मीडिया में अराजकता नियंत्रण को मीडिया आयोग जरूरी
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के तत्वावधान में ” मीडिया आयोग की जरूरत क्यों” विषय पर राष्ट्रीय बेबिनार का आयोजित
आज की मांग है मीडिया आयोग: राम बहादुर राय
नई दिल्ली 10 अक्तूबर । नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के तत्वावधान में “तीसरे मीडिया आयोग की जरूरत क्यों” विषय पर राष्ट्रीय बेबिनार का आयोजन किया गया। एनयूजे-आई के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी, सदस्य व 15 राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष इस वैबिनार में उपस्थित थे। वहीं प्रमुख वक्ति के रूप में वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार व विवेचक राम बहादुर राय, वरिष्ठ पत्रकार एवं एनयूजेआई के पूर्व महासचिव के एन गुप्ता, ख्यातिप्राप्त पत्रकार एन के सिंह व एनयूजे-आई के पुराने पदाधिकारी, वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र व एनयूजेआई के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक मलिक की उपस्थिति से कार्यक्रम ऐतिहासिक रहा।
एनयूजे-आई के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मिश्र व राष्ट्रीय महासचिव सुरेश शर्मा ने “मीडिया आयोग की जरूरत क्यों” विषय पर प्रकाश डालते हुए प्रमुख वक्ताओं से इस विषय पर अपनी बात रखने के लिए आमंत्रित किया। ख्यातिप्राप्त पत्रकार एन के सिंह ने मीडिया आयोग की जरूरत पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने अपने संबोधन में कई उदाहरण को प्रस्तुत करते मीडिया आयोग की जरूरत बताया।
उन्होंने कहा कि आज हर पत्रकार को फ्रीडम मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज अधिसंख्य पत्रकार चीजों की गहराइयों तक नहीं जाते जबकि आवश्यकता है गहराइयों तक जाने की व समझने की। उन्होंने कहा कि आज की जो परिस्थितियों बन चुकी हैं, उसमें पत्रकारों को लीगल सिस्टम की जानकारी होनी अनिवार्य है। कानून से संबंधित जानकारियां नहीं होने से कई परेशानियों पैदा हो रही हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया को हमेशा ही पॉजिटिव रहना चाहिए। तभी समाज को बदलने में महत्वपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी। उन्होंने अपने संबोधन में भारतीय संविधान पर भी विस्तारपूर्वक प्रकाश डालते हुए कई पहलुओं की जानकारियां दी।
वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार व विवेचक राम बहादुर राय ने कहा कि प्रथम व द्वितीय प्रेस आयोग के बाद आज चार दशक का अंतराल आ गया है। इस बीच मीडिया का काफी विस्तार भी हुआ है। संविधान कानून व नियम के लिए जाना जाता है। वहीं मीडिया में भी नियमन की आवश्यकता है। यदि यह नहीं होगा तो अराजकता की स्थिति पैदा हो जाती है। इसलिए आज की मांग है मीडिया आयोग । ताकि 38 वर्षों में मीडिया का जो विस्तार हुआ है उसका अध्ययन हो सके। आज जैसे ही मीडिया आयोग की बात आती है, वैसे ही अड़चने पैदा कर दी जाती हैं जबकि इससे मीडिया को लाभ ही मिलेगा।
उन्होंने कहा कि हम वस्तुस्थिति के अनुरूप मांग कर रहे हैं। पूर्व में प्रेस आयोग की रिपोर्ट से मीडिया को बल ही मिला था। उन्होंने कहा कि मीडिया आयोग के माध्यम से हर पहलू का अध्ययन होना चाहिए। उन्होंने ट्राई की रिपोर्ट पर भी विस्तृत चर्चा करते हुए ट्राई की रिपोर्ट में उल्लेखित कई महत्वपूर्ण बातों की जानकारियां भी दी। उन्होंने कहा कि एक रिपोर्ट में भारत में मीडिया में मुनाफे का रेशियो 17 प्रतिशत है जो यही एक बड़ा कारण है । मीडिया में पूंजी निवेश करने के लिए लोग आगे आ रहे हैं । 08 प्रतिशत मुनाफा अखबारों को जा रहा है। उन्होंने कहा कि मीडिया पर सिस्टम नहीं बनने से मीडिया 11 रोगों से ग्रसित हो चुका है। उन्होंने इन 11 रोग के बारे में उदाहरण के साथ समझाते हुए कहा कि इसका का एकमात्र निदान है मीडिया आयोग ।
वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र ने भी राम बहादुर राय व एन के सिंह के विचारों में अपनी सहमति व्यक्त की। साथ ही उन्होनें अपने कई सुझाव भी दिए। एनयूजे-आई के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मिश्रा ने ‘मीडिया आयोग की जरूरत क्यों,’ पर तैयार प्रस्ताव को पारित करने के लिए सभी के समक्ष रखा। वैबिनार में उपस्थित सभी प्रमुख वक्ताओं ने अपने-अपने सुझाव देते हुए कुछ संशोधन करने की बात कही।
कार्यक्रम के अंत मे एनयूजे-आई के राष्ट्रीय महासचिव सुरेश शर्मा ने प्रस्ताव को विस्तारपूर्वक पढ़ा जिसका सभी ने सर्वसम्मति से अनुमोदन किया।