जमानत: रिहा हो कार की छत पर बैठे अर्णव ने बताई जनता की जीत

अर्नब को जमानत:जेल से निकलते ही अर्नब कार की छत पर बैठे, नारे लगाते हुए अपनी रिहाई को लोगों की जीत बताया
बुधवार शाम को अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद अर्नब गोस्वामी कार की छत पर बैठकर नारेबाजी करते हुए।

मुम्बई 10 नवंबर। इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार अर्नब गोस्वामी को 7 दिन बाद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी। तलोजा जेल से बाहर निकलते ही रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब कार की छत पर बैठ गए। अर्नब ने नारे लगाते हुए अपनी रिहाई को भारत के लोगों की जीत बताया।

अर्नब के साथ ही इस मामले में दो अन्य आरोपियों नीतीश सारदा और फिरोज मोहम्मद शेख को भी जमानत दी गई है। अर्नब की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उद्धव सरकार को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकारें किसी को निशाना बनाएं तो उन्हें यह महसूस होना चाहिए कि हम उसकी हिफाजत करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई पुलिस कमिश्नर से जमानत के आदेश पर तत्काल अमल करने को कहा।

अर्नब अपनी जमानत के लिए हाईकोर्ट भी गए थे,लेकिन हाईकोर्ट ने उनसे कहा था कि अंतरिम जमानत के लिए उनके पास लोअर कोर्ट का भी विकल्प है,लेकिन 4 नवंबर को गिरफ्तारी के बाद ही अलीबाग सेशन कोर्ट ने उनकी जमानत नामंजूर कर दी थी। हालांकि,अलीबाग कोर्ट ने पुलिस को रिमांड न देते हुए अर्नब को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां

डेमोक्रेसी पर

: हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है। महाराष्ट्र सरकार को यह सब नजरअंदाज करना चाहिए।

आजादी पर

: अगर किसी व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जाता है, तो यह न्याय का दमन होगा। क्या महाराष्ट्र सरकार को इस मामले में कस्टडी में लेकर पूछताछ की जरूरत है। हम व्यक्तिगत आजादी के मुद्दे से जूझ रहे हैं।

SC के दखल पर

: आज अगर अदालत दखल नहीं देती है तो हम विनाश के रास्ते पर जा रहे हैं। इस आदमी (अर्नब) को भूल जाओ। आप उसकी विचारधारा नहीं पसंद कर सकते। हम पर छोड़ दें, हम उसका चैनल नहीं देखेंगे। सबकुछ अलग रखें।

राज्य सरकार पर

: अगर हमारी राज्य सरकारें ऐसे लोगों के लिए यही कर रही हैं, इन्हें जेल में जाना है तो फिर सुुप्रीम कोर्ट को दखल देना होगा।

हाईकोर्ट पर

: HC को एक संदेश देना होगा। कृपया, व्यक्तिगत आजादी को बनाए रखने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करें। हम बार-बार देख रहे हैं। अदालत अपने अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल में विफल हो रही हैं। लोग ट्वीट के लिए जेल में हैं।

इस शर्त पर मिली जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपित सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे। इसके अलावा आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले की जांच के दौरान वो पूरा सहयोग करेंगे।

2018 में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां ने खुदकुशी कर ली थी। अन्वय की पत्नी ने सुसाइड लेटर में अर्नब का नाम होने के बावजूद कार्रवाई न होने पर सवाल उठाया था। इसके बाद रायगढ़ पुलिस ने अर्नब और दो अन्य लोगों को 4 नवंबर को गिरफ्तार किया था। बाद में अदालत ने इन्हें 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
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आत्महत्या के लिए उकसावे मामले में रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्णब गोस्वामी और 2 आरोपितों को सुप्रीम कोर्ट से 50-50 हजार के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत

रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्णब गोस्वामी को अंतरिम जमानत दे दी है। उन पर एक इंटीरियर डिजाइनर और उनकी मां को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। अर्णब के अलावा दो अन्य आरोपियों को भी अंतरिम जमानत मिली है। सभी को 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत मिली है।
दो साल पहले एक इंटीरियर डिजाइनर और उनकी मां की आत्महत्या के मामले में उकसाने के आरोपित रिपब्लिक टीवी के चीफ एडिटर अर्णब गोस्वामी को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी। गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों नीतीश सारदा और प्रवीण राजेश सिंह को 50-50 हजार रुपये के पर्सनल बॉन्ड पर जमानत मिली है। अंतरिम जमानत के बाद गोस्वामी रात करीब साढ़े 8 बजे जेल से रिहा हुए। इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट से अर्णब को राहत नहीं मिली थी।
अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि इस तरह से किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा। जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड और जस्टिस इन्दिरा बनर्जी की बेंच ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट है। शीर्ष अदालत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकारें कुछ लोगों को विचारधारा और मत भिन्नता के आधार पर निशाना बना रही हैं।

अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक ऐसे मामले हैं जिसमें हाई कोर्ट जमानत नहीं दे रहे हैं और वे लोगों की स्वतंत्रता, निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में नाकाम हो रहे हैं।’ कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि क्या गोस्वामी को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की कोई जरूरत थी क्योंकि यह व्यक्तिगत आजादी से संबंधित मामला है।

बेंच ने टिप्पणी की कि भारतीय लोकतंत्र असाधारण तरीके से लचीला है और महाराष्ट्र सरकार को इन सबको (टीवी पर अर्नब के ताने) नजरअंदाज करना चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘उनकी जो भी विचारधारा हो, कम से कम मैं तो उनका चैनल नहीं देखता लेकिन अगर सांविधानिक न्यायालय आज इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा तो हम निर्विवाद रूप से बर्बादी की ओर बढ़ रहे होंगे।’ बेंच ने कहा, ‘सवाल यह है कि क्या आप इन आरोपों के कारण व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत आजादी से वंचित कर देंगे?’ न्यायालय ने कहा, ‘अगर सरकार इस आधार पर लोगों को निशाना बनायेंगी…आप टेलीविजन चैनल को नापसंद कर सकते हैं…. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिेए।

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