यीशु की जन्म तिथि अनिश्चित, सेंटा क्लॉज काल्पनिक

लार्ड निकोलस क्लाडिएस, या काउंट निकोलस क्लाजेयस, जो आगे सेंट निकोल क्लाजियस यानी सेंटा क्लाज बने उनका संबंध ईसाई धर्म से करीब-करीब शून्य है. यह तो प्रश्या के एक दयालु सामंत थे. यह ठीक वैसा ही था जैसे काउंट ब्लॉड को काउंट ड्रैकुला बना दिया गया.

मुख्यतः यह 25 दिसंबर जो जीसस का जन्म दिन घोषित किया गया, यह निकारगुआ की काउंसिल, या नीशिया की काउंसिल, या नीसियन काउंसिल में तय हुआ था. जिसका आयोजन कांस्टैटीन ने जीसस की मृत्यु के 300 साल बाद अपनी माँ हेलेना के कहने पर किया था. जो स्वयं ईसाई थी.

और ऐसा नहीं था कि इस दिन को यूँ ही चुन लिया गया था. जीसस जन्म दिन बनने से बहुत पहले से यह 25 दिसंबर नार्दन यूरोप का एक त्यौहार था, जिसका नाम था साम्हैं.

मुख्यतः आइरिश और स्कॉटिश पहाड़ों पर यह त्यौहार मनाया जाता था, और चूंकि तब का यूरोप आज जैसा नहीं था, कई देश तो बाद में बने हैं. तो यह त्यौहार काफी बड़ा था जिसमें गरीबों या कमजोरों को नए कपड़े और भोजन दिया जाता था. कुछ-कुछ संक्रांति जैसा हाल था.

कई पुराने ग्रीक और रोमन तथ्य यह भी मानते हैं कि यह एक सूर्य आधारित त्योहार था वैसे 22 दिसंबर को पड़ने वाली संक्राति से यह संबंध माना जा सकता है. तो यह त्यौहार यूरोप में काफी प्रचलित था और स्काटिश लार्ड्स और आइरिश व्यापारी इस दिन उपहार देते थे.

जीसस के विरोधी लेकिन बाद में जीसस के प्रमुख प्रशंसक, और ईसाई धर्म की कथाओं में प्रमुख नाम, जोसफ़ ऑफ अरामिथिया, यूरोप से व्यापार करते थे, और उनसे ही  जीसस के बारे में यूरोप में कथाएं फैली.

वेस्ट इंग्लैंड और स्काटिश हाईलैंड्स में पहले कैथेड्रल का निर्माण बहुत बाद में हुआ क्योंकि जोसफ ऑफ अरामीथिया जीसस के समकालिक थे और वही श्राउड ऑफ ट्यूरिन को देने वाले थे. वैसे कहानियाँ यह भी हैं जोसफ़ ऑफ अरामीथिया होली ग्रेल को लेकर इंग्लैंड आए थे.

कैमलॉट और आर्थर लेजेंड के अलावा यह भी बात ध्यान देने वाली है कि इंग्लैंड विलियम राजघराने से पहले रोम साम्राज्य के अधीन था, और लंदन का पोर्ट तो  बनाया हुआ ही  वाइकिंग्स का है .

तो जैसा होता रहा है, यूरोप के बड़े साम्राज्य रोम के ईसाई मत को राज्यधर्म बना देने के बाद, अन्य राज्यों में यह बढ़ता गया. और फ्रांस व इंग्लैंड पहले से ही ईसाई धर्म के पास आ चुके थे क्योंकि उनका संबंध भूमध्य से पहले से ही था.

तो इसी के बाद साम्हैं की पूरी सांस्कृतिक पहचान क्रिसमस में विलीन हो गई. लेकिन अभी भी संभवतः स्कॉटलैंड और आयरलैंड में इसे साम्हैं के रूप में मनाते हैं.

ठीक वैसे ही जैसे भले ही लेप्रीकान्स की कहानी छूट गई, लेकिन “सेंको द मायो डे” की परेड आज भी हरे मोजे पहनकर ही निकाली जाती है, और भले ही सेंको का सेंट मायो हो गया है. यह पुरानी आइरिश परंपरा थी.

तो इसी तरह से लार्ड निकोलस क्लोजियस, जो मूलतः आस्ट्रियन-जर्मन थे, उनको सेंटा क्लाज बनना ही पड़ा. लार्ड निकोलस को समाहित करना पड़ा जैसे साम्हैं को क्रिसमस बनाना पड़ा. इससे प्रश्या और पोर्टलिस तक प्रसार बढ़ाना था. चलिए जो भी हो, आप पुराने की संस्कृति पर नया भले ही थोप दें, लेकिन नींव में तो वह रहेगा ही .
✍🏻मनोज श्रीवास्तव

क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। यह 25 दिसंबर को पड़ता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व मे अवकाश रहता है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था। 25 दिसंबर यीशु मसीह के जन्म की कोई ज्ञात वास्तविक जन्म तिथि नहीं हैं और लगता है कि इस तिथि को एक रोमन पर्व या मकर संक्रांति (शीत अयनांत) से संबंध स्थापित करने के आधार पर चुना गया है। आधुनिक क्रिसमस की छुट्टियों मे एक दूसरे को उपहार देना, चर्च मे समारोह और विभिन्न सजावट करना शामिल हैं। इस सजावट के प्रदर्शन मे क्रिसमस का पेड़, रंग बिरंगी रोशनिमयाँ, बंडा, जन्म के झाँकी और हॉली आदि शामिल हैं। सांता क्लॉज़ (जिसे क्रिसमस का पिता भी कहा जाता है हालांकि, दोनों का मूल भिन्न है) क्रिसमस से जुड़ी एक लोकप्रिय पौराणिक परंतु कल्पित शख्सियत है जिसे अक्सर क्रिसमस पर बच्चों के लिए उपहार लाने के साथ जोड़ा जाता है। सांता के आधुनिक स्वरूप के लिए मीडिया मुख्य रूप से उत्तरदायी है।

क्रिसमस को सभी ईसाई लोग मनाते हैं और आजकल कई गैर ईसाई लोग भी इसे सांस्कृतिक उत्सव के रूप मे मनाते हैं। क्रिसमस के दौरान उपहारों का आदान प्रदान, सजावट का सामन और छुट्टी के दौरान मौजमस्ती के कारण यह एक बड़ी आर्थिक गतिविधि बन गया है और  खुदरा विक्रेताओं के लिए इसका आना एक बड़ी घटना है।

दुनिया भर के अधिकतर देशों में यह २५ दिसम्बर को मनाया जाता है। क्रिसमस की पूर्व संध्या यानि 24 दिसम्बर को ही जर्मनी तथा कुछ अन्य देशों में इससे जुड़े समारोह शुरु हो जाते हैं। ब्रिटेन और अन्य राष्ट्रमंडल देशों में क्रिसमस से अगला दिन यानि 26 दिसम्बर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। कुछ कैथोलिक देशों में इसे सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहते हैं। आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च 6 जनवरी को क्रिसमस मनाता है पूर्वी परंपरागत गिरिजा जो जुलियन कैलेंडर को मानता है वो जुलियन वेर्सिओं के अनुसार २५ दिसम्बर को क्रिसमस मनाता है, जो ज्यादा काम में आने वाले ग्रेगोरियन कैलेंडर में 7 जनवरी का दिन होता है क्योंकि इन दोनों कैलेंडरों में 13 दिनों का अंतर होता है।

 

 

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