दिल्ली में हज हाउस का 360 खाप पंचायतों से विरोध
दिल्ली में हज हाउस बनाने पर 360 खाप पंचायतों ने जताया विरोध, बीजेपी ने दिया साथ
दिल्ली के द्वारका सेक्टर 22 में बनने वाले हज हाउस को लेकर घमासान जारी है. 360 खाप पंचायतों ने दिल्ली सरकार का विरोध जताया है, वहीं बीजेपी ने खाप पंचायतों के सुर में सुर मिलाया है. बीजेपी ने इसे दिल्ली सरकार की मनमानी बताया है.
खाप पंचायतों को मिला बीजेपी का साथ
खाप पंचायतें जता रही हैं विरोध
ग्रामीणों के जमीनों पर तैयार हज हाउस,बीजेपी नेताओं ने भी किया विरोध प्रदर्शन
नई दिल्ली 07 अगस्त।भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने द्वारका सेक्टर 22 में प्रस्तावित हज हाउस का विरोध किया है. बीजेपी का कहना है कि इसे 360 खाप पंचायतों की इच्छा के खिलाफ बनाया गया था. बीजेपी ने हज हाउस की जमीन पर अस्पताल या स्कूल की मांग की, जिसे अभी तक सार्वजनिक उपयोग के लिए नहीं खोला गया है.
सेक्टर 22 में बनने वाले हज हाउस को लेकर 360 खापों ने विरोध जताया है. दिल्ली बीजेपी ने खाप पंचायतों का साथ देते हुए हज हाउस को पूरी तरह से लोगों की भावनाओं के खिलाफ बताया. बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड की खाली पड़ी जमीनों पर दिल्ली सरकार हज हाउस बनाए.
दिल्ली बीजेपी के चीफ आदेश गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली में तमाम वक्फ बोर्ड की जमीनें पड़ी हुई हैं, उन जमीनों पर हज हाउस बनाने की जगह ग्रामीणों के जमीन पर हज हाउस बनाने का क्या मतलब है? बीजेपी ग्रामीणों के साथ है और हम दिल्ली सरकार की मनमानी को कभी पूरा नहीं होने देंगे.
2008 से शिलान्यास की हो रही कोशिश
आदेश गुप्ता ने यह भी कहा कि 2007 में जब कांग्रेस की सरकार थी तो उन्होंने यह निर्णय लिया था कि यहां पर हज हाउस बनाएंगे. फरवरी 2008 में शिलान्यास करने की कोशिश की गई तो आप सभी लोगों के संघर्ष से कांग्रेस अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाई थी. एक बार फिर से वही समय आ गया है, जब केजरीवाल के मंसूबे को नाकामयाब बनाना है और इसमें बीजेपी हर वक्त आपके साथ है.
दिल्ली के मालिक केजरीवाल नहीं, जनता!
बीजेपी नेता आदेश गुप्ता ने कहा कि जिस तरह से अपने राजनीतिक लाभ के लिए केजरीवाल मनमानी कर रहे हैं, उसको हम किसी भी सूरत में नहीं होने देंगे. जहां हज हाउस बनाने की बात हो रही है, वहां मुस्लिम समुदाय के लोग रहते नहीं. जो रहते हैं, उनकी भी चाहत है कि यहां हज हाउस न बनकर स्कूल कॉलेज या अस्पताल बने. हज हाउस बनाने का क्या मतलब है. खुद को दिल्ली का मालिक मानकर बैठने वाले केजरीवाल को समझना चाहिए कि दिल्ली के असली मालिक गांव-देहात में रहने वाले मध्यम और मजदूर वर्गीय लोग हैं.
दरअसल अगले साल दिल्ली से हज को जाने वाले यात्रियों के लिए हज हाउस की सुविधा मुहैया कराई जा रही है. करीब 93.47 करोड़ रुपए की लागत वाला हाउस करीब-करीब तैयार है. हर साल 20 से 30 हजार हज यात्री दिल्ली से जाते हैं.
BJP का भी मिला समर्थन
Delhi News: दिल्ली के द्वारका सेक्टर 22 में हज हाउस के प्लॉट के सामने हिंदू संगठनों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया. इसमें काफी संख्या में आसपास के लोग जुटाए गए थे. राजनीतिक फायदे नुकसान को देखते हुए बीजेपी भी इस अभियान में शामिल हो गई है. बीजेपी दिल्ली के अध्यक्ष आदेश गुप्ता (Adesh Gupta) भी प्रदर्शन में पहुंचे और इसको अपने समर्थन का ऐलान किया
दिल्ली के द्वारका में हज हाउस बनाने के खिलाफ सड़क पर उतरे लोग, BJP का भी मिला समर्थन
द्वारका सेक्टर 22 में हज हाउस निर्माण को लेकर हिंदू संगठनों ने व्यापक तौर पर उठाने का फैसला करते हुए आठ अगस्त को जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया है
द्वारका सेक्टर 22 इलाके में स्थित हज हाउस के खिलाफ विरोध की आवाजें उठ रही हैं और विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. यहां अलॉट किया गया 5,000 स्क्वॉयर मीटर का प्लॉट पिछले 13 वर्षों से लगभग खाली पड़ा है. इसमें आज तक निर्माण गतिविधि नहीं हुई है मगर फिर भी यहां और आसपास के इलाके में हज हाउस (Haj House) को लेकर विरोध और नाराजगी है. हिंदू संगठनों (Hindu Organizations) की ओर से हज हाउस के प्लॉट के सामने हो रहे विरोध-प्रदर्शन में काफी संख्या में आसपास के लोग जुटाए गए हैं. राजनीतिक फायदे नुकसान को देखते हुए बीजेपी (BJP) भी इस अभियान में शामिल हो गई है. बीजेपी दिल्ली के अध्यक्ष आदेश गुप्ता (Adesh Gupta) भी प्रदर्शन में पहुंचे और इसको अपने समर्थन का ऐलान किया.
प्रदर्शन करने वालों में बीजेपी के पूर्व विधायक सत्य प्रकाश राणा भी शामिल थे. उनका कहना है कि आखिर यहां पर ही क्यों हज हाउस बनाया जा रहा है. यहां मुस्लिमों की आबादी नहीं है. यहां पास में ही लड़कियों का कॉलेज बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट के आसपास बहुत जगह खाली है जहां हज हाउस बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हम हज हाउस नहीं बनने देंगे. दिल्ली सरकार 100 करोड़ रुपए लगाना चाहती है आखिर वो इससे अस्पताल, कॉलेज, स्कूल क्यों नहीं बनवाती.
13 वर्षों में हज हाउस में नही लगी एक भी ईंट
दरअसल पिछले 13 साल से हज हाउस के लिए यहां अलॉट किया गया 5,000 वर्ग मीटर का प्लॉट खाली पड़ा है. इसकी एक तरफ की बाउंड्री वॉल गिराई जा चुकी है. दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने वर्ष 2008 में दिल्ली के द्वारका इलाके में एक बहुआयामी हज हाउस बनाने का ऐलान किया था. उन्होंने सात जुलाई, 2008 को इस हज हाउस प्रोजेक्ट का फाउंडेशन स्टोन रखा था. लेकिन उस समय भी शिवसेना ने इसका विरोध किया था और आधारशिला व फाउंडेशन स्टोन को तोड़ दिया गया है. अभी भी यहां मौजूद काले रंग का यह पत्थर शीला दीक्षित के प्रयास की गवाही दे रहा है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह विवाद पुराना है.
वहीं, मटिया महल क्षेत्र से विधायक शोएब इकबाल ने भी हज हाउस को द्वारका ले जाने का विरोध किया था. जिसके चलते यह पूरा प्रोजेक्ट लंबित होता चला गया और 2013 तक मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान हज हाउस का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका.
आम आदमी पार्टी की सत्ता और हज हाउस
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीन साल पहले हज हाउस के लिए बजट देने का एलान किया था. हर साल बजट मिलना था जिसके तहत लगभग 100 करोड़ की लागत से हज हाउस बनाया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दिल्ली सरकार पिछले कई वर्षो से अपने बजट प्लान में हज हाउस के लिए बजट एलोकेशन करती आ रही है. बावजूद इसके यहां (द्वारका सेक्टर 22) इसके निर्माण कार्य शुरू होने के कोई आसार नहीं दिखते.
हज हाउस के मुद्दे पर विवाद कैसे शुरू हुआ
ऑल द्वारका रेजिडेंट वेलफेयर फेडरेशन की ओर से दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को एक खत लिखा गया था जिसमें उनसे हज हाउस के अलॉटमेंट की जगह को कैंसिल करने की अपील की गई. फेडरेशन की ओर से लिखे गए विवादित पत्र में कहा गया कि अगर यहां हज हाउस बना तो इलाके से हिंदुओं का पलायन होगा, यह इलाका शाहीन बाग बन जायेगा. यहां दंगे भड़क सकते हैं और ट्रैफिक की समस्या पैदा होगी. इसके बाद इस मुद्दे पर विवाद गहरा गया
जंतर-मंतर पर प्रदर्शन का एलान
इस मसले को हिंदू संगठनों ने व्यापक तौर पर उठाने का फैसला करते हुए आठ अगस्त को जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया है. उनका कहना है केजरीवाल सरकार को हम चेतावनी दे रहे हैं कि वो यहां हज हाउस ना बनाएं. जाहिर है चुनाव करीब है इसलिए आने वाले समय में यह मुद्दा दिल्ली की राजनीति में और गरमाने वाला है.