दिल्ली दंगाईयों के साझीदार वकील महमूद प्राचा के हिमायती प्रशांत भूषण को पुलिस का मुंहतोड़ जवाब

दिल्ली दंगों के आरोपितों को बचाने वाले महमूद प्राचा को दिल्ली पुलिस ने किया एक्सपोज़, प्रशांत भूषण के आरोपों का भी दिया जवाब

सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण द्वारा दिल्ली पुलिस की छापेमारी पर सवाल खड़े किए जाने के बाद पुलिस ने बिन्दुवार तरीके से हर प्रश्न का जवाब दिया है। भूषण ने यह सवाल ISIS पोस्टर बॉय के वकील महमूद प्राचा के विरुद्ध की गई पुलिस की रेड पर खड़े किए थे।

बता दें कि पिछले दिसंबर में महमूद प्राचा के दफ्तर और आवास पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा की गई खोजबीन के संबंध में भूषण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।

इस कॉन्फ्रेंस में भूषण ने न्यायालय के आदेश पर की जा रही इस जाँच को ‘दुर्भावनापूर्ण’ बताया था और दिल्ली पुलिस की मंशा के अलावा जाँच पर भी कई सवाल खड़े किए थे। भूषण का आरोप था कि दिल्ली पुलिस प्राचा के कंप्यूटर की हार्ड डिस्क सीज़ करना चाहती थी और वारंट में इस कार्रवाई की अनुमति नहीं थी। भूषण के मुताबिक़ दिल्ली पुलिस ने महमूद प्राचा को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का नाम लेकर धमकाया भी था।

प्रशांत भूषण के इन कथित आरोपों का जवाब देते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह आदेश की अनदेखी करके खुद के खिलाफ अदालत की अवमानना के एक और मामले की ज़मीन तैयार रहे हैं।

प्रशांत भूषण के जाँच पर लगाए आरोपों और दिल्ली पुलिस का दिया गया उन सवालों के जवाब

1- भूषण के मुताबिक़ पुलिस जिस ईमेल की तलाश कर रही थी, उसे प्राचा ने पहले ही कमिश्नर सहित तमाम अधिकारियों को भेज दिया था। यह खोजबीन प्राचा से जुड़ी निजी जानकारी व प्राचा और उसके क्लाइंट्स के बीच हुई बातचीत की जानकारी लेने के लिए की गई थी, जिसे क़ानूनी आधार पर सुरक्षित रखा गया था। भूषण के इन आरोपों का जवाब देते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस खोजबीन का उद्देश्य प्राचा के कंप्यूटर में मौजूद तमाम सबूतों को अदालत के सामने पेश करना था, ताकि उस पर लगाए गए आरोपों को साबित किया जा सके।

2- प्रशांत भूषण का एक और बड़ा आरोप, जिसके मुताबिक़ दिल्ली पुलिस प्राचा की निजी जानकारी व प्राचा और उसके क्लाइंट्स के बीच हुई बातचीत की जानकारी लेना चाहती थी। इस पर दिल्ली पुलिस ने कहा कि ऐसी कोई भी बातचीत जो आपराधिक गतिविधि की साज़िश रचने के लिए की गई थी, उसे क़ानूनी सुरक्षा के दायरे से बाहर रखा गया था। चाहे वकील को उस साज़िश की जानकारी हो या नहीं। दिल्ली पुलिस के बयान के मुताबिक़, “क़ानून आपराधिक गतिविधियों का षड्यंत्र रचने या उसमें शामिल होने पर सुरक्षा प्रदान नहीं करता है।”

3- प्रशांत भूषण का कहना था कि जाँच अधिकारियों को सीआरपीसी की धारा 91 के तहत प्राचा को समन भेजना चाहिए था, जिससे वह मामले से संबंधित दस्तावेज़ पेश कर सकें। इसका जवाब देते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि एक आरोपित को अपना पक्ष रखने के लिए कई मौके दिए जाते हैं।

दिल्ली पुलिस ने कहा, “सच ये है कि ऐसे लोग जो अदालत में रोज़ दाँव पेंच का इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए यह स्वीकार करना मुश्किल हो जाता है कि क़ानून से ऊपर कोई नहीं है। प्राचा ने दिल्ली पुलिस की इस जाँच से बचने के लिए अपने हर संपर्कों का इस्तेमाल किया। जाँच के दौरान सहयोग करने की जगह प्राचा ने जाँच में बाधा डालने का हर सम्भव प्रयास किया और चश्मदीदों को डराने का प्रयास किया। उसने आरोपितों को निर्दोषों के रूप में पेश करने का प्रयास किया और निर्दोषों को गंभीर आरोपों के तहत दोषी साबित करने का प्रयास किया। वह झूठे बयान देकर और झूठे चश्मदीदों को पेश करके न्यायिक प्रक्रिया को भ्रमित करने का भी आरोपित है। एक वकील का काम लोगों को इस बात का सुझाव देना नहीं है कि वह कैसे अपराध करें।”

सर्च वारंट पर लगाए गए आरोपों के जवाब में दिल्ली पुलिस ने कहा कि यह न्यायालय के लिए प्रशांत भूषण के मन में घृणा है। इसका मतलब साफ़ है कि वह देश की सबसे बड़ी अदालत का ज़रा भी सम्मान नहीं करते हैं।

महमूद प्राचा के खिलाफ जाँच

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने महमूद प्राचा के दफ्तर में छापेमारी की थी। प्राचा पर फ़र्ज़ी हलफ़नामा बना कर दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों के मासूमों को गलत बयान देने के लिए उकसाने का आरोप है। पुलिस ने उसके पास मौजूद दस्तावेज़ और उसकी लॉ फर्म की आधिकारिक ईमेल के आउटबॉक्स की जाँच की थी। इसके बाद प्राचा को भारतीय दंड संहिता की धारा 182, 193, 420, 468, 471, 472, 473, 120B में गिरफ्तार किया गया था।

छापेमारी के दौरान महमूद प्राचा ने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बदतमीजी की थी और जाँच रोकने का प्रयास किया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 186, 353 और 34 के तहत निज़ामुद्दीन पुलिस थाने में एफ़आईआर दर्ज कराई थी।

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