सतपाल महाराज जांच करायेंगें केदारनाथ मंदिर गर्भगृह के सोने की

Kedarnath Dham Missing Gold Case Dhami Government Orders High Level Probe

केदारनाथ मंदिर गर्भगृह से ‘सोना गायब’ आरोपों की उच्च स्तरीय जांच के आदेश, मंत्री बोले- हम सच जानना चाहते हैं

उत्तराखंड में केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में लगे सोने की प्लेट के रंग उड़ने के आरोपों के बाद धामी सरकार ने इसकी उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं।

देहरादून 21 जून: केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह की दीवारों पर सोने की प्लेट को लेकर विवाद गरमाता जा रहा है। मामले में उत्तराखंड सरकार के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। टीओआई को दिए बयान में सतपाल महाराज ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में मुख्य सचिव एसएस संधू, रुद्रप्रयाग के डीएम मयूर दीक्षित और धार्मिक मामलों के सचिव हरीश चंद सेमवाल से बात की है और निर्देश दिया है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि हम सच जानना चाहते हैं और जो भी जांच में आएगा उसके आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने कहा कि शुरुआती तौर पर आरोप सही नहीं लगते क्योंकि जिसने सोना और तांबा दान किया है, उसी ने पूरा काम भी कराया है। इसलिए किसी प्रकार के गबन या भ्रष्टाचार की उम्मीद नहीं है। लेकिन चूंकि अफवाहें फैल रही हैं और कुछ लोग चार धाम यात्रा को बदनाम करना चाहते हैं इसलिए सच सामने आने की जरूरत है ताकि दोषियों को सजा दी जा सके।

बता दें केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह की दीवारों पर लगी सोने की प्लेट्स पर पॉलिशिंग का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो के सामने आने के बाद एक बार फिर से तीर्थ पुरोहितों ने मोर्चा खोल दिया है। तीर्थ पुरोहितों ने गर्भ गृह की दीवारों पर लगाई गई सोने की प्लेट्स की जांच कराने की मांग की है। दरअसल, वीडियो में मंदिर के गर्भ गृह के भीतर की दीवारों पर स्थित सोने की प्लेटों पर सोने की पॉलिस की जा रही है। सोने की प्लेटों पर की जा रही पॉलिश को बीते दिनों शुरू हुए विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि वायरल वीडियो पर बदरी-केदार मंदिर समिति की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया

कुछ दिन पूर्व केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने इस पर सवाल खड़े करते हुये कहा था कि यह सोना, पीतल में तब्दील हो गया है। इसकी जांच की जानी चाहिये। वहीं, अब मंदिर के भीतर के कुछ नये वीडियो जारी किये गये हैं। वीडियो में केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह की दीवारों पर लगी सोने की प्लेट्स पर पॉलिस दिखाई दे रही है। इस पॉलिस को मंदिर की दीवारों पर किया जा रहा है। अब केदारनाथ के लगभग सभी तीर्थ पुरोहित मंदिर के भीतर लगे सोने की प्लेट्स के विरोध में आ गये हैं।

केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने कहा आज सुबह जब पुरोहित पूजा पाठ करने के लिये मंदिर के भीतर गये, तो वहां सोने की पॉलिस की जा रही थी। जब सोने की प्लेटें लगी हैं, तो सोने की पॉलिस करने की कोई जरूरत नहीं थी। उन्होंने कहा केदारनाथ मंदिर के भीतर गर्भगृह की दीवारों पर केमिकल का प्रयोग किया जा रहा है। यह कार्य चोरी से किया जा रहा है। पुरातत्व विभाग और तीर्थ पुरोहितों को बताये बगैर ही यहां कार्य हो रहे हैं। इसकी अब जांच जरूरी हो गई है।

वहीं बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति (बीकेटीसी) ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने पर सोशल मीडिया पर फैलाये जा रहे भ्रम को षड़यंत्र का हिस्सा बताया है। बीकेटीसी ने कहा कि दान दाता ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने की इच्छा प्रकट की थी। उसकी भावनाओं का सम्मान करते हुए मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में गर्भ गृह को स्वर्णमंडित करने की अनुमति दी गयी थी। इसके लिए शासन से अनुमति ली गई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देख-देख में स्वर्ण मंडित करने का कार्य किया गया है।

बीकेटीसी ने स्पष्ट किया बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम 1939 में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप ही दानदाता से दान स्वीकारा गया है। केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने के लिए सरकार व शासन से अनुमति ली गई। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देख-देख में स्वर्ण मंडित करने का कार्य किया गया। बीकेटीसी ने केदारनाथ मन्दिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने की अनुमति दानी दाता की पावन भावना के अनुरूप दी थी। बीकेटीसी ने यह भी स्पष्ट किया कि गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने का कार्य स्वयं दानदाता ने अपने स्तर से किया है।

दानदाता ने अपने स्तर से ज्वैलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार करवाई। फिर उन पर सोने की परतें चढ़ाई। दानदाता ने अपने ज्वैलर्स के माध्यम से ही इन प्लेटों को मंदिर में स्थापित करवाया। सोना खरीदने से लेकर दीवारों पर जड़ने तक का सम्पूर्ण कार्य दानदाता ने करवाया। मन्दिर समिति की इसमें कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी। दानदाता ने अपने स्वर्णकार के माध्यम से गर्भ गृह में लगाई स्वर्ण व तांबे की प्लेटों के बिल व बाउचर बीकेटीसी को कार्य पूर्ण होने के पश्चात दे दिए थे। बीकेटीसी ने नियमानुसार इसे स्टॉक बुक में दर्ज किया। दानस्वरूप किए गए इस कार्य के लिए दानी व्यक्ति अथवा किसी फर्म द्वारा बीकेटीसी के समक्ष किसी प्रकार की शर्त नहीं रखी गई, न ही दानदाता ने बीकेटीसी से आयकर अधिनियम की धारा 80 का प्रमाण पत्र मांगा।

इसी दानदाता की ओर से वर्ष 2005 में बदरीनाथ मन्दिर गर्भगृह को भी स्वर्ण जड़ित किया गया था, मगर वर्तमान समय में एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत विद्वेषपूर्ण आरोप लगाये जा रहे हैं। ऐसे तत्व यात्रा को प्रभावित करने और केदारनाथ धाम की छवि को धूमिल करने के लिए भ्रम फैला रहे हैं।

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