ईसाई धर्मांतरण धंधेबाज लाल बंधुओं की जमानत में कूदा बाबा रामदेव

सामूहिक धर्मांतरण के…सामूहिक धर्मांतरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुआट्स के कुलपति और निदेशक की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने सामूहिक धर्मांतरण मामले में इलाहाबाद स्थित संस्‍थान शुआट्स के कुलपति (डॉ.) राजेंद्र बिहारी लाल और निदेशक विनोद बिहारी लालं की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष सीन‌ियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने मामले का उल्लेख किया और उसी दिन इसे स्वीकार कर लिया गया। पीठ ने आगे के आदेशों को लंबित रखते हुए याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश राज्य को भी नोटिस जारी किया। सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने आज सुबह सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की। Also Read – मद्रास हाईकोर्ट की जज ने कहा, यौन उत्पीड़न मामले में एफआईआर रद्द करने के लिए दायर शिव शंकर बाबा की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखने के बाद उन्हें धमकी दी… उन्होंने कहा, “यह इलाहाबाद के एक प्रमुख विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। उन्हें धर्म परिवर्तन कानूनों के तहत प्रताड़ित किया जा रहा है।” सीजेआई बोर्ड के अंत में मामले की सुनवाई के लिए राजी हुए। एक बार मामला उठाए जाने के बाद दवे ने प्रस्तुत किया- “मेरा पहला मुवक्किल कुलपति है और दूसरा निदेशक है। फतेहपुर में कुछ एफआईआर दर्ज की गई है कि कुछ धर्म परिवर्तन हो रहा है। मैं इलाहाबाद में हूं। एफआईआर में मेरा नाम भी नहीं है। आठ महीने बाद मुझसे शामिल होने के लिए कहा गया है। वे आते हैं और मेरे विश्वविद्यालय पर छापा मारते हैं, वे गैर-जमानती वारंट जारी करते हैं। मैंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट ने मेरी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। Also Read – मनीष सिसोदिया ने शराब नीति मामले में जमानत के लिए दिल्ली कोर्ट का रुख किया जब सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या उनके खिलाफ कोई आरोप है, तो दवे ने दोहराया कि याचिकाकर्ताओं का नाम एफआईआर में भी नहीं था। उन्होंने कहा- “यह धारा 164 के तहत दो बयानों पर आधारित है- पहला बयान एक असंतुष्ट कर्मचारी ने दिया है और दूसरा एक छात्र ने दिया है, जिसे दूसरे छात्र का यौन उत्पीड़न करने के लिए निष्कासित कर दिया गया था। ये आरोप हैं।” पीठ ने मामले में यूपी राज्य को नोटिस जारी किया और कहा- “अगले आदेश लंबित होने तक, याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी।” Also Read – हाथरस केस : सामूहिक बलात्कार का कोई मेडिकल साक्ष्य नहीं, पीड़िता को संभवतः सिखाया गया था, यह नहीं कह सकते कि मुख्य आरोपी की मंशा उसे मारने की थी:… इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में दो याचिकाकर्ताओं को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। यह देखते हुए कि वे प्रभावशाली व्यक्ति थे और धर्मार्थ कार्यों के पीछे उनकी मंशा संदिग्ध प्रतीत होती है, जिससे समाज के हाशिए के लोगों के हित प्रभावित होते हैं। जस्टिस मंजू रानी चौहान की पीठ ने कहा था कि वे अग्र‌िम जमानत पर रिहाई के मामले में अन्य व्यक्तियों के साथ समानता का दावा नहीं कर सकते हैं। इस मामले में एफआईआर पिछले साल अप्रैल में हिमांशु दीक्षित नामक एक कार्यकर्ता की शिकायत पर दर्ज की थी। शिकायत में उसने आरोप लगाया था कि हिंदू धर्म के लगभग 90 व्यक्तियों को इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया, हरिहरगंज, फतेहपुर में धर्मांतरण के उद्देश्य से इकट्ठा किया गया है।

इसकी सूचना मिलने पर सरकारी अधिकारी मौके पर पहुंचे और पादरी विजय मसीहा से पूछताछ की, जिन्होंने कथित तौर पर खुलासा किया कि धर्मांतरण की प्रक्रिया पिछले 34 दिनों से चल रही थी और यह प्रक्रिया 40 दिनों के भीतर पूरी की जाएगी. वर्तमान आवेदक का नाम एफ‌आईआर में नहीं था, हालांकि, उसे बाद के चरण में दो इच्छुक गवाहों और मामले के जांच अधिकारी द्वारा दिए गए बयानों के आधार पर शामिल किया गया। उन्होंने कथित तौर पर यह भी बताया कि वे मिशन अस्पताल में भर्ती मरीजों का भी धर्मांतरण करने की कोशिश कर रहे हैं और कर्मचारी इसमें सक्रिय भूमिका निभाते हैं। जिसके बाद सरकारी अधिकारियों ने 35 व्यक्तियों और 20 अज्ञात व्यक्तियों को हिंदू समुदाय के 90 व्यक्तियों के ईसाई धर्म में धर्मांतरण में शामिल पाया।

Tags:COURT RELIGIOUS CONVERSION

 

PRAYAGRAJ/ALLAHABAD HIGH COURT REJECTS ANTICIPATORY BAIL OF LAL BROTHERS
Allahabad High Court ने जबरन धर्मांतरण मामले में लाल बंधुओं की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज की

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने धर्मांतरण मामले में लाल बंधुओ की अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी के अनुसार आरबी लाल और विनोद बी लाल प्रभावशाली व्यक्ति हैं.

प्रयागराज 03 मार्च: सैम हिग्गिनबॉटम कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरबी लाल उनके भाई विनोद बी लाल तथा मैथ्यू सैमुअल सहित अन्य लोगों के खिलाफ जबरन धर्मांतरण कराए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि आरबी लाल और विनोद बी लाल प्रभावशाली व्यक्ति हैं जो कि बड़े पैमाने पर धर्मांतरण में लिप्त हैं, जैसा की जांच अधिकारी द्वारा एकत्र साक्ष्यों से प्रतीत होता है. उनकी चैरिटी के पीछे का उद्देश्य दोहरी प्रतीत होती है. जो समाज के निचले तबके के हितों को प्रभावित करने वाला है. कोर्ट ने इसे अग्रिम जमानत देने के लिए उचित मामला नहीं पाते हुए अग्रिम जमानत अर्जियां खारिज कर दी है. आरबी लाल व अन्य आरोपियों की जमानत पर न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने सुनवाई की.
याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची गण पर लगाए गए जबरन धर्मांतरण के आरोप बेबुनियाद व राजनीति से प्रेरित हैं. याची प्राथमिकी में नामजद नहीं है. उसका नाम बाद में 2 गवाहों के बयान के आधार पर शामिल किया गया है. यह भी कहा गया कि इस मामले की विवेचना अधिकारी पूर्वाग्रह से ग्रसित है. वास्तविकता यह है कि जिस चर्च के द्वारा धर्मांतरण कराने का आरोप है याची उस चर्च का सदस्य तक नहीं है. याची सैम हिग्गिनबॉटम कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति हैं. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद उसके खिलाफ 11 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. सभी मुकदमे राजनीतिक कारणों से दर्ज किए गए हैं. इनमें से ज्यादातर एक राजनीतिक दल के लोगों ने दर्ज कराएं हैं.

अभियोजन की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम एक अखंड एके सड ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि याचीगण बेहद प्रभावशाली लोग हैं. उनके विरुद्ध जांच अधिकारी ने पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए हैं. जिन से स्पष्ट है कि वह धर्मांतरण में लिप्त हैं. याची के संस्थान की आर्थिक स्रोतों की भी जांच की जा रही है. यह पता चला है कि जो आर्थिक स्रोत जुटाए जाते हैं, उनका उपयोग धर्मांतरण में किया जाता है. जांच में पता चला है कि यह लोग विदेशों से फंड एकत्र करते हैं. इसका उपयोग धर्मांतरण में करते हैं. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया है.
उल्लेखनीय है कि आरबी लाल सहित अन्य लोगों के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन अधिनियम 1921 की धारा 3/5 (1) , तथा आईपीसी की धारा 531, 520, 420, 467, 468, 471 में कोतवाली फतेहपुर में विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी हिमांशु दीक्षित ने मुकदमा दर्ज कराया है. आरोप है कि उपरोक्त आरोपितों की मिलीभगत से इवेंजलिकल चर्च ऑफ इंडिया में 90 हिंदुओं का धर्मांतरण कराया गया. शिकायत पर जब अधिकारियों की टीम चर्च में पहुंची तो उन्होंने पादरी विजय मसीह से पूछताछ की। विजय ने अधिकारियों को बताया कि धर्मांतरण की प्रक्रिया पिछले 34 दिनों से जारी है और 40 में दिन यह पूरी हो जाएगी. यह भी पता चला कि मिशन हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों का भी धर्मांतरण कराने का प्रयास किया जा रहा था और अस्पताल के कर्मचारी इसमें सक्रिय भूमिका निभा रहे थे. इस शिकायत पर पुलिस ने 35 नामजद हुआ 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।

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