झारखंड में भी अजजा जनसंख्या 10%, हिंदू 7% घटी, मुस्लिम 5.5% बढ़े

झारखंड के 6 जिलों में 13%, 2 जिलों में 35% बढ़े मुस्लिम: घुसपैठ-धर्मांतरण से बदल रही डेमोग्राफी, राज्य में 7% घटे हिंदू, ईसाई जनसंख्या वृद्धि 231%

झारखंड के संथाल परगना में डेमोग्राफिक बदलाव इस समय राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक की चिंता बना हुआ है। हाल में केंद्र सरकार ने इलाके में जनसांख्यिकी बदलाव पर हाई कोर्ट में एक जवाब दाखिल किया जिसमें चौंकाने वाले अनावरण हुए।

केंद्र सरकार के जवाब से पता चला कि संथाल परगना के साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा व जामताड़ा समेत 6 जिलों में 16 प्रतिशत  (44% से 28%) जनजातीय लोग घटे हैं जबकि मुस्लिम 13% बढे है और दो जिले- साहिबगंज और पाकुड़ में तो इनकी संख्या 35% बढ़ी है।

कैसे उठा डेमोग्राफी बदलाव का मामला
राज्य में होते बदलाव के पीछे पलायन, घुसपैठ और धर्मांतरण को कारण माना जा रहा है। वहीं इसका समाधान सिर्फ और सिर्फ एनआरसी बताया जा रहा है। पहले इस मामले में सोमा उरांव ने जनहित याचिका से जनजातीय समुदाय के लोगों के धर्म परिवर्तन का मामला उठाया। बाद में दानियाल दानिश ने जनहित याचिका से बांग्लादेशी घुसपैठियों का विषय उठाया । इनकी चिंता संथाल परगना में डेमोग्राफिक बदलाव था। प्रार्थियों ने बताया था कि कैसे घुसपैठियों को प्रवेश देने को यहां सिंडिकेट सक्रिय है जो उन्हें आधार कार्ड बनाकर देता है।

इस गंभीर मसले के कोर्ट में पहुँचने के बाद छह जिलों के डिप्टी कमीशनरों ने कोर्ट को बताया कि उनके क्षेत्रों में घुसपैठ समस्या नहीं है। कोर्ट ने उन्हें चेताया था कि अगर ये जानकारी झूठ निकली तो उनके खिलाफ कोर्ट अवमानना का केस चलेगा।

केंद्र का कहना है कि राज्य में घुसपैठियों के खिलाफ संविधान में कार्रवाई के अधिकार राज्य सरकार को हैं। इसके लिए एक समिति राज्य सरकार के पास है। राज्य को इसमें सहायता चाहिए तो केंद्र देने को तैयार है।

पूर्व CM ने जनता को किया सावधान
गौरतलब है कि इस मामले की सुनवाई कोर्ट में अब 17 सितंबर को होगी,लेकिन उससे पहले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने यह विषय जनता के समक्ष उठाया है। उन्होंने 12 सितंबर को जामताड़ा के यज्ञ मैदान में जनाक्रोश रैली की। उन्होंने समझाया कि कैसे इस डेमोग्राफी बदलाव से सरकारी क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति की आरक्षित सीटों पर प्रभाव पड़ेगा। अगर क्षेत्र में आबादी कम होगी तो लोकसभा, विधानसभा,सरकारी नौकरी हर जगह संख्या घटेगी।

Babulal Marandi (@yourBabulal) posted at 6:36 PM on Thu, Sep 12, 2024:
आज जामताड़ा के यज्ञ मैदान में आयोजित संथाल परगना में आदिवासियों की घटती जनसंख्या और लुटती जमीन के विरोध में जनाक्रोश रैली को संबोधित किया।

1951 के जनगणना के अनुसार, झारखंड में आदिवासियों की आबादी 36% थी, जो 2011 की जनगणना में घटकर 26% हो गई है। वहीं मुसलमानों की आबादी 9% से https://t.co/mNLCgDTy3j
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उन्होंने बताया कि 1951 के जनगणना के अनुसार, झारखंड में जनजातीय जनसंख्या 36% थी, जो 2011 की जनगणना में घटकर 26% हो गई है। वहीं मुस्लिम जनसंख्या 9% से बढ़कर 14.5% जा पहुँची है। इसी बीच हिंदू जनसंख्या भी लगभग 7% घटकर, 88% से 81% हो गई है। उन्होंने आँकड़े देकर समझाया कि झारखंड में जनजातीय,हिंदू जनसंख्या घट रही है और उसी अनुपात में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ रही है।

संथाल में आदिवासी घटे, मुस्लिम और ईसाई बढ़े, डेमोग्राफिक बदलाव पर HC में केंद्र का जवाब, कई तथ्य पेश – central government affidavit,Jharkhand High Court.
संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में एफिडेविट दिया है. इसमें जो जानकारी दी गई है, वो काफी चौंकाने वाले हैं.
झारखंड के वनवासी(फाइल फोटो)

संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ से बदल रही डेमोग्राफी

मामले में केंद्र सरकार और UIDAI की ओर से हाईकोर्ट में दायर काउंटर एफिडेविट में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं.केंद्र सरकार के मुताबिक घुसपैठ मुख्य रूप से साहिबगंज और पाकुड़ जिले में हुई है,जो पश्चिम बंगाल से सटे हुए हैं. बताया गया है कि पिछले कुछ सालों में इसी से मदरसे बढ़े हैं.


केंद्र सरकार ने माना है कि संथाल में साल 1951 तक वनवासियों की जनसंख्या 44.67 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 28.11 प्रतिशत हो गई है.इसके पीछे पलायन, कम शिशु जन्म दर और ईसाई धर्मांतरण को सबसे बड़ा कारण बताया गया है.रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर 2011 तक ईसाई जनसंख्या का ग्रोथ रेट 231 प्रतिशत था। संथाल परगना में यह प्रतिशत और भी काफी ज्यादा रहा.
आदिवासी सिमटे, ईसाई की संख्या बढ़ी
केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया है कि आजादी के बाद साल 2011 तक राष्ट्रीय स्तर पर कुल आबादी की तुलना में हिंदू आबादी में 4.28 प्रतिशत की कमी रिकॉर्ड हुई.लेकिन संथाल परगना में 22.42 प्रतिशत आबादी कम हुई है.इसमें आदिवासी की जनसंख्या 44.67 प्रतिशत से घटकर 28.11 प्रतिशत पर आ गई है.जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ईसाई आबादी में 231 प्रतिशत वृद्धि हुई.वहीं संथाल परगना में ईसाई आबादी का ग्रोथ रेट अप्रत्याशित बताया गया है.
आदिवासी घटे, मुस्लिम की संख्या बढ़ी
केंद्र सरकार के मुताबिक 1961 में साहिबगंज की आबादी 4.14 लाख थी. इसमें मुस्लिम आबादी 82 हजार थी,जो कुल आबादी का करीब 20 प्रतिशत था. लेकिन 2011 में साहिबगंज की कुल आबादी 11.50 लाख की तुलना में मुस्लिम आबादी 3.98 लाख हो गई जो कुल आबादी का 34.61 प्रतिशत है.पाकुड़ में 1961 तक कुल आबादी 3.47 लाख थी.इसमें 76 हजार मुस्लिम थे.लेकिन 2011 में मुस्लिम आबादी 22.02 प्रतिशत से बढ़कर 35.86 प्रतिशत यानी 3.22 लाख हो गई.
जनसंख्या प्रतिशत का लेखा-जोखा
केंद्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक 1951 में संथाल परगना में हिंदू की आबादी कुल आबादी का 90.37 प्रतिशत थी. इसमें आदिवासी की आबादी 44.67 प्रतिशत, मुस्लिम आबादी 9.43 प्रतिशत, ईसाई आबादी 0.18 प्रतिशत थी. लेकिन 2011 में हिंदू की आबादी 67.95 प्रतिशत, मुस्लिम आबादी 22.73 प्रतिशत, क्रिश्चियन आबादी 4.21 प्रतिशत और आदिवासी की आबादी 28.11 प्रतिशत हो गई.

भूमि कानून में कमियां 
केंद्र सरकार ने काउंटर एफिडेविट में संथाल के भूमि कानून की खामियों का भी जिक्र किया है. यहां दानपत्र से आदिवासी जमीन गैर आदिवासी को दी जाती है. इसी आधार पर मुस्लिम जमीन ले रहे हैं. रिपोर्ट में 18 जुलाई 2024 को पाकुड़ में जमीन को लेकर हुए विवाद का जिक्र किया गया है. हालांकि, केंद्र ने यह भी कहा है कि अभी तक जमीन से जुड़े मामलों में बांग्लादेशी के शामिल होने की पुष्टि नहीं हुई है.
भारत-बांग्लादेश सीमा की स्थिति
भारत और बांग्लादेश की सीमा 4,096.7 किलोमीटर लंबी है. अबतक 3,922.24 किलोमीटर तक बाड़ हो चुकी है.कई जगह नदी,नालों से भी गैप है.सीमा पर अवैध गतिविधि और घुसपैठ रोकने को बीएसएफ की 81 बटालियन है.लेकिन नदी,नाले और पहाड़ों से घुसपैठ से इनकार नहीं किया जा सकता.
राज्य सरकार को मिलेगा पूरा सहयोग
केंद्र सरकार ने कहा कि अवैध प्रवासन को लेकर भारत सरकार गंभीर है.लेकिन फेडरल स्ट्रक्चर में राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अवैध प्रवासी चिन्हित कर डिपोर्ट करे. इस काम में केंद्र सरकार हर सहयोग को तैयार है.
क्या है U.I.D.A.I के काउंटर एफिडेविट में
इस मामले में U.I.D.A.I की ओर से भी काउंटर एफिडेविट फाइल की गई है. इसमें बताया गया है कि आधार नंबर कभी भी नागरिकता का आधार नहीं हो सकता है. आधार नंबर केवल प्रमाणीकरण या ऑफलाइन सत्यापन के माध्यम से आधार नंबर धारक की पहचान स्थापित करने के लिए होता है. एविडेंस एक्ट के मुताबिक आधार कार्ड के लिए दर्ज इंट्री को निर्णायक प्रमाण नहीं माना जाता है.UIDAI ने 28 फरवरी 2018 को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों को जारी एडवाइजरी का जिक्र किया है. इसमें कहा गया है कि एजेंसियों के सहयोग से अवैध प्रवासियों की पहचान करना है और अगर किसी ने गलत तरीके से आधार कार्ड बनवा लिया है तो उसकी जानकारी UIDAI के देते हुए कानूनी कार्रवाई करना है.
 क्या है जनहित याचिका में
दरअसल, दानियल दानिश ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर तर्क दिया कि संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ से डेमोग्राफी बदल रही है. क्षेत्र में मदरसे बढ़े हैं.वनवासियों से वैवाहिक संबंध बनाये जा रहे है. केंद्रीय गृह मंत्रालय को बताना चाहिए कि आखिर कैसे बांग्लादेशी संथाल में घुस रहे हैं. मामले में अब 17 सितंबर को एक्टिंग चीफ जस्टिस की खंडपीठ में विस्तृत सुनवाई होगी.
नेता प्रतिपक्ष ने राज्य सरकार पर साधा निशाना
नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने संथाल में घुसपैठ पर प्रेस कॉन्फ्रेस की. उन्होंने राज्य सरकार पर जमकर आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के एफिडेविट के संदर्भ से कहा कि केंद्र सरकार ने घुसपैठ संथाल परगना को बड़ा खतरा बताया है. केंद्र सरकार ने माना है कि इससे डेमोग्राफी चेज हुआ है। बाउरी ने कहा कि राज्य में संथाल परगना टेनेंसी एक्ट का जो उल्लंघन को कहीं न कहीं राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है.

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