राजनीति के अपराधीकरण कैंसर के इलाज का आखिरी चरण:मुख्तार उप्र सीमा में
मुख्तार अंसारी को लेकर पुलिस ने उत्तर प्रदेश में किया प्रवेश, मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों से ली जानकारी
मुख्तार अंसारी को पुलिस उत्तर प्रदेश लेकर आ रही है. इस बीच मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों से रिपोर्ट ली है. DGP, DG जेल, और ACS होम से मुख्यमंत्री योगी ने मुख्तार के रूट, पहुंचने के समय और जेल की व्यवस्था को लेकर जानकारी ली.
लखनऊ 06अप्रैल: मुख्तार अंसारी को पुलिस पंजाब से उत्तर प्रदेश लेकर आ रही है. मंगलवार शाम 6 बजे पुलिस ने उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश किया. वहीं, दूसरी तरफ मुख्तार के मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों से रिपोर्ट ली है. DGP, DG जेल, और ACS होम से मुख्यमंत्री योगी ने जानकारी ली है. मुख्यमंत्री ने मुख्तार के रूट, पहुंचने के समय और जेल की व्यवस्था को लेकर जानकारी प्राप्त की है. मुख्तार अंसारी बांदा जेल की बैरक नंबर 15 में रहेगा.
अफजाल अंसारी ने बताया जान का खतरा
इस बीच मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने कहा है कि जहां तक न्यायिक प्रक्रिया की बात है तो उनके खिलाफ 40-50 मामले होने की फर्जी बातें की जा रही हैं. छोटी-बड़ी धाराओं के 13 मुकदमें एमपी एमएलए कोर्ट इलाहाबाद में विचाराधीन हैं उनका परीक्षण होगा. अफजाल अंसारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हमें जान का खतरा है.
मुख्तार अंसारी को सजा मिलेगी
सोमवार को लखनऊ में अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने एक बयान में कहा था कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में अंसारी के खिलाफ 52 मामले दर्ज हैं और इनमें 15 में पड़ताल चल रही है. अभियोजन का कार्य जल्द पूरा हो जाएगा और अंसारी को सजा मिलेगी. उन्होंने कहा था कि अंसारी ने पूर्वांचल में कई जघन्यतम आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया है और कई पुलिसकर्मियों की भी हत्या की गई है.
अपराधियों और शूटरों का बनाया गिरोह
कुमार ने कहा था कि अंसारी ने प्रदेश के कुख्यात अपराधियों और शूटरों का एक गिरोह बनाया और सीमावर्ती राज्य बिहार के शहाबुद्दीन गिरोह से भी संपर्क बनाकर एक मजबूत आपराधिक साम्राज्य स्थापित किया. कुमार ने कहा था कि, ”वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार की सख्त कार्रवाई के चलते अंसारी गिरोग के गुर्गों और उसके शरणदाताओं के आर्थिक साम्राज्य को ध्वस्त किया गया है और अंसारी समेत उसके सहयोगियों की करीब 192 करोड़ की संपत्ति जब्त और नष्ट की गई है.” उन्होंने ये भी कहा था कि 75 अपराधियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की गई है और उसके गिरोह के 72 अपराधियों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं. उसके सहयोगी सात ठेकेदारों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है।
योगी सरकार के लिए मुख्तार अंसारी पर कठोर कार्रवाई के क्या हैं मायने? 5 प्वाइंट्स में जानिए
मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश की बांदा जेल लाने पर कार्रवाई तेजी से चल रही है.
उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने 2017 में मुख्यमंत्री बनते ही अपराधियों को उत्तर प्रदेश छोड़ देने की नसीहत दी थी. उन्हीं की सरकार ने माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mafia Don Mukhtar Ansari) को उत्तर प्रदेश लाने के लिए एड़ी चोटी का जोर क्यों लगा दिया? आखिर क्यों पुलिस के बड़े-बड़े अफसरों से लेकर मंत्री तक इसे योगी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि गिना रहे हैं. सवाल तो ये भी उठता है कि क्या मुख्तार अंसारी पर कार्रवाई सिर्फ एक माफिया के खिलाफ की जा रही कार्रवाई है या इसके कुछ और भी मायने हैं? जानकारों का मानना है कि चुनावी साल से ऐन पहले योगी सरकार के ऐसे एक्शन के बड़े राजनीतिक मायने हैं. आइए जानते हैं वो कौन से पांच बड़े मायने हैं?
अपराधियों पर जीरो टॉलरेंस की नीति
2017 में सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराध पर जीरो टॉलरेंस का वायदा किया था. इस वायदे के साथ ही प्रदेश में ताबड़तोड़ एनकाउण्टर्स शुरू हो गये थे. सिलसिला अभी भी जारी है. बदमाशों के साथ प्रदेश के माननीय बन चुके बड़े-बड़े बाहुबलियों पर भी एक्शन शुरू हो गए. भदोही के गोपीगंज से विधायक विजय मिश्रा हों या फिर जौनपुर से सांसद रहे धनंजय सिंह, अतीक अहमद हों या फिर मुख्तार अंसारी, सभी बाहुबलियों की योगी सरकार ने आर्थिक कमर तो तोड़ी ही, उन्हें उनकी करतूत की मुकम्मल सजा भी देने की कोशिश की.
दूसरी सरकारों से अलग दिखने की कोशिश
अपराधियों पर नकेल कसने की कसमें तो सभी सरकारें खाती रही हैं लेकिन, एक्शन के मामले में रवैया दूसरा ही दिखता रहा है. योगी सरकार इस परिभाषा को बदल रही है. सपा और बसपा की सरकारों में भी अपराधियों पर एक्शन हुए लेकिन, बाहुबली माननीयों पर आंच नहीं आई. योगी सरकार ने पिछली सरकारों के उलट अपना रवैया दिखाया है और ये जताने की कोशिश की है कि सत्ता में पैठ बना लेने से बचने का रास्ता नहीं मिल जायेगा.
ब्राह्मण, ठाकुर या फिर मुस्लिम, बाहुबलियों पर एक साथ चाबुक
लखनऊ में हिन्दूवादी नेता कमलेश तिवारी की नृशंस हत्या हो, कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों को मारने वाले विकास दुबे का एनकाउण्टर हो या फिर विधायक विजय मिश्रा पर नकेल, इन सभी घटनाओं के बाद योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी बताकर बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया में अभियान चलाया गया था. ये चर्चा अब कहीं नहीं होती. बाहुबली धन्नंजय सिंह, अतीक अहमद और मुख्तार अंसरी पर चोट करके योगी सरकार ने इस मिथक को झूठा करार दे दिया है. उसने बता दिया है कि बाहुबलियों पर कार्रवाई जाति विशेष को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि चौतरफा की जायेगी.
चुनावी साल में जाने से पहले पुराने वायदे की पूर्ति
2022 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. चुनावी माहौल शुरु होने में अब 6 महीने से भी कम समय बचा है. ऐसे में योगी सरकार चुनावी समर में उतरने से पहले ये जता देना चाहती है कि उसने सत्ता संभालने के समय जो वायदा किया था, उसे पूरा कर दिया है. 2017 में मुु्ख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों पर तगड़ी नकेल कसने की बात कही थी. अब जब वे 2022 के चुनावी रैलियों में उतरेंगे तो सीना ठोककर कह सकेंगे कि कितने बाहुबलियों को धूल चटाई.
पूर्वांचल से ऑर्गनाइज्ड क्राइम का खात्मा
सालों से पूर्वांचल ऑर्गनाइज्ड क्राइम का गढ़ रहा. कोयले और रेलवे ठेकों की लूट के लिए बड़े-बड़े माफिया पैदा हो गये. इन पर कार्रवाई तो बीच-बीच में होती रही लेकिन, राजनीतिक मतलब भी साधे जाते रहे. लिहाजा माफियाओं की जड़ें और गहरी होती गयीं. योगी सरकार ने इसी ऑर्गनाइज्ड क्राइम पर चोट की है. पिछले बीस सालों में जो न हो सका, उसे कर दिखाने का संदेश सरकार देना चाहती है.
हालांकि अदालतों में पुलिस को और मेहनत करनी होगी क्योंकि मुख्तार अंसारी के खिलाफ चल रहे केसों में उसे कोर्ट से गुनहगार साबित करवाना भी बड़ी चुनौती है. बड़े माफियाओं के खिलाफ गवाहों का टूटना कोई नयी बात नहीं है. मुख्तार के खिलाफ उत्तर प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में करीब 52 मुकदमे दर्ज हैं. फिलहाल 15 मुकदमे ट्रायल पर हैं.