चमोली आपदा: तीन और शव मिलने से मृतक संख्या हुई 65,139 की तलाश
Uttarakhand Chamoli Glacier Tragedy Rescue Operation: तपोवन टनल के मलबे से एक शव और मिला, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
तपोवन टनल के मलबे से एक शव और मिला, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी।
शनिवार को एनडीआरएफ के जवानों ने चमोली में धौलीगंगा नदी में एक गेज लगाने के लिए पहाड़ के नीचे अपना रास्ता बनाया। इस संबंध में एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट आदित्य पी सिंह ने बताया कि धौलीगंगा नदी का जलस्तर बढ़ने की आशंका है।
देहरादून 20 फरवरी । एनडीआरएफ की टीम को आज शनिवार देर शाम तपोवन टनल के मलबे से एक शव और मिला। आज तीन शव बरामद हुए। चमोली हादसे में अब तक कुल 65 शव बरामद किए जा चुके हैं। अभी 139 लापता लोगों की तलाश जारी है। वहीं, दूसरी ओर, शनिवार को एनडीआरएफ के जवानों ने चमोली में धौलीगंगा नदी में एक गेज लगाने के लिए पहाड़ के नीचे अपना रास्ता बनाया। इस संबंध में एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट आदित्य पी सिंह ने बताया कि धौलीगंगा नदी का जलस्तर बढ़ने की आशंका है। हम इसकी गहराई और जलस्तर मापने के लिए एक गेज लगा रहे हैं।
भारी बारिश की चेतावनी के मद्देनजर तपोवन में अलर्ट
मौसम विभाग की 24 और 25 फरवरी को पर्वतीय जिलों में बारिश की चेतावनी के मद्देनजर चमोली जिले के तपोवन इलाके के लिए अलर्ट जारी कर दिया गया है। इस अवधि में रेस्क्यू कार्य जारी रखने अथवा न रखने के संबंध में जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया शनिवार को बैठक करेंगी। बारिश की आशंका को देखते हुए एनटीपीसी ने भी नई रणनीति पर मंथन शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि अगर 24 और 25 फरवरी को ऋषिगंगा क्षेत्र में तेज बारिश होती है तो ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी में जल स्तर बढ़ सकता है।
एनटीपीसी ने प्रभावितों को बांटा राशन
चमोली आपदा का असर तपोवन के निकट भंग्यूल गांव पर भी पड़ा है। गांव की आवाजाही के लिए ट्रॉली लगने के बाद एनटीपीसी ने भंग्यूल में चिकित्सा शिविर लगाने के साथ राशन भी वितरित किया। एनटीपीसी की मेडिकल टीम ने भंग्यूल गांव में जाकर ग्राम प्रधान के निर्देशन में प्रभावितों को राशन बांटी। एनटीपीसी ने ग्रामीणों को आटा, चावल, तेल, चीनी और मसाले आदि सामग्रियां उपलब्ध कराई गई। एनटीपीसी ने आपदा प्रभावित ग्रामीणों को हरसंभव मदद का भी भरोसा दिलाया। एनटीपीसी ने गांव में मेडिकल कैंप लगाकर ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया। गांव में चिकित्सक व पैरा मेडिकल स्टाफ की टीम तैनात की गई है, जो लगातार बीमारों को दवाएं बांट रही है। एनटीपीसी के कार्यकारी निदेशक मानव संसाधन एमएसडी भट्ट मिश्र ने बताया कि लापता श्रमिकों के बारे में उनके परिवार के सदस्यों को जानकारी दी जा रही है। साथ ही परियोजना स्थल पर सार्वजनिक सूचना केंद्र भी लगाया गया है।
नौ मीटर गहरी है ऋषिगंगा पर बनी झील, नौसेना के गोताखोरों ने ईको सेंसर्स से मापी झील की गहराई
चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा पर बनी झील की गहराई मापने में कामयाबी मिल गई। इसे आठ से नौ मीटर गहरा पाया गया है। झील को लेकर खतरे की सही स्थिति का अंदाजा लगाने को अब वैज्ञानिकों का दल रविवार को मौका मुआयना करेगा।
चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा पर बनी झील की गहराई मापने में कामयाबी मिल गई। इसे आठ से नौ मीटर गहरा पाया गया है। नौसेना के गोताखोरों ने शनिवार को झील की गहराई मापने के अहम काम को अंजाम दिया। झील को लेकर खतरे की सही स्थिति का अंदाजा लगाने को अब वैज्ञानिकों का दल रविवार को मौका मुआयना करेगा। यह दल झील के पास पहुंच चुका है। झील से पानी की निकासी या इसे तोडऩे अथवा नहीं तोडऩे के बारे में फैसला और इसके लिए उपायों की तलाश वैज्ञानिकों से मिलनी वाली अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर तय की जाएगी।
बीती सात फरवरी को ग्लेशियर टूटने से उफनाई ऋषिगंगा और धौलीगंगा भारी तबाही मचा चुकी हैं। हालत ये है कि इस आपदा में लापता हुए व्यक्तियों को अब तक खोजा नहीं जा सका है। शवों को ढूंढऩे के साथ राहत व बचाव कार्यों के जारी रहने के बीच चमोली जिले में मुरेंडा गांव से आगे ऋषिगंगा पर मलबे से बनी करीब 300 मीटर झील की जानकारी ने सरकार, वैज्ञानिकों और बचाव व राहत कार्यों में लगे दलों के माथे पर बल डाल दिए हैं। इस बीच झील से तीन स्थानों से जल निकासी का पता चलने के बाद कुछ राहत मिली। ये झील अब चिंता का सबब बनी हुई है। केंद्रीय गृह सचिव, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से लेकर हिमालय व पर्यावरणीय व भू विज्ञान संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिक इस समस्या से निपटने के तरीके तलाश रहे हैं।
यह तय किया गया कि ऋषिगंगा पर बनी इस झील की गहराई मापी जाए। शनिवार को नौसेना के गोताखोरों ने ईको सेंसर्स से झील की गहराई माप डाली। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बताया कि भूविज्ञानियों का दल झील के समीप पहुंच चुका है। यह दल रविवार को स्थलीय निरीक्षण करने के बाद झील के बारे में अपनी राय देगा। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एसडीआरएफ की डीआइजी रिद्धिम अग्रवाल ने वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के बाद करीब नौ मीटर यानी करीब 27 फीट गहरी झील के बारे में अहम निर्णय लिया जा सकेगा।