अनुराग कश्यप,तापसी पन्नू की ‘दोबारा’ फिल्म भी गई पानी में

अनुराग कश्यप की इच्छा पूरी हुई, ‘दोबारा’ के खराब कंटेंट ने तापसी की फिल्म के खिलाफ बना गया माहौल!


अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी बॉलीवुड मिस्ट्री ड्रामा ‘दोबारा’ रिलीज हो चुकी है. आइए जानते थेहैं तापसी पन्नू स्टारर फिल्म को लेकर किस तरह की समीक्षाएं आ रही हैं
जन्माष्टमी के मौके पर बॉलीवुड की मिस्ट्री ड्रामा ‘दोबारा’ (DOBAARAA) रिलीज हो गई है. तापसी पन्नू स्टारर ड्रामा साल 2018 में आई स्पैनिश मूवी MIRAGE की आधिकारिक रीमेक है. फिल्म का निर्देशन अनुराग कश्यप ने किया है. अभी कुछ दिन पहले आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा के खिलाफ सोशल मीडिया पर जारी निगेटिव कैम्पेन को लेकर अनुराग और तापसी ने मजे लिए थे. उन्होंने कहा था- कोई हमारी फिल्म का भी बायकॉट कर दे. यह भी कहा था कि असल में बायकॉट से बॉलीवुड फ़िल्में फ्लॉप नहीं हो रही हैं. लोगों के पास पैसा ही नहीं है.

बायकॉट कैम्पेन पर मजे लेना अनुराग की फिल्म के पक्ष में जाता नहीं दिख रहा है फिलहाल. रिलीज के बाद सोशल मीडिया पर फिल्म के खिलाफ जबरदस्त ट्रेंड नजर आने लगा है. लोगों बायकॉट की अपील के साथ फिल्म ना देखने की अपील कर रहे हैं. ट्विटर पर दोबारा के विरोध में कई ‘हैशटैग’ ट्रेंड में नजर आ रहे हैं. वैसे दोबारा की समीक्षाएं भी आ रही हैं. ट्रोल्स से अलग फिल्म देखने वाले जेन्युइन दर्शकों और समीक्षकों ने अपनी राय जाहिर की है. प्रतिक्रियाएं मिली जुली हैं.

DOBAARAA
दोबारा में तापसी पन्नू

समीक्षकों ने अनुराग कश्यप की दोबारा में क्या देखा?

समीक्षकों को फर्स्ट हाफ में दोबारा की स्क्रीनप्ले ग्रिपिंग लगी है. अडाप्टेड स्क्रीनप्ले निहित भावे ने लिखा है. दूसरे हाफ में लेखन पसंद नहीं आया है. हालांकि कुछ संवाद और वन लाइनर तमाम लोगों को भाते दिख रहे हैं. जहां तक बात निर्देशन की है- ज्यादातर लोगों ने अनुराग कश्यप के काम की सराहना ही की है. खासकर उन्होंने दर्शकों को कहीं उलझने नहीं दिया है. मगर ओवरऑल समीक्षाओं में यह निकलकर आ रहा कि कुछ टुकड़ों यानी सीन्स में चीजें जिस तरह असरदार दिखी हैं वह पूरी फिल्म में नजर नहीं आतीं. कहीं संवाद अच्छे हैं, कहीं सीन्स अच्छे हैं और कहीं स्टार्स का परफॉर्मेंस दमदार दिखता है. सिलसिला नहीं दिखता और इसकी वजह से फिल्म कमजोर बन जाती है. कुछ ने तो यह भी कहा- अब तक यह अनुराग की सबसे कमजोर फिल्म है.

जहां तक बात स्टार्स के परफॉर्मेंस की है लोगों को तापसी पन्नू अच्छे फॉर्म में लग रही हैं. फिल्म उनके कंधे पर है भी. कुछ सीन्स में तो उन्होंने बहुत ही लाजवाब काम किया है. वैसे सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसका भी क्रेडिट अनुराग कश्यप को दे रहे कि उन्होंने तापसी के बेस्ट को निकालने की कोशिश की है. राहुल भट्ट, पावली गुलाटी, सुकांत गोयल विदुषी मेहरा, और दूसरे कलाकारों का काम भी लोगों को अपनी जगह ठीकठाक लगा है. ओवरऑल दोबारा की रेटिंग बहुत ठीक नहीं है. समीक्षकों ने 5 में से 2 और किसी किसी ने 3.5 तक रेट किया है.

लोगों को पैसे की बर्बादी क्यों लग रही अनुराग कश्यप और तापसी पन्नू की फिल्म?

इसके उलट IMDb पर समीक्षाओं को देखें तो बहुत निगेटिव चीजें नजर आ रही हैं. ज्यादातर यह कहते नजर आ रहे कि यह स्पैनिश ड्रामा की सस्ती कॉपी है. कलाकारों ने खराब एक्टिंग की है और स्टोरी टेलिंग बहुत ही वाहियात है. एक रिव्यू में कहा गया कि जब आपने ओरिजिनल फिल्म देख ली हो तो सस्ती कॉपी (दोबारा जैसी) देखने का कोई मतलब नहीं रह जाता. एक्टिंग भी कोई बहुत ख़ास नहीं है.

एक और यूजर ने लिखा कि यह फिल्म इंगेजिंग बिल्कुल नहीं है. अगर आप मेहनत से कमाए पैसे इस पर खर्च कर रहे हैं तो यह पैसे की बर्बादी होगी. इसलिए फर्जी खबरें ना फैलाए कि यह फिल्म बहुत अच्छी है या इंगेजिंग है. और इस फिल्म को ना देखकर आप अपना समय भी बचा सकते हैं.

सोशल मीडिया पर ट्रोल्स किस तरह विरोध कर रहे हैं नीचे देख सकते हैं:-

#BoycottDobaraa When new movie releases unemployed bhakts be like : pic.twitter.com/4RhhZFiY0N

— Thor-Bin-Odin Al asgardi (@Thorbinodin786) August 19, 2022
#AnuragKashyap after Challenging public to Boycott his movie #Dobaaraa be like:-#BoycottDobaraa #TapseePannu #TheKashmirFiles pic.twitter.com/wbkuJaxW0H

— Rakesh Arora (@Rakesh14_Arora) August 18, 2022
#Boycottbolywood each and everyone without any exceptions #BoycottDobaraa

Truth Shall Win InSSRCase pic.twitter.com/G0qgTU461O

— Satya?? (@SsrSatya) August 19, 2022
Are you ready SSRIANS to fulfill their wish ??#BoycottbollywoodCompletely#BoycottDobaraa#Boycottbolywood

Truth Shall Win InSSRCase pic.twitter.com/kvdrFnB20a

— Satya?? (@SatyaWarrior27) August 19, 2022
#दोबारा, #अनुराग कश्यप, #तापसी पन्नू, DOBAARAA Social Review, DOBAARAA Movie, Anurag Kashyap

Boycott Dobaara: ट्रोल्स से पंगा लेना तापसी पन्नू-अनुराग को पड़ा भारी, सोशल मीडिया पर ‘दोबारा’ बायकॉट ट्रेंड

अनुराग कश्यप-तापसी पन्नू – फोटो : सोशल मीडिया

‘बायकॉट लाल सिंह चड्ढा’, ‘बायकॉट रक्षा बंधन’ के बाद अब सोशल मीडिया पर ‘बायकॉट दोबारा’ का ट्रेंड शुरू हो गया है। आमिर खान अभिनीत ‘लाल सिंह चड्ढा’ और अक्षय कुमार स्टारर ‘रक्षा बंधन’ के बाद अब नेटिजन्स ने तापसी पन्नू की फिल्म ‘दोबारा’ को अपने निशाने पर ले लिया है। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के मीम्स शेयर कर फिल्म का बहिष्कार करने की मांग की जा रही है। बता दें कि तापसी पन्नू ने खुद यूजर्स से फिल्म को बायकॉट करने को कहा था।

तापसी पन्नू – फोटो : सोशल मीडिया

तापसी ने कहा था..

फिल्म ‘दोबारा’ के प्रमोशन के दौरान जब तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप से ‘लाल सिंह चड्ढा’ और ‘रक्षा बंधन’ के खिलाफ चल रहे हेट कैम्पेन के बारे में पूछा गया था, तब निर्देशक अनुराग कश्यप ने कहा था, “मैं चाहता हूं कि ट्विटर पर ‘हैशटैग बायकॉट कश्यप’ ट्रेंड करे।” वहीं तापसी पन्नू ने जवाब में कहा, “कृपया सभी लोग हमारी फिल्म दोबारा का बहिष्कार करें। अगर आमिर खान और अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं का बहिष्कार किया जा रहा है, तो मैं भी इस लीग में शामिल होने चाहती हूं।” इसके बाद दोनों ने ईमानदारी से दर्शकों से अपनी फिल्मों के बहिष्कार करने का ट्रेंड शुरू करने का अनुरोध किया। तापसी और अनुराग ने कहा, “पिक्चर देखो या ना देखो, मगर बायकॉट कर दो”

तापसी पन्नू फिल्म दोबारा – फोटो : सोशल मीडिया

ट्रोल्स से पंगा लेना पड़ा भारी

तापसी पन्नू के इस बयान के सामने आने के बाद से ही यूजर्स उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, अनुराग कश्यप और तापसी पन्नू, दर्शकों पर यह सोचकर हंस रहे थे कि बहिष्कार एक छोटा सा सोशल मीडिया कैम्पेन है। लाल सिंह चड्ढा की रिलीज से 6 दिन पहले करीना कपूर खान ने भी यही कहा था, उन्हें एक बार फोन करके पूछ लेना, ”मैडम क्या हुआ?”। वहीं अन्य यूजर ने ट्वीट किया, #BoycottDobaara ‘दोबारा’ फिल्म स्पेनिश फिल्म ‘मिराज’ (2018) की रीमेक है। फिर से एक बेहतरीन फिल्म का रीमेक बना गया। इस फिल्म का बहिष्कार करने का यह एक और कारण है। तापसी ने फिल्म ‘बदला’ के साथ भी ऐसा ही किया था, जो ‘द इनविजिबल गेस्ट’ की रीमेक थी। ये लोग रीमेक बनाकर खुद को एक्टर कहते हैं।

अनुराग कश्यप-तापसी पन्नू,दोबारा – फोटो : social media

इस फिल्म को अनुराग कश्यप और एकता कपूर ने मिलकर बनाया है।  अनुराग कश्यप ने दोबारा को करीब 30 करोड़ रुपये के बजट में बनाया है। ऐसे में ओपनिंग डे पर फिल्म के लिए करीब तीन से चार करोड़ रुपये की कमाई करना जरूरी था।

Dobaaraa Review: ‘दोबारा’ नहीं जमी अनुराग कश्यप और तापसी पन्नू की जोड़ी, त्रिकोणमिति से ज्यादा उलझी फिल्म
पंकज शुक्ल

अनुराग कश्यप को अगले साल हिंदी सिनेमा में निर्देशक बने 20 साल हो जाएंगे। एलिस ओ कॉनर उर्फ एयन रैंड के उपन्यासों के दीवाने रहे अनुराग हिंदी सिनेमा में असली कहानियों का दम भरने वाले लेखक और निर्देशक रहे हैं। बतौर निर्देशक ‘दोबारा’ उनकी 22वीं फिल्म है।

दोबारा फिल्म

Movie Review
दोबारा
कलाकार
तापसी पन्नू , पवैल गुलाटी , राहुल भट , शाश्वत चटर्जी , हिमांशी चौधरी , नासर और शौर्य दुग्गल
लेखक
निहित भावे (ओरिऑल पाउलो की फिल्म ‘मिराज’ पर आधारित)
निर्देशक
अनुराग कश्यप
निर्माता
शोभा कपूर , एकता कपूर , सुनीर खेत्रपाल और गौरव बोस

बात कोई 10 दिन पहले की है। अनुराग कश्यप की फिल्म ‘दोबारा’ की समय से पहले की स्क्रीनिंग का न्यौता मिला। मेजबानी फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड की थी और वादा था कि फिल्म पूरी होने के बाद इसके निर्देशक भी फिल्म देखने वालों से मिलने आएंगे। फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड को निर्माता निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा की पत्नी और समीक्षक अनुपमा चोपड़ा चलाती हैं। निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के रिव्यू को लेकर बना किस्सा सबको पता ही है। अनुराग की फिल्म की मेजबानी करके दस दिन पहले ही उन्होंने नई लकीर खींच दी था। बीते दो तीन दिनों से अनुराग और विवेक सोशल मीडिया पर भिड़े हुए हैं। फिल्म ‘दोबारा’ भी इसी के चलते चर्चा में है। उधर, स्पेन की जिस फिल्म ‘मिराज’ पर ये फिल्म बनी है, उसे नेटफ्लिक्स पर देखने वालों की संख्या हर रोज बढ़ती जा रही है।

दोबारा फिल्म

अबूझ रफ्तार उर्फ एस्केप वेलोसिटी सी कहानी

अनुराग कश्यप को अगले साल हिंदी सिनेमा में निर्देशक बने 20 साल हो जाएंगे। एलिस ओ कॉनर उर्फ एयन रैंड के उपन्यासों के दीवाने रहे अनुराग हिंदी सिनेमा में असली कहानियों का दम भरने वाले लेखक और निर्देशक रहे हैं। बतौर निर्देशक ‘दोबारा’ उनकी 22वीं फिल्म है। उनका अपना एक खास प्रशंसक वर्ग रहा है, दर्शकों मे भी और मीडिया में भी। अपनी हर फिल्म से पहले अनुराग अपनी फिल्म का एक आभामंडल रचते हैं। दर्शकों को ये समझाने की कोशिश करते हैं कि जो वह बना रहे हैं, अगर वह उनकी समझ में नहीं आ रहा है तो वही उनकी फिल्ममेकिंग की जीत है। देसी दर्शक ये जानकर उनके सिनेमा पर फिदा भी होते रहे कि हां, कुछ तो ऐसा बनाया अनुराग ने जो हिंदी सिनेमा की आम फिल्मों सा नहीं है। लेकिन, फिजिक्स में एस्केप वेलोसिटी जिन्होंने पढ़ी है, उन्हें पता है कि धरती का चक्कर काटने वाला ग्रह अगर एक निर्धारित गति से ज्यादा गति पकड़ ले तो वह अंतरिक्ष में खो जाता है।

दोबारा फिल्म

समझ सको तो समझो दिलबर जानी

स्पैनिश फिल्म ‘मिराज’ से प्रेरित अनुराग कश्यप की नई फिल्म ‘दोबारा’ की गति भी एस्केप वेलोसिटी जैसी ही है। ये शुरू से लेकर आखिर तक रेडियो और टेलीविजन पर प्रसारित हो रही खबरों के जरिये ये बताती रहती है कि जो तूफान परदे पर दिख रहा है, वैसा मौसम जब भी बनता है कुछ ऐसी चीजें घटती रही हैं जिनका कारण विज्ञान भी नहीं समझ पाया है। इन धारणाओं के साथ फिल्म की कहानी शुरू होती है। कहानी दो अलग अलग कालखंडों की है जिसे जोड़ता है एक पुरानी टेलीविजन। दो कालखंडों में बंटी कहानी के पहले हिस्से में एक हत्या होती है और उसके चश्मदीद बालक की सड़क हादसे में मौत हो जाती है। कहानी के दूसरे हिस्से में जो आज के समय में घट रही है उसमें एक अस्पताल में नर्स का काम करने वाली महिला के घर में रखे पुराने टेलीविजन पर उसे वही किशोर दिखता है और वह उसे बाहर जाने से रोक लेती है। यानी कि इस कहानी के हिसाब से अब बालक नहीं मरता है। तो अब शुरू होती है त्रिकोणमिति सी गणित कि अगर बालक नहीं मरा तो फिर उस कहानी का क्या क्या बदल जाएगा? और, क्या होगा अगर अपनी कहानी में नर्स बनी ये महिला, उस बालक की कहानी में किसी और पहचान के साथ नजर आएगी?

दोबारा फिल्म

विदेशी फिल्म की कहानी, अनुराग की जुबानी

अनुराग कश्यप को अपने दर्शकों की मेधा का इम्तिहान लेने में मजा आता है। फिल्म ‘दोबारा’ भी किसी मृगतृष्णा जैसा छलावा ही रचती है, मिराज समझते हैं ना। कहानी समझ में ना आई हो तो पिछला पैराग्राफ दोबारा पढ़कर देख सकते हैं लेकिन फिल्म पहली बार समझ में ना आई हो तो क्या उसे दोबारा देखने की कोशिश करेंगे? यही इस फिल्म को देखने के बाद का ‘कौन बनेगा करोड़पति’ जैसा साढ़े सात करोड़ का सवाल है। फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग पर अपने वादे के मुताबिक अनुराग नहीं आए तो ताज्जुब इस बात का हुआ कि किसी ने भी उनके न आने को फिल्म खत्म होने के बाद मुद्दा नहीं बनाया। ना ही किसी ने उनके वहां ना होने पर कोई बात ही की। सब फिल्म में ही खोए रहे और ये समझते रहे कि जो उन्हें समझ आया क्या वैसा ही कुछ बगल वाली कुर्सी पर बैठे समीक्षक को भी समझ आया होगा।

दोबारा फिल्म

दर्शकों का इम्तिहान लेने की ठानी

और, फिर अगले दिन, और उसके अगले दिन और उसके अगले दिन सवाल ये कि फिल्म को कितने स्टार दे रहे हैं? ये कहने पर भी कि फिल्म जल्दी देखने का मतलब फिल्म की समीक्षा पर उसे लिखे जाने से पहले चर्चा करना ठीक नहीं, फिल्म से जुड़े लोगों का उत्साह घटा नहीं। कुछ लोगों ने इस ‘प्रेशर’ में फिल्म को पांच स्टार भी दे दिए हों तो बड़ी बात नहीं। मेरे हिसाब से फिल्म ‘दोबारा’ अनुराग की पिछली कुछ फिल्मों की तरह ही दर्शक की मेधा का इम्तिहान लेने वाली फिल्म है। खालिस मनोरंजन को फिल्म देखने वालों को फिल्म समझ में ना आए तो इसमें अनुराग कश्यप का दोष नहीं है क्योंकि उन्होंने ये फिल्म दर्शकों के मनोरंजन के लिए बनाई भी नहीं है। उन्होंने स्पैनिश फिल्म देखी, उन्हें अच्छी लगी। मन किया कि इसे हिंदी में भी बनाते हैं, एकता कपूर, सुनील खेत्रपाल और गौरव बोस जैसे निर्माताओं ने हां कर दी और फिल्म बन गई। उनके लिए फिल्ममेकिंग इतना ही चक्र है।

दोबारा फिल्म

तापसी पन्नू की यहां आकर खोई रवानी

अनुराग कश्यप निर्देशक कमाल के रहे हैं। कहानियां भी ऐसी पकड़ते हैं जो दर्शकों ने पहले ना सुनी हों लेकिन देखी हों। लेकिन फिल्म ‘दोबारा’ के ट्रेलर रिलीज पर ही इसके ‘मिराज’ की रीमेक होने की बात होशियार लोगों ने पकड़ ली। अनुराग ने सफाई दी कि उनकी फिल्म ‘मिराज’ की रीमेक नहीं है। फिल्म ‘दोबारा’ शुरू होती है तो अनुराग बताते हैं कि इसका ‘मिराज’ से रिश्ता क्या है? हिंदी सिनेमा से लापता हुई ईमानदारी ही इसको दिनोंदिन दीमक की तरह कमजोर कर रही है। और, कोरोना संक्रमण काल में लोगों ने इतना कुछ देख डाला है कि उनकी मेधा शक्ति का इम्तिहान लेने की कोशिश भी अब फिल्में बनाने वालों को भारी पड़ने वाली हैं। उधार की कहानी का हिंदी में हू ब हू रूपांतरण अनुराग की बतौर निर्देशक बनी हैसियत को कमजोर करता है और उससे भी ज्यादा ये फिल्म तापसी पन्नू की ब्रांड वैल्यू को कमजोर करती है क्योंकि पूरी फिल्म में वह ऐसा कुछ करती नहीं है कि लगे कि क्या कमाल एक्टिंग की है!

दोबारा फिल्म

देखें कि ना देखें

फिल्म ‘दोबारा’ में तमाम जाने पहचाने और कुछ नए चेहरे दिखते हैं। पवैल गुलाटी अनुराग कश्यप की ही खोज रहे हैं, वह काम भी अच्छा करते हैं। राहुल भट का किरदार दोनों कहानियों में बीवी को धोखा देता रहता है और फिल्म खत्म होने से ठीक पहले उसके किरदार के चरित्र का फैसला भी हीरोइन सुना देती है। दोनों कहानियों के फंदे बुनने वाला किरदार जिस बालक का है उसे शौर्य दुग्गल ने बेहतर तरीके से निभाया है। फिल्म में सिल्वेस्टर फोनसेका की सिनेमैटोग्राफी ही फिल्म को देखने का आकर्षण बनाए रखती है, हालांकि फिल्म का संपादन और बेहतर हो सकता था और गीत संगीत के मामले में भी फिल्म कमजोर है। अनुराग कश्यप के तगड़े प्रशंसकों के लिए ही ये फिल्म बनी है, बाकी आम मेधा शक्ति वाले इस फिल्म को पहली बार में शायद ही समझ पाएं और फिल्म दोबारा देखने की हिम्मत ना हो तो ‘दोबारा’ से दूर ही रहें।

 

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