छंटनी ग्रस्त पत्रकारों की आवाज उठायेगी एनयूजे-आई

 

बीते दिन इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्टस –IFJ– की ZOOM के माध्यम से कांफ्रेंस हुई है। कोरोना काल में प्रिंट मीडिया को लेकर हुई इस चर्चा में भारत की ओर से केवल दो प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके लिए हमसे आग्रह किया गया था। हमारे एनयूजेआई अध्यक्ष अशोक मलिक उसमे न केवल शामिल हुए बल्कि उन्होंने अपने विचार भी व्यक्त किये। यूट्यूब पर उसका वीडियो भी है जिसमें अशोक जी बोल रहे हैं। IFJ सिर्फ हमको ही पहले भी आमंत्रित कर चुका है।

-सुरेश शर्मा, राष्ट्रीय महासचिव

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“मीडिया का संकट” विषय पर एनयूजे (आई) का राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित, लिए गए कई निर्णय
नई दिल्ली। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) की वेबिनार के माध्यम से राष्ट्रीय सेमिनार कई प्रस्तावों के साथ संपन्न हुई। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मिश्रा ने कहा कि इस सेमिनार में देश भर के पत्रकार मौजूद है। यह एक सुखद संयोग है कि करोना काल में वेबिनार के माध्यम से हम सभी एकत्र हो कर अपनी बातों को रख पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है जिसमें कई वरिष्ठ पत्रकारों की मौजूदगी में महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा हो रही है। आने वाले दिनों में  हमारा यह कार्यक्रम लगातार चलता रहेगा। सेमिनार का संचालन करते हुए राष्ट्रीय महासचिव सुरेश शर्मा ने कहा कि संगठन का विस्तार और पत्रकार हित दो संगठन के महत्वपूर्ण कार्य है जिन पर हम सभी को मुख्य फोकस करते हुए कार्य करना है। उन्होंने कहा कि हमारे कार्यों को बाधित करने वालों पर ध्यान न देकर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते चलें। आज से हम एक नई दिशा में अपने कार्य योजना बनाकर हम सभी कार्य में लग जाएंगे। राष्ट्रीय महासचिव सुरेश शर्मा ने कहा कि आज का यह सेमिनार मीडिया का संकट पर आयोजित किया गया है। कई राज्यों के अध्यक्ष अपने रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगें। राष्ट्रीय सेमिनार में जिससे वस्तुस्थिति स्पष्ट होगी। सेमिनार में झारखंड से बलदेव प्रसाद शर्मा, बिहार से रितेश अनुपम, केरला से मनु भारत, मध्यप्रदेश से रवींद्र वाजपेयी, पंजाब से डॉक्टर हरजिंदर सिंह लाल, नई दिल्ली से अमलेश राजू, महाराष्ट्र से किरण भोगले, राजस्थान से ललित शर्मा, जितेंद्र अवस्थी व उमेश चतुर्वेदी ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।

प्रस्तुत रिपोर्ट में निम्न बातें उभर कर सामने आई। कोरोना काल में पत्रकारों का बड़े पैमाने पर स्थानांतरण किया गया। पत्रकारों के संक्रमित होने पर राज्य सरकारों से चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रहा है। पत्रकारों को मास्क व सेनिटाइजर तक मीडिया घरानों से नहीं दिया गया। झूठे मुकदमों में पत्रकारों को फंसाया जा रहा है। अखबार प्रबंधकों द्वारा छंटनी की गई है। कई पत्रकारों को चार-पांच माह से वेतन नहीं मिल रहा है ,आदि बातें प्रमुखता से सामने आ गई। मौके पर कई वरिष्ठ पत्रकारों ने भी अपने विचारों को रखा। केएन गुप्ता ने कहा कि हम सभी मिलजुल कर आई संकट का मुकाबला करेंगे। हेमंत बिश्नोई ने कहा कि राज्यों से आए सुझावों को केंद्र सरकार के पास देना चाहिए। प्रमोद भार्गव ने कहा कि कोरोना काल में अखबार एक भी दिन बंद नहीं हुआ और ना ही विज्ञापन बंद हुए। यह संकट कैसे हुआ यह समझ से परे है। अखबारों को कोरोना काल में एक बहाना मिल गया है छंटनी व वेतन बंद करने का। त्रियुग नारायण तिवारी ने कहा कि बहुत भीड़ हो गई है। ज़िले स्तर पर समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक मलिक ने कहा कि कोरोना काल में  संकटों का सामना करना पड़ रहा है प्रिंट मीडिया को । उन्होने कहा कि आज की युवा पीढ़ी ऑनलाइन से अधिक जुड़ी हुई है । लोकतंत्र की रीढ़ का कार्य करता है प्रिंट मीडिया।

मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र ने कहा कि सभी राज्यों से जो रिपोर्टें आयीं हैं वह वाकई चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि किस राज्य में कितने पत्रकारों की नौकरी चली गई उसकी एक सूची बनाई जाए। जिला स्तर से प्रदेश स्तर तक सूची बनाने का कार्य हो। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का दायित्व है कि सभी पत्रकारों को साथ लेकर चले। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर रिपोर्ट मुख्यमंत्री व श्रम मंत्री को सौंप जाए जिससे यह तय हो कि कितने पत्रकार प्रभावित हुए हैं।

सेमिनार का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए राष्ट्रीय महासचिव सुरेश शर्मा ने कहा कि बहुत जल्द ही संगठन भी भावी रूपरेखा लेकर सभी के पास पहुंचेगा। हम सभी अपने मुख्य लक्ष्य की ओर कार्य करते रहें। मौके पर एनयूजेआई के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित थे।

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