बृजभूषण शरण सिंह का अपराध स्वीकृति से इंकार,पहली जून से मुकदमा
कोर्ट ने पूछा- आप अपराध मानते हैं? बृजभूषण सिंह बोले- कोई सवाल ही नहीं, अपराध किया नहीं तो मानूं क्यों
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने WFI के पूर्व चीफ बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवान यौन शोषण मामले में पहले ही आरोप तय करने के आदेश दे दिए थे. कोर्ट ने कहा था कि 6 में से 5 मामलों में बृजभूषण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने को पर्याप्त प्रमाण मिले हैं. 5 मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 और 354डी में आरोप तय किए गए हैं
नई दिल्ली,21 मई 2024,महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में दिल्ली की कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई जिसमें कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह कोर्ट पहुंचे . कोर्ट ने उन्हें मामले में उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की जानकारी दी. सुनवाई में सरकारी वकील ने पूछा कि वह मुकदमे का दावा कर रहे हैं या अपराध स्वीकार कर रहे हैं? इस पर बृजभूषण सिंह के वकील ने कहा कि मुकदमे का दावा कर रहे हैं।
इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण सिंह से पूछा कि क्या आप अपराध मानते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि कोई सवाल ही नहीं है, अपराध किया नहीं तो मानें क्यों. वहीं इस मामले में अन्य आरोपित और कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी आरोपों से इनकार करते हुए खुद को निर्दोष बताया . उन्होंने कोर्ट में कहा कि ये सब कुछ झूठ है. हमारे पास पूरे प्रमाण हैं. घर पर कभी नहीं बुलाया, डांटा-धमकाया भी नहीं है. सब आरोप झूठे हैं.
सीसीटीवी की सीडीआर और होटल दस्तावेजों सहित अन्य विवरण मांगने को बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है. उनके वकील ने कहा कि मेरे दौरे आधिकारिक थे, मुझ पर आरोप है कि विदेश में मैं उसी होटल में था और मुझे ये अपराध करने का मौका मिला. जबकि मैं एक ही होटल में नहीं रह रहा था. दिल्ली कार्यालय की घटनाओं में, मेरा बचाव यह है कि मैं तब दिल्ली में नहीं था. ये दस्तावेज़ डब्ल्यूएफआई पर आसानी से उपलब्ध हैं.
इस पर सरकारी वकील ने कहा कि ये एक नई जांच की तरह होगी. कोर्ट ने सरकारी वकील से कहा कि जवाब दाखिल करें, फिर आप पहलवान बनाम बृजभूषण पर बहस कर सकते हैं.
लंबी तारीख नहीं दे सकते: कोर्ट
कोर्ट ने मामले को लंबे समय तक खींचने से इनकार करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि MP-MLA मामलों में लंबी तारीखें न दी जाएं. मेरी कोर्ट में अधिकतम 10 से 15 तारीखें जाती हैं. हम 10 दिन से दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 1 जून दोपहर 2 बजे तय की है. यानी महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों पर ब्रजभूषण शरण सिंह और विनोद तोमर पर एक जून से मुकदमा चलेगा. राउज़ ऐवन्यू कोर्ट में दोनों ने अपराध स्वीकार करने के बजाय ट्रायल का सामना करने की बात कही.
बृजभूषण पर 5 मामलों में तय हो चुके हैं आरोप
बता दें कि दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने WFI के पूर्व चीफ बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवान यौन शोषण मामले में पहले ही आरोप तय करने के आदेश दे दिए थे. कोर्ट ने कहा था कि 6 में से 5 मामलों में बृजभूषण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने को पर्याप्त प्रमाण मिले हैं. 5 मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 और 354डी में आरोप तय किए गए हैं, जबकि उनके खिलाफ छठा मामला निरस्त कर दिया गया है. इसी मामले में कोर्ट में सुनवाई जारी है.
क्या है IPC की धारा 354 और 354डी?
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के अनुसार, जो भी कोई किसी स्त्री की लज्जा भंग करने या यह जानते हुए कि ऐसा करने से वह कदाचित उसकी लज्जा भंग करेगा’ के आशय से उस स्त्री पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करता है, तो वह इस धारा में आरोपित होगा. इसमें एक अवधि को कारावास की सजा संभव है, जो कम से कम एक वर्ष होगी. सजा 5 साल तक बढ़ाई जा सकती है. साथ ही दोषी आर्थिक दंड को भी उत्तरदायी होगा. यह एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है.
वहीं भारतीय दंड संहिता की धारा 354डी में किसी महिला का पीछा करने और ऐसी महिला के अरुचि के साफ संकेत के बावजूद व्यक्तिगत संपर्क को बढ़ावा देने को बार-बार ऐसी महिला से संपर्क करना या संपर्क करने की कोशिश करना; या किसी महिला के इंटरनेट, ईमेल या इलेक्ट्रॉनिक संचार के किसी अन्य रूप के इस्तेमाल की निगरानी, या उसका पीछा करना अपराध माना जाएगा.
ऐसे व्यक्ति को पहली बार दोषी ठहराए जाने पर किसी एक अवधि को कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है. उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है.दूसरी बार दोषसिद्धि होने पर उसे किसी भी अवधि को कारावास की सजा हो सकती है, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।