नासा ने की चंद्रमा पर पानी की पुष्टि

चंद्रमा की सतह में पानी पाया गया, NASA ने की घोषणा

नासा ने घोषणा की है कि चंद्रमा की सनलिट सतह में पानी पाया गया है. यह एक बड़ी सफलता है.

नासा ने घोषणा की है कि चंद्रमा की सनलिट सतह में पानी पाया गया है. नासा के Stratospheric Observatory for Infrared Astronomy (SOFIA) ने चंद्रमा के सनलिट सरफेस पर पानी होने की पुष्टि की है. यह एक बड़ी सफलता है. नासा के मुताबिक, सोफिया (SOFIA) ने क्लेवियस क्रेटर में पानी के मॉलिक्यूल (H2O) का पता लगाया है. क्लेवियस क्रेटर चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित पृथ्वी से दिखाई देने वाला सबसे बड़े क्रेटरों में से एक है.

इससे पहले खबर आई थी कि नासा की मिशन मून को लेकर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी है, जो चांद पर जीवन की संभावना ढूंढने के अभियान में मददगार साबित होगी. बता दें कि पिछले कई रिसर्च में इस बात का पता चला था कि चंद्रमा पर हाईड्रोजन है लेकिन पानी को लेकर पुष्टि नहीं हुई थी.

चंद्रमा की सतह पर नासा ने खोजा पानी, इंसानी बस्तियों को बसाने में मिलेगी मदद

चंद्रमा की सतह पर पानी सूरज की किरणें पड़ने वाले इलाके में खोजी गई है। इस बड़ी खोज से न केवल चंद्रमा पर भविष्य में होने वाले मानव मिशन को बड़ी ताकत मिलेगी। बल्कि, इनका उपयोग पीने और रॉकेट ईंधन उत्पादन के लिए भी किया जा सकेगा।

हाइलाइट्स:
नासा ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया
सूर्य की रोशनी पड़ने वाले इलाके में मिला पानी, मानव मिशन में होगा सहायक
2024 तक चांद पर मानव बस्तियां बसाने की योजना बना रहा नासा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रमा की सतह पर पानी की खोज की है। बड़ी बात यह है कि चंद्रमा की सतह पर यह पानी सूरज की किरणें पड़ने वाले इलाके में खोजी गई है। इस बड़ी खोज से न केवल चंद्रमा पर भविष्य में होने वाले मानव मिशन को बड़ी ताकत मिलेगी। बल्कि, इनका उपयोग पीने और रॉकेट ईंधन उत्पादन के लिए भी किया जा सकेगा। इस पानी की खोज नासा की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने की है।

दक्षिणी गोलार्ध के क्रेटर में मिला पानी

सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित,पृथ्वी से दिखाई देने वाले सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं (H2O) का पता लगाया है। पहले के हुए अध्ययनों में चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोजन के कुछ रूप का पता चला था, लेकिन पानी और करीबी रिश्तेदार माने जाने वाले हाइड्रॉक्सिल (OH) की खोज नहीं हो सकी थी।

नासा ने कहा-पहले से मौजूद थे पानी के संकेत

वॉशिंगटन में नासा मुख्यालय में विज्ञान मिशन निदेशालय में एस्ट्रोफिजिक्स डिवीजन के निदेशक पॉल हर्ट्ज ने कहा कि हमारे पास पहले से संकेत थे कि H2O जिसे हम पानी के रूप में जानते हैं,वह चंद्रमा के सतह पर सूर्य की ओर मौजूद हो सकता है। अब हम जानते हैं कि यह वहां है। यह खोज चंद्रमा की सतह की हमारी समझ को चुनौती देती है। इससे हमें और गहन अंतरिक्ष अन्वेषण करने की प्रेरणा मिलती है।

सहारा रेगिस्तान में मौजूद पानी से 100 गुना कम है चांद पर पानी

नेचर एस्ट्रोनॉमी के नवीनतम अंक में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इस स्थान के डेटा से 100 से 412 पार्ट प्रति मिलियन की सांद्रता में पानी का पता चला है। तुलनात्मक रूप में सोफिया ने चंद्रमा की सतह पर जितनी पानी की खोज की है उसकी मात्रा अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में मौजूद पानी की तुलना में 100 गुना कम है। छोटी मात्रा के बावजूद यह खोज नए सवाल उठाती है कि चंद्रमा की सतह पर पानी कैसे बनता है। इससे भी बड़ा सवाल कि यह चंद्रमा के कठोर और वायुमंडलहीन वातावरण में कैसे बना रहता है।

चांद पर मानव बस्तियां बसाने की योजना बना रहा नासा

नासा की योजना चांद पर मानव बस्तियां बसाने की है। नासा पहले से ही आर्टेमिस (Artemis) प्रोग्राम के जरिए 2024 तक चांद की सतह पर मानव मिशन भेजने की तैयारी कर रही है। नासा अपने आर्टेमिस प्रोग्राम के जरिए चांद की सतह पर 2024 तक इंसानों को पहुंचाना चाहता है। इसके जरिए चांद की सतह पर मानव गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। चांद पर मौजूद इंसान उन क्षेत्रों का पता लगाएंगे जहां पहले कोई नहीं पहुंचा है या जो अब तक अछूते रहे हैं।

म्फ्क्द्द्न्फ्क्क्द्क्द्र‍िििििििििििििििििििििििििििि

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *