किसान जिद पर तो सरकार भी टस से मस नहीं, कानून वापसी के अलावा किसी भी बिंदू पर बात को राजी

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Farmer Protest Latest : किसान जिद्दी तो सरकार भी नहीं टस से मस, तोमर बोले- कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने के लिए तैयार
दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है। ठंड में भी उनका हौसला डिगा नहीं है, पर सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं है।

हाइलाइट्स:
तोमर ने कहा- कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने के लिए तैयार
तोमर बोले- मैं सबसे मिलूंगा चाहे वे किसान हों या नेता
किसान बोले- ये ट्रैक्टर महज एक रिहर्सल

नई दिल्ली 07 जनवरी। बारिश और कड़ाके की ठंड के बीच दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं, पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह अपने कदम पीछे नहीं खींचेगी। केंद्र और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच होने वाली महत्वपूर्ण वार्ता से एक दिन पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने के अलावा किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार है। हालांकि, किसानों की केंद्र सरकार से एक मुख्य मांग नये कृषि कानूनों को वापस लेने की है।

दरअसल आंदोलनरत किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से वार्ता का सरकार की ओर से खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश के साथ नेतृत्व कर रहे तोमर ने कहा कि वह अभी नहीं कह सकते हैं कि आठ जनवरी को विज्ञान भवन में दोपहर दो बजे 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेताओं के साथ होने वाली बैठक का क्या नतीजा निकलेगा।

‘बैठक में चर्चा के लिए क्या मुद्दा उठता है’

कृषि मंत्री ने पंजाब के नानकसर गुरुद्वारा के प्रमुख बाबा लखा को गतिरोध खत्म करने के लिए एक प्रस्ताव देने की बात से भी इनकार किया। वह राज्य के एक जानेमाने धार्मिक नेता हैं। शुक्रवार की बैठक के संभावित नतीजों के बारे में पूछे जाने पर तोमर ने कहा ‘मैं अभी कुछ नहीं कह सकता। असल में, यह इस बात पर निर्भर करता है कि बैठक में चर्चा के लिए क्या मुद्दा उठता है।

किसान बोले- ये ट्रैक्टर महज एक रिहर्सल

केंद्र सरकार के साथ वार्ता से पहले बृहस्पतिवार को हजारों की संख्या में किसानों ने दिल्ली की सीमाओं से लगे अपने प्रदर्शन स्थल सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर तथा हरियाणा के रेवासन से ट्रैक्टर मार्च निकाला। प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने कहा कि 26 जनवरी को हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले ट्रैक्टरों की प्रस्तावित परेड से पहले यह महज एक ‘‘रिहर्सल’’ है।

‘सरकार ने नहीं दिया अभी कोई भी प्रस्ताव’

केंद्र और आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों के नेताओं के बीच अब तक हुई सात दौर की वार्ता बेनतीजा रही है, हालांकि 30 दिसंबर की बैठक में कुछ सफलता हाथ लगी थी जब सरकार ने बिजली सब्सिडी और पराली जलाने के संबंध में आंदोलनकारी किसानों की दो मांगें मान ली थी। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने नानकसर गुरुद्वारा प्रमुख के साथ एक प्रस्ताव पर बातचीत की है, मंत्री ने कहा, ‘‘ सरकार ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया है।

तोमर बोले- मैं सबसे मिलूंगा चाहे वे किसान हों या नेता
सरकार ने कहा है कि वह इन कानूनों को वापस लेने की मांग के अलावा किसी भी प्रस्ताव पर विचार करेगी।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या प्रस्तावों में राज्यों को नये केंद्रीय कानून लागू करने की छूट दी गई है, उन्होंने कहा , ‘‘नहीं।’’ साथ ही यह भी कहा, ‘‘मैं उनसे (बाबा लखा से) बात करना जारी रखूंगा। वह आज दिल्ली आए हैं, यह खबर बन गई। मेरा उनसे पुराना संबंध है।’’ यह पूछे जाने पर कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता कर सकने वाले पंजाब के किसी अन्य धार्मिक नेता से क्या वह मिलेंगे, तोमर ने कहा, ‘‘मैं उनसे मिलूंगा–चाहे वे किसान हों या नेता’।

क्या होगा सरकार का अगला कदम?

कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि नये कृषि कानून किसानों को छूट देते हैं तथा सरकार मौजूदा गतिरोध यथाशीघ्र खत्म करने को लेकर आशान्वित है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी जो कदम उठाये गये हैं वे महज शुरूआत हैं। और अधिक सुधार किये जाने हैं। अगला, कीटनाशक विधेयक और बीज विधेयक होगा।’’ प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से अधिक समय से डेरा डाले हुए हैं और तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। वे फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी भी मांग रहे हैं। इन प्रदर्शनकारी किसानों में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से हैं।

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