कानून और किसान आंदोलन पर सुको निर्णय कल, कानून पर रोक और हल को कमेटी

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SC on Farmers Protest : कृषि कानूनों और किसानों के आंदोलन पर मंगलवार को अपना आदेश सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन से निबटने के रवैये को लेकर सोमवार को सरकार को आड़े हाथ लिया और कहा कि वह इन कानूनों पर अमल स्थगित कर दे, अन्यथा न्यायालय द्वारा नियुक्त की जाने वाली उच्चस्तरीय समिति की सिफारिश पर वह स्वयं ऐसा कर देगी।

हाइलाइट्स:
कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को ही सुनाएगा फैसला
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार
कोर्ट ने मामले पर निराशा जताते हुए संकेत दिया कि वह कमेटी गठित कर सकता है
नई दिल्ली 11 जनवरी। उच्चतम न्यायालय दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन के मद्देनजर नए कृषि कानूनों और किसानों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर मंगलवार को अपना आदेश सुनायेगा। संभव है कि न्यायालय इस गतिरोध को दूर करने के इरादे से देश के किसी पूर्व प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर दे।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान संकेत दिया था कि वह कृषि कानूनों और किसानों के आन्दोलन से संबंधित मुद्दों पर अलग अलग हिस्सों में आदेश पारित कर सकती है। इस संबंध में बाद में न्यायालय की वेबसाइट पर यह सूचना अपलोड की गई है।
इस सूचना में कहा गया है, ‘इन मामलों को कल 12 जनवरी को आदेश के लिए सूचीबद्ध किया जाए।’ पीठ ने सोमवार को तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ ही किसानों के आन्दोलन के दौरान नागरिकों के निर्बाध रूप से आवागमन के अधिकार के मुद्दे उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी।
न्यायालय ने किसानों के साथ बातचीत का अभी तक कोई हल नहीं निकलने पर केन्द्र को आड़े हाथ लिया था और सारी स्थिति पर घोर निराशा व्यक्त की थी। इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी संकेत दिया था कि वह किसी पूर्व प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर सकता है जिसमें देश की सभी किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जा सकता है।
न्यायालय ने इस गतिरोध का सर्वमान्य समाधान खोजने के लिये केन्द्र सरकार को और समय देने से इनकार करते हुए कहा कि पहले ही उसे काफी वक्त दिया जा चुका है।

किसान आंदोलन और कानून पर SC का निर्णय कल, कृषि मंत्री तोमर बोले- कोर्ट का फैसला सर्वोपरि

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि जब कानून पर चर्चा होगी तभी तो यह पता चलेगा कि कौन सा प्रावधान किसानों के खिलाफ है. अदालत में जब चर्चा चल रही है, तो उस पर टिप्पणी करना ठीक नहीं है.
नई दिल्ली 11 जनवरी : किसान आंदोलन और किसान कानूनों पर आज सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कोर्ट कल फिर सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वोपरि है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने किसानों के साथ कई दौर की बातचीत की और कोशिश की कि रास्ता निकल आए. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जो किसान यूनियन का मत है, उस दृष्टि से कई प्रस्ताव भी उनको दिए गए, लेकिन उनके मन में कानून वापस लेना ही है, इसलिए किसी फैसले पर हम नहीं पहुंच पाए.
कृषि मंत्री ने कहा, “15 जनवरी को किसानों के साथ बैठक है. अभी निर्णय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पहले आने दीजिए.” दिल्ली से मध्य प्रदेश के भोपाल के राजगढ़ पहुंचे नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के आंदोलन पर कहा, “किसान आंदोलन पर स्वयं फैसला करके आए हैं. सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द कोई हल निकले और आंदोलन समाप्त हो. हमने इनको ऑफर किया था एक समिति बना देते हैं, जिसमें किसान भी रहें अफसर भी रहें और मंत्री भी रहें.”
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “कानून के जो प्रावधान किसानों के लिए प्रतिकूल हैं, सरकार उसमें संशोधन के लिए तैयार हैं. बार-बार सरकार की तरफ से आग्रह हो रहा है. ये भी आग्रह हुआ कि 60 साल के ऊपर के जो प्रदर्शनकारी हैं, उन्हें वापस भेजा जाए. किसान यदि आंदोलन पर हैं, सर्दी का मौसम है और कोरोना का खतरा है. इसके लिए सरकार की तरफ से बार-बार आग्रह किया गया है.”
उन्होंने कहा कि जब कानून पर चर्चा होगी तभी तो यह पता चलेगा कि कौन सा प्रावधान किसानों के खिलाफ है. अदालत में जब चर्चा चल रही है, तो उस पर टिप्पणी करना ठीक नहीं है. कृषि मंत्री ने कहा कि मुझे पूरी आशा है कि चर्चा के माध्यम से हल जरूर निकलेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने आज क्या कहा?

किसान आंदोलन और कृषि कानून मामले पर सुप्रीम कोर्ट कल आदेश देगा. आज कोर्ट ने साफ संकेत दिए हैं कि वह कानून के अमल पर रोक लगाएगा और मसले के हल के लिए कमेटी बनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से सरकार और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे हम बेहद निराश हैं. अदालत ने कहा कि हम अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ नहीं हैं. आप बताएं कि सरकार कृषि कानूनों पर रोक लगाएगी या हम लगाएं?

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