडीटीवी पर एक पैनल डिस्कशन में की. चर्चा प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग में द्विपक्षीय बैठक पर थी. टैंगेन ने तर्क दिया कि बैठक केवल भारत और चीन के बारे में नहीं थी जो एक साथ काम करने को तैयार हैं, बल्कि संबंधित देशों के एक पूरे समूह के बारे में थी. उन्होंने कहा, “यह मोमेंट ऑफ ऑप्टिक्स है.. भारत के प्रति मनमाने कदमों के लिए वाशिंगटन को एक बहुत मजबूत संदेश है.”
नोट- एइनर टैंगेन का जन्म अमेरिका का है लेकिन अब वह चीन में रहते हैं और दोनों देशों के संबंध पर जियो-पॉलिटिकल एक्सपर्ट हैं.
टेंगेन ने कहा, दूसरा पहलू लंबे समय तक चलने वाला है. उन्होंने कहा, “डोनाल्ड ट्रंप ने 180 देशों पर टैरिफ लगाया है. इस समय, भारत के पास एक अवसर है. हम ऐसे समय में हैं जब एक धमकाने वाला (बुली) विश्व मंच पर आगे बढ़ रहा है, जो बिना किसी स्पष्ट कारण के हर किसी का लंच बॉक्स छीनने की कोशिश में है. भारत इसके खिलाफ खड़ा हो सकता है. भारत SCO और ब्रिक्स, दोनों में संतुलन बनाने वाली शक्ति रहा है.”
उन्होंने कहा, अमेरिका गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत के नेतृत्व को लेकर चिंतित है, कि वह वाशिंगटन के “औपनिवेशिक खेलों” के सामने खड़ा रहेगा. उन्होंने कहा, “वॉशिंगटन ऐसा कर रहा है क्योंकि वह नई दिल्ली को अपने अधीन करने को मजबूर करना चाहता है. उसे चिंता है कि अगर भारत गुटनिरपेक्ष दुनिया का नेतृत्व करता है और अमेरिका की ओर देखता है, खेल यहीं खत्म हो जाएगा. आप जितना चाहें उतना टैरिफ लगा सकते हैं, लेकिन उन्हें सभी देशों के लिए एक समान होना चाहिए. आप हमें औपनिवेशिक खेलों में विभाजित नहीं करेंगे और हमें- चीन, रूस और कई अन्य देशों को एक-दूसरे के खिलाफ लड़ा नहीं सकते हैं.”
टैंगेन ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को एक महत्वपूर्ण फैक्टर बताया, जिसने अमेरिका की नींद हराम कर दी है. उन्होंने पैनल डिस्कशन में कहा, “यह खड़े होने, गिने जाने और मोदी के नेतृत्व की कमान संभालने का अवसर है. मुझे लगता है कि यही वह चीज है जो वाशिंगटन को देर रात तक जगाए रखती है.”
भारत और चीन का एक मंच पर आना
2020 में गलवान झड़प और उसके बाद सीमा पर तनाव के बाद संबंधों में खटास आई. लेकिन उसके बाद से भारत और चीन करीब आए हैं. इसके बाद दोनों पक्षों ने गलवान क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या घटा दी है. प्रधानमंत्री मोदी ने आज सुबह द्विपक्षीय बैठक के दौरान कहा कि सैनिकों की वापसी से शांति और स्थिरता का माहौल बना है. टेंगेन ने कहा कि दोनों पक्षों में विश्वास बनाने में समय लगेगा और उन्होंने कहा कि उन्हें आर्थिक पक्ष में और अधिक प्रगति की उम्मीद है. उन्होंने कहा, “वे पहले से ही आशाजनक चीजें कर रहे हैं. जिनका उल्लेख किया गया था वे रेयर अर्थ मेटल्स, सुरंग खोदने वाली मशीनें, फर्टिलाइजर आदि (इनका भारत में आयात) थे. ये सकारात्मक चीजें हैं, लेकिन उन्हें आगे बढ़ाया जाना चाहिए.”